ही फ्रेंड्स, मई 25 साल की गोरी और लंबी कल्पना हू. मेरी काली गहरी ज़ूलफे, मदिरा छिड़कते मेरे ये मस्त-मस्त दो नैन, रस्स से भरे मेरे दो गुलाबी होंठ और मेरे गोरे-गोरे गालो के सब दीवाने है.
मेरे इस रूप के जाल मे जो भी फ़ससा, बस फ़ससा ही रह गया. संगेमरमर जैसे मेरे बदन का तो कहना ही क्या है. मेरे इस बदन पर जो बड़े-बड़े चूचे है, उसकी तो दुनिया दीवानी है. हर कोई मेरे इन काससे हुए चूचो का मज़ा लेना चाहता है.
मेरी उभरी हुई मस्त गांद के तो कहने ही क्या है. जब मई मटक-मटक कर चलती हू, तो चाहे वो बच्चे हो, बुड्दे हो, या जवान हो, सबके लंड खड़े हो जाते है. मुझे देख-देख कर सब आहें भरते है और हाए-हाए करते है.
मई बस इसी तरह से अपने जवान और मादक जिस्म का प्रयोग करती हू और हमेशा जवान, स्मार्ट और हॅंडसम लड़को से अपनी छूट चुड़वाती हू और उनको अपने रूप का रस्स-पॅयन करवाती हू. जो भी मेरी चुदाई करता है, वो मेरे खूसूरत अंगो मे उलझ कर रह जाता है.
इतना सब कुछ देने के बाद भी परमाटमा ने मेरी किस्मत मे बदक़िस्मती लिख दी. जब मई 22 साल की थी, तब मेरी शादी 25 साल के मनोज से हो गयी थी. हमारी शादी खूब धूम-धाम से हुई थी और मई सुहाग-रात वाले दिन अपने पति का इंतेज़ार कर रही थी.
फिर मेरे पति देव रूम मे आए और बाते शुरू हुई. उसके बाद उन्होने चुम्मा-छाती भी शुरू कर दी. लेकिन पति देव ने चुदाई पर ध्यान नही दिया. मई इशारो ही इशारो मे मनोज को छोड़ने के लिए कह रही थी, लेकिन वो इधर-उधर की बात करके मुझे ताल रहे थे.
आख़िर-कार मेरे सबर का बाँध टूट गया और मैने मनोज के लंड का मुआएना किया. मई तो उसका लंड देख कर बेहोश होने वाली ही हो गयी. क्यूकी मनोज का लंड चुदाई के लायक ही नही था. उनके लंड चुदाई के लिए खड़ा ही नही हो पा रहा था.
मई फुट-फुट कर रोने लगी और मनोज को बुरा-भला कहने लगी. लेकिन अब सब कुछ बेकार था. मनोज बस यही दिलासा देता रहा, की हम किसी ना किसी तरह मॅनेज कर लेंगे और वो मेरी इच्छाओ को पूरा करेगा.
फिर मई वापस अपने माइके लौट कर आ गयी. वाहा मुझसे सखियो ने पूछा, की क्या हुआ मेरी सुहाग-रात पर और क्या किया मेरे सैयाँ जी ने. मई तो बस उनको यही बोलती रही, की भारी जवानी मे मेरा बलम बुद्धा हो गया.
2 दिन बाद मनोज मेरे पास आया. वो मेरे सामने गिड-गिदाने लगा और बोला-
मनोज: चलो मेरे साथ प्लीज़. अगर तुम्हे अलग ही रास्ता चुनना है, तो कुछ दिन बाद चुन लेना. अभी मेरी बहुत बेइज़्ज़ती हो जाएगी.
फिर मेरे घर वालो ने मुझे समझाया और मैने भी उनकी बात मान ली.
मनोज इंटर कॉलेज मे टीचर था और उनके पास टुटीओन के लिए बहुत सारे स्टूडेंट आते थे. उनमे से एक लड़का था , जो करीबन 18 साल का था. उस लड़के का नाम राज था और वो लंबा, स्मार्ट और हॅंडसम था.
मनोज अब हर रोज़ राज को किसी ना किसी बहाने मेरे पास भेजने लगा था. मई छुड़वाने के लिए तो तड़प ही रही थी और मई राज के करीब आने लगी. कुछ ही दीनो मे मेरे और राज के बीच सारी दूरिया मिट गयी.
फिर एक दिन ऐसा हुआ, की मई अपने बेड पर आँखें बंद करके लेती हुई थी. राज आया और मेडम-मेडम करके मुझे आवाज़ देने लग गया. मुझे हल्की नींद आई हुई थी, इसलिए मई राज की आवाज़ को सुन ना पाई.
फिर राज मेरे बिल्कुल पास आ गया और उसने अपने हाथो से मुझे झकझोड़ते हुए पुकारा-
राज: मेडम.
मई हड़बड़ा कर उठी और राज के साथ लिपट गयी. अब मेरी चूचिया राज के सीने से रग़ाद खा रही थी. कंचन की मेरी कामिनी काया, राज के जिस्म की गर्मी से गरम होने लग गयी. मेरे जिस्म की भी गर्मी राज को चढ़ गयी थी. अब एक ही आग की तपिश मे हम दोनो जल रहे थे.
फिर राज ने अपने होंठो को मेरे गुलाब की पंखुड़ियो जैसे होंठो पर लगा दिया. उसके बाद राज ने मेरे रसीले होंठो के रस्स को चूसना शुरू कर दिया. अब मई राज को नीर-वस्त्रा कर रही थी. मैने जैसे ही राज का अंडरवेर उतारा, तो उसका विशाल और मोटा लंड फंफनता हुआ लंड बाहर आ गया और मुझे सलाम करने लगा.
उसका लंड मुझसे कह रहा था, की मई उसको आज़ाद कर डू और उसको छूट महारानी के साथ मिलन कर लेने डू. उस वक़्त मई सलवार-सूट मे थी. राज ने मेरा शर्ट उतारा और फिर ब्रा उतार कर मेरे चूचो को वस्त्रा-विहीन कर दिया.
मैने जल्दी से अपनी सलवार और पनटी उतारी और अपनी छूट को राज के हवाले कर दिया. राज मेरी चूचियो को सहला रहा था. कभी-कभी वो चूचियो को मसल रहा था और कभी उनको चूस रहा था. जैसे ही राज ने मेरी चिकनी और सपाट छूट को देखा, तो उसने मेरी चूचिया छोढ़ दी और झपटते से मेरी छूट पर आ गया.
उसने अपनी जीभ को मेरी छूट पर लगा दिया और मेरी तो मज़े से सिसकारिया निकालने लगी. अब मई सी-सी कर रही थी और राज कुत्ते की तरह मेरी छूट को चाटने मे लगा हुआ था. वो बार-बार अपनी जीभ को मेरी छूट के अंदर डालता और मेरे ग-स्पॉट को टच करता.
ग-स्पॉट टच होने से मेरा पूरा बदन उछाल पड़ता. मई असीम सुख के सागर मे गोते लगा रही थी और मेरी छूट ताप-ताप बह रही थी. लेकिन राज की करामात तो देखो, की वो एक भी बूँद को नीचे नही गिरने दे रहा था. फिर मई राज से बोली-
मई: मेरे राजा, अब मुझसे और बर्दाश्त नही होता. जल्दी से अपने इस मस्त लंड को मेरी मस्तानी बर मे घुसेध दे और ढाका-धक मेरी छूट को छोड़ दे. अब नही रहा जाता बस.
फिर राज ने मेरे नंगे जिस्म को अपनी गोद मे उठाया और मुझे बेड के किनारे पर ले गया. उसने बेड के किनारे पर मेरी गांद को टीकाया और मेरी टाँगो को उठा कर अपने कंधो पे रख लिया. अब मेरी बर बिल्कुल राज के लंड के सामने थी.
मेरी छूट बार-बार मूह खोल कर राज को बुला रही थी. आख़िर वो वक़्त आया, जब लंड का सुपारा बर के द्वार पर टीका और राज ने खच करके लंड मेरी छूट मे घुसा दिया. उसका लोड्ा सनसानता हुआ मेरी बर मे समा गया और मेरे मूह से ज़ोर की आहह निकल गयी.
असीम मज़े की अनुभूति से मेरी आँखें बंद हो गयी. फिर राज ने अपना लोड्ा बाहर खींचा और एक ज़ोर से झटके से फिरसे अंदर डाल दिया. इस बार राज का पूरा का पूरा लंड मेरी छूट के अंदर चला गया.
फिर क्या था, राज ढाका धक अपने लंड को मेरी बर मे दौड़ाने लगा और बर और लंड आपस मे टकरा रहे थे. पूरा रूम पटक-पटक की आवाज़ो से गूँज रहा था. फौलादी लंड के बेशुमार धक्को से मेरी छूट जर-जर रोए जेया रही थी.
छूट के आँसुओ की बूँदो से बेड सराबोर हो रहा था. फिर चुड़वाते-चुड़वाते मेरी बर पस्त हो गयी और राहत के लिए मैने राज को आसान बदलने के लिए कहा. आसान बदल कर हम दोनो कुत्ता-कुट्टी बन गये.
मेरी बर पीछे की तरफ निकली हुई थी और राज ने मेरी बर को चाटना शुरू कर दिया. फिर उसने अपने लोड को बर मे धकेल दिया और लगा सता-सात छोड़ने. 10 मिनिट तक कुत्ता-कुट्टी की पोज़िशन मे चुदाई करने के बाद, हमने फिरसे पोज़िशन चेंज की.
इस बार राज ने मुझे चिट लिटा दिया और मेरी छूट आसमान की तरफ मूह खोल कर लंड को बुला रही थी. लंड महाराज आए और मेरी बर मे धमाके-दार एंट्री मारी. मैने अपनी टाँगो को सता कर बर को टाइट किया और राज बड़बड़ाने लगा-
राज: हाए क्या छूट है आ.. कितनी गरम है आहह.. कितना मज़ा आ रहा है.
मई: आहह.. आ.. हा ऐसे ही छोड़ो आहह.. और ज़ोर से छोड़ो आहह.. बहुत प्यासी हू मई आहहा.. करते रहो.
फिर मेरी बर से रस्स की फुहार निकल गयी और राज ने भी अपने लंड के गरम वीर्या की पिचकारी मेरी बर मे ही निकाल दी.
थॅंक्स फ्रेंड्स कहानी पढ़ने के लिए. कहानी मे आपको कितना मज़ा आया, ये बताने का कष्ट ज़रूर करे.