मानसी ने डाक्टर मालिनी को बताया कि उसने अपने मम्मी पापा की चुदाई होते हुए देखी है। मानसी हैरान थी कि चुदाई के दौरान उसके मम्मी पापा रंडी, कुतिया जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे। डाक्टर मालिनी ने मानसी को समझाया कि चुदाई के दौरान इन शब्दों इस्तेमाल लोग क्यों करते हैं, और चुदाई के दौरान इनके मायने क्यों और कैसे बदल जाते हैं। अब आगे।
“जब मैंने मानसी को चुदाई के दौरान रंडी और कुतिया जैसे शब्दों के इस्तेमाल का असल कारण बताया तो मानसी बोली, “आंटी आप तो बहुत कुछ जानती है”।
“मानसी की बात सुन कर मैंने भी मानसी की चूचियों को दबाते हुए कहा, “बेटा मानसी, जब तू मेरी उम्र में आएगी, तुझे भी बहुत कुछ पता होगा। चुदाई के दौरान भोसड़ा, चुदक्कड़, फुद्दी, रंडी, कुतिया क्यों बोलते हैं, वक़्त आने पर तू भी तब समझ जाएगी। तुझे भी चुदाई करवाते हुए ये सब बोलने सुनने में मजा आने लग जाएगा”।
“जब मैंने मानसी को ये सब बता रही थी तो मानसी हैरानी से मेरी तरफ देख रही थी”।
“मेरी बातें सुन-सुन कर मानसी ने जरूर सोच रही होगी ये डाक्टर है या क्या है। क्या-क्या करती है, कैसी कैसी बातें करती है। पक्की चुदक्कड़ है ये डाक्टर”।
“वैसे तो मानसी अगर ऐसा सोच भी रही थी तो गलत क्या सोच रही थी”?
“मैंने हैरानी से देखती हुई देखती हुई मानसी का हाथ पकड़ कर मानसी को अपनी तरफ खींचा और बोली, “हैरान हो रही क्या कि मैं कैसी-कैसी बातें करती हूं”?
“इससे पहले कि मानसी कुछ बोलती मैंने मानसी को कहा, “चल छोड़ ये सब, तू पहले इधर आ मेरे पास”।
“मानसी जैसे ही मेरे पास आयी मैंने मानसी को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ अपने होठों में ले लिए। मानसी ने भी मुझे कस कर पकड़ लिया”।
“मुझे तो बीस साल की खूबसूरत मानसी को चूमने का मजा आता ही था, मानसी को भी मेरे चुम्मे का मजा आने लगा था”।
“कुछ देर बाद मानसी के होंठ चूसने के बाद मैंने मानसी को छोड़ दिया। मानसी वापस अपनी कुर्सी पर जा कर बैठ गयी”।
“मैंने मानसी से पूछा, “मानसी तुम कोइ बॉयफ्रेंड बनाती क्यों नहीं? तुम इतनी सुन्दर हो, अच्छी हो, तुम्हारी क्लास में भी तो कई लड़के होने जो तुम पर मरते होंगे। या तुम्हारा कोई दूर की रिश्तेदारी में तुम्हारी उम्र का लड़का हो? अपना एक बॉयफ्रेंड बनाओ, उसके साथ घूमों फिरो मस्ती करो, और मन करे तो “वो” भी कर लो”।
“फिर मैंने ही साफ़ कर दिया, “वो” मतलब सेक्स, चुदाई – उससे मस्त चुदाई करवाओ”।
अपनी बात जारी रखते हुए मैंने कहा, “अब तो तुम्हारी मम्मी की दिन की शिफ्ट होगी। पापा भी ऑफिस में होंगे दिन में। उसे अपने घर बुलाओ, या उसके घर जाओ और दोनों खूब चुम्मा-चाटी करो, खूब मस्ती करो”।
मानसी बोली, “आंटी घर पर कैसे? हमारी कालोनी में तो घर एक-दूसरे का साथ मिले जुड़े हुए हैं। सारा दिन औरतें बाहर ही खड़ी-खड़ी गप्पे हांकती रहती हैं। दो मिनट में बात का बतंगड़ बना देंगी”।
मैंने कहा, “कोइ बात नहीं मानसी अगर वहां मौक़ा नहीं मिल सकता तो मुझे फोन करो और अपने बॉयफ्रेंड को यहां लेकर आ जाओ, और इस कमरे में जितनी देर मर्जी, जैसी मर्जी मस्ती करो”I
“फिर मैंने हंसते हुए मानसी से कहा, “और मानसी यहां कोइ सुनने वाला भी नहीं। तुम्हें और भी ज्यादा मजा आएगा। अगर कहीं तुम्हारा चुदाई का प्रोग्राम बन जाये तो चोदते हुए तुम्हारा बॉयफ्रेंड बोलेगा, “आह्ह, मेरी जान चूस जोर से आअह, और जोर निकाल साली जो भी है इसके अंदर से। पीले मेरे लंड का पानी आअह तेरी चूत में मेरा लौड़ा आह आज चोदूंगा तुझे रंडी की तरह तेरी गांड में मेरा लौड़ा तेरी गांड के चीथड़े उड़ा दूंगा आज। भोसड़ी वाली गांडू ये लेले आआआह आआह”।
और उधर तुम बोलोगी, “आआह बना ही दे आज भोसड़ा इस चूत का गांड तो फाड़ ही दी आह रगड़ गांडू और रगड़ आआह घुस जा मेरी चूत में आह रंडी की तरह चोद आज। मुझे फाड़ डाल, मेरी फुद्दी कुतिया की तरह रगड़-रगड़ कर चोद। मुझे फाड़ मेरी फाड़ दे आआह आआह रगड़ो मेरी चूत झाग निकाल दो इसकी इस फुद्दी की”।
“इतना बोल कर मैंने मानसी की टांग पर हाथ मारते हुए पूछा, “क्यों मानसी ठीक कह रही हूं ना”?
मानसी शर्मा गयी और बोली, “बस आंटी, मुझे तो शर्म ही आने लग गयी है”।
मैंने हंस कर कहा, ” क्यों मानसी, शर्मा क्यों रही हो? मगर मुझे बताओ क्या मैंने कोइ गलत कहा है? तुमने खुद ही तो कहा था प्रभात और स्नेहा की चुदाई के दौरान की सिसकारियों ने तुम्हारी चूत गरम कर दी थी”।
“मेरी इस बात पर मानसी मुस्कुराने लगी”।
“मैंने फिर संजीदा होते हुए कहा, “मानसी मैं तुम्हे अपने पापा अलोक से चुदाई ना करवाने के लिए तो नहीं कहूंगी, मगर मानसी अपने पापा के साथ चुदाई मस्ती वाली चुदाई नहीं। इसमें बस तभी मजा आता है जब लंड पानी छोड़ता है, जब चूत पानी छोड़ती है। बाकी चुदाई के दौरान तो तुम यहीं सोचती होगी कि मेरे पापा मुझे चोद रहे हैं और अलोक सोचता होगा कि वो अपनी बेटी को चोद रहा है”।
“अब बताओ मानसी मैंने कहीं भी कुछ भी गलत कहा है”?
“मानसी ने पहली बार कहा, “नहीं आंटी आपकी सारी बातें सही हैं। मेरी और पापा की चुदाई के वक़्त बिल्कुल यही होता है। चुदाई के दौरान में कभी भी भूल नहीं पाती कि पापा का लंड मेरी चूत में है और मेरे पापा मेरी चुदाई कर रहे हैं”।
“फिर कुछ रुक कर बोली, “आंटी, ये आपके जैसे सेक्स टॉयज कहां मिलेंगे, ये कानपुर में मिलते हैं”?
“मैंने कहा, “हां मिलते हैं, मगर जान पहचान वाले को ही मिलते हैं। तुम्हें चाहिये तो मैं मंगवा दूंगी”।
“मानसी कुछ सोचते हुए बोली, “आंटी मजा तो बड़ा या इसको चूत में लेने का, मगर इतना मोटा लंड चूत में डालने से कहीं चूत खुली तो नहीं हो जायेगी”?
“मुझे मानसी की बात पर हंसी आ गयी। मैंने मानसी के गाल पर एक चिकोटी काटी और कहा, “नहीं मेरी जान, चूत का कुछ नहीं होगा। मगर सभी चूतें एक जैसी नहीं होती। अगर तुमने आज इसे अपनी चूत में ले लिया है और तुम्हें कोइ तकलीफ नहीं हुई तो ये तुम्हारी चूत के लिए बिल्कुल सही है”।
“फिर मैंने मानसी से कहा, “मगर मानसी तुम्हारी छोटी सी नन्हीं मुन्नी चूत को अभी इतने मोटे लंड के जरूरत नहीं है। तुम्हें इससे दो नंबर कम वाला लंड चाहिए, इससे पतला, मगर इतना ही लम्बा”।
“फिर मैंने मानसी से कहा, “अच्छा मानसी ये बताओ, तीनो चाहिये? लंड, दाना चूसने वाला और गांड और चूत में लेने वाला”?
मानसी बोली, “आंटी जब मंगवाने ही हैं तो तीनों ही मंगवा दीजिये, तीनों ही अलग-अलग हैं। मुझे तो तीनों में ही बड़ा मजा आया है”।
“मैंने कहा, “ठीक हैं मानसी तीनों ही मंगवा देती हूं”।
“फिर मैंने कुछ रुक कर कहा, “और एक बात का और ध्यान रखना। रोज-रोज इन सेक्स टॉयज का इस्तेमाल नहीं करना है। वो सेहत के लिए ठीक नहीं होता। अपना एक बॉयफ्रेंड बनाओ, और मस्त चुदाई करवाओ”।
“अब बताओ है कोई लड़का जिसे तुम अपना बॉयफ्रेंड बना सकती हो”?
“मानसी कुछ सोचने लगी और फिर बोली, “हां आंटी आपकी बातें सुनने के बाद मुझे एक लड़के का ध्यान आ रहा है। मेरी ही क्लास में CA कर रहा है। उसके पापा मेरे पापा को जानते भी हैं। रजत नाम है उसका। मुझे कई बार इशारों-इशारों में कह चुका है कि वो मुझे चाहता है”।
“मैंने पूछा, “और देखने में बात करने में कैसा है”?
“मानसी बोली, “देखने अच्छा है आंटी। बातें भी बड़े मजेदार करता है”।
“मैंने कहा, “तो बस, उसकी बातों का जवाब देना शुरू कर दो और प्रभात को भूल जाओ। अपने पापा से भी हो सके तो चुदाई कम कर दो। अगर तुम्हें मेरी बातें ठीक लग रहीं है तो मुझे बता दो मैं उसी हिसाब से तुम्हारी मम्मी और पापा से बात करूंगी”।
“मानसी कुछ सोचने लगी”।
“मैंने ही फिर कहा, “मगर मानसी तुम्हें अभी कुछ नहीं बताना। आराम से घर जा कर सोचो और दो-तीन दिन के बाद सोच कर मुझे बता देना। अब जब भी दो या तीन दिन के बाद तुम आओगी तो हो सकता है तब तक तुम्हारे तीनों खिलौने भी आ चुके हों। वो भी ले जाना। ठीक”?
“मानसी बोली, “ठीक आंटी”।
“मैंने कहा, “अब जाओ बाथरूम जा कर अपनी चूत की अच्छे से धुलाई करके तौलिये से साफ़ करो, बहुत पानी छोड़ चुकी होगी अब तक। अगर साफ़ ना किया तो कुछ देर में मस्त खुशबू छोड़ने लग जाएगी चूत। अब जाओ और वापस आ कर मुझे एक बढ़िया सा चुम्मा दो – मेरी आज की फीस”।
“फिर मैं हंसी और बोली, “अब तक के तुम्हारे चुम्मे, चूत चुदाई की बातें सुनते सुनते मस्ती आने के कारण लिए थे। अब का चुम्मा मेरी आज की फीस है”।
“मानसी हंसती हुई बाथरूम के तरफ चली गयी। पंद्रह मिनट के बाद अच्छे फ्रेश हो कर बाल ठीक करके आई। बड़ी ही प्यारी लग रहे थी”।
“आ कर सीधी मेरे पास आयी, और हल्के से होठ खोल कर मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैंने मानसी को बाहों में लिया और उसके होठ अपने होठों में लेकर चूसने लगी। एक हाथ मेरा मानसी के सर के पीछे था और दूसरे हाथ से मैं मानसी के चूतड़ सहला रही थी। मानसी ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था”।
“दस मिनट होंठ चूसने के बाद मैंने मानसी को छोड़ और कहा, “मानसी कैसे जाओगी? शंकर को बोल देती हूं तुम्हें छोड़ देगा”।
“मानसी बोली, ” नही आंटी कोइ बात नहीं, सामने से ही ऑटो मिल जाएगा”।
“मैंने कहा, “अरे कहां ऑटो में जाओगी, रुको”।
“मैंने बैल लगाई और चौकीदार आ गया। चौकीदार को मैंने उसे शंकर को भेजने के लिए कहा। शंकर आया तो मैंने कहा, “शंकर मानसी को छोड़ आना ज़रा”।
शंकर बोला, “जी मैडम”।
“मानसी शंकर के साथ चली गई और मेरे मुंह में चुम्मे का मीठा नमकीन स्वाद छोड़ गयी”।
“उधर मैंने सोचना शुरू कर दिया, कि अब आलोक आएगा तो कैसे और क्या बात करनी है और साथ ही किस तरह की चुदाई करवानी है।
“सोचते-सोचते मैंने संदीप सोलंकी को फोन लगाया और मानसी के लिए तीनों सेक्स टॉयज का आर्डर कर दिया और साथ ही पूछा, “संदीप कब तक आ जायेंगे ये तीनो”?
“सोलंकी बोला, “लो मैडम, कल ही लो। मेरे पास स्टॉक रखा है, मैं कल ही तीनों ले कर आ जाता हूं”।
“मैंने मन ही मन सोचा, ‘साले भोसड़ी वाले संदीप, मैं सब जानती हूं। तू अब आएगा और मेरी चूत को ही घूरता रहेगा”।
“मैंने सोचा अगर मेरा उसूल कानपुर में हर किसी से चुदाई करवाने का ना होता तो अब तक तो मेरी और संदीप की चुदाई हो जानी थी”।
“मैंने बस इतना ही कहा, “वैरी गुड संदीप, मैं कल ग्यारह बजे इंतजार करूंगी”।
“अगले दिन संदीप आया और तीनों खिलौनों का पैकेट मेरे हाथ में देकर मेरी चूत को घूरने लगा। खिलौनों की पेमेंट लेने के बाद भी संदीप बीस मिनट तक मेरी चूत को घूरते हुए इधर-उधर की बकवास बातें करता रहा”।
“वैसे एक बात तो है, मुझे इस तरह संदीप का मेरी चूत घूरना अच्छा ही लगता है। मैं सोच रही थी इसको थोड़ा और जांचते परखते हैं फिर देखेंगे कि इससे चुदाई करवानी है या नहीं। देखने में तो संदीप भी हट्टा-कट्टा था, और दिखने में पूरा देहातियों जैसा लगता था”।
“ऐसे देहाती दिखने जैसे मर्द चुदाई रगड़-रगड़ कर करते हैं जैसे रंडी चोद रहे हों – जैसे कुत्ता कुतिया को चोद रहा हो”।
“अगले ही दिन रागिनी का फोन आया तो रागिनी बोली, “नमस्ते मालिनी जी, कैसी हैं आप”?
“मैंने भी जवाब दिया, “मैं तो ठीक हूं, तुम बताओ कैसी हो, मानसी कैसी है”?
रागिनी बोली, “मालिनी जी मानसी तो बड़ी बदली-बदली सी लग रही है। पहले तो मुझसे इस तरह बात नहीं करती थी। अब तो बड़ा हस-हस कर बात कर रही है। कुछ खास बात हुई है क्या मानसी से आपकी”?
“मैं भी कुछ हैरान सी हुई। क्या मानसी वाकई बदल गया थी – और वो भी इतनी जल्दी? मगर मैंने मानसी को दो-तीन दिन सोचने का टाइम दिया था। उसके बाद मानसी ने मेरे पास आना था”।
“मैंने रागिनी को कहा, “रागिनी मैंने तो अपनी तरफ से सब आम बातें ही की थी, जैसे तुम्हारे साथ की थी, जैसे आलोक के साथ की थी। अब मेरी कौन सी बात ख़ास बन जाये ये तो बाद में ही पता चलता है”।
“लेकिन रागिनी जब मेरी मानसी से बात हुई थी तब तो मानसी ने मुझे कहा था कि वो मुझे दो-तीन दिन के बाद फोन करेगी, और आगे मिलने का प्रोग्राम बताएगी। मतलब या तो कल फोन आएगा, या उससे अगले दिन”।
“उधर रागिनी मेरी बात चुप-चाप सुन रही थी”।
“मैंने ही बात जारी रखते हुए कहा, “रागिनी तुम एक काम करना। आज शनिवार है। परसों सुबह, सोमवार को मैं दो दिन के लिए बैंगलोर जा रही हूं, एक सेमिनार है। बुधवार को वापस आऊंगी। मानसी को बोलना अगर उसका मुझसे मिलने का प्रोग्राम बने तो वीरवार के बाद का प्रोग्राम बनाये”।
“एक बार मानसी से मिलने दुबारा बात हो जाये, तो उसके बाद मैं तुमसे मिलूंगी और आखिर में अलोक से और फिर अगर जरूरत हुई तो एक आख़री बार और मानसी से”।
“रागिनी बोली, “ठीक है मालिनी जी, नमस्ते”।
“सोमवार को मैं बैंगलोर चली गयी और बुधवार को शाम कानपुर वापस पहुंच गयी। मानसी का सामान, तीनों सेक्स टॉयज, तो संदीप दे ही चुका था”।
“बुधवार शाम सात बजे वाइन – शराब का गिलास लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठी थी ही कि मानसी का फोन आ गया। जैसे ही मैंने फोन पर हैलो कहा उधर से मानसी चहकती हुई बोली, “नमस्ते आंटी, मैं – मानसी, आते कैसा रहा आपका बैंगलोर का ट्रिप”।
“मैंने कहा, “हां मानसी, पहचान लिया मानसी। कैसी हो बेटा? बैंगलोर का ट्रिप भी बढ़िया था”।
“फिर मैंने मानसी से कहा, “तुम सुनाओ कैसी हो। शनिवार को तुम्हारी मम्मी का फोन आया था, कह रही थी कि मानसी बड़ी बदली-बदली लग रही है। ऐसा ही है क्या मानसी”?
“मानसी हंसते हुए बोली, “ये तो मिल कर ही बताऊंगी आंटी”। और फिर धीमी आवाज में बोली, “और आंटी, आपको चुम्मा भी तो देना है”।
“मैं हंसी और बोली, “अच्छा? ऐसा है क्या? ठीक है तो, कल ही जाओ, बढ़िया चुम्मा लूंगी तुम्हारा, बिल्कुल नए तरीके का। और हां तुम्हारा सामान भी आ गया है। वो भी ले लेना”।
“मानसी ने बस इतना ही कहा, “वाओ, इतनी जल्दी आ भी गए”? ठीक है आती फिर तो कल ही आती हूं। आपके सामने एक बार ट्राई भी कर लूंगी”।
और फिर खनखनाती हंसी के साथ बोली, “बाए आंटी”।
“मानसी सच ही बड़ी खुश लग रही थी। मेरे मुंह में मानसी के चुम्मे का स्वाद आने लगा – हल्का गरम, हल्का मीठा, हल्का नमकीन”।
“मैंने सोच लिया अगर मौक़ा लगा तो इस बार चूत भी चूसूंगी मानसी की। बीस साल के जवान चूत पानी भी खूब छोड़ती है और चूत के पानी का स्वाद ही अलग होता है – कुछ-कुछ मीठा, कुछ-कुछ नमकीन”।
“ना जाने क्यों मुझे मानसी अच्छी लगने लगी थी”।
वीरवार सुबह-सुबह ही मानसी का फोन आ गया। नमस्ते करने के चहकती हुई बोली, “कितने बजे आऊं आंटी”?
“मैंने भी कहा, “जब मर्जी आजा मानसी, मैं आज बिल्कुल फ्री हूं”।
मानसी बोली, “ठीक है आंटी ग्यारह बजे तक आती हूं”।
“ग्यारह बजे के कुछ ही देर बाद मानसी आ गयी”।
“जींस और टी-शर्ट में बहुत ही स्मार्ट लग रही थी। छोटी-छोटी चूचियां टी-शर्ट से बाहर निकलने को हो रही थी I छोटे-छोटे चूतड़ पेण्ट में से बाहर निकलने को हो रहे थे। कुल मिला कर मानसी ऐसी लग रही थी कि मेरा मन उसी वक़्त उसे लिटा कर उसकी चूत चूसने का होने लगा”।
“मैंने कहा, “क्या बात है मानसी आज तो बिल्कुल बदली हुई लग रही हो। पापा ने खूब दबा-दबा कर रगड़ कर चुदाई की है, या फिर पापा की चुदाई छोड़ कर कोइ और चोदने वाला ढूंढ लिया है”?
“मानसी हंसते हुए बोली, “नहीं आंटी दोनों ही बातें नहीं हैं। फिर मानसी ने जींस की पीछे वाली जेब से अपना मोबाइल निकाला और मुझे बोली, “आंटी आप को कुछ दिखाना है”।
“ये कह कर मानसी ने एक फोटो दिखाई, जिसमें मानसी और एक बड़ा ही बढ़िया दिखने वाला लड़का था, दोनों गाल के साथ गाल जोड़ कर मुस्कुरा रहे थे।