हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.
इश्स स्टोरी का 3र्ड पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है.
अब आयेज..
वो सब होने के बाद अब हम दोनो के बीच एक दोस्तो वाला रिश्ता हो गया था. एक दिन ऐसे हे बातो बातो मे मेने उनसे कहा.
साहिबा:- नौशड्जी एक दिन मूज़े अपने घर ले चलिए ना.
वो मुश्कारा कर बोले
नौशड्जी:- क्यूँ मेरे घर मे आग लगाना चाहती हो क्या???
साहिबा:- क्यूँ??? कैसे???
नौशड्जी:- अब तुम जैसी खूबसूरत हसीन प.आ को देख कर मेरे घर मे मुझ पर कों शक नही करेगा.
साहिबा:- चलो अब अपने एक बात तो आज मान हे ली.
नौशड्जी:- क्या बात???
साहिबा:- यह हे की में भौत खूबसूरत और हसीन हू और आप मेरे हुस्न पर मरते है.
नौशड्जी:- यह बात तो ज़रूर है.
साहिबा:- पर में एक बार आपकी बेगम और आपके बाकचो से मिलना चाहती हू.
नौशड्जी:- क्यूँ??? क्या इरादा है??
साहिबा:- ह्म्म्म्मम कुछ ख़तरनाक भी हो सकता है.
यह कहते हे में उठी और उनकी गोद मे जेया कर बैठ गयी. जब भी में उनसे बोल्ड होने लगती तब वो भौत घबराहट मे आ जाते. और में भी कुछ कम नही थी मूज़े भी उन्हे ऐसे सताने मे भौत मज़ा आता था.
तब उन्होने मूज़े अपनी गोद से उठाते हुए कहा
नौशड्जी- देखो साहिबा तुम मेरे बेटे से मिलो और उसको अपना बाय्फ्रेंड बना लो क्यूकी वो दिखने मे भी भौत हॅंडसम है. मेरा तो अब समय चला गया है तुम जैसी खूबसूरत लड़कियो से फ्लर्ट करने का अब मेरी उमर होने आई है.
जब में उनकी गोद से उठ गयी वो कहने लगे
नौशड्जी:- सून्नो यह ऑफीस है यहा के कुछ रूल्स है तो उसकी डिसिप्लिन का ध्यान रखो. में यहा तुम्हारा बॉस हू और अगर किसी ने ऐसे देख लिया तो पता नही क्या क्या सोचेंगे और कहेंगे की यह बुड्ढे की बुद्धि खराब हो गयी है.
यह सब होने के बाद तो में उनसे भौत खुल गयी थी और उनसे छिपकने की भी कोशिश करती लेकिन तब वो बिन जल मछली की तरह मेरे हाथो से फिसल जाते. में उनकी यह बनाई हुई लक्ष्मण रेखा पार करना चाहती थी इसलिए हर समय बस उसका मौका देखती रहती थी.
अब मूज़े मौका मिला होली पर.
होली के दिन ऑफीस मे छुट्टी होती थी लेकिन फॅक्टरी बंद नही कर सकते थे इसलिए कुछ स्टाफ मेंबर्ज़ को यूयेसेस दिन भी ऑफीस आना पड़ता था. और यूयेसेस दिन मिस्टर. नौशड्जी भी अपने स्टाफ के साथ होली खेलने सूभ सूभ हे आ जाते थे. मेने भी तभी हे उनकी साथ होली खेलने का प्लान बना लिया.
होली के दिन सूभ सूभ हे में ऑफीस पॉच गयी और मेने देखा ऑफीस मे कोई नही था. सब ऑफीस के बाहर रिसेप्षन एरिया एक दूसरे को रंग लगा कर होली खेल रहे थे. में उन्न सब लोगो से नज़रे बचा कर अंदर ऑफीस मे चली गयी क्यूकी मूज़े पता था ऑफीस के अंदर कोई नही आएगा क्यूकी अंदर होली खेलने की पर्मिशन नही थी.
थोड़ी हे टाइम मे मिस्टर. नौशड्जी वाहा सब एंप्लायीस के साथ होली खेलने आए. सब उनके पास गये और उनको गुलाल लगा कर होली की शुभकामनाए देने लगे.
उनको आते हे देख मेने ऑफीस के अंदर सब होली की टायारी कर ली और खुद वॉशरूम मे जेया कर रेडी हो गयी. मेने अपने बालो को भी खोल दिया. यूयेसेस दिन होली की वजह से मेने एक पुरानी स्कर्ट और टॉप पहनी थी.
वो स्कर्ट भी भौत हे छोटी थी इतनी की मेरी पूरी थाइस दिख रही थी. और शर्ट भी थोड़ी ट्रॅन्स्परेंट जैसे हे थी इसलिए मेने वॉशरूम मे हे शर्ट खोल कर अपनी ब्रा उतार दी और शर्ट फिर से पहें लिया पर शर्ट के उपेर के कुछ बटन्स खुले रहे जिस वजह से मेरी क्लीवेज भौत क्लियर्ली दिख रही थी.
शर्ट से ब्रा निकल देनी की वजह से शर्ट मे से मेरे निपल्स और उसके चारो साइड का कला घेरा भौत हे सॉफ सॉफ दिख रहा था. उत्तेजना और दार की वजह से मार्च के महीने मे भी मूज़े पसीना पसीना हो रहा था.
तब में वॉशरूम से बाहर आई और विंडो से देखने लगी की नौशड्जी कहा है और उनके अंदर आने की राह देखने लगी थी. उन्हे क्या मालूम था की में ऑफीस के अंदर उनके आने का इंतेज़ार कर रही थी. जब उनका सब से मिलना हो गया तो वो वापस जाने लगे पर तभी मेने उनके फोन पे कॉल किया और कहा
साहिबा:- सिर आप तो मुझसे होली खेले बिना हे वापिस जेया रहे हो. मुझसे होली नही खेलनी क्या???
नौशड्जी:- कहा हो तुम साहिबा??? आ जाओ में भी तो तुमसे होली खेलने के लिए बेताब हू.
साहिबा:- में तो ऑफीस के अंदर आपका इंतेज़ार कर रही हू.
नौशड्जी:- तो बाहर आ जाओ ना अंदर ऑफीस खराब हो जाएगी.
साहिबा:- नही सिर बाहर सब के सामने मूज़े भौत शरम आएगी आप अंदर आ जएए चाहे ऑफीस ख़तब हो कल सूभ सॉफ भी हो जाएगी.
नौशड्जी:- अक्चा तो क्या वैसे वाली होली खेलने का प्रोग्राम है क्या???
यह कहते हुए वो मुस्कुराने लगे और फोन रख कर अंदर ऑफीस मे आने लगे. उनको आते देख मेने ऑफीस का लॉक खोला और डोर के पीछे खड़ी हो के चुप गयी.
जैसे हे वो ऑफीस के अंदर आए में उनको पीछे से उनसे लिपट गयी और मेने उनको गुलाल लगा दिया और उनके चेहरे पे भी लगा दिया.
जब तब वो गुलाल सॉफ कर के अपनी आखे खोलते तब तक मेने फिर से अपने हाथो मे गुलाल भर लिया और उनके कुर्ते के अंदर हाथ दल कर उनके सीने पे लगा दिया और उनके सीने को भी मसल दिया. में उनके सीने की दोनो निपल को अपनी उंगलियो मे पकड़ कर मसालने लगी जैसे कोई औरतो की निपल्स को मसलता है वैसे हे.
यह सब से वो हद्भा उठे और बोले
नौशड्जी:- ओईए यह क्या हो रहा है??? क्या कर रही हो तुम??? आआहह
साहिबा:- बुरा ना मानो होली है……
यह कहते हे मेने एक मुति मे गुलाल भर कर उनके प्यज़ामे के अंदर भी दल दिया. अंदर हाथ डालने मे मूज़े एक बार तो ज़िझक हुई पर फिर मेने सब सोचना बंद कर दिया और हाथ अंदर दल कर गुलाल उनके लंड पे मसल दिया.
नौशड्जी:- रूको अभी बताता हू में तुमको.
यह कह कर जब तब वो संभालते तब तक में वाहा से भाग कर मज़े के पीछे पॉच चुकी थी. उन्होने मूज़े पकड़ ने के लिए मज़े के इधेर उधेर दोनो साइड दौड़ लगाई लेकिन हाइ हील्स पहने हुए भी में उनसे बाकच गयी लेकिन में तो चाहती थी की में पकड़ी जौ इसलिए में निकल कर डोर की तरफ भागी.
यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.