ही फ्रेंड्स, मैं हू पंकज, और मैं आपके समक्ष अपनी कहानी का अगला भाग प्रस्तुत करने आया हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा, तो पहले वो ज़रूर पढ़े. इससे आपको कहानी आचे से समझ में आ जाएगी.
जिन लोगों ने मेरी कहानी के पिछले पार्ट के लिए फीडबॅक और कॉमेंट्स दिए है, उनका मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हू.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरी बीवी अब मुझे उसको छोड़ने नही देती थी. क्यूंकी उसका चुदाई में इंटेरेस्ट ख़तम हो चुका था. लेकिन मेरा सेक्स करने का बहुत दिल करता था.
फिर एक दिन मैने अपनी नौकरानी ऋतु को हमारी चुदाई देखते हुए देखा. मैने वीडियो रेकॉर्डिंग में भी चेक किया की वो काफ़ी देर से हमारी चुदाई देखती थी. फिर जब मेरी बीवी ने मुझे उसको छोड़ने नही दिया, तो मैं ऋतु के रूम में गया, और वाहा जाके मैने उसकी छूट की सील तोड़ दी. अब आयेज चलते है.
ऋतु को छोड़ने के बाद मेरी उसके लिए हवस और बढ़ गयी थी. अब मेरी नज़र उस पर ही रहती थी. जब वो किचन में खाना बनती थी, तब मेरी नज़र उसकी गांद पर रहती थी. पोछा लगते हुए और कपड़े ढोते हुए मैं उसकी क्लीवेज के दर्शन कर लेता था.
जब भी मेरी बीवी आस-पास होती थी, तो मैं उसको पकड़ कर कभी किस कर लेता था, और कभी उसके बूब्स दबा देता था. ऋतु मेरा साथ नही देती थी, लेकिन मुझे माना भी नही करती थी. फिर एक दिन मुझसे बर्दाश्त नही हुआ, और मेरा फिरसे चुदाई का मॅन हो गया.
मैने अपनी बीवी के साथ सेक्स करने की कोशिश की, लेकिन उसने हमेशा की तरह माना कर दिया. हमारी फिरसे लड़ाई हुई, और लड़ने के बाद मैं कमरे से बाहर आ गया. अब मेरे पास ऋतु की ऑप्षन थी, तो मैं उसके कमरे में जाने लगा.
वाहा जाके मैने देखा की उसके कमरे का दरवाज़ा बंद था, वो भी अंदर से. मैने 2-3 बार दरवाज़ा नॉक किया, लेकिन उसने दरवाज़ा नही खोला. अब मैं उसको आवाज़ भी नही दे सकता था, क्यूंकी आवाज़ गूंजने लगती.
फिर मैं बातरूम में गया, और वाहा जाके मूठ मार कर अपना लंड हल्का किया. अगले दिन सुबा जब ऋतु को मैने देखा, तो वो मुझसे नज़र नही मिला रही थी. मैं जानता था की रात को उसने जान-बूझ कर दरवाज़ा नही खोला था.
थोड़ी देर बाद मेरी बीवी के माइके से फोन आया, की उसके पापा बीमार थे. तो वो जल्दी से वाहा जाने के लिए रेडी होने लगी. मैं बड़ा खुश था, क्यूंकी बीवी के जाने से मुझे ऋतु को छोड़ने का मौका मिल जाता.
मेरे घर से मेरा ससुराल 2 घंटे डोर है. मैने अपनी बीवी को बस में बिता दिया, और उसके घर रवाना कर दिया. फिर मैं जब घर आया, तो देखा ऋतु किचन में काम कर रही थी. मैने पीछे से जाके उसको पकड़ लिया, जिससे वो एक-दूं से उछाल पड़ी. वो बोली-
ऋतु: भैया आप ये क्या कर रहे है?
मैं: अभी भी भैया बुला रही हो. अब तो मेरे साथ सैयाँ वाले काम कर चुकी हो.
ऋतु: नही भैया, मुझे दोबारा आपके साथ वो सब नही करना.
मैं: लेकिन मुझे तो करना है ना मेरी जान. उस दिन तो बड़ी गांद उठा-उठा कर चुड रही थी. अब सती-सावित्री क्यूँ बन रही है? हमारी चुदाई चुप-चुप कर देखते हुए भी तो मज़ा लेती थी. अब मेरे लंड के मज़े ले.
ये बोल कर मैने उसको अपनी बाहों में भर कर उठाया, और अपने बेडरूम में ले गया. अंदर जाके मैने उसको बेड पर फेंका, और खुद उसके उपर कूद पड़ा. मैने अपने होंठ उसके होंठो के साथ चिपका दिए, और उसके होंठ चूसने लग गया.
वो अभी भी माना करने की कोशिश कर रही थी. अगले 1 मिनिट में वो भी गरम होने लगी, और किस करने में मेरा साथ देने लगी. अब हम दोनो पुर जोश में किस कर रहे थे.
मैने किस करते हुए उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए. इससे उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी. उसने आज भी शर्ट और लेगैंग्स पहनी हुई थी. फिर मैने उसका शर्ट उतरा, और ब्रा के उपर से उसके बूब्स दबा कर उसकी क्लीवेज चाटने लगा. उसके बाद मैने उसकी ब्रा खोल कर उसके बूब्स को आज़ाद किया.
बूब्स आज़ाद होते ही मैं उन पर टूट पड़ा, और चूसने लग गया. दोस्तों काससे हुए बूब्स चूसने का मज़ा ही कुछ और होता है. बूब्स चूस-चूस कर लाल करने के बाद मैं उसकी कमर और पेट को चाटने और चूमने लग गया. फिर मैने उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसाई, और उसको चाटने लग गया.
वो पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी. उसके बाद मैं नीचे आया, और उसकी लेगैंग्स को उसके बदन से अलग कर दिया. अब वो सेक्सी लड़की मेरे सामने सिर्फ़ पनटी में थी. उसकी पनटी पर छूट वाली जगह पर गीला-गीला धब्बा नज़र आ रहा था.
मैने फिर उसकी पनटी उतरी, और उसकी छूट अब मेरे सामने थी. उसकी छूट को देखते ही मैने अपना मूह उसकी छूट पर लगा लिया, और उसकी छूट को चूसने लग गया. उसने अपनी जांघों में मेरा सर लपेट लिया, और कामुक आहें भरने लगी.
कुछ देर उसकी छूट चूसने के बाद मैं खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े उतार दिए. जैसे ही मेरा लंड उसके सामने आया, तो वो बेड पर कुटिया पोज़ में आ गयी, और मेरा लंड हाथ में लेके सहलाने लगी. मैने उसको लंड को मूह में डालने के लिए बोला.
उसने वैसा ही किया, और लंड को मूह में ले लिया, और चूसने लग गयी. मैने उसके बाल पकड़े, और किसी बाज़ारु रंडी की तरह उसके मूह को ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा. उसके मूह से थूक बाहर निकल रही थी, और उसको साँस नही आ रही थी.
फिर मैने उसको सीधा लिटाया, और उसके उपर आके लंड उसकी छूट में डाल दिया. मैने पूरा लंड एक ही बार में उसकी छूट में घुसेध दिया, जिससे उसकी चीख निकल गयी. फिर मैं ज़ोर-ज़ोर के धक्के देके उसको छोड़ने लग गया.
वो आहह आ कर रही थी, और मैं फुल स्पीड मैं उसको छोड़ रहा था. अब वो भी गांद उठा-उठा कर अपनी छूट में मेरा लंड ले रही थी. हमारी ये चुदाई 30 मिनिट चली, और फिर मैने अपना पानी उसके पेट पर निकाल दिया. फिर मैं उसकी साइड में ही लेट गया. हम दोनो हाँफ रहे थे.
कुछ देर बाद मेरी बीवी का फोन आया. उसकी कॉल देख कर मैं घबरा गया. उसने कहा की उसके पापा ज़्यादा बीमार थे, और उसको वाहा 2 दिन रुकना पड़ेगा. ये सुन कर मैं और खुश हो गया. फिर मैं बातरूम होके आया.
जब मैने ऋतु को देखा, तो वो उल्टी लेती हुई थी. वो नंगी थी, और उसकी गांद बड़ी सेक्सी थी. उसकी गांद देख कर मेरा लंड फिरसे खड़ा होने लग गया. मेरा उसकी गांद मारने का दिल करने लगा.
फिर मैने फटाफट बातरूम से आयिल की बॉटल ली, और अपने लंड को पूरा आयिल से भिगो लिया. उसके बाद मैं धीरे से उसके उपर गया, और उसकी टाँगो पर बैठ गया. ऋतु सो रही थी, और मेरे उसकी टाँगो पर बैठने से वो जाग गयी. अभी वो नींद में ही थी.
मैने जल्दी से उसकी गांद के चियर में आयिल डाला, और इससे पहले की वो कुछ सोच पाती, मैने पूरा ज़ोर लगा कर उसकी गांद के च्छेद में अपना लंड धकेल दिया. मेरा टोपा उसकी गांद में गया, और वो दर्द के मारे तड़पने लगी.
वो टांगे हिला रही थी, लेकिन मेरे उपर बैठा होने की वजह से वो हिला नही पा रही थी. दर्द के मारे वो बेड पर अपने हाथ पटक रही थी, और चादर नोच रही थी. मैं लंड अंदर घुसने के लिए ज़ोर लगाए जेया रहा था.
4 मिनिट की मेहनत के बाद मेरा पूरा लंड ऋतु की गांद में जेया चुका था. वो अभी भी तड़प रही थी, और चिल्ला रही थी. उसका मूह बंद करने के लिए मैने उसके मूह को पिल्लो में दबा दिया था.
10 मिनिट लग गये उसको शांत होते-होते. इतनी देर तक मेरा लंड उसकी गांद में ही था. उसकी गांद बहुत टाइट थी, जिसकी वजह से मेरा लंड भी दर्द करने लगा था. फिर जब वो शांत हुई, तो मैने अपने लंड को उसकी गांद के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.
अब वो आ आ की आवाज़े निकालने लगी. धीरे-धीरे मेरा लंड आराम से उसकी गांद के अंदर-बाहर होने लगा. मैने अपनी स्पीड बधाई, और थप्पड़ मार-मार कर उसकी गांद छोड़ने लग गया. अब वो मज़े से गांद छुड़वा रही थी.
फिर मैं उसके छूतदों पर थप्पड़ मारते हुए उसकी गांद छोड़ने लगा. मैने उसके चूतड़ लाल कर दिए थे मार-मार कर. 25 मिनिट तक मैने उसकी गांद छोड़ी, और फिर अपना माल उसकी गांद में ही निकाल दिया. अगले 2 दिन तक मैने उसको छोड़-छोड़ कर बहाल कर दिया.
तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी मुझे फीडबॅक और कॉमेंट देके ज़रूर बताए.