पिछला भाग पढ़े:- रात में मा ने, और दिन में दीदी ने जन्नत दिखाई-5
कंचन: अनु ( अनिता ), मुझे मालूम होता की तुम भी मेरी ही तरह रंडी हो. अंजान लोगों से छुड़वाने का तुझे शौंक है. तो फिर हम दोनो एक साथ ही शिकार करते तो कितना बढ़िया होता.
कंचन ने जिस तरह से कहा उससे सॉफ लगा की वो मेरी बेहन को बढ़िया से जानती थी.
अनिता: जो हो गया सो हो गया, अब हम दोनो साथ ही मस्ती मारेंगे. अपनी जान-पहचान के लोगों से छुड़वाने में हमेशा बदनामी का दर्र लगा रहता है. मज़ा आ रहा है? कैसा है मेरा यार?
कंचन: ये कहता है की 1स्ट्रीट एअर में पढ़ता है, यानी हम दोनो से 2-3 साल छ्होटा है. लेकिन बहनचोड़ का लोड्ा तो बढ़िया है ही, चुदाई में भी मज़ा आ रहा है. जो बेटीचोड़ मुझे लेकर आया था, सेयेल ने टीन बार मेरा हाथ गंदा कर दिया. तेरा यार कैसा है, लोड्ा टाइट है ना?
अनिता: हा यार बढ़िया लोड्ा है. मैने तुझे अपना यार दे दिया, चुडवाएगी नही तो कम से कम अपनी जवानी का मज़ा तो लेने दे मेरे नये यार को.
हॉल में चुदाई की सिनिमा चल रही थी. स्क्रीन में चुड रही औरते स्क्रीम कर रही थी, सिसकारी मार रही थी. उससे ज़्यादा सिसकारी हॉल में बैठी औरते मार रही थी.
दोनो मेरी बेहन और कंचन लोडो का मज़ा तो ले ही रही थी, धीमी आवाज़ में बातें भी कर रही थी. मेरी दीदी कॉलेज से बुर्क़ा पहन कर आई थी, लेकिन हॉल में बिल्कुल नंगी हो कर किसी अंजन आदमी के लोड पर बैठी थी.
उसका गुड लक या बाद लक, दीदी की क्लासमेट कंचन मुझे छोड़ रही थी. जैसे दीदी ने अपने दोनो यारो को पहले कभी नही देखा था, वैसे ही मैने भी कंचन को पहले नही देखा था.
कंचन मेरे लोड के उपर आराम से प्यार से उछाल रही थी. मेरे लोड को कंचन की रसीली और गरम छूट का पूरा मज़ा भी मिल रहा था. साथ ही मैं बहुत बढ़िया से जान गया था, की इस 21 साल की लड़की, मेरी दीदी की सहेली की छूट उन तीनो औरतों की छूट से कही ज़्यादा टाइट थी, जिन्हे मैने पहले छोड़ा था.
कंचन: जब मैं चुड़वति हू, तो मुझे किसी भी तरह का इंटर्फियरेन्स पसंद नही आता है. लेकिन अभी तो मैं तेरे ही ख़ास यार को छोड़ रही हू. बहुत ही मस्त लोड्ा है तेरे यार का. जब तक मैं तेरे दोनो नये यार को अपनी जवानी का मज़ा देती हू, तू अपने पहले यार को खुश कर. बेचारा बहुत दुखी हो गया था, जब तू इसको छ्चोढ़ कर दूसरो के साथ चली गयी थी. रानी ज़्यादा समय नही है. चल आ जेया, अपने यार को खुश कर.
ये देख कर की कंचन अपनी सहेली को, यानी मेरी बेहन को मेरे लोड पर बैठने बोल रही थी, मेरा लोड्ा और भी टाइट हो गया. दीदी अपने पार्ट्नर के लोड पर उछाल ही रही थी. लेकिन जब उसके पार्ट्नर विनोद ने देखा की दूसरी एक माल खुद उसको छोड़ना चाहती थी, तो विनोद ने मेरी दीदी को अपने लोड के उपर से उठा दिया.
विनोद: रुखसाना, तुम सच में बहुत ही मस्त माल हो, अगर अगली बार हम मिले तो पूरी रात हम मस्ती मारेंगे. अभी अपनी सहेली का मज़ा लेने दो.
ये देख कर की विनोद ने दीदी को लोड के उपर से उतार दिया था, कंचन भी मेरे लोड पर से उतार गयी.
कंचन: विनोद, तुमने अभी एक बहुत मस्त माल का मज़ा ले लिया है. तुम अभी थोड़ी देर आराम करो, मेरी जवानी का मज़ा लो. मैं तुम्हारे दोस्त को खुश करती हू.
कंचन जैसे मुझे छोड़ रही थी वैसे ही विनोद के बगल में बैठे प्रकाश के लोड पर बैठ उसको छोड़ने लगी. दोनो दोस्त एक साथ कंचन का मज़ा लेने लगे. मैने अपनी दीदी को कमर से पकड़ कर उपर उठाया और कंचन की तरह अपनी तरफ उसका फेस किया. दीदी के पास भी कोई दूसरा रास्ता नही था. इतने लोगों के बीच दीदी मेरे लोड पर अपनी बर को दबाने लगी.
मैं बहुत खुश था. पिछली रात ही मा को 2 बार छोड़ा था. 24 घंटे भी नही हुए, की एक पब्लिक प्लेस में, एक सिनिमा हॉल में, मेरा लोड्ा दीदी की बर में घुस गया था. मैने दीदी को अपने से टाइट्ली चिपकाया. शुरू में दीदी की झिझक हो रही थी. लेकिन 3-4 मिनिट बाद ही दीदी मस्ती की आवाज़ निकालते हुए भाई को छोड़ने लगी.
हम ही नही, हॉल में जीतने कपल थे, सभी चुदाई कर रहे थे. बाद में दीदी ने बताया था की उस हॉल में पार्ट्नर स्वापिंग कामन बात थी. मैने भी जितना हो सकता था दीदी के अंग-अंग को सहलाया, छूतदों को दबाया, और चूचियों को दबाने के साथ साथ कई बार चूसा.
उधर प्रकाश को करीब 15 मिनिट छोड़ने के बाद कंचन मेरे बगल में बैठे विनोद को छोड़ने लगी. मैं दीदी को अपने सामने तीसरे आदमी से चुड़वते देखना चाहता था
मैं: रुखसाना, तुमने मुझे बहुत खुश किया. बेचारे प्रकाश का लोड्ा तेरी बर का स्वाद लेने के लिए तरस रहा होगा. जेया थोड़ी देर उसको भी खुश कर दे.
दीदी: तेरे साथ बहुत मज़ा आया, जल्दी तुझे पूरा मज़ा दूँगी.
फिर दीदी मेरे उपर से उतार कर विनोद के बगल में बैठे प्रकाश को छोड़ने लगी. लेकिन इस बार वो कंचन की तरह ही अपने पार्ट्नर को फेस करते हुए छोड़ रही थी. मेरा लोड्ा खाली था. भले ही मैं झाड़ा नही था, पर एक के बाद एक 2-2 माल की बर में लोड्ा पेल कर मैं बहुत खुश था.
मैने डिसाइड कर लिया था, की घर में कोई देखता है तो देखे, रात में दीदी को वैसे ही छोड़ूँगा जैसा पिछली रात मा को छोड़ा था. दीदी ने प्रकाश को 7-8 मिनिट ही छोड़ा होगा, फिर उसने लाउड मोन किया.
प्रकाश: अफ रानी, बहुत ही मस्त माल हो, मैं गया.
प्रकाश झाड़ गया. 2 मिनिट बाद दीदी फिर मेरी
जांघों के बीच थी. लेकिन इस बार वो मेरे लोड पर नही बैठी. मेरे थाइस को सहलाते हुए एक हाथ से मेरा लोड्ा पकड़ कर चूसने लगी. दीदी को लोड्ा चूस्टे हुए 3-4 मिनिट ही हुए होंगे, की विनोद भी लाउड ग्रंट करते हुए झाड़ गया. कंचन भी विनोद के घोड़े से उतरी.
कंचन: मुझे भी चूसने दे.
और हम तीनो मर्द देखते रहे. दोनो लड़कियों ने बारी-बारी से मेरा लोड्ा चूसा. आख़िर मैं भी कितनी देर रुकता. मैने दोनो की चूचियों को एक साथ पकड़ा, और झड़ने लगा. हम तीनो को अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ. दोनो लड़कियों ने मेरे रस्स की एक बूँद भी बर्बाद नही होने दी. दोनो हमे दिखाते हुए सारा रस्स स्वॉलो कर गयी.
हम सब ने कपड़े पहने और कुछ देर के बाद सिनिमा भी ख़तम हो गया. वी दोनो मर्द कहा गायब हो गये मालूम नही. दीदी ने फिर बुर्क़ा पहन लिया था. दीदी को कोई नही पहचान सकता था, लेकिन कंचन ने अपना रूप नही बदला था. लेकिन सिनिमास हॉल से बाहर निकल कर किसी कॉलेज के स्टूडेंट ने ना कंचन को टोका ना ही मुझे.
एक रेस्टोरेंट में बैठ कर हम तीनो गरम स्नॅक्स के साथ छाई पी रहे थे.
दीदी: कंचन, हमारे तीनो मर्द झाड़ गये. लेकिन मुझे एक बढ़िया चुदाई चाहिए. चल होटेल में. मैने देख लिया है की अनिल हम दोनो को ठंडा कर सकता है.
कंचन: मेरा पेट भी अनिल से नही भरा है. लेकिन अगर आधा घंटा मैं घर नही पहुँची, तो मेरा बाप सड़क पर ही खड़े-खड़े छोड़ लेगा. हम किसी दिन कॉलेज बंक कर पूरा दिन अनिल से चुडवाएँगे. तुम दोनो मस्ती मारो, मैं घर जाती हू
कंचन रेस्टोरेंट के बाहर चली गयी.
दीदी: अनिल, मैं अपने भाई के साथ चुदाई की सिनिमा नही देखना चाहती थी, लेकिन फिर दर्र लगा की अगर तुम यहा आए और मुझे किसी और के साथ देख लिया तो.
मैं: मतलब तुम यहा रेग्युलर आती हो?
दीदी: हा, इस हॉल में जिस दिन पहला शो था उस दिन भी मैं थी. उस दिन किसी अंजान आदमी ने ही मेरी वर्जिनिटी ली. वो भी वैसे ही जैसे तुमने हम दोनो को छोड़ा. उसके बाद से, यानी पिछले एक महीने में हर हफ्ते यहा आती हू, और हर बार किसी ना किसी से चुड़वति हू. अब तक 7 अंजान मर्दो से छुड़वा चुकी हू.
मैं दीदी को अनबिलीविंग्ली देख रहा था.
दीदी: मुझे अंजान आदमियों से छुड़वाना बढ़िया लगता है. तुम पहले आदमी जो मुझे जानते हो. होटेल चलो, तुमसे 2 रौंद छुड़वा कर घर जौंगी.
मैं अपने से 2 साल बड़ी दीदी के सामने बहुत छ्होटा था.
थे एंड.