पिछले भाग में आपने पढ़ा चित्रा के अंकल के साथ चुदाई के जिक्र भर सुनते-सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। चित्रा ने जब मेरी पेंट के अंदर लंड का उभार देखा तो वो चुदाई के लिए बेकरार हो गयी। हम दोनों अंदर गए और हमारी चुदाई हो गयी।
चुदाई करके वापस ड्राईंगरूम में आ गए। अब चित्रा सुहागरात वाली अपनी युग के साथ हुई फ्लॉप चुदाई की बातें बताने लगी, जो आप पढ़ेंगे कहानी के इस भाग में।
— चित्रा की मेरे साथ पहली चुदाई
चित्रा के चूतड़ों के एक झटके ने ही मेरा छह इंची लंड टट्टों तक चूत के अंदर बिठा दिया। लंड चूत में बैठते ही चित्रा ने एक सिसकारी ली, “आअह राज, क्या मस्त लंड है तुम्हारा, मजा आ गया।”
चित्रा का जिस्म कड़क था, और चूत टाइट थी। मैंने चित्रा को बाहों में जकड़ कर अपने सीने से सटा लिया। चित्रा की सख्त चूचियां मेरी छाती से चिपकी हुई थी। नीचे चुदाई के लिए मुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं हो रही थी। मेरे साथ चिपकी हुई चित्रा इस तरह नीचे से चूतड़ घुमा झटका रही थी, कि मेरा लंड अपने आप ही चित्रा की चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
चूतड़ घुमाते-घुमाते चित्रा मजे में जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी, “आहआआआह राज आआह राज क्या मस्त लंड है तुम्हारा, एक दम सख्त। क्या मजा दे रहा है चुदाई का आह।” चित्रा की सिसकारियां किसी भी तरह पर्थ वाली वियतनामी लड़की किम से कम नहीं थी। चित्रा एक पक्की चुदक्कड़ की तरह चुदाई करवा रही थी। उधर मैं सोच रहा था तजुर्बेकार अंकल ने तो चित्रा को चुदाई का बहुत कुछ सिखा दिया लगता है।
चित्रा के साथ हो रही इस चुदाई ने ऑस्ट्रेलिया में हुई पारुल तबस्सुम और किम की चुदाई की यादें ताजा कर दी। चूत में लंड को खूब रगड़े लग रहे थे। वियतनामी लड़की किम की तरह ही चित्रा की चूत भी चुदाई के दौरान पानी नहीं छोड़ रही थी।
चित्रा ने नीचे से जिस तरह चूतड़ घुमा-घुमा कर चुदाई करवाई, मेरी तो पूरी तसल्ली हो रही थी। बीस बाईस मिनट चली इस चुदाई में हम दोनों को इकट्ठे मजा आ गया और हम दोनों का पानी “आअह चित्रा निकला मेरा, आह राज गयी मैं”, की आवाजों के साथ निकल गया – हम दोनों झड़ गए।
चुदाई करते-करते हुए मेरे जहन में बस एक ही ख्याल था, “इतनी सुन्दर लड़की, ऐसी मस्त टाइट चूत और ऐसे मस्त चुदाई? और बदकिस्मत गांडू युग ऐसी लड़की की चुदाई नहीं कर पा रहा?”
चित्रा की सिसकारियां ऐसी मस्त कर देने वाली थी, कि लग रहा था कि अगर अंकल से चुदाई के वक़्त भी चित्रा ऐसे ही सिसकारियां लेती थी। तो इसका मतलब था, अंकल और चित्रा में पूरे दिल से चुदाई होती थी, और दोनों आपसी रिश्ता भूल कर एक-दूसरे के साथ चुदाई का खुल कर मजा लेते थे।
झड़ने के बाद कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर चित्रा बोली, “चलें राज, शाम हो रही है। लक्ष्मी के आने का टाइम हो रहा है। कुछ देर में अंकल भी पहुंच जायेंगे।”
मैं उठते हुए बोला, “हां हां चलो।” लक्ष्मी का नाम आते ही लक्ष्मी का खूबसूरत चेहरा एक बार फिर मेरी आंखों के आगे घूम गया।
उठ कर हम वापस ड्राईंग रूम में आ गए और एक ही सोफे पर बैठ गए। ऐसे ही इधर-उधर की बातें करते-करते मैंने ऐसे ही पूछ लिया, “चित्रा क्या अंकल के साथ भी तुम्हारी ऐसी ही चुदाई होती है?” मेरा मतलब साफ़ था, क्या चित्रा अंकल से चुदाई के दौरान भी ऐसे ही सिसकारियां लेती थी, ऐसे ही चूतड़ घुमा-घुमा कर चुदाई करवाती थी?
चित्रा ने पेंट के ऊपर से मेरा लंड हल्के से पकड़ा और बोली, “राज, अगर तुम्हारा मतलब मेरे चुदाई करवाने से है तो हां, मैं अंकल से ऐसे ही चुदाई करवाती हूं। ऐसे चूतड़ घुमा-घुमा कर सिसकारियां लेकर चुदवाने में ही मुझे मजा आता है।”
” और अगर पूछ रहे हो कि अंकल मुझे कैसे चोदते हैं, मुझे चोदते हुए क्या-क्या करते हैं, क्या-क्या बोलते हैं, तो राज अंकल व्हिस्की पी कर मेरी चुदाई करते हैं। और इस बात को तो सब लोग मानते हैं कि अगर व्हिस्की ज्यादा ना पी हुई हो और नशा हल्का हो तो चुदाई के दौरान इंसान बेशर्म हो जाता है। चुदाई के दौरान कुछ कुछ भी बोलने लग जाता है। इन सब से चुदाई का मजा और भी बढ़ जाता है। अंकल चुदाई के दौरान जो कुछ करते हैं, जो कुछ बोलते हैं, तुम सोच भी नहीं सकते”।
“बस यही एक फर्क है तुम्हारी और अंकल की चुदाई में।” फिर चित्रा हंसते हुए बोली, “तुम अभी अंकल के तरह बेशर्म नहीं हुए। जिस तरह अंकल मेरी चूत और गांड चाटते हैं चुम्मा चाटी के साथ और तरह-तरह की हरकतें और बातें अंकल करते हैं, वो अभी समझने और करने में तुम्हें वक़्त लगेगा। बाकी इसमें कोइ शक नहीं कि तुमने मेरी मस्त चुदाई की है। तुम्हारा लंड भी ना तो चुदाई के दौरान ढीला पड़ा, और ना ही जल्दी पानी छोड़ा। चुदाई का पूरा मजा आया मुझे।”
चित्रा की ये बात सुन कर मैं हैरान सा हुआ। मैंने पूछा, “चित्रा ऐसा भी क्या बोलते हैं करते हैं अंकल?”
मेरे इस सवाल पर चित्रा कुछ नहीं बोली, बस मेरी और देखा और मुस्कुरा दी, जैसे कुछ सोच रही हो।
चित्रा की चुदाई तो हो ही चुकी थी। लक्ष्मी का जिक्र आने पर मेरी आंखों के आगे रह-रह कर काम वाली लक्ष्मी का सुन्दर चेहरा आ रहा था। मुझ से रहा नहीं गया और मैंने चित्रा से पूछ ही लिया, “चित्रा एक बात बताओ तुम्हारी ये नई कामवाली लक्ष्मी, बड़ी सुन्दर है ये, कामवाली तो लगती ही नहीं। ये कब से आनी शुरू हुई है? शारदा ताई नहीं आती अब?
चित्रा बोली, “राज मेरी युग की साथ शादी होते ही शारदा ताई ने काम छोड़ दिया था। शारदा ताई की सेहत अब अच्छी नहीं रहती। अब वो घरों में काम नहीं करती। ये लक्ष्मी शारदा ताई के बेटे बद्री की घरवाली है खाली हमारे घर ही काम करती है? बद्री अब हमारे यहां ही काम करता है। अंकल की गाड़ी बद्री ही ड्राइव करता है।”
पहली कामवाली शारदा को सब बच्चे शारदा ताई बुलाते थे। शारदा देस राज अंकल के घर बहुत सालों से काम करती थी। शारदा ताई का बेटा बद्री हमारे साथ ही पढ़ता था। लुल्लियों की पकड़न-पकड़ाई में बद्री भी हमारा साथी था। स्कूल के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी।
चित्रा बता रही थी , “अंकल ने बद्री को एक स्कूटी भी दिला दी है जो उसके पास ही रहती है। जिस दिन अंकल ने फार्म पर रुकना हो उस दिन बद्री स्कूटी से वापस आ जाता है। बद्री यहां भी आता रहता है। छोटा मोटा सामान, दूध सब्ज़ी, मीट, फार्म से यहां लाना या कुछ बाजार के काम। सुबह-सुबह अंकल को फार्म पर छोड़ बद्री ये सारे काम निपटाता है”I
मेरे मुंह से निकल गया , “बद्री की घरवाली और इतनी सुन्दर?” मैंने चित्रा से फिर पूछा, “चित्रा, ये लक्ष्मी तो बड़ी सुन्दर है। कामवाली तो लगती ही नहीं। और बद्री को ऐसी सुन्दर बीवी कहां से मिल गयी, और पढ़ी लिखी है क्या?”
जब मैंने दुबारा ये कहा, “काम वाली तो लगती ही नहीं ये” तो चित्रा फिर हंसी, “क्या हो गया राज? ज्यादा ही पूछ रहा है उसके बारे में? क्या हुआ, दिल आ गया क्या उस पर? चोदना है क्या उसे भी?”
“दिल आ गया क्या उस पर? चोदना है क्या उसे भी?” चित्रा की इस बात का मैंने कोइ जवाब नहीं दिया। चित्रा ही आगे बोली, “बद्री से ज्यादा पढ़ी हुई है ये लक्ष्मी। बद्री दसवीं पास है, ये लक्ष्मी बाहरवीं पास है। लक्ष्मी यहीं की, बाराबंकी की ही रहने वाली है। फिर खिलखिलाते हुए चित्रा बोली, “और बताऊं लक्ष्मी के बारे में?”
मैंने सकपकाते कर इधर-उधर देखते हुए कहा, “नहीं-नहीं, मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था। वैसे है तो कमाल ही। ऐसी सुन्दर लड़की से शादी हुई बद्री की।”
चित्रा वैसे ही हंसते हुए बोली, “कोइ बात नहीं, और भी बताती हूं इस सुन्दर लड़की लक्ष्मी की बारे में।”
चित्रा उसी लय में बोली, “लक्ष्मी रसोई का घर का सारा काम करती है। खाना बनाने से लेकर घर की साफ़-सफाई तक। बर्तन और कपड़े धोने के लिए अलग से एक कामवाली आती है। ये लक्ष्मी इन घर के कामों के अलावा कभी-कभी मेरी मालिश भी कर देती है, पूरे शरीर की मालिश।”
चित्रा फिर हंसी, “पूरा शरीर मतलब पूरा शरीर। ऊपर-नीचे, आगे-पीछे। कभी-कभी मालिश करते-करते ये शरारती भी हो जाती है और मेरी चूत में उंगली कर देती है। मैं समझ जाती हूं उस दिन इसका चूत चूसने का मन है। बस चूत चुसाई हो जाती ही और ये चूस कर मेरी चूत का पानी छुड़ा देती है।”
मैंने कहा, “मगर चित्रा, एक कामवाली से चूत चुसाई?”
चित्रा बोली, “तो इसमें क्या बुराई है राज? ये कोइ नई बात नहीं। घरों की औरतें अक्सर जवान कामवालियों से मालिश करवाते-करवाते इनसे चूत चुसवा कर मजे लेती हैं। अधेड़ उम्र की औरतों को ये चूत चुसवाने का चस्का जरा ज्यादा ही होता है। कभी-कभी तो ये अधेड़ उम्र की औरतें कामवालियों से चूत में कुछ ना कुछ डलवाती भी हैं। चूत चुसवाना तो कुछ भी नहीं।”
मैंने धीरे से पूछा, “चित्रा अगर ये बद्री की घरवाली लक्ष्मी तुम्हारी चूत चूसती है, फिर तो तुम भी चूसती होगी उसकी चूत?”
चित्रा बोली, “अब तक तो उसने चूत चूसने की लिए कहा नहीं, लेकिन अगर किसी दिन कहेगी तो चूस लूंगी। अपनी साफ़-सफाई अच्छे से रखती है। चूत की सफाई का भी ध्यान रखती ही होगी। ऐसी चूत चूसने में क्या हर्ज है। चूत चूसने का भी मजा लेना ही चाहिए, अब कोइ अपनी चूत तो चूस नहीं सकता। चूत चुसाई का मजा लेने के लिए तो कोई चूत भी तो होनी चाहिए।” ये कहते हुए चित्रा फिर हंस दी।
मेरे मुंह से निकल गया, “इसकी तो चूत भी बढ़िया होगी।”
ये सुनते ही चित्रा जो से हंसी और बोली, “ओये राज, फिर वही बात? क्या हुआ लगता है चोदने का मन आ ही गया है। करूं बात?”
चित्रा की इस बात का मैंने फिर भी कोइ जवाब नहीं दिया। वैसे अंदर ही अंदर मन तो हो रहा था लक्ष्मी को चोदने का।
मैंने कहा, “चित्रा, बद्री तो देखने में ठीक-ठाक है। अगर ये लक्ष्मी तुम्हारे साथ इतना खुली हुई है तो युग के चुदाई ना कर पाने के कारण तुम्हारा कभी बद्री से मेरा मतलब…।” मैंने बात बीच में ही छोड़ दी।
चित्रा बोली, “मैं तुम्हारी बात समझ गयी राज। देखो राज, अगर बद्री हमारे यहां नौकरी ना कर रहा होता और सिर्फ लक्ष्मी के पति की हैसियत से हमारे घर आता तो बात और होती। तब हो सकता है मैं इस बद्री चुदाई करवा भी लेती। मगर बद्री अब हमारे यहां नौकरी करता है। घर की औरतों को नौकरों से चुदाई का रिश्ता बनाने से बचना चाहिए। मालकिन की चुदाई करके अक्सर नौकर इधर-उधर शेखी बघारते हैं कि मैं अपनी मालकिन की चुदाई करता हूं। ये सब से ज्यादा बदनामी वाली बात हो सकती है।”
फिर चित्रा बोली, “और राज, जिस तरह की बढ़िया चुदाई अंकल मेरी करते हैं वैसी बढ़िया चुदाई मेरी कोइ क्या करेगा। अब तो किसी और से चुदाई करवाने का ख्याल भी मेरे मन में नहीं आता। मैं किसी और से चुदाई की बात सोचती भी तो नहीं।” फिर कुछ रुक कर हंसते हुए बोली, ” हां राज, ये बात तुम पर लागू नहीं होती, तुम जब चाहो आ कर मेरी ऊपर चढ़ सकते हो।”
जब चित्रा ने कहा “जिस तरह की चुदाई अंकल मेरी करते हैं वैसी बढ़िया चुदाई मेरी कोइ क्या करेगा” तो मैंने पूछा, “चित्रा बड़ी हैरानी की बात है। अंकल तो पचास बावन के होंगे। इस उम्र में ऐसे बढ़िया चुदाई कर लेते हैं वो, जैसी तुम बता रही हो?”
चित्रा हंस कर बोली, “बस इतनी सी बात पर हैरान हो रहे हो? वैसे भी मैं सोच ही रही थी कि तुम्हें दिखा ही दूं अंकल चुदाई की दौरान क्या-क्या करते हैं, क्या-क्या बोलते हैं। आज रात मेरी चुदाई होनी ही होनी है, तुम खुद ही देख लेना।”
“चुदाई के दौरान ना दरवाजा बंद होता है ना लाइट। दारू तो अंकल रोज ही पीते हैं। ज्यादा चुदाई के मूड में हों तो चुदाई से पहले कोइ गोली भी खाते हैं। फिर जो कुछ मेरी चुदाई के दौरान होता है – वो चुम्मा-चाटी, वो सिसकारियां, वो तरह-तरह से चुदाई, वो सब बताना मुश्किल है। वो सुनने की नहीं देखने की चीज़ है। देखने में ही मजा आएगा।”
ये सुनते ही मेरा लंड फिर खड़ा होने लग गया। जैसे ही मैंने लंड पेंट के अंदर ठीक किया, चित्रा हंस पड़ी, मगर बोली कुछ नहीं।
चित्रा मेरा लंड दबाते हुए बोली, “आज तो चार दिन हो गए अंकल ने मुझे नहीं चोदा। अंकल इतने दिन कभी मुझे चोदे बिना नहीं रहे। दारू तो अंकल पीते ही हैं, आज अंकल पक्का गोली भी खाएंगे चुदाई से पहले। तुम खुद ही अपनी आंखों से देख लेना अंकल क्या-क्या करते हैं, क्या-क्या बोलते हैं और कैसे-कैसे चूत चोदते हैं मेरी।”
मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। आखिर ऐसा भी क्या करते होंगे अंकल जो चित्रा इतना कुछ बता रही है। मैंने ही कहा, मगर चित्रा तुम्हारी और अंकल की चुदाई शुरू कैसे हुई। तुम कह रही हो ये चुदाई तुम्हारी मर्जी से शुरू नहीं हुई, पर तुम्हारी बातों से तो लगता है तुम इस चुदाई का खूब मजा ले रही हो।”
चित्रा बोली, “राज चुदाई कैसे शुरू हुई ये अलग बात है। असली बात ये है कि अगर चुदाई शुरू हो ही गयी है तो उसका पूरा मजा लिया जाए। मेरे लिए तो ये सीधी सी बात है अगर चुदाई युग से नहीं उसके पापा यानी अंकल से ही होनी है तो फिर यही सही। तुम बताओ ऐसे में मैं चुदाई का मजा क्यों ना लूं?”
मैंने सोचा बात तो चित्रा ठीक ही कर रही है। जब पति ही युग त्रिपाठी की तरह का गांडू निकले और पत्नी के चुदाई ना करे तो फिर पत्नी करे भी तो क्या करे।
फिर चित्रा बोली, “असल में तो राज, ऐसा नहीं की युग नामर्द है। कहने का मतलब युग का लंड किसी काम का नहीं या लंड खड़ा नहीं होता। युग का लंड थोड़ा छोटा जरूर है, मगर अब मैं ये भी जानती हूं कि आम तौर पर यहां लड़कों के लंड उसी साइज़ के होते हैं। इस लिए अब मुझे युग के लंड के साइज़ से कोइ शिकायत नहीं। युग में सब कुछ है बस चूत चोदने की इच्छा ही नहीं है।”
मैंने फिर पूछा, “लेकिन चित्रा, ये सब शुरू कैसे हुआ?”
चित्रा बोली, “ओह राज इसका मतलब तुम्हें शुरू से ही पूरी बात बतानी पड़ेगी।”
फिर चित्रा ने युग के साथ अपनी अधूरी चुदाई की अपनी पूरी कहानी सुनानी शुरू कर दी।
— चित्रा की युग के साथ सुहागरात से अंकल से चुदाई की कहानी
चित्रा मुझे बताने लगी, “शादी तो हमारी हो गयी और हम यहां बाराबंकी आ गए। चाची भी हमारे साथ ही आयी। शादी की पहली रात चाची ने ही हमारा कमरा सजा दिया। सोच रही होगी उसके भतीजे भतीजी की सुहागरात है। उसके भाई का मर्द बेटा युग उसके जेठ की नाजुक जवान बेटी चित्रा की कुंवारी सील बंद चूत का बैंड बजायेगा।”
चित्रा ने लड़कों की तरह मेरी टांग पर हाथ मारा और हंसते हुए बोली, “घंटा बैंड बजायेगा सील बंद चूत का।”