युग फैसला कर चुका था कि वो चित्रा की चुदाई राज से करवाएगा ही करवाएगा। राज, युग और चित्रा तीनों इकट्ठे बैठे थे। जब युग ने राज और चित्रा को कपड़े उतारने के लिए कहा। तब उन दोनों में से किसी ने भी कपड़े नहीं उतारे। तो युग ने अपने कपड़े उतार दिए, और फिर चित्रा को नंगा कर दिया। चित्रा का एक हाथ चूचियों पर था और दूसरा नंगी चूत पर। ना चित्रा अपनी चूचियां ढक पा रही थी, और ना ही चूत। अब आगे-
— चित्रा की चुदाई युग और राज के साथ
चित्रा को ऐसे नंगी देख कर युग का लंड खड़ा हो गया। चित्रा ने मेरी तरफ देखा। मैंने अपने हाथ की उंगली अपने मुंह में ले कर चित्रा को इशारा किया, “लंड चूसो।”
शुक्र है शर्म और हिचकिचाहट के मारे मेरा लंड पूरा खड़ा नहीं हुआ था, नहीं तो इस तरह चित्रा को नंगी देख कर मैंने ही चित्रा के मुंह में अपना लंड डाल देना था।।
चित्रा युग के सामने घुटनों के बल नीचे बैठ गयी, और युग का लंड मुंह में ले लिया। मैं मन ही मन सोच रहा था कहीं इस गांडू का लंड मुंह में ही ना झड़ जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
युग मुझे देख कर बोला, “उतार तू भी कपड़े। तुझे क्या अलग से बोलना पड़ेगा। उतार कपड़े और आजा।”
चित्रा के मुंह में युग का लंड देख कर अब तो मेरे लंड में भी हरकत होने लगी थी। मैंने भी कपड़े उतार लिए, और दोनों के पास जा कर खड़ा हो गया। कपड़े उतारते-उतारते मेरा लंड भी तन चुका था।
युग मेरे खड़े लंड को पकड़ कर चित्रा से बोला, “चित्रा ज़रा राज का भी चूसो, देखो कैसे खड़ा है। ये भी कुछ मांग रहा है।”
जब चित्र नहीं हटी और युग का लंड चूसना नहीं छोड़ा, तो युग ने ही लंड चित्रा के मुंह से बाहर निकाल लिया। चित्रा ने मेरी तरफ देखा जैसे कह रही हो, “अब मैं क्या करूं?”
मुझे कोइ इशारा ना करते देख चित्रा ने मेरा लंड पकड़ा और मुंह में ले लिया। कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद चित्रा उठी और युग के पीछे बैठ कर युग के चूतड़ खोल कर चूतड़ चाटने की कोशिश करने लगी। युग खड़ा था। चित्रा की जुबान चूतड़ों के अंदर जा नहीं रही थी।
लौंडेबाजी का उस्ताद युग समझ गया कि चित्रा चूतड़ चाटना चाहती थी। युग ने चूतड़ चाटे भी बहुत होंगे और चटवाये भी बहुत होंगे। उसे मालूम था जुबान गांड के छेद तक कैसे पहुंचेगी। युग आगे बढ़ा और बेड के किनारे पर उल्टा हो कर लेट गया, और दोनों हाथों से चूतड़ चौड़े कर दिए। चित्रा ने चूतड़ थोड़ा और खोले और युग की गांड के छेद में जुबान घुसेड़ दी।
चित्रा से चूतड़ चटवाने का मजा तो मैं भी ले चुका था। चूतड़ तो चाटती थी चित्रा।
जैसे ही चित्रा ने युग के चूतड़ों के छेद पर जुबान फिराई युग को चूतड़ चटवाने का मजा आने लगा। वो तो आना ही था। युग के मुंह से आवाजें आने लगी, “आअह चित्रा, मजा आ गया, क्या चाटती है तू, चित्रा मजा आ गया, और चाट आआआआह चित्रा।”
युग ने एक हाथ नीचे करके अपना लंड पकड़ लिया। मुझे डर लगा मस्ती में कहीं चूतिया मुट्ठ ही ना मार ले। मैं दबे पांव चित्रा के पीछे गया और हल्के से कंधा दबा कर युग के हाथ की तरफ इशारा किया, जिसमें युग ने अपना लंड पकड़ा हुआ था।
चित्रा की नजर जब युग के हाथ की तरफ गयी तो वो समझ गयी मेरा इशारा किस तरफ था। चित्रा युग से बोली, “युग अब नहीं रहा जा रहा। आजा अंदर डाल और चोद मुझे। पानी निकाल मेरी चूत का।”
— युग की चित्र के साथ चुदाई
युग बेड से उतर कर खड़ा हो गया, और चित्रा की तरफ देखने लगा। शायद इस बात का इंतजार कर रहा होगा कि चित्रा बताये कैसे चूत चुदवाना चाहती थी, पीछे से घोड़ी की तरह, या फिर बिस्तर पर लेट कर चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर। चित्रा बेड के किनारे पर चूतड़ पीछे करके घुटनों और कुहनियों के बल उल्टी हो कर लेट गयी।
बड़ा ही कामुक सीन था। चित्रा की गांड और चूत की लाइन चूतड़ों के ऊपर से होती हुई नीचे टांगों के बीच ग़ायब हो रही थी। पता ही नहीं चल रहा था गांड का छेद कहां और चूत का कहां। चित्रा को इस तरह उल्टा लेटी देख कर मेरा अपना लंड फुफकारे मारने लगा।
मैंने देखा युग का लंड भी पूरा तन गया था। युग ने चित्र के चूतड़ चौड़े कर दिए। गांड का हल्का भूरा गुलाबी छेद और चूत की फांकों के बीच गुलाब की पंखुड़ियों जैसी चूत, दोनों छेद सामने थे। क्या कामुक सीन था।
मेरा मन कर रहा था युग को कहूं, “हट भोसड़ी वाले मुझे चाटने दे चित्रा के चूतड़ों का गुलाबी छेद।”
युग का लंड खड़ा हो चुका था। युग जरा सा नीचे हुआ। अब युग का लंड चित्रा की चूत के बिल्कुल सामने था। मैं मन ही मन बोल रहा था, “अब डाल भी युग चित्रा की चूत में। क्यों तरसा रहा है उसे?”
तभी युग ने लंड चित्रा की चूत के छेद पर रक्खा और एक झटके से लंड अंदर बिठा दिया। युग ने बिना वक़्त गंवाए चित्रा की कमर पकड़ ली और धक्के लगाने लगा। मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर सोफे पर बैठा और दोनों की ये चुदाई देखने लगा।
मेरी नजर मेरी घड़ी पर ही थी। मन ही मन मैं सोच रहा था कहीं चित्रा को मजा आने से पहले ही ना झड़ जाए गांडू।
युग के धक्के चालू थे। घड़ी की सूईयां आगे बढ़ रहीं थी – एक मिनट, दो मिनट, तीन मिनट, चार मिनट।
अब तक तो युग ठीक चल रहा था। चित्रा भी सिसकारियां ले रही थी, “आआआह युग फाड़ दी तेरे लंड ने मेरी फुद्दी। भरी पड़ी है तेरे लंड से आआआह लगा युग चोद मुझे, निकाल सारी कसर आआह युग और जोर से मजा आ गया युग क्या चुदाई करता है तू।” चित्रा की सिसकारियां सुन सुन कर युग जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।
चित्रा को इस तरह सिसकारियां लेते देख मैं सोच रहा था चित्रा को सच में ही मजा आ रहा था या नकली सिसकारियां ले रही थी। अंकल के मोटे लम्बे लंड से चुदाई करवाने के बाद युग के इस अधूरे लंड से क्या मजा आ रहा होगा चित्रा को।
उधर युग के धक्के चालू थे, और मेरी नजर घड़ी पर ही थी। पांच मिनट, छह मिनट। मैंने अपने आप से कहा, शाबाश युग। बस थोड़ा और, किसी तरह दस मिनट निकाल ले। छटे मिनट के धक्कों के बाद सातवां मिनट शुरू ही हुआ था, और तभी युग ने एक सिसकारी ली “आआआह चित्रा निकल गया।” और इसके साथ ही युग का लंड का पानी निकल गया।
— युग का लंड बाहर और राज का लंड चित्रा की चूत के अंदर
युग ने मेरी तरफ देखा। मैं समझ गया युग क्या चाह रहा था। मुझे युग की वो बात याद आ गयी, “उसकी चूत गरम होना शुरू हुई होगी कि मेरा लंड ठंडा हो गया।”
मैं उठा और चित्रा के पीछे चला गया। युग ने जैसे ही अपना लंड चित्रा की चूत से निकाला, मैंने बिना एक सेकण्ड भी गंवाए एक झटके से लंड चित्रा की चूत में डाल कर चुदाई चालू कर दी।
ये सब इतनी तेजी से हुआ कि शायद ना ही चित्रा को पता भी लगा होगा कि लंड बदल गए थे। लेकिन अगर पता लगा भी तो भी चित्रा ने हमें ये पता नहीं लगने दिया, और युग का नाम ले कर ही बोलती रही, “आह युग क्या चोदता है तू, मजा आ गया, और रगड़, आआह झाग निकाल मेरी फुद्दी की आज। आआह अब तक कहां था युग।”
चित्रा ने चूतड़ झटकाने घुमाने शुरू कर दिए। लग रहा था चित्रा को मजा आने वाला था। उधर चित्रा की आवाजों से युग का लंड फिर खड़ा हो गया। युग उठ कर मेरे पास आ गया। चित्रा चूतड़ उठा-उठा कर झटक रही थी। मैं युग की मंशा समझ गया। मैंने अपना खड़ा लंड चित्रा की चूत से निकाला और युग को इशारा किया। युग ने एक-दम लंड चित्रा की चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा।
चित्र झड़ने वाली थी, और सिसकारियां ले रही थी, “आआह मेरे युग क्या चोदता है तू, आआह युग फाड़ दे आअज आआह युग बस थोड़ा और आअह निकलने वाला है मेरा आअह आआह आआह आह।” फिर चित्रा ने जोर से चूतड़ घुमाये और चीखते हुए बोली, निकल गया मेरा युग, निकाल दिया तूने मेरा, मजा आ गया युग आआह।”
चित्रा झड़ गयी थी, उसकी चूत पानी छोड़ गयी थी, मगर कमाल था कि इस बार इधर युग अभी भी जोर-शोर से धक्के लगा रहा था। चित्रा ने गर्दन घुमा कर युग की तरफ देखा। वो भी हैरान हो रही होगी कि युग का अब तक नहीं झड़ा था।
वैसे हैरान तो मैं भी हो ही रहा था। अच्छा टाइम निकाल रहा था युग। मैं युग के लंड को चित्रा की चूत में अंदर-बाहर होते देख रहा था। उस वक़्त तो युग का लंड इतना छोटा भी नहीं लग रहा था। युग के लंड के लगातार के धक्कों ने चित्रा को फिर से गरम कर दिया और वो फिर सिसकारियां लेने लगी। इधर मेरा लंड भी सख्त हो गया।
मैंने युग को इस तरह चुदाई करते देख कर यही सोचा रहा था कि अगर थोड़ी मेहनत की जाए तो युग मस्त चुदाई करने लायक हो सकता था वो भी जल्दी।
चित्रा की सिसकारियां चालू थी, “आअह युग कहां था तू अब तक कहां छुपा रखा था ये लंड? आआह चोद युग चोद आआआह और लगा।”
युग चित्रा की सिसकरियों के कारण और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। चित्रा की सिसकारियों और जोरदार धक्कों से आखिर युग का लंड पानी छोड़ गया। जैसे ही युग के लंड का गरम पानी चित्रा की चूत में गिरा, चित्रा ने जरा सा मुंह मोड़ कर पीछे की तरफ देखा, मगर बोली कुछ नहीं।
युग रुक गया। चित्रा ने फिर मेरी ओर देखा। पक्का चित्रा की चूत पूरी गरम थी। उसे अब चूत की रगड़ाई चहिये थी। युग ने भी देख लिया कि चित्रा ने मुड़ कर पीछे देखा था। में खड़े लंड के साथ पास ही खड़ा था। युग ने बैठता हुआ लंड चित्रा की चूत में से निकाला और मुझे इशारा किया, “जा राज, निकाल चित्रा की चूत का पानी।”
मैं उठ कर चित्रा के पीछे खड़ा हो गया। जैसे ही युग ने लंड चूत से बाहर निकाला मैंने लंड चूत के अंदर डाल दिया। चित्रा के चूत के पानी से और युग के ढेर सारे लंड के पानी से चित्रा की चूत भरी पड़ी थी। जब लंड चूत में गया तो प्लप्प्प के आवाज आयी। मैंने बिना देरी किये धक्के लगाने शुरू कर दिए। चित्रा तो चूतड़ घुमा ही रही थी। युग बैठे ढीले लंड के साथ सोफे पर बैठ चुका था।
चित्रा जोर-जोर से सिसकारियां ले रही, “रगड़ युग चोद मेरी फुद्दी आआह मजा आ गया। निकलेगा मेरा युग अब मत रुकना आआह युग ये निकला निकला युग आआआह।” और इन सिसकारियों के साथ ही चित्रा की चूत पानी छोड़ गयी।”
आठ दस धक्कों के बाद मेरा लंड भी पानी छोड़ गया। चित्रा बिस्तर पर निढाल हो कर लेट गयी और मैं जा कर युग के पास सोफे पर बैठ गया।
युग ने मेरी टांग पर हाथ रक्खा, और बड़ी ही धीमी आवाज के साथ बोला जिससे चित्रा सुन ना ले, “राज तेरी वजह से आज मैं इतनी बढ़िया चुदाई कर पाया हूं और चित्रा की चूत का पानी छूटा है। पता नहीं कब से तरस रही थी ऐसी चुदाई के लिए।”
युग की इस बात पर मैंने युग की तरफ देखा, मगर बोला कुछ नहीं। बोलता भी तो क्या बोलता। असल में चूत चोदने के लिए तो युग ही तरस रहा होगा, चित्रा की तो अंकल के साथ मस्त चुदाई हो ही रही थी।
दो-दो लंडो का पानी चित्रा की चूत में था। चूत भरी पड़ी थी। मगर चित्रा मूतने और चूत धोने नहीं गई, कुछ देर ऐसे ही लेटी रही।
फिर चित्रा उठी और खड़ी हो कर टांगें चौड़ी कर के नीचे की तरफ जोर लगा कर चूत में से पानी निकाला, और छोटे तौलिया से पोंछ कर चूत साफ़ कर ली और वापस जा कर बिस्तर पर लेट गयी।
मैंने सोचा चित्रा ने कपड़े क्यों नहीं पहने? क्या एक बार और चुदवाना चाहती थी चित्रा? चित्र ने युग की तरफ देखा और इतना ही बोली, “युग, इधर आ जा।” चित्रा की आवाज में अजीब सा प्यार झलक रहा था। युग उठा और जा कर चित्रा के साथ लेट गया।
चित्रा ने युग का लंड हाथ में ले लिया और मसलने लगी। युग ने मेरी तरफ देखा और कहा, “राज आजा तू भी।”
मुझे युग का इस तरह बुलाना कुछ अटपटा सा लगा। मियां बीवी के बीच मैं बेकार में ही बीच का बिच्छू बन कर पहुंच जाऊं जब मैं अपने जगह से नहीं हिला तो युग ने फिर दुबारा कहा, ” यार आ जा अब, नखरे मत कर।” चित्रा ने भी मेरी तरफ देखा और आने के लिए हल्का सा इशारा कर दिया। मैं जा कर चित्रा के दूसरी तरफ लेट गया।
चित्रा के एक हाथ में युग का लंड था ही, चित्रा ने दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया।
हम में अभी की चुदाई के बाद शर्म तो खत्म हो ही चुकी थी।
चित्रा के नरम नाजुक हाथों में युग का और मेरा, हम दोनों के लंड हरकत करने लगे। चित्रा उठी और युग का लंड मुंह में ले लिया। एक तो वो उसका पति थी, दूसरा ये सारा चुदाई का खेल युग को बढ़िया चुदाई लायक बनाने के लिए ही तो हो रहा था।
युग का लंड आधा खड़ा तो था ही, चित्रा के मुंह में लेते ही लंड पूरा खड़ा हो गया। खड़ा क्या, इस बार तो बांस की तरह सख्त भी हो गया।
मतलब लखनऊ के सुभद्रा बुआ की दोस्त डाक्टर प्रमिला यादव ने ठीक ही कहा था। ना तो युग में टेस्टास्टरोन हार्मोन्स की कमी थी जो लंड को खड़ा करने में मदद करते हैं, और ना ही युग के लंड के तरफ खून के भाव में कोइ कमी थी जिससे लंड में सख्ती आती है।
–सांड नीचे गाय ऊपर। चित्रा बैठी युग के लंड के ऊपर
सख्त खड़ा लंड देख कर चित्रा अपने आपको और रोक नहीं सकी। चित्रा उठी, एक बार चित्र ने युग की तरफ देखा और एक बार दुबारा लंड मुंह में लिया और उठ कर दोनों टांगें फैला कर चूत के छेद को लंड पर रक्खा और लंड के ऊपर बैठ गयी। जैसे ही लंड पूरा अंदर गया, चित्रा बस इतना ही बोली, “आआआह युग पूरा गया है।”
नीचे युग बोला, “चित्रा मजा आ गया।” चित्रा ने युग के हाथ पकड़े और अपनी खड़ी चूचियों पर रख दिए और खुद लंड पर छलांगें लगाने लगी।
मेरी नजर खुद-ब-खुद फिर से अपनी घड़ी की तरफ उठ गयी। मैंने सामने हो रही इस का वक़्त गिनना शुरू कर दिया। दस सेकण्ड, तीस सेकण्ड, एक मिनट दो मिनट, तीन मिनट, पांच मिनट, आठ मिनट, नौ मिनट। नौ मिनट हो चुके थे और युग का लंड झडा नहीं था।
चित्रा मस्ती में आ चुकी थी। “आआह युग क्या लंड है तेरा, भर दी मेरी फुद्दी तेरे इस लंड ने, बस थोड़ा और रोक युग, मेरा निकलने वाला है आअह युग आआआह आआआह युग तेरा लंड आआआ आने वाला है युग बस थोड़ा और रोक ले युग आआआह अब निकलेगा, निकलने वाला है युग आआआआआह I
मेरी नजर घड़ी पर ही थी। दस मिनट ग्यारह मिनट। मगर इसके बाद ये चित्रा की मस्त कर देने वाली सिसकारियां युग नहीं झेल पाया और एक आवाज, “आअह चित्रा निकला मेरा चित्रा” के साथ झड़ गया।
चित्रा मस्ती में अभी भी लंड पर उठक बैठक कर रही थी। चित्रा का मजा जैसे बस अटका ही हुआ था।
जैसे ही युग ने सिसकारी ली, “आअह चित्रा निकला मेरा चित्रा”, और युग के लंड ने पानी छोड़ा, चित्रा युग के ऊपर से उठी और आ कर मेरे लंड पर बैठ गयी।
चित्रा की सिसकारियां चालू थी, “आह राज मजा आने वाला है आआआह राज आआह राज निकला मेरा आअह राज राज राज आआह राज निकल गया।” और चित्रा मेरे ऊपर ही ढेर हो गयी।
चित्रा का पानी निकल गया था, मगर मेरा लंड खड़ा ही था।
युग ने चित्रा की पीठ पर हाथ फेरा। चित्र पलटी और मेरे लंड से उतर कर हम दोनों के बीच लेट गयी। चित्रा ने युग के होंठ अपने होठों में लिए। कुछ देर चूसने के बाद बोली, “युग मस्त लंड है तुम्हारा, बढ़िया चुदाई तो करते हो तुम। फिर चुदाई से भागते क्यों हो? चोदा करो रोज मुझे।”
युग ने भी चित्रा को बाहों में ले लिया और बोला, “अब कहीं नहीं जाऊंगा चित्रा। रोज चोदूंगा तुझे। जैसे तू कहेगी वैसे चोदूंगा।”
फिर युग नई नजर मेरे खड़े लंड पर पड़ी। युग चित्रा को बोला, “चित्रा, राज का लंड खड़ा है। कुछ करो उसका।”
चित्रा ने एक बार मेरे लंड के तरफ देखा। एक नजर चित्रा ने मुझ पर डाली और एक नजर युग पर। युग ने फिर कहा, “चित्रा राज का लंड खड़ा है।”
चित्रा उठी और मेरा लंड मुंह में ले कर चूसने लगी। चित्रा की चुसाई में जादू तो था ही। युग के कहने से चित्रा और भी मस्ती से मेरा लंड चूसने लगी।
युग बोला, “चित्रा मैं मुट्ठ मारता हूं राज के लंड की। मुट्ठ मार कर जब पानी निकलना शुरू होगा तो उसे चाटना।”
चित्रा ने एक बार युग की तरफ देखा और लंड मुंह में से निकाल कर एक बार मेरी तरफ देखा।