antarvasna, kamukta मेरे देवर को मैं कॉलेज समय से ही जानती थी क्योंकि मेरा देवर मेरे कॉलेज में मेरा जूनियर था हम दोनों की मुलाकात उस समय ही हो गई थी। जब मुझे सतीश का रिश्ता आया तो मैंने सतीश को पहली नजर में ही पसंद कर लिया था क्योंकि वह दिखने में बहुत ही हैंडसम और अच्छे थे, मेरे देवर का नाम राजेश है और वह भी व्यवहार के बहुत अच्छे हैं। मेरे शादीशुदा जीवन में पिछले दो वर्षों से कोई भी तकलीफ नहीं थी लेकिन जब से राजेश की शादी की बात हुई है तब से मेरे जीवन में धीरे-धीरे बदलाव आने लगा था, राजेश ने एक लड़की को पसंद कर लिया था उसका नाम कंचन है। एक दिन मैं घर का काम कर रही थी तभी राजेश मेरे पास आया और कहने लगा भाभी मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं, मैंने राजेश है कहा हां राजेश कहो आपको क्या कहना है? वह मुझे कहने लगे भाभी मैंने अपने लिए एक लड़की पसंद कर ली है और मैं सबसे पहले आपको यह बात बता रहा हूं।
मैंने राजेश से कहा चलो यह तो बहुत खुशी की बात है लेकिन तुम क्या मुझे उस लड़की की फोटो नहीं दिखाओगे, राजेश ने मुझे उस लड़की की तस्वीर दिखाई वह देखने में तो सुंदर थी और मुझे अच्छी भी लगी। मैंने राजेश से कहा तुम्हारी पसंद तो बहुत अच्छी है, वह मुझे कहने लगा हां भाभी बस मुझे जबसे कंचन ने हां कहा है तब से तो मेरे जीवन में बहुत खुशी है लेकिन मैं यह बात पहले आपको ही बता रहा हूं, मैंने राजेश से कहा तो फिर तुम मुझे कंचन से कब मिला रहे हो? वह कहने लगा बस मैं आपको जल्दी ही कंचन से मिलवा दूंगा। मुझे तो बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि वह मुझे कुछ दिनों बाद ही कंचन से मिलवा देगा, जब मुझे राजेश ने कंचन से मिलाया तो उस दिन तो मुझे वह बहुत अच्छी लगी मुझे लगा कि वह बहुत अच्छी है लेकिन जब उन दोनों की सगाई हो गई तो उसके बाद वह जैसे मेरे बारे में राजेश से बुराई करने लगी थी मुझे यह बात तब पता चली जब राजेश फोन पर बात कर रहा था और मैं उसके पीछे से कमरे में चली गई, राजेश ने मुझे नहीं देखा लेकिन वह फोन पर बात कर रहा था तो मुझे सुनाई दे रहा था क्योंकि राजेश ने अपने फोन का स्पीकर ऑन किया हुआ था, उस दिन के बाद तो कंचन के लिए मेरी सोच पूरी तरीके से बदल गई मैं नहीं चाहती थी कि कंचन की शादी राजेश से किसी भी हाल में हो लेकिन राजेश कंचन के पीछे पागल था इसलिए राजेश और कंचन की शादी हो ही गई।
जब उन दोनों की शादी हुई तो वह राजेश को मेरे प्रति बहुत ही ज्यादा गलत कहती थी राजेश को मेरे बारे में पहले से ही पता था क्योंकि मैं कॉलेज में उसकी सीनियर भी थी, वह कई बार मेरा पक्ष लेता था लेकिन जब भी राजेश मेरा पक्ष लेता तो उस वक्त कंचन का मुंह फूल जाता और वह उसके साथ झगड़ा कर लेती, मैंने सोचा अब इन दोनों के बीच में बोल कर मुझे कुछ नहीं मिलने वाला है इसलिए मैंने राजेश से भी बात करना कम कर दिया था। एक दिन मैं घर पर बैठी हुई थी तब सतीश आए और सतीश कहने लगे आजकल तुम्हारा मूड बहुत ही बदला हुआ है तुम आजकल अच्छे से किसी से भी बात नहीं करती, मैंने यह बात सतीश को भी नहीं बताई थी सतीश मुझे कहने लगे चलो आज हम लोग मूवी देख आते हैं, हम लोग काफी दिनों से एक साथ मूवी देखने भी नहीं गए थे उस दिन मैंने सोचा चलो आज मूवी देख आते हैं, हम दोनों उस दिन मूवी देखने के लिए चले गए उस दिन सतीश के साथ मैंने काफी समय बाद इतना अच्छा समय व्यतीत किया और मैंने उस दिन सतीश को सारी बात बता दी, सतीश मुझे कहने लगा देखो दीपिका मैं जानता हूं कि तुम्हारा राजेश से भी गहरा लगाव है वह कॉलेज में तुम्हारा जूनियर भी था और अब वह तुम्हारा देवर भी है, मैंने सतीश से कहा लेकिन कंचन मेरे प्रति राजेश के दिमाग में ना जाने क्या क्या गलत बातें डालती रहती है उससे घर का माहौल खराब हो रहा है। सतीश ज्यादा घर पर नहीं रहते थे इसलिए उन्हें इस बात का कोई भी अंदाजा नहीं था, सतीश मुझे कहने लगे मैं इस बारे में राजेश से बात करूंगा, जब हम लोग मूवी देखकर घर लौटे तो कंचन अपना मुंह बिगाड़ कर बैठी हुई थी राजेश मेरे पास आया और कहने लगे भैया भाभी लगता है आज आप लोग कहीं बाहर से आ रहे हैं, मैंने राजेश से कहा हां हम लोग काफी समय बाद मूवी देख कर आए हैं और तुम्हें तो पता ही है हम दोनों को समय नहीं मिल पाता, जब मैंने यह बात कही तो कंचन ने पीछे से कहा राजेश तुम मुझे कहीं भी घुमाने के लिए नहीं लेकर जाते, मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और अगले दिन सतीश ने राजेश से इस बारे में बात की।
राजेश कहने लगा भैया आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है पिताजी के देहांत के बाद आपने ही तो मुझे संभाला है, कंचन का नेचर हालांकि पहले से ज्यादा बदल चुका है और ना जाने उसे भाभी से क्या आपत्ति है लेकिन फिर भी मैं उन बातों को गौर नहीं करता। मैं भी वहीं बैठी हुई थी मैंने राजेश से कहा देखो राजेश मैं तुम्हें काफी समय से जानती हूं मैंने कभी भी तुम्हारे बारे में गलत नहीं सोचा, राजेश कहने लगा भाभी मैं आपके नेचर को जानता हूं आप बहुत ही अच्छी हैं, राजेश कहने लगा मैं इस बारे में कंचन से बात करता हूं और वह यह कहते हुए वहां से चला गया। राजेश ने कंचन को बहुत समझाया लेकिन वह बिल्कुल भी ना समझी मैंने भी सोचा मुझे अपना रंग दिखाना पड़ेगा। मैं राजेश को अपने बस में करना चाहती थी उसके लिए सिर्फ मेरे पास एक ही रास्ता था मुझे उसके साथ सेक्स करना जरूरी था। एक दिन मैं अपने कमरे में बैठी हुई थी राजेश मेरे पास आया और कहने लगा भाभी आप क्या कर रही हो। मैंने उसे कहा बस राजेश ऐसे ही बैठी हूं मैंने उसे कहा आओ मेरे पास बैठो। वह मेरे पास आकर बैठ गया जब वह मेरे पास आकर बैठा तो मैंने उससे बात करना शुरू कर दिया वह मुझे कोई भी जवाब नहीं दे रहा था लेकिन मुझे तो पता था कि मुझे उसके साथ सेक्स करना ही है।
मैंने उसके सामने अपने सूट को उतारा तो उसने मेरे बड़े बड़े स्तनों को बड़े ध्यान से देखा। उसने मेरी तरफ बडी तेजी से अपने हाथों से मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया वह बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे स्तनों को दबा रहा था। वह मेरे स्तनों को अपने होठों से चूसने लगा मैंने भी राजेश के लंड को बाहर निकालते हुए सकिंग करना शुरू किया। जब मैं उसके लंड को चूस रही थी तो लह मुझे लगा मैंने आज तक कभी भी आपके बारे में ऐसा नहीं सोचा लेकिन आपने मुझे अपनी और आने के लिए विवश कर दिया। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं राजेश यह बात हम दोनों के बीच मे ही रहेगी मैंने उसके लंड को बहुत देर तक सकिंग किया। उसने भी मेरी दोनों पैरों को चौड़ा किया और मेरी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया उसका लंड मेरी योनि के अंदर बाहर होता तो मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लग जाती। मेरी योनि से पानी निकलने लगा था और मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा में पानी निकलने लगा। हम दोनों ने एक साथ काफी देर तक संभोग किया राजेश मेरा हो चुका था, वह मेरी किसी भी बात को नहीं टालता। हम दोनों के बीच अक्सर सेक्स संबंध बनते रहे और अब भी वह हमेशा चोदता रहता है वह कंचन की तरफ देखता तक नहीं है। एक दिन राजेश ने मेरी गांड मारने के बारे में कहा मैंने उसे कहा अब मैं तुम्हारी हो चुकी हूं उस दिन उसने उठा उठा कर मेरी गांड मारी मेरी गांड से खून भी निकाला मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मझे उससे गांड मरवाने का फायदा हुआ राजेश मेरी हर बात को मानने लगा था। कंचन कभी भी उसके सामने ऐसा कोई बर्ताव करती तो राजेश उसे डांट दिया करता। कंचन को यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी उसने कई तरीके के हथकंडे अपनाने की कोशिश की लेकिन मैं तो पहले से ही खली खिलाई हुई थी वह भाला मुझसे टक्कर कैसे ले सकती थी। वह भी राजेश को अपने हुस्न के जाल में बार-बार फसाने की कोशिश करती लेकिन मेरे हुस्न के आगे उसका हुस्न कहीं भी नहीं टिकता।