नहा धो कर जब मैं बाहर निकला, तो मौसम अछा हो रहा था. आंटी ने गद्दा सेलेक्ट करने को कहा था, तो मैं गद्दे वाले की दुकान की तरफ हो लिया.
ही दोस्तों, मैं मोनी शर्मा हाज़िर हू अपनी नयी कहानी के साथ. जो मेरे बारे में नही जानते उनके लिए इंट्रोडक्षन दे देता हू. मैं अभी-अभी एटीन यियर्ज़ का हुआ हू. खिलता गोरा रंग है मेरा. भरा पूरा बदन, गुलाबी होंठ, बहुत ही कशिश वाले नैन-नक्श है मेरे.
बच्चे, बुड्ढे, अंकल, लड़के जो भी लोंडे-बाज़ है, मुझे देखते ही पागल हो जाते है, और मुझे अपनी बाहों में भरना चाहते है.
मैने हाफ ग्रे पंत, और ब्लॅक त-शर्ट पहन रखी थी. सड़क से जहा से भी गुज़र रहा था, लोग मेरी गोरी क़ास्सी हुई जांघों को देख रहे थे. चलते हुए लोगों को मेरे पीछे मेरी गांद को भी देखना अछा लगता है. क्या करू, बहुत ही क़ास्सी हुई है मेरी गांद.
मैं दुकान पर पहुँचा तो काफ़ी सन्नाटा था. वैसे भी ये दुकान मार्केट के लास्ट में है. इस वक्त काफ़ी कम लोग आते है. आयेज एक साइन सा है, जिसपे शेड लगा है. वाहा कोई नही था, तो मैं अंदर चला गया.
काउंटर पे एक बंदा बैठा अपने मोबाइल पर कुछ देख रहा था. मुझे देखते ही वो हड़बड़ा गया, और जल्दी से मोबाइल च्छुपाने लगा. मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैने ध्यान नही दिया.
वो बंदा एक अंकल था, उमर होगी यही कोई फिफ्टी या फिफ्टी फाइव. मैं आयेज बढ़ा, तो वो बोले-
अंकल: हा बेटा, कहो क्या दिखौ?
मैने अपनी चाय्स बताई, तो मुझे अंदर हॉल में ले गये. चारो तरफ तरह-तरह के गद्दे थे. वो मुझे गद्दो के क्वालिटीस के बारे में बताने लगे.
मैने गौर किया, की अंकल की आँखों में मुझे देख कर एक अजीब सी चमक आ गयी थी. शेल्फ के पास जब मैं गद्दे देख रहा था, तो अंकल किसी ना किसी बहाने से मुझे स्लाइट्ली टच कर रहे थे.
काफ़ी देर देखने के बाद जब मेरी पसंद की चीज़ नही मिली, तो मैने उन्हे आंटी की चाय्स बताई. तो उन्होने कहा-
अंकल: वो तो गोडोवन् में होगा, और माँगना पड़ेगा.
फिर उन्होने एक बंदे को कॉल की. उसने टीन घंटे बाद आने का कहा.
तो अंकल मुझसे बोले: तुम तब तक यही आराम कर लो, कहा जाओगे इतनी गर्मी में? मैं तुम्हारे लिए कोल्ड ड्रिंक लता हू.
ये कहते हुए वो मेरा मुलायम हाथ मसालने लगे. मैने उनकी तरफ देखा, वो हल्के-हल्के मुस्कुरा रहे थे. मेरी नज़र उनकी पंत की तरफ यू ही चली गयी, तो मुझे वाहा एक उभार नज़र आया.
कुछ फील सा होने लगा मुझे, और मैने हा कर दी. अंकल ने मुझे वही एक गद्दे पर बिता दिया, और मुस्कुराते हुए बाहर चले गये. मैं यू ही बोर होने लगा, तो उनका मोबाइल उठा कर देखने लगा, जो वो वही छोढ़ गये थे.
मैने जब मोबाइल को खोल कर देखा, तो मैं हैरान हो गया. उसमे गे फिल्म चल रही थी. एक छ्होटा क्यूट सा लड़का एक बड़ी उमर के अंकल के साथ छुड़वा रहा था. वो उनका लंड चूस रहा था, गांद चाट रहा था, और अंकल क्या पटक-पटक कर छोड़ रहे थे.
मेरी हाफ पंत में लुल्ली तंन गयी. यानी की जब मैं दुकान में आया था, तो अंकल यही देख रहे थे. तभी तो मुझे देख के चौंक गये थे. यानी बंदा मस्ती मार रहा था.
मैं फिल्म देख ही रहा था की अंकल आ गये. तो मैने जल्दी से मोबाइल रख दिया. अंकल ने मुझे कोल्ड ड्रिंक निकाल कर दी. उन्होने मोबाइल की तरफ देखा, तो वो समझ गये और बोले-
अंकल: ओह!
मैने घूर कर उन्हे देखा और कहा: तो दुकान पे आप यही सब करते हो.
वो खिस्यनी हस्सी हस्स कर बोले: वो, बस यू ही. कोई कस्टमर नही था तो बस मूड सा बन गया. बैठे-बैठे कंट्रोल से बाहर हो जाता है.
मैने भी थोड़ी मस्ती करने का मूड बना लिया था, तो मैं बोला: मूड बन जाता है तो आंटी को बुला लो ना. ऐसे क्या-क्या करते रहते हो?
मेरे इस शोखी भरे अंदाज़ ने अंकल को थोड़ी हिम्मत दी, और वो झट से बोले-
अंकल: आंटी तो गाओं है, और यहा कोई और जुगाड़ है नही, तो क्या करू?
मैं: अछा, कैसा जुगाड़ चाहिए आपको? (मैने इठला कर पूछा).
ये कह कर मैं हाथ में ग्लास लेकर खड़ा हो गया शेल्फ के पास. फिर पलट कर उनको देखा, तो वो पूरी दुनिया की चमक अपने हाथो में भर कर मुझे देख रहे थे.
मेरी गोरी जांघों में उनकी नज़रे गाड़ी पड़ी थी.
अंकल: अब क्या बतौ तुमको, मेरी पसंद तो खास चीज़े है. जैसे तुम किसी भी आंटी को फैल कर सकते हो, कितने सेक्सी हो तुम.
मैने शर्मा कर कहा: धात!
अंकल की पंत में उभार बढ़ता ही जेया रहा था. मैं पलट कर शेल्फ की तरफ देखने लगा. अंकल उठे और मेरे पीछे आ कर खड़े हो गये, बिल्कुल सतत कर. मेरी साँस तेज़ हो रही थी. उनका लंड हल्का सा मेरे पीछे टच हो रहा था.
मैने उनको सताने का सोचा, और फिर इठला कर कहा: चलो मैं चलता हू, जब आपका बंदा आएगा तो बुला लेना.
ये कह कर मैं आयेज बढ़ने लगा, तो उन्होने मेरी गोरी कलाइयाँ थाम ली, और कहा-
अंकल: अर्रे कहा जाओगे, यही रहो ना. थोड़ी बहुत बातें करेंगे.
मैं सब समझ रहा था क्या होने वाला था. मैने अदा से कहा-
मैं: अर्रे नही, आपके इरादे ठीक नही लगते. आप रहो, मैं तो चलता हू.
अंकल: इरादे ठीक से तुम्हारा क्या मतलब है?
उनकी आवाज़ में खुमार उतार आया था.
मैने कहा: बस आपकी हालत ठीक नही लगती.
अंकल ने अभी तक मेरा हाथ थाम रखा था.
वो बोले: तो तुम ठीक कर दो ( अंकल ने प्यार से कहा).
मैं: मैं कैसे कर डू? मैं कोई लड़की थोड़ी हू.
अंकल: तुम तो उससे भी खूबसूरत चीज़ हो (अंकल ने सेक्सी आवाज़ में कहा).
मैं: वैसे आप भी हॉट हो.
इतना कहना था की अंकल ने मेरे गुलाबी होंठो को अपने होंठो में भर लिया, और ज़बरदस्त स्मूछिंग शुरू कर दी. मैं बुरी तरह से गरम होने लगा.
स्मूछिंग करते-करते अंकल का हाथ मेरे पीछे त-शर्ट में घुस गया, और वो मेरी मुलायम पीठ पर हाथ फेरने लगे. थोड़ी देर स्मूछिंग करने के बाद अंकल मुझे गद्दे की तरफ ले जाने लगे, और मुझे गद्दे पे धकेल दिया.
मैं पीठ के बाल गिरा तो अंकल मेरे उपर लेट गये, और फिर मुझे स्मूछिंग करने लगे. थोड़ी देर में मैं कसमसा कर बोला-
मैं: उंह उंह छ्चोढो अंकल मुझे, क्या कर रहे हो? किसी और को पकड़ लाओ. मैं वैसा लड़का नही हू.
मेरे इस दिखावे के नखरे ने अंकल को और भी सेक्स से भर दिया, और वो बोले-
अंकल: कैसा लड़का है तू? दिखा ना, आज तो तुझे खुद से प्यार करवा लूँगा.
ये कह कर अंकल ने मुझे पलट दिया, और मेरी पीठ पर चढ़ कर मेरे गालों और गर्दन पर किस करने लगे. मैने थोड़ी देर आक्टिंग की, फिर धीरे-धीरे साथ होने लगा.
फिर अंकल ने मुझे पलट दिया, और मेरी हाफ पंत की ज़िप खोल दी, और मेरी टाइट लुल्ली को बाहर निकाल कर अपने मूह में भर लिया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.