भाभी की चूत चुदाई के बाद अब विपिन मुकुल की गांड चोदने की तैयारी में था।
“ले भाभी ले” और उसने सुपाड़ा अंदर कर ही दिया। मुकुल थोड़ा आगे की तरफ हुई। विपिन ने लंड एक बार फिर बाहर निकाला। मुकुल की चूत से बचा खुचा पानी हाथ में लिया – लंड और गांड के छेद पर मला और लंड अंदर डाल दिया।
विपिन का लंड भाभी की गांड में जड़ तक बैठ गया।
मुकुल को मजा आ गया जब लंड पूरा अंदर तक गया ।
लंड जड़ तक बैठ चुका था। अब रुकना विपिन के बस में भी नहीं था। उसने लंड पूरा बाहर निकाला और गांड के अंदर डाल दिया।
यही तो चाहिए था मुकुल को, “आआह विपिन बस अब चोद मुझे चोद मुझे दबा कर चोद आह आआह। रगड़ मेरी गांड “।
विपिन पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर अंदर डाल रहा था। जब लंड का मोटा फूला हुआ सुपाड़ा बाहर निकलता तो मुकुल की गांड का छेद बंद होता था ‘पप्प’ की हल्की आवाज के साथ – और साथ ही मुकुल की सिसकारी निकलती थी “आआह विपिन यही है जन्नत, विपिन”।
मुकुल साथ साथ अपने चूत का दाना रगड़ रही थी। बाढ़ आयी हुई थी मुकुल की चूत में।
अट्ठारह बीस मिनट की गांड चुदाई के बाद मुकुल और विपिन दोनों झड़ गए, “आअह भाभी ये लो, भाभी आपकी गांड मस्त है भाभी आअह भाभी… और उधर आवाजें थीं आअह… विपिन, मजा आ गया। आअह विपिन भर दी तूने मेरी गांड”।
और धीरे धीरे दोनों शांत हो गए।
विपिन का दिमाग़ ऐसी मस्त चुदाई के बाद सुन्न हो गया था। वो मुकुल के चूतड़ पकड़ कर खड़ा था। ऐसा चुदाई का मजा उसे कभी नहीं आया था।
मुकुल ने ही कहा, विपिन ? क्या हुआ ? क्या अभी भी मजा आ रहा है भाभी की चुदाई का “?
विपिन जैसे नींद से जागा, “हां भाभी”। उसने लंड बाहर निकला।
मुकुल खड़ी हो गयी।
विपिन ने मुकुल के होंठ अपने होठों में ले लिए और चूसने लगा। विपिन का एक हाथ कभी मुकुल के चूतड़ों पर जाता, कभी चूचियों पर और कभी चूत पर। “भाभी … भाभी …”I
मुकुल समझ गयी लड़के ने ऐसी धुआंधार चुदाई नहीं की अब तक।
मुकुल बोली, “विपिन क्या खायेगा। आज तूने बड़ी मेहनत की है। आज तेरे मनपसंद का डिनर बनेगा”।
विपिन बोला, “भाभी अभी तो ग्यारह ही बजे हैं, कहीं बाहर से मंगवा लो। कहां बनाओगी ? मेहनत तो आपने भी की है – मुझसे तो ज़्यादा ही की है”।
मुकुल बोली, “ठीक है देखती हूं “।
मुकुल ने फोन मिलाया और बात की – और फोन विपिन के हाथ में दे कर बोली, “ले विपिन अपनी मर्ज़ी का खाना मंगवाले”।
डिनर कर के मुकुल और विपिन साथ साथ ही लेट गए। मुकुल तो अभी भी नंगी ही थी। विपिन ने कपड़े पहने थे, क्यों के खाना डिलिवर करने वाले ने आना था।
डिनर कर के विपिन ने भी कपड़े उतार दिए और भाभी मुकुल के पास ही लेट गया।
विपिन के मन में एक सवाल था – “क्यों ? क्यों बड़ी भाभी ऐसे चुदवा रही है ? क्यों ? आखिर क्यों ? और क्यों भावना, मेरी छोटी भाभी ने भी मेरा लंड चूसा था ? क्यों” ?
लेटे लेटे विपिन ने मुकुल से पूछा, ” भाभी एक बात पूछूं, आप बुरा तो नहीं मानेंगी “?
मुकुल ने कहा, “विपिन, अगर तूने ये पूछना है की मैंने तेरे से, अपने देवर से क्यों चुदवाई, तो मैं ही तुझे बता देती हूं – तेरे दोनों बड़े भाई नामर्द हैं। उनके लंड तेरे लंड के आधे साइज़ के भी नहीं और वो पांच सात मिनट से ज्यादा चुदाई नहीं कर सकते और झड़ जाते हैं – आधे चम्मच मलाई के साथ”।
“दस मिनट की रगड़ाई के बाद तो चूत गरम ही होना शुरू होती है”।
“विपिन, भावना का तो कहना है कि तुम्हारी माता जी ने किसी असली मर्द से चुदवाई होगी जो तुम और शिखा पैदा हुए”।
“अब तुम ही देखो विपिन, तुम्हारे और तुम्हारे भाईयों कि नैन नक्श, डील डौल में कितना फर्क है – और लंडों और चुदाई करने कि दम ख़म में तो फर्क है ही। कहां आठ इंच का मोटा लंड, कहां साढ़े चार इंच का खिलौना। कहां आधे घंटे कि चुदाई, कहां दस मिनट में खलास। और कहा आधा कप गर्म राबड़ी, और कहां आधा चमच्च पानी”।
विपिन ने पूछा, “तो भाभी भावना क्या करती है” ?
मुकुल क्या जवाब देती -चुप रही।
विपिन बोला, “भाभी कल बुला लो भावना भाभी को भी”।
मुकुल बोली ,”सच विपिन “?
विपिन बोला, ” हां भाभी, मुझसे आप लोगों कि ये आधी अधूरी चुदाई नहीं देखी जाती”।
मुकुल ने फोन उठाया और भावना को मिला दिया।
भावना आधी नींद में थी, “हेलो जीजी इतनी रात को” ?
मुकुल बोली, “भावना, आ जा कल सुबह। विपिन ने चोद दिया मुझे, क्या मस्त चोदता है। कल तुझे भी चोदेगा”।
“सच जीजी ? मैं सुबह ही आती हूं।
अगले दिन सुबह ग्यारह बजे ही भावना आ गयी।
मुकुल और विपिन अभी नाश्ता करके ही हटे थे। मुकुल सोफे पर बैठी थी और विपिन मुकुल की गोद में सर रख कर आखें बंद करके लेटा हुआ था।
भावना को देख मुकुल बोली, “विपिन, भावना आ गयी”।
“नमस्ते भाभी, आइये यहीं मेरे पास ही बैठ जाईये”। और विपिन थोड़ा सरक गया। भावना विपिन के लंड के साथ जपने चूतड़ जोड़ कर बैठ गयी।
विपिन ने एक हाथ भावना की जांघ पर रखा और बोला, “बोला भाभी क्या प्रोग्राम है आज का ? रात यहीं रुकेंगी”?
भवना ने विपिन के हाथ पर हाथ रख कर कहा, नहीं विपिन आज तो नहीं कल आऊंगी और दो रात यहां रुकूंगी। महेश दो दिन के लिए फिर चंडीगढ़ जा रहा है। बोल रहा था शिखा को भी मिल कर आएगा। और अगर हो सका तो शिखा को साथ ले कर आएगा”।
विपिन बोला, “शिखा वहां होगी, तभी तो लाएंगे भइया। वो तो कसौली गयी होगी अपनी सहेली के साथ मौज मस्ती करने”। विपिन ने बात करते हाथ भावना की चूत पर रख दिया।
विपिन ने अब भावना की चूत को उसकी सलवार के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया। भावना को मजा आने लगा। उसने हल्की सिसकारी ली “आह …” और अपना हाथ विपिन के हाथ पर रख दिया।
पीछे विपिन का लंड खड़ा होने लगा। भावना थोड़ा हिली – कसमसाई ।
मुकुल मुस्कुराते हुए बोली, “क्या हुआ भावना कुछ चुभ रहा है क्या “?
“चुभ नहीं रहा जीजी कुछ रगड़ खा रहा है – कुछ मोटा मोटा सा”। भावना हंस कर बोली।
“क्या है रे विपिन तेरी जेब में, जो भावना के पीछे रगड़ खा रहा है”। मुकुल ने हंसते हुए पूछा। भावना भी मुस्कुरा रही थी।
“आप ही देख लो भाभी”। विपिन ने भावना से कहा।
भावना विपिन के पैरों के तरफ खिसकी। विपिन के लंड का उभार देख कर लगता था लंड पूरा खड़ा हो चुका था। भावना ने पैंट की ज़िप खोल लंड बाहर निकल लिया।
लम्बा सख्त और मोटे सुपाड़े वाला विपिन का लंड।
भावना ने लंड हाथ में लिया और मुकुल की तरफ देख कर बोली, “जीजी आप ने कहां कहां लिया जीजी विपिन का लॉली पॉप”।
मुकुल बोली, “तीनों में। चूत में गांड में और मुंह में”।
वाह जीजी, कहां ज़्यादा मजा आया।
मुकुल ने पिछले दिन की पूरी चुदाई बयान कर दी, मगर ये बताना नहीं भूली की कैसे विपिन ने उसकी चूत में से अपनी मलाई और चूत के पानी का मिक्सचर गांड पर पर लगा कर गांड का छेद चिकना किया और लंड अंदर डाला।
भावना ने मुकुल की तरफ देखा – ”इशारों इशारों में पूछा जीजी साहिल की लाई जेल तो पड़ी फिर ये चूत का पानी क्यों”?
मुकुल ने भी इशारों में समझा दिया की नहीं भावना नही। नहीं तो विपिन समझेगा के समझेगा की हमें चुदाई का ज्यादा ही चस्का लग गया है”।
मुंबई की भावना एक सेकण्ड में समझ गयी की मुकुल ने ऐसा क्यों किया होगा। लंड मुंह में से निकाल कर बोली, “मैं भी ऐसे ही चुदवाउंगी जीजी”।
और वो विपिन से बोली, “चलो विपिन उठो, चोदो अपनी छोटी भाभी की चूत और निकालो अपना गर्म पानी इसमें”।
दोनों उठे और उसी कमरे में लगे बेड की तरफ बढ़ चले।
मुकुल ने भावना को बोला, “भावना अगर विपिन की लंड की सुपाड़े का मजा लेना है तो टांगें उठा कर, चौड़ी करके चुदाई करवाना। बाकी विपिन समझा देगा”।
भावना बोली, “जीजी आप भी तो आओ”।
विपिन ने खड़ा लंड भावना के हाथ में पकड़ा दिया। “ज़रा चूसो भाभी इसको”।
भावना ने लंड इतनी जोर जोर से चूसा की विपिन को लंड भावना के मुंह से बाहर निकालना पड़ा, “भाभी अगर ऐसे ही चूसोगी तो अभी निकल जायेगा मुंह में। बताओ कैसे चुदवानी है “?
भावना बोली, “मुझ से मत पूछ विपिन। कैसे भी चोद, बस आज जन्नत दिखा दे। ऐसे चुदाई कर के तेरी ये भाभी भी इस चुदाई हमेशा याद रखे”।
चलो लेटो भाभी बेड के किनारे पर। पहले तो अपनी चूत और गांड के दर्शन करवाओ”।
भावना चूतड़ बेड के किनारे पर टिका कर लेट गयी और टांगें चौड़ी कर दी। विपिन को चूत तो दिख रही थी गांड का छेद नहीं दिख रहा था। विपिन ने एक तकिया भावना के चूतड़ों के नीचे रख कर चूतड़ उठा दिए।
“अब ठीक है”। विपिन बोला।
फर्श पर घुटनों के बल बैठ भावना की चूत की फांकें खोली – गुलाबी टाइट छेद सामने था। विपिन देख रहा था और अपना लंड सेहला रहा था। विपिन ने चूतड़ खोल दिए। गांड का भूरे रंग का बंद छेद सामने दिख रहा था।
विपिन ने भावना की चूत चूसी,उसमें थोड़ा थूक डाला और खड़ा हो कर जांघो को खोला और एक ही बार में पूरा लंड चूत में बिठा दिया। “आआआह विपिन …” I भावना ने मजे की एक सिसकारी ली।
मुकुल देख रही थी। जैसे ही विपिन का लंड भावना की चूत में गया उसकी भी एक सिसकारी निकली “आह …” और उसने भी अपने कपड़े उतार दिए।
बेड पर घुटनों और कुहनियों के बल लेट कर मुकुल भावना के चूचियों के निप्पल चूसने लगी।
मुकुल के चूतड़ भावना की चुदाई कर रहे विपिन के तरफ थे। विपिन भावना के चूतड़ों पर हाथ फेरा, दो धप्प चूतड़ों पर लगाए और अपनी एक उंगली मुकुल की गाड़ के छेद में डाल दी।
“आअह विपिन क्या कर रहे हो। गरम हो जाएगी मेरी फुद्दी। पहले भावना का पानी निकालो दो बार फिर मुझे छेड़ना”।
मगर विपिन कहां रुकने वाला था।
उसने उंगली मुकुल की गांड के अंदर बाहर करनी शुरू कर दी। साथ ही वो जोर जोर से भावना को चोद रहा था।
जल्दी ही भावना ने नीचे से चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए। मुकुल भी अपनी चूत का दाना रगड़ रही थी।
विपिन की उंगली मुकुल की गांड में थी और अब मुकुल भी चूतड़ हिला रही थी। कुछ मिनटों के बाद तीनो का मजा छूट गया “आआह ..आअह.. आह्ह.. आई.. ह्ह.. ह्ह.. आअह”।
विपिन ने अपना पूरा गर्म पानी भावना की चूत में डाल दिया।
भावना ने एक सिसकारी ली। “आअह… विपिन मेरे विपिन मजा आ गया विपिन भर दी मेरी भी फुद्दी”।
सब शांत हो गए। मुकुल और विपिन सोफे पर बैठ गए।
मुकुल बोली, “भावना चूत बंद कर ले विपिन का चिकना सफ़ेद पानी बाहर नहीं आना चाहिए। मैं विपिन का लंड खड़ा करती हूं। अब तेरी गांड का नंबर है चुदने का। विपिन की यही सफ़ेद लेस तेरी गांड को चिकना बनाएगी”।
मुकुल विपिन का लंड चूसने लगी। विपिन का लंड फिर खड़ा हो गया।
मुकुल खड़ी हुई और भावना की गांड खोल कर थोड़ा चूसा और अपने थूक की पिचकारी अंदर डाल दी और विपिन से बोली “आ जाओ विपिन गांड तैयार है”।
मुकुल एक तरफ हो गयी। विपिन ने भावना की कमर पकड़ी और लंड गांड के छेद पर रख दिया। भावना ने चूत ढीली की। सफ़ेद चिकना पानी चूत से निकल कर नीचे की तरफ बहने लगा।
विपिन ने गांड के छेद के बिलकुल नीचे हाथ रख लिया और सफ़ेद पानी अपने लंड और भावना की गांड पर लगा दिया। दूसरे हाथ की उंगली से सफ़ेद पानी गांड के अंदर भी लगा दिया। बिलकुल वैसे ही जैसे चूत से निकला पानी उसने मुकुल की गांड पर लगाया था I
भावना ने सिसकारी ली “आअह… विपिन”। विपिन ने लंड भावना की गांड के छेद पर रखा और एक हल्का धक्का मर कर सुपाड़ा छेद में बिठा दिया। आअह…विपिन बड़ा मजा आ रहा है। जीजी बड़ा मजा आ रहा है”।
मुकुल उठी और भावना के होंठ चूसने लगी। मुकुल का एक हाथ भावना की चूत के दाने को सेहला रहा था।
विपिन ने लंड बाहर निकाला, थोड़ा थूक गांड के छेद के ऊपर और अंदर मला और लंड पूरा अंदर बिठा दिया। “उन्ह… उन्हह” की आवाज के साथ।
भावना दर्द और मजे की सिसकारी लेना चाहती थी मगर मुकुल ने उसके होंठ ही बंद कर रखे थे।
मुकुल ने सोचा, लड़की मजे में है – सिसकारी लेना चाहती है। मुकुल ने भावना के होंठ छोड़ कर उसकी चूचियां चूसनी शुरू कर दी। मुकुल का एक हाथ भावना की चूत में ही अपना काम कर रहा था।
विपिन के धक्के चल रहे थे। पूरा लंड बाहर फिर एक झटके से अंदर।
हर धक्के पर भावना की सिसकारी निकलती थी “आअह विपिन आआआह विपिन चोद दे मेरी गांड”।
भावना की गांड की बढ़िया रगड़ाई हो रही थी।
आधे घंटे की चुदाई ने सब की तस्सल्ली कर दी। तीनो उसी बेड पर लेट गए।
अगले चार दिनों तक जब तक रामजी नहीं आया, यही कुछ चलता रहा। इस बीच भावना भी दो रात रुकने के लिए आ गयी।
खैर इन दस दिनों में मुकुल और भावना की चुदाई तो खूब हुई। अब विपिन के जाने का दिन भी आ गया।
“एक चोदने वाला विपिन जा रहा था और चार चोदने वाले लाइन में थे साहिल, अशोक, जनक और गणेश” ।
मुकुल और भावना की चूतों की तस्सली हो गयी थी।
भावना को सुबह जाना था। महेश उस दिन वापस आने वाला था।
जाते जाते भावना विपिन से बोली, “विपिन तूने मस्त चोदा है दोनों भभियों को। तेरे लंड का जवाब नहीं। अब कब आएगा “?
विपिन बोला, “भाभी, जवाब तो आप दोनों भाभियों का भी नहीं। क्या मस्त टाइट चूत और टाइट ही गांड का छेद है आप के। गांड के छेद तो लगता था कुंवारे ही हैं। मेरा तो ये ट्रिप कामयाब हो गया I
भावना ने टैक्सी ली और वो चली गयी।
जब विपिन भी जाने लगा तो मुकुल बोली, “विपिन अब जल्दी जल्दी आया करना”।
फिर विपिन बोला, “अब तो भाभी जल्दी जल्दी आना पड़ेगा। इस बार हो सकता है मेरा एक दोस्त भी साथ आये। तमिलनाडु का रहने वाला है। श्रीधर कह रहा था दिल्ली घूमना चाहता है”।
मुकुल बोली, “अच्छा ? ये तो बड़ी अच्छी बात है। और फिर शरारत से पूछा “कैसा है वो “?
विपिन ने हाथ के अंगूठे और बीच की उंगली से एक गोला बनाया – “ऐसा”। अंगूठा और उंगली आपस में मिले हुए नहीं थे।
मतलब लंड तगड़ा मोटा है तेरे दोस्त श्रीधर का। यही तो भावना भी देखती थी। भावना के हिसाब से लंड अंगूठे और बीच की उंगली में आ जाये तो गांड चुदवाओ। और अगर अंगूठा और उंगली लंड को न पकड़ पाएं तो मतलब लंड बहुत मोटा है – गांड फाड़ देगा।
सोच सोच कर मुकुल की तो चूत और गांड तो ही फड़कने लग गयी। इतना मोटा लंड ? चूत की तो मौज हो जाएगी, मगर गांड ?
और फिर मुकुल ने सोचा, “अब तो हम गांड भी खूब चुदवा रही हैं। जब तक विपिन आएगा तब तक तो गांड के छेद भी तैयार हो जाएंगे श्रीधर का मोटा लंड लेने के लिए”।
मुकुल बोली, “वाह विपिन जरूर ले कर आना। भावना भी बड़ी खुश हो जाएगी”।
ठीक है भाभी बाए।
अब तक के लिए समाप्त – धन्यवाद