ही फ्रेंड्स, मैं गोपाल अपनी स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. मेरी पिछली कहानी अभी रीसेंट्ली ही पब्लिश हुई है. अगर आपने वो कहानी नही पढ़ी है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की हम राधिका आंटी के घर सत्संग में गये थे. फिर सत्संग ख़तम होने के बाद मम्मी मुझे काम करने के लिए वही छ्चोढ़ कर चली गयी. उसके बाद आंटी मुझे अपने रूम में ले गयी, और वाहा जाके हमारा रोमॅन्स शुरू हो गया. अब आयेज बढ़ते है.
मैने आंटी को उपर से नंगा कर दिया था, और उनको दीवार के साथ लगा दिया था. आंटी के बूब्स दीवार के साथ दबे हुए थे, और पीठ मेरी तरफ थी. अब मैं उनकी पीठ को चूम-चाट रहा था. क्या स्वाद आ रहा था आंटी की पीठ चाटने में, एक-दूं ज़बरदस्त. ऐसा लग रहा था, जैसे मैं मक्खन की टिक्की चाट रहा था.
फिर मैने भी अपने उपर के कपड़े उतार दिए, और आंटी को पीछे से हग कर लिया. अब स्किन से स्किन टच होती है, तो बदन में करेंट सा लगने लगता है. ऐसा ही कुछ हम दोनो के साथ हुआ. जैसे ही मैने आंटी को हग किया, उनकी आ निकल गयी.
मैने अपने दोनो हाथ उनके बूब्स पर रखे, और पंत के अंदर से गांद पर लंड रगड़ते हुए दबाने लगा. क्या फीलिंग आ रही थी. आंटी की स्किन बड़ी सॉफ्ट थी. जब मैं लंड रग़ाद रहा था, तो हम दोनो की मूव्मेंट स्टार्ट हो गयी.
ज़ोर से बूब्स दबाते हुए जब मैं उपर की तरफ लंड रगड़ता, तो आंटी भी गांद उपर कर लेती, और जब मैं नीचे करता, तो आंटी भी मेरे साथ नीचे हो जाती. कुछ देर हम ऐसे ही करते रहे. इससे पता चल रहा था, की हम दोनो ही हवस से भरे पड़े थे.
फिर मैने आंटी की सारी का पल्लू पकड़ा, और उसको खींचते हुए उनसे डोर जाने लगा. आंटी घूमने लगी, और उनकी सारी मैने पूरी उतार दी. फिर मैं दोबारा उनके पास आया, और उन्हे किस करने लगा. मैं अपने हाथ उनकी कमर पर फेरते हुए पेटिकोट के नाडे तक ले गया, और नाडे को खोल दिया.
फिर मैने उनके पेटिकोट को नीचे गिरा दिया. अब आंटी मेरे सामने सिर्फ़ पनटी में थी. ब्लू पनटी में उनके मस्त चूतड़ और जांघें बड़ी कामुक लग रही थी. फिर मैं नीचे बैठ गया, और उनके पेट में अपना मूह डाल कर चाटने लगा. मैने अपनी जीभ आंटी की नाभि में डाल दी, और उसको घूमने लगा.
आंटी आहह आ कर रही थी, और मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे सर को अपने पेट में दबा रही थी. फिर मैं नीचे आया, और पनटी के उपर से छूट वाली जगह पर मूह मारने लगा, और किस करने लगा. आंटी की छूट की खुसबु मदहोश कर देने वाली थी. मेरा तो दिल ही नही कर रहा था उनकी छूट पर से मूह हटाने को, इतनी मस्त खुश्बू थी.
फिर मैने उनकी जांघें चूमनि शुरू की. तभी आंटी बोली-
आंटी: गोपाल बड़ा मस्त रोमॅन्स कर रहा है तू. ऐसा मैने सिर्फ़ पॉर्न वीडियोस में देखा है.
मैं बोला: आंटी आप बस देखते जाओ.
फिर मैं खड़ा हुआ, और आंटी को अपनी बाहों में उठा लिया. वो काफ़ी भारी थी, लेकिन हवस चढ़ा हुआ आदमी पहाड़ भी उठा लेता है. मैने उनको बेड पर लिटाया, और फिरसे उनकी छूट के पास अपना मूह कर लिया. फिर मैने उनकी कमर से उनकी पनटी के बॉर्डर्स को पकड़ा, और पनटी नीचे करने लगा.
नीचे टाँगो से होते हुए मैने पनटी को उनके बदन से अलग कर दिया. अब आंटी पूरी नंगी थी मेरे सामने, और उनकी छूट बहुत खूबसूरत थी. उनकी छूट पर ब्राउन बाल थे. बाक मीडियम साइज़ के थे, ना ज़्यादा बड़े, ना ज़्यादा छ्होटे.
मैने आंटी की टांगे खोली, और सबसे पहले उनकी छूट पर किस किया. किस करने से आंटी की छूट में एक झटका लगा, और उनके मूह से सिसकी निकली. फिर मैं उनकी छूट पर हल्की-हल्की जीभ फेरने लग गया. जब-जब मेरी जीभ उनकी छूट को टच होती, आंटी की गांद हिलने लग जाती.
मैने फिर स्पीड बधाई आंटी की छूट पर जीभ फेरने की. आंटी ने फिर अपना हाथ अपनी छूट पर रखा, और उसके मूह को खोलते हुए बोली-
आंटी: अंदर से भी चाट.
उनके ये कहते ही मैने जीभ उनकी छूट के अंदर डाल दी, और उसको मज़े से चाटने लग गया. आंटी पागल हो रही थी और उनकी छूट धड़ा-धड़ पानी छ्चोढ़ रही थी. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैं खड़ा हुआ, और मैने अपनी पंत और अंडरवेर उतार दिए.
अब मेरा खड़ा हुआ लोहे जैसा लंड आंटी के सामने था. आंटी मेरा लंड देख कर बहुत खुश हुई, और जल्दी से उठ कर मेरा लंड पकड़ लिया. वो मेरा लंड हिलने लगी, और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी, जैसे मुझसे लंड को मूह में डालने की पर्मिशन माँग रही हो. मैने आँखों ही आँखों में आंटी को हा बोला, और उन्होने झट से मेरे लंड को अपने मूह में डाल लिया.
जैसे ही उन्होने मेरे लंड को अपने मूह में लिया, मेरे मूह से आ निकल गयी. आहह कैसे ना निकलती, आंटी के मूह की गर्मी ही ज़बरदस्त थी. फिर आंटी अपने मूह को आयेज-पीछे करके मेरे लंड को चूसने लग गयी. बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं सोच रहा था, जिसके मूह में लंड डाल कर इतना मज़ा आ रहा था, उसकी छूट में लंड डाल कर कितना मज़ा आएगा.
फिर मैने धीरे-धीरे कमर आयेज-पीछे करनी शुरू की, और मुझे और ज़्यादा मज़ा आने लगा. धीरे-धीरे मैने अपनी स्पीड बधाई, और ज़ोर-ज़ोर से आंटी के मूह को छोड़ना शुरू किया. जिस तरह से वो अपना मूह छुड़वाना के मज़ा ले रही थी, वो किसी रंडी से कम नही लग रही थी.
मैने फिर आंटी के फेस को दोनो हाथो के बीच में रखा, और दोनो अंगूठो से उनकी आँखें बंद कर. उसके बाद मैने तेज़ी से उनके मूह को छोड़ना शुरू कर दिया. आंटी की साँस रुक रही थी, लेकिन मुझे इतना मज़ा आ रहा था, की मैं बता नही सकता. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मैने आंटी के मूह से लंड निकाल लिया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. दोस्तों अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आ रहा हो, तो इसको अपने दोस्तों में ज़रूर शेर करे, ताकि ये मज़ा ज़्यादा से ज़्यादा लोग ले सके. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद.