अब साहिल, अशोक, जनक के साथ साथ गणेश भी मुकुल को चोदता था। अब जब भी मुकुल का किसी से चुदवाने का मन करता वो उसको बुलवा लेती।
मुकुल को सब से ज्यादा मजा साहिल और गणेश के साथ ही आता। दोनों बड़ी बेरहमी से मुकुल को चोदते थे – रगड़ रगड़ के। लेकिन मुकुल को भी ऐसी ही चुदाई में मजा आने लगा था।
इन सब के बीच में कभी कभी मुकुल रबड़ के लंड का भी मजा ले लेती थी।
वक़्त बढ़िया गुजर रहा था I अब अगले हफ्ते विपिन भी आने वाला था – दिसम्बर, जनवरी की दो हफ्ते की छुट्टियों में ।
मुकुल यही सोचती रहती थी विपिन को कैसे पटाना है। “एक बार विपिन का ‘खास’ लंड ले कर देखें तो सही, भावना तो बड़ी तारीफ कर रही थी विपिन के लंड की “।
विपिन आ गया।
रामजी ने खाली यही पूछा, “कितने दिनों के लिए आये हो विपिन “?
विपिन ने भी बस इतना ही बोला, ” तेरह दिन की छुट्टियां हैं भैया फिर एक्स्ट्रा क्लासिज हैं। तीन चार दिन के लिए नॉएडा जाऊंगा महेश भइया के पास”।
रामजी बोला, “एक काम करो, नॉएडा पहले हो आओ। अगले हफ्ते मेरा सूरत के साथ साथ विशाखापट्टम का भी प्रोग्राम है। वहां के रेशम के कपड़े की मांग बढ़ रही है। इस बार पांच छः दिन लग जाएंगे”।
मुकुल ने सोचा विपिन भावना को चोदेगा इस बार तो – पक्का। साथ ही रामजी के के सूरत और विशाखापट्टम के इन दिनों के प्रोग्राम ने उसकी अपनी चूत में खुजली मचा दी।
विपिन नॉएडा चला गया था – तीन चार दिन के लिए।
वैसे तो लक्ष्मी नगर से नॉएडा 20 किलोमीटर ही है, लेकिन महेश को लगता है कि विपिन उसके पास क्यों नहीं रुकता।
भावना का फोन तो लगभग रोज़ ही एक बार आ जाता था मुकुल को। विपिन के जाने के अगले दिन आया फोन आया तो मुकुल ने पूछ ही लिया, “भावना, विपिन से चुदाई हुई या नहीं अभी”।
भावना बोली, “अभी नहीं जीजी। कल तो विपिन सीधा महेश के ऑफिस ही चला गया था, आज भी ऑफिस ही गया हुआ है। लेकिन जीजी इतना बोल गया है कि कल घर पर ही रहेगा ” और फिर भावना बोली “और जीजी, ये कहते वक़्त वो मेरी चूत की तरफ देख रहा था “।
मुकुल बोली, “तो भावना, कल चुदाई पक्की “?
“जीजी लग तो रहा है “।
सीधी मुकुल ने भावना से पूछा, “भावना मुझे बता मैं कैसे पटाऊं विपिन को “?
भावना बोली, जीजी अगर कल विपिन मुझे चोदता है तो बोलने को तो मैं भी बोल सकती हूं, कि आप की भी चुदाई कर ले। मगर मुझे लगता है इतनी जल्दी भी खुलना ठीक नहीं। आप आते जाते उसे हाथ लगाओ, देखो वो भी आप को हाथ लगाता है ? जीजी आप के पास तो विपिन दो हफ्ते रहेगा, मौक़ा मिल ही जाएगा “।
मुकुल बोली, भावना, तुझे मालूम है रामजी इसी हफ्ते के आखिर में छः सात दिनों के लिए के लिए बाहर जा रहा है। इसी लिए उसने विपिन को इस बार पहले नॉएडा जाने के लिए बोला”।
भावना ने कहा, “लो जीजी, फिर क्या है। फिर तो मौक़ा ही मौक़ा। अगर विपिन से आपका फिट हो गया तो एक दिन मैं भी आ जाऊंगी रात रहने। इक्क्ठे चुदवायेंगी अपने इस बीस साल के देवर से”।
मुकुल हंसी, “ठीक है भावना, मजा आ जायेगा। चलो फिर, कल फोन करके बताना की क्या हुआ। तुम्हारी लाटरी लगी या नहीं “।
शाम तक भी भावना का फोन नहीं आया। अगले दिन मुकुल ने भावना को फोन किया तो पता चला कुछ नहीं हुआ।
उससे अगले दिन विपिन वापस आ गया, बिना भावना को चोदे। मौक़ा ही नहीं मिला। अब जो कुछ करना था मुकुल को ही करना था।
अगले दिन रामजी की फ्लाइट थी विशाखापट्टम के लिए। उस दिन की रात और अगला दिन तो ऐसे ही निकल गया। रामजी जा चुका था।
मुकुल से रहा नहीं जा रहा था। भावना का भी फोन आया था, वो भी विपिन से चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी।
भावना अपने आप से गुस्से से बोली, “इस खस्सी महेश ने तो इस बार विपिन का पीछा ही नहीं छोड़ा”।
उधर मुकुल अब एक दिन और नहीं रुकना चाहती थी। रामजी घर नहीं था। उसे उसी दिन चुदाई चहिये थी विपिन से। मुकुल की चूत पानी पानी हुई पड़ी थी।
दिसंबर का आख़री हफ्ता था, सर्दी चरम पर थी। मुकुल ने मैक्सी डाली हुई थी। नीचे ना ब्लाउज ना चड्ढी।
कमरे का हीटर चलाया हुआ था और तीन सीट वाले लम्बे सोफे पर कम्बल ले कर अधलेटी पसरी हुई टीवी देख रही थी। विपिन छोटे सोफे पर बैठा था।
विपिन को सामने देख कर मुकुल की चूत से नमकीन पानी के फव्वारे छूट रहे थे।
मुकुल ने विपिन को बोला, “विपिन कम्बल में आ जाओ, सर्दी बड़ी है। अभी तो सात ही बजे है, डिनर में तो अभी टाइम है।
विपिन मुकुल के पैरों की तरफ कम्बल में आ गया। मुकुल और विपिन की टांगें एक दुसरे की टांगों में उलझी हुई थी।
क्या विपिन भी चुदाई करना चाहता था ? या रिश्तों की एक झिझक मुकुल और विपिन को रोक रहे थी।
विपिन और मुकुल दोनों ही टांगें इधर उधर कर रहे थे। मुकुल चाह रही थी की इसकी टांग विपिन के लंड को छूए तो देखें विपिन की क्या प्रतिक्रिया होती है। या विपिन किसी तरह मुकुल की चूत को अपने पैर से छू ले तो फिर मुकुल आगे बढ़े।
मुकुल के हाथ तो अंदर ही थे। मुकुल ने धीरे धीरे कर के मैक्सी ऊपर कमर तक खींच ली और टांगें फैला ली जैसे लंड डलवाने के लिए तैयार हो । टांगें नंगी थीं और ये तो विपिन को भी पता चल रहा होगा।
मुकुल को लगा विपिन अपने पैर आगे आगे कर रहा है। मुकुल थोड़ा और नीचे खिसक गयी। विपिन का पैर अब मुकुल की नंगी चूत से कुछ ही दूर था। अगर विपिन अपने टांग को थोड़ा सीधा करता तो, पैर सीधा की चूत को छू लेता।
विपिन ने वही किया। विपिन ने पैर थोड़ा थोड़ा आगे सरकाया और उसके पैर का अंगूठा मुकुल की चूत के साथ सट गया। चूत तो बाहर तक गीली थी। मुकुल के शरीर में एक करंट दौड़ गया।
विपिन समझ गया की पैर कहां है और किसको छू रहा है I उसने पैर का अंगूठा ऊपर नीचे हिलाया और अनजान बनते हुए पूछा, “भाभी मेरे पैर को ये गीला गीला क्या है – कम्बल गीला है क्या “?
मुकुल ने सोचा बहुत हो गई लुक्का छिप्पी।
मुकुल ने कहा,” गीला ? नहीं गीला तो नहीं है विपिन “।
विपिन ने फिर अपने पैर का अंगूठा हिलाया। अंगूठा बिलकुल चूत की फांक के अंदर था।
मुकुल ने बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी रोकी। विपिन बोला “भाभी कुछ तो है। मुझे गीला गीला लग रहा है”।
मुकुल बोली ”तो देख क्यों नहीं लेता”। मुकुल के इतना कहने की देर थी कि विपिन ने कंबल नीचे फेंक दिया।
विपिन के पैर का अंगूठा मुकुल की चूत में ही था।
मुकुल ने विपिन का पैर पकड़ा और जोर जोर से चूत में ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। साथ ही सिसकारी ली “आआह विपिन”।
विपिन का लंड भी खड़ा हो गया। विपिन ने मुकुल को सोफे पर ही लिटाया और छूट की फांकें खोल दी। गुलाबी चूत विपिन के आँखों के सामने थी।
विपिन ने कई लड़कियां चोदी थी, मगर इतनी तसल्ली से कभी चूत नहीं देखी थी। गुलाबी रंग। ऊपर चूत का दाना। विपिन ने मुकुल की गीली चूत के गीले चिकने दाने पर उंगली फेरी तो मुकुल की सिसकारी निकली आअह विपिन “I
चूत के बीचो बीच छेद जिसमें लंड डाल कर ज़िंदगी का सब से बड़ा मजा लिया जाता है। जिस मजे के लिए लोग इतने पापड़ बेलते हैं – विपिन के सामने था।
विपिन बार बार चूत को किस कर रहा था – चूम रहा था – चूस रहा था।
मुकुल ने पूछा, “क्या हुआ विपिन ऐसे क्यों कर रहे हो जैसे पहली बार चूत देखी है”?
विपिन बोला, “भाभी चूतें देखी भी बहुत हैं, चोदी भी बहुत हैं, लेकिन इस तरह से नहीं। वहां तो ये होता है की अगर ऊपर लेट कर चुदाई करनी है तो लड़की नीचे अपनी उंगलियों से चूत की फांकें खोल कर लंड को जन्नत का रास्ता बता देती हैं”।
“और भाभी अगर पीछे से घोड़ी बना कर चुदाई करनी हो तो लड़का हाथ के अंगूठों से चूत चौड़ी करके लंड अंदर डाल देता”।
“गुलाबी चूत का नजारा करने और इस रह चूमने चूसने की तो फुर्सत ही नहीं होती”।
मुकुल हंस कर बोली, “अच्छी तरह देख ले विपिन। इसी चूत को तूने इस बार चोद चोद कर गुलाबी से लाल कर देना है “।
विपिन ने चूत के छेद में अपनी उंगली डाल दी। मुकुल ने विपिन का हाथ पकड़ लिया – “आअह विपिन जरा अंदर उंगली टेढ़ी कर के हिला”।
मुकुल जब उंगली से चूत का मजा लेती थी तो ऐसे ही करती थी। सारी लड़कियां ही ऐसा करती हैं।
विपिन ने उंगली टेढ़ी की और अंदर बाहर करने लगा। मुकुल की सिसकारियां बढ़ती जारही थी “आअह आअह विपिन मजा आ रहा हैं। विपिन बस कर अब डाल लंड चूत में।
विपिन ने सोफे की गद्दी मुकुल के चूतड़ों के नीचे रक्खी, टांगें फैलाई थोड़ी और ऊपर की तो गांड का छेद भी आँखों की सामने आ गया। विपिन ने एक बार छेद को चाटा तो मुकुल ने जोर से चूतड़ हिलाये – जरूर मजा आ रहा होगा।
अब विपिन से नहीं रहा जा रहा था। उसने लंड को चूत के छेद पर रक्खा और लंड एक ही झटके से फच्च की आवाज के साथ अंदर बिठा दिया।
मुकुल को तो जैसे जन्नत मिल गयी। उसने विपिन को अपनी बाहों में भींच लिया और बोली, “चल विपिन अब चोद”।
विपिन ने ने भी भाभी को बाहों में ले लिया और ज़बरदस्त धक्के लगाने लगा।
तभी मुकुल विपिन के कान में बोली, “विपिन अंदर बेड पर चलते हैं। अच्छे से खुल के चुदाई करेंगे”।
विपिन ने बोला “ठीक हैं भाभी” और वो मुकुल की चूत में से लंड निकाल कर खड़ा हो गया।
मुकुल ने एक नजर विपिन के लंड को देखा – एक दम बांस के डंडे की तरह सीधा खड़ा था। मुकुल ने एक बार विपिन का लंड मुंह में लिया और उठ गयी।
दोनों कमरे में आ गए।
मुकुल बोली “विपिन तू लेट जा मैं थोड़ा तेरा लंड चूसूं”।
विपिन लेट गया। सच ही विपिन का लंड ख़ास था। लम्बा मोटा और सुपाड़ा फूला हुआ।
मुकुल ने लंड मुंह में लिया चूसते चूसते होंठ टाइट कर के लंड मुंह से बाहर निकला। सुपाड़ा बाहर निकलते वक़्त होंठ खुल गए और जब सुपाड़ा पूरा बाहर निकला तो होंठ बंद हो गए “पप्प” की आवाज के साथ।
कुछ देर मुकुल यही करती रही।
मुकुल की चूत लंड मांग रही थी।
मुकुल ने विपिन ने कहा “विपिन चलो अब चोदो – मगर थोड़ा अलग तरीके से”।
अलग तरीके से ? कैसे भाभी”? विपिन ने पूछा।
मुकुल ने कहा “अपना पूरा लंड चूत से निकल कर चूत में डालो। जब तुम्हारे लंड का फूला सूपड़ा चूत के छेद को चौड़ा करता हुआ बाहर निकलेगा “पप्प” की आवाज के साथ ….. आह क्या मजा आएगा”।
विपिन को अपने लंड की इस खासियत का पता था। लड़कियां उसे अक्सर ऐसे ही चोदने के लिए बोलती थीं।
विपिन ने कहा, “फिर तो भाभी ऐसे सीधे लेट कर चुदाई नहीं हो पाएगी। इस तरीके से लम्बा लंड पूरा बाहर निकालना मुश्किल होता है।आप बेड के किनारे पर लेट जाईये और टांगें उठा कर चौड़ी कर लीजिये। मैं खड़ा हो कर आप की चुदाई करूंगा”।
मुकुल बोली, “कैसे भी कर विपिन, बस मजा दे आज -जन्नत दिखा दे”।
मुकुल चूतड़ बेड के किनारे पर चूतड़ टिका कर लेट गयी।
विपिन ने मुकुल की गांड के नीचे तकिया रक्खा, चूत ऊपर उठाई, लंड एक ही बार में फच्च की आवाज के साथ पूरा चूत के अंदर बिठा दिया।
मुकुल की सिसकारी निकली “आआआह विपिन”।
विपिन ने चुदाई शुरू कर दी – पूरा लंड बाहर निकाल कर एक झटके के साथ चूत में पेल रहा था। मजे के मारे मुकुल के चूतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे।
पंद्रह बीस मिनट की चुदाई के बाद आआह उउउउह की आवाज के साथ दोनों का पानी निकल गया।
विपिन कुछ देर ऐसे ही खड़ा रहा फिर लंड निकाल कर सोफे पर बैठ गया।
मुकुल ऐसे ही लेटी हुई थी। चूतड़ों के नीचे तकिया। टांगें उठी हुई और चौड़ी की हुई।
विपिन को मुकुल की चूत दिखाई दे रही थी साथ ही नीचे गांड की लाइन मस्त कर रही थी।
मुकुल की चूत से थोड़ा थोड़ा सफ़ेद पानी रिस रिस कर नीचे गांड की तरफ जा रहा था।
इस नज़ारे ने विपिन को मस्त कर दिया। उसका लंड फिर खड़ा हो गया। विपिन जा कर मुकुल के पीछे खड़ा हो गया और लंड मुकुल के चूतड़ों पर फेरने लगा।
मुकुल की आँखें मस्ती से बंद थी। आँखें खोल कर विपिन की तरफ देखा और पूछा, “क्या हुआ विपिन , फिर चोदने का मन आ गया क्या”।
विपिन बोला, “भाभी अब गांड चोदनी है”।
मुकुल बोली, “तो फिर चोद – आजा – सोच क्या रहा है “।
जैसे मुकुल लेटी हुई थी चूत का छेद विपिन के लंड के बिलकुल सामने था मगर गांड का छेद कुछ नीचे था।
विपिन ने मुकुल के चूतड़ों के नीचे एक तकिया और रखा और चूतड़ ऊपर उठा दिए। अब गांड का छेद लंड के बिलकुल सामने था।
विपिन ने अपने हाथ से मुकुल की चूत से निकल रहा चिकनाई वाला सफ़ेद पानी पोंछा और गांड के छेद पर और अपने लंड पर मल दिया। फिर थोड़ा थूक भाभी के गांड के छेद पर लगाया।
विपिन ने लंड का मोटा सुपाड़ा गांड के छेद पर रखा और अंडर धकेला। मोटा सुपाड़ा गया नहीं। विपिन ने थोड़ा थूक और लगाय। मगर सुपाड़ा फिर भी नहीं गया – कैसे जाता ? मोटा ही इतना था।
मुकुल का मन तो चाह रहा था की विपिन को जैल ला कर दे जो साहिल यहां छोड़ कर जाता है मुकुल की गांड चोदने के लिए।
मगर फिर सोचा विपिन ये ना सोचे ये मेरी ये भाभी तो चुदकक्ड़ है।
मुकुल बोली, “विपिन, तेरा लंड मोटा है नहीं जा रहा, मुझे भी दर्द कर रहा है। तेरे लंड की मलाई से अभी भी भरी पड़ी है मेरी चूत। मैं थोड़ा जोर लगा कर निकलती हूं। तू लेसदार पानी मेरी गांड गांड के छेद पर लगा। गांड छेद चिकना हो जाएगा फिर डाल लंड”।
विपिन ने हाथ मुकुल की चूत की पीछे रखा I मुकुल ने हल्का नीच की जोर लगाया। फर….फर करके ढेर सारा चिकना पानी विपिन के हथेली पर आ गया।
विपिन ने सोचा इतने लेसदार पानी तो एक गांड क्या चार गाँडों को चोदा जा सकता है।
विपिन ने खूब सारा सफ़ेद पानी अपने लंड पर लगाया, ढेर सारा मुकुल की गाड़ के छेद पर और पहले एक उंगली से गांड के अंदर लगाया, फिर दो उंगली डाल दी। दो उंगली जाते ही मुकुइल जोर से चिल्लाई “आआह विपिन क्या कर रहा है ऐसे ही मजा आ जाएगा। डाल दे अब विपिन नहीं रहा जा रहा। खोल मेरी गांड को ….आआह”।
ऐसी कामुक सिसकारियां विपिन ने कभी नहीं सुनी थीं।
“ले भाभी ले” और उसने सुपाड़ा अंदर कर ही दिया। मुकुल थोड़ा आगे की तरफ हुई। विपिन ने लंड एक बार फिर बाहर निकाला। मुकुल की चूत से बचा खुचा पानी हाथ में लिया – लंड और गांड के छेद पर मला और लंड अंदर डाल दिया।
विपिन का लंड भाभी की गांड में जड़ तक बैठ गया।