ही फ्रेंड्स, मैं गोपाल अपनी स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. मेरी पिछली कहानी अभी रीसेंट्ली ही पब्लिश हुई है. अगर आपने वो कहानी नही है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मैं अपनी फॅमिली के साथ नये घर में शिफ्ट हुआ था. वाहा मैने एक बहुत सेक्सी आंटी देखी, जिस पर मेरा दिल आ गया. फिर वो आंटी हमारी फॅमिली को सत्संग का इन्विटेशन देके गयी. अब आयेज बढ़ते है.
आंटी के इन्विटेशन देने से मैं बहुत खुश था. मैने सोचा की इससे मेरी आंटी से जान-पहचान हो जाएगी. क्यूंकी अगर मुझे उनके साथ कुछ करना था, तो जान-पहचान तो होनी ज़रूरी थी. अब मैं बड़ा एग्ज़ाइटेड होके सत्संग वाले दिन की वेट करने लगा.
फिर वो दिन आ गया, और मम्मी और मैं सत्संग पर जाने के लिए तैयार हो गये. मैने जीन्स और शर्ट पहनी थी. पापा नही जेया रहे थे, क्यूंकी उनका ऑफीस था. फिर हम घर से निकले, और राधिका आंटी के घर की तरफ पिछली गली में जाने लगे.
वाहा पर काफ़ी अरेंज्मेंट था. टेंट लगे हुए थे गली में, और काफ़ी सारे लोग आए हुए थे. फिर हम आयेज बढ़े. आयेज राधिका आंटी खड़ी थी, और गेस्ट्स का वेलकम कर रही थी. मैने जैसे ही आंटी को देखा, मेरे मूह पर एक ताड़ी हवा का झोंका लगा.
राधिका आंटी ने ऑरेंज कलर की सारी पहनी हुई थी, और वो बिल्कुल फ्रेश ऑरेंज की तरह रसीली लग रही थी. उन्होने फुल स्लीव का टाइट ब्लाउस पहना था, जिसपे वाइट कलर के धागे से सिलाई करी हुई थी. आंटी के ब्लाउस का गला और बॅक दोनो डीप थे.
सामने से दिखती उनकी हल्की क्लीवेज मनमोहक थी, और पीठ का नज़ारा सेक्सी था. आंटी ने जूड़ा बाँधा हुआ था बालों का, और उस पर सफेद रंग का गजरा लगाया हुआ था. पल्लू की साइड से उनका गोरा पेट और सेक्सी नाभि दिख रहे थे. ये सब देख कर किसी भी मर्द का अपने आप पर काबू करना मुश्किल हो जाए.
फिर हम आंटी से मिले, और उनको गिफ्ट दिया. आंटी ने बड़े आचे से हमे वेलकम किया, और हमे बैठने को कहा. मैं जाके बैठ गया, और मम्मी आंटी के पास खड़ी थी. फिर मम्मी ने आंटी से पूछा-
मम्मी: राधिका आपके हज़्बेंड नही दिखाई दे रहे?
मम्मी की ये बात सुन कर आंटी के चेहरे पर से स्माइल चली गयी, और आंटी बोली-
आंटी: आक्च्युयली वो दुबई में जॉब करते है. वो आने वाले थे, लेकिन अचानक उनका आना कॅन्सल हो गया.
मम्मी: आते-जाते रहते है.
आंटी: कहा दीदी, इस बार 6 महीने बाद आने वाले थे. कब से सत्संग का प्लान चल रहा था. मुझे लगा था वो आके सब अरेंज्मेंट्स करेंगे, लेकिन सब मुझे ही करना पड़ा.
मम्मी और आंटी ये बातें कर रहे थे. तभी एक लड़का आया, और आंटी को बोला-
लड़का: मेडम कोल्ड ड्रिंक के क्रेट बाहर रख दिए है.
आंटी उसको बोली: अर्रे अंदर रखने है. अब बाहर से उठा कर कों लाएगा?
लड़का: मेडम आपको पहले बोलना चाहिए था.
आंटी: तुमने भी तो नही पूछा ना भैया.
लड़का: मेडम अब तो हम जेया रहे है, हमे आयेज भी डेलिवरी देनी है.
और ये बोल कर वो लड़का निकल गया
आंटी (मम्मी से): देखा दीदी, अब ऐसे काम मैं कैसे कर सकती हू? ये तो मर्दों के काम है.
मम्मी: अर्रे तुम चिंता मत करो. मैं गोपाल को बोल देती हू. वो हेल्प कर देगा तुम्हारी.
आंटी: सो नाइस ऑफ योउ दीदी.
फिर मम्मी ने मुझे आवाज़ लगाई. मैं जान-बूझ कर दूसरी तरफ मूह करके अंजान बनने का नाटक करने लगा. फिर मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं उनके पास गया और कहा-
मैं: जी मम्मी.
मम्मी: बेटा, बाहर क्रेट्स पड़े है कोल्ड ड्रिंक के, वो आंटी जहा बोले रख के आओ. और बाकी काम में भी इनकी हेल्प करो.
मैने मम्मी को हा बोला, और आंटी को देख कर स्माइल पास की. आंटी ने भी मुझे थोड़ी स्माइल दी. फिर आंटी मुझे बाहर लेके गयी. मैं आंटी के पीछे चलता हुआ उनकी मटकती गांद देख रहा था. उसके बाद मैने क्रेट उठाया, और आंटी के पीछे-पीछे किचन में चला गया. वाहा जाके मैने क्रेट रख दिया.
फिर जब बाहर आने लगे, तो आंटी की सारी शेल्फ के साथ फ़ासस गयी, और आंटी स्लिप करके गिरने लगी. मैने जल्दी से आंटी को संभालने की कोशिश की, और इस चक्कर में मैं भी गिरने लगा. अब मैं सीधा नीचे गिरा, और आंटी मेरे उपर गिर गयी.
हम दोनो के फेस एक-दूं करीब थे, और साँसे आपस में टकरा रही थी. आंटी के बूब्स मेरी च्चती से डब रहे थे, और क्लीवेज पूरी नज़र आ रही थी. उनके गद्देदार बदन को महसूस करके मेरा लंड उसी वक़्त खड़ा हो गया.
मुझसे रुका नही गया, और मैने अपने होंठ आंटी के होंठो से लगा दिए. कुछ सेकेंड्स तक आंटी कुछ समझ नही पाई. फिर उन्होने झटके से मुझे अपने से डोर किया, और खड़ी हो गयी. उन्होने मुझे गुस्से से देखा, और बाहर चली गयी.
मुझे मज़ा तो बहुत आया, लेकिन दर्र के मारे मेरी गांद फटत गयी. मैने सोचा की कही आंटी मम्मी को ना बता दे, तो मैं बहाने सोचने लगा. फिर मैं बाहर चला गया. बाहर गया तो आंटी के साथ उनकी बेटी भी खड़ी थी.
जब मैने उनकी बेटी को देखा, तो वो भी ज़बरदस्त आइटम थी. आंटी की बेटी का नाम खुशी था. वो 19 साल की थी, और कॉलेज में 1स्ट्रीट एअर में पढ़ती थी. उसने लोंग फ्रॉक पहनी हुई थी. अगर आंटी आटम बॉम्ब थी, तो खुशी बॉम्ब तो थी ही.
उसका फिगर 32-28-34 के आस-पास होगा. रंग उसका दूध जैसा गोरा था, और लिप्स पिंक थे. कुल मिला कर बिल्कुल चिकनी लड़की थी. फिर सत्संग शुरू हुआ, सब भजन गाने लगे. मेरा ध्यान आंटी और उनकी बेटी पर ही था. आंटी का ध्यान भी बीच-बीच में मुझ पर जाता था, लेकिन वो मूह फेर लेती थी.
फिर थोड़ी देर के भजन-कीर्तन के बाद सब लोग खाना खाने लगे. अगले आधे घंटे में सब फ्री हो गये, और वाहा से जाने लगे.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी थोड़ी लंबी है, लेकिन स्टोरी तगड़ी है. आयेज बहुत मज़ा आएगा. और ये मज़ा मैं चाहता हू आप अकेले ना ले. इसलिए कहानी को जितना हो सके शेर करे.