इस भाग में – सपना मेहता और उसके पति सुमित मेहता की सेक्स ग्रुप में एंट्री।
सपना बता रही थी की अपने पति सुमित की चूत चुदाई की कमी कैसे पूरा करती है।
सपना ने जवाब दिया, “ऐसा है जस्सी तुम तो जानती ही हो लड़के जब इक्क्ठे होते हैं तो उल्टी सीधी हरकतें करने से शर्माते हैं – मतलब लंड छूना, चूतड़ दबाना वगैरा – लेकिन लड़कियां ये सब करते नहीं शर्माती “।
“दो अजनबी लड़कियां इक्क्ठे नहा भी लेती हैं, इक्क्ठे सो भी जाती हैं मगर लड़के ऐसा करने में हिचकिचाते हैं “।
अब सपना अपनी आपबीती सुना रही थी कैसे वो और सुमित उस सेक्स ग्रुप में शामिल हुए जिस सेक्स ग्रुप की ये पूरी कहानी है — ”
“मैं एक किट्टी पार्टी की मेम्बर हूं। जस्सी तुझे तो पता ही होगा कि इन किट्टी पार्टियों में मजे कि लिए ऐसी लड़कियां ऐसी सेक्सी हरकतें करती हैं कि क्या बताऊं – कई बार तो तभी की तभी चूत चुदवाने का मन होने लगता है।”।
उस किट्टी में दो लड़कियां हैं रश्मि और रेनू। दोनों मुझे पहले से जानती हैं। मेरी सहेलियां हैं और अक्सर हम आपस में मिलती भी रहती हैं।
वो जब भी मिलती हैं अक्सर वो दोनों एक दुसरे को – और मुझे भी – इधर उधर छूती हैं – साफ़ बताऊं तो चूतड़ों पर, गालों पर। कभी चूचियों पर भी।
मुझे हमेशा बड़ा अजीब लगता था।
एक दिन वो दोनों हमारे घर आयी। दोपहर का टाइम था। सुमित काम पर गया था। वो दोनों रश्मि और रेनू फिर मुझे इधर उधर छूने लगीं।
मना तो मैं करती ही नहीं थी। दोनों मेरी तरह लड़कियां ही तो थी – मना भी करती तो क्या कहती। उलटा मुझे उनका मेरे चूतड़ों, गालों और चूचियों को छूना अच्छा भी लगता था और मजा भी आता था।
मगर उस दिन तो वो मुझे कुछ ज़्यादा ही छू रही थीं – चूचियों पर, चूतड़ों पर, यहां तक कि चूत पर भी।
जब हम बैठी गप शप कर रहीं थीं, कि अचानक रश्मि ने चेहरा पकड़ा और मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए। घर में चड्ढी तो मैं डालती नहीं। रेनू मेरी चूत कि लाइन ढूंढ कर उसमें अपनी उंगली ऊपर नीचे करनी शुरू कर दी।
मैंने कहा, “रेनू ये क्या कर रही हो”। रेनू बिना हिचकिचाहट के बोली, “क्यों मजा नहीं आ रहा?
मैंने भी कहा “सवाल मजे का नहीं ? मगर तुम …… मेरा मतलब लड़कियां लड़कियां ……मजे लेने के लिए मर्द भी तो हैं। मेरा सुमित, तुम्हारे अनूप और राजन”I
अब जो रश्मि ने मुझे बताया वो कमाल था।
रश्मि बोली, “सपना मर्द तो हमारे हैं, मगर अधूरे मर्द हैं चुदाई करते हैं मगर रगड़ कर नहीं करते “।
सपना ने कहा, “जस्सी मुझे सुमित की दुसरे मर्दों में दिलचस्पी वाली बात ध्यान में आ गयी। मैंने सोचा तो क्या रश्मि और रेनू के पति भी वैसे ही हैं हेटेरोसेक्सुअल “?
फिर भी मैंने उनसे पूछा “अधूरे मतलब” ?
रश्मि ने जवाब दिया, “अरे, बताया तो है अधूरे – मतलब चुदाई तो करते है रगड़ाई नहीं करते। रगड़ रगड़ कर चूत नहीं चोदते”।
मैं हैरान हो रही थी की ये रगड़ कर चुदाई मतलब ?
चुदाई तो चुदाई ही है। लंड चूत में गया। मर्द ने धक्के लगाए लड़की की चूत पानी छोड़ गयी – उसे मजा आ गया और उसके बाद मर्द का पानी छूटा – चुदाई पूरी हो गयी।
जब मैंने ये बात रश्मि से कही तो रश्मि ने कहा, “सपना तुमने वो रगड़ाई वाली चुदाई देखनी है या करवानी है “?
सपना मुझे सुना रही थी, “जस्सी मैंने शादी से पहले भी चुदाई करवाई थी, मगर शादी के बाद ये सब ? गैर मर्द से चुदाई “?
मैंने रश्मि को कोइ जवाब नहीं दिया। रश्मि रेनू से बोली, “रेनू, सपना शर्मा रही है। इसे एक बार वो चुदाई दिखा देते हैं I जब देख लेगी, उसके बाद पूछेंगे”।
रेनू ने भी कहा “ठीक है मैं फोन करके टाइम लेती हूं”।
रेनू ने मोबाइल से किसी को फोन किया और बात करने के बाद बोली “परसों दोपहर को चलेंगे। वो दोनों ही आ जायेंगे”।
मैंने रश्मि और रेनू से पूछा कहां चलेंगे, और कौन हैं वो दोनों जो आ जायेंगे।
रेनू बोली, “सपना ये सरप्राईज़ है। बस तुम परसों दोपहर तैयार रहना। मैं तुम्हें लेने आ जाऊगी” I
फिर रेनू रश्मि से बोली “रश्मि तुम सीधे ही अमृता के घर पहुंचना, मैं सपना को ले कर आऊंगी”।
” जस्सी मैं हैरान हो रही थी कि ये हो क्या रहा है। लेकिन अब मैं भी सोचने लगी, कि देखें तो सही ये दोनों, रश्मि और रेनू क्या दिखाने वाली हैं”।
सपना ने बात जारी रक्खी, “तीसरे दिन रेनू पूरे बारह बजे आ गयी। जींस और टी शर्ट में। चूचिया और चूतड़ ऐसे दिख रहे थे जैसे कालेज कि लड़की के होते हैं। जहां जाना था वो जगह पास ही थी न्यू शिमला में”।
“शिमला जैसे पहाड़ी जगहों पर जहां आना जाना पैदल ही होता है लोगों कि जान पहचान भी आस पास के लोगों से होती है”। पंद्रह मिनट में हम उस घर में पहुंच गए।
रश्मि पहले से ही वहां थी। रश्मि के अलावा दो लड़कियां और दो आदमी भी वहां थे। अच्छे दिख रहे थे – सुन्दर और आकर्षक I
रेनू ने घर के अंदर पहुँचते ही उन लोगों से परिचय करवाया – सपना ये है जुगल और ये उसकी बीवी अमृता। ये इनका ही घर है। और ये हैं संदीप और ये उसकी बीवी पूनम।
“लड़कियां सुन्दर थीं। लड़के मस्त थे” I
कुछ देर सब इधर उधर की बात करते रहे। तभी पूनम और अमृता ने एक दूसरी को कुछ इशारा किया। दोनों उठ कर दूसरे कमरे में चलीं गयीं।
अब ड्राइंग रूम में मैं थी, रश्मि थी, रेनू थी और वो दोनों थे – संदीप और जुगल।
रश्मि बोली चलो कमरे में बैठते हैं आराम से।
हम पांचों दूसरे कमरे में चले गए। बीच में एक बड़ा डबल बेड था और एक तरफ तीन सीट का लम्बा सोफा पड़ा था। मैं रश्मि और रेनू सोफे पर बैठ गए। जुगल और संदीप बेड पर बैठ गए।
ड्राइंग रूम से बेड रूम में आना मेरे शक को हवा दे रहा थी कि कुछ तो होने वाला है।
अब लड़के लड़कियों में “कुछ” क्या होता है – चुदाई ही होती है।
पूनम और अमृता के अचानक बिना किसी को कुछ बताये दूसरे कमरे में जाने और उस कमरे का दरवाजा बंद करने के बाद मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी I
मैं अभी सोच ही रही थी कि अब ?
तभी रश्मि और रेनू उठी और जा कर संदीप और जुगल के पास जा बेड पर जा कर बैठ गयी।
मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रहे थी। मुझे कुछ अंदेशा तो हो चुका था कि रश्मि और रेनू अब संदीप और जुगल कि साथ कुछ करेंगी – क्या चुदाई करेंगी ? क्या संदीप और जुगल से चूत चुदवायेंगी ?
जिस तरह पूनम और अमृता उठ कर गयी थीं अब यही होना रह गया था।
मेरी नजर उन चारों से हट नहीं रहे थी। अब तो मैं भी सोचने लगी देखें क्या होता है।
जुगल और संदीप रेनू और रश्मी की जांघों पर हाथ फेर रही थे। रेनू और रश्मि दोनों कि लंड सेहला रही थीं।
मतलब चुदाई ही होनी थी।
मेरी चूत भी गीली गीली सी होने लगी।
रेनू और रश्मि ने एक बार संदीप और जुगल की तरफ देखा और फिर उनके लंड पकड़ लिए।
ये इशारा था। संदीप और जुगल ने लंड पैंटों में से निकाल लिए। क्या मोटे लंड थे। दोनों खड़े हुए और रेनू और रश्मि दोनों को सोफे पर ले आये – मेरे पास ही।
संदीप और जुगल ने सोफे पर पास पास बैठी रेनू और रश्मि कि मुंह में लंड डाल दिए। संदीप का लंड रेनू कि मुंह में था और जुगल का रश्मि कि मुंह में।
कुछ देर तक रश्मि और रेनू उनके लंड चूसती रहीं। देखने से ही लग रहा था कि दोनों कि लंड सख्त हो चुके थे।
जुगल ने रश्मि को उठाया और बेड की तरफ ले गया I
जुगल ने रश्मि के चूतड़ों के नीचे मोटा तकिया रख कर रश्मि की चूत को ऊपर उठा दिया। टांगें चौड़ी करके जुगल ने लंड रश्मि की चूत के छेद पर रक्खा और एक ही बार में लंड जड़ तक चूत के अंदर बिठा दिया। रश्मि जरा सी कसमसाई और अपनी टांगों से जुगल को जकड़ लिया। जुगल ने भी रश्मि के नीचे से बाहें कर के रश्मी को अपने साथ चिपका लिया।
इधर संदीप ने रेनू को सोफे हत्थे पर बाहर कि तरफ घोड़ी कि तरह खड़ा कर दिया। रेनू का सर सोफे के हत्थे पर था और चूतड़ पीछे कि तरफ। संदीप ने रेनू की चूत का छेद चौड़ा किया और लंड फच्च से अंदर डाल दिया – पूरा – टट्टों तक। एक सेकेण्ड भी बर्बाद ना करते हुए संदीप ने ज़बरदस्त धक्के लगाने शुरू कर दिए।
रश्मि और रेनू की चुदाई चालू हो गयी थी।
दोनों इतनी जोर जोर से चुद रहीं थी की मुझे भी देख कर हैरानी हो रही थी।
संदीप ने रेनू को कमर से इतनी टाइट पाकड़ा हुआ था की लम्बे धक्कों के बावजूद संदीप रश्मि को हिलने नहीं दे रहा था।
कुत्ता कुतिया को चोदते वक़्त यही करता है। अपनी अगली टांगों में कुतिया को जकड़ लेता है। कुतिया नीचे हिल भी नहीं सकती चाहे उसकी चूत ही क्यों ना फट जाए।
उधर यही हाल रश्मि का था। जुगल के चूतड़ ही ऊपर नीचे होते दिख रहे थे। रश्मि को जुगल ने कस के बाहों में जकड़ा हुआ था। रश्मि ने भी अपने टांगें जुगल की कमर में कैंची की तरह डाल रक्खी थीं। बिना रुके धक्के लग रहे थे – नॉन स्टॉप।
कमाल की चुदाई हो रही थी। जल्दी ही रश्मि ने अपने चूतड़ घूमने शुरू कर दिए। उधर रेनू भी अपने चूतड़ आगे पीछे कर रही थी। दोनों को मजा आने वाला था – झड़ने वाली थीं दोनों।
रेनू और रश्मि झड़ गयी। जुगल अभी भी रश्मि के ऊपर लेटा हुआ था और संदीप रेनू की चूत में लंड डाले ऐसे ही उसके चूतड़ों के पीछे खड़ा था।
संदीप और जुगल दोनों ने लंड रश्मि और रेनू की चूत में से निकाल लिए और सोफे के पास आ कर खड़े हो गए।
मैं सोच रही थी अब क्या होने वाला है। रश्मि और रेनू की चुदाई तो हो चुकी थी – वो बात अलग थी की संदीप और जुगल के लंड अभी भी खम्बे की तरह खड़े थे।
रश्मि और रेनू दोनों सोफे पर मेरे साथ ही बैठ गयी। संदीप और जुगल उनके सामने आ कर खड़े हो गए। खड़े लंड वो रेनू और रश्मि की चूचियों पर मल रहे थे।
बीच बीच में रेनू और रश्मि उनके लंड मुंह में भी ले लेती थीं।
संदीप और जुगल ने जैसे ही लंड पकड़ कर मुठ मारी शुरू की, रेनू और रश्मि ने उनके हाथों से लंड पकड़ लिए और मुठ मारने लगीं । रश्मि जुगल के लंड को आगे पीछे कर रही थी और रेनू संदीप के लंड को।
मैं हैरान थी की ये क्या कर रही हैं ।
जब रेनू और रश्मी की चूत ने अभी अभी पानी छोड़ा था तो इन दोनों लड़कों ने उनकी चूत को अपने गरम पानी से क्यों नहीं भरा।
दोनों संदीप और जुगल ऊंची आवाज में सिसकारियां ले रहे थे।
आअह रेनू और जोर से …..आअह रश्मि मजा आ गया।
जरूर उनकी सिसकारियों की आवाजें दूसरे कमरे तक जा रही होंगी ।
अमृता और पूनम भी वहीं आ गयी और ये नजारा देखने लगीं ।
दोनों साथ साथ अपने चूचियों के निप्पल मसल रहीं थीं।
मेरी अपनी हालत खराब थी। चूत पानी पानी हुई पड़ी थी। मुझे अब लंड की तलब हो रही थी।
जल्दी ही मुठे मारते मारते संसदीप और जुगल के लंडों में से सफ़ेद पानी की धार निकली और रेनू और रश्मी की चूचियों पर फ़ैल गयी।
रेनू और रश्मि ने हाथ से सारा वीर्य अपनी चूचियों पर मल लिया और हाथ को चाट चाट कर साफ़ कर लिया।
मैं हैरान थी की सब कुछ अमृता और पूनम के सामने हो रहा है, और वो मजे से देख रहीं हैं।
संदीप और जुगल के लंड बैठ चुके थे। वो वापस गए और बेड पर जा कर बैठ गए।
रेनू ने मुझसे पूछा “सपना देखी चूत की रगड़ाई ? अब समझ आया चुदाई और रगड़ाई का फरक ”
रश्मि मुझे बोली, “सपना करवानी है ऐसे रगड़ाई इनसे – दोनों से। मजा आ जाएगा तुम्हें”।
बदले में पूनम और अमृता बोली, “अरे पूछना क्या। अब तक तो इनकी चूत लंड मांग रही होगी”।
मेरी बोलती बंद थी। मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर पहुंच गया।
रेनू और रश्मि बोली “चलो हम जा कर अपना काम करते हैं। सपना को मजे लेने दो। पहला दिन है, अकेले में चुदवाने दो”।
रेनू, रश्मि, पूनम और अमृता चारों साथ लगते कमरे में चली गयीं।
उस कमरे मैं रह गयी मैं, अकेली चूत और दो मोटे लम्बे लंड।
एक गाये, दो सांड।
पहले जुगल ही मेरे सामने आया। लंड मेरे मुंह के आगे हिलाने लगा। अभी पूरा नहीं खड़ा था।
मैंने जुगल की तरफ देखा , जुगल ने इशारे इशारे में कहा “लो”।
मेरा दिमाग मेरे हाथों का साथ नहीं दे रहा था। दिमाग में अभी भी रेनू और रश्मी की धुआंधार चुदाई घूम रही थी।
मैंने जुगल का लंड पकड़ा और मुंह में ले लिया। आआह, जुगल ने एक आवाज निकाली, ” चूसो सपना “।
मैं जुगल का लंड चूसने लगी।
तभी संदीप भी आ गया।
जुगल ने मुझे कंधों से पकड़ कर उठाया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मुझे जुगल ने वापस सोफे पर बिठा दिया।
अब मैं जुगल और संदीप दोनों के लंड बारी बारी से चूस रही थी। लंड पूरे खड़े हो चुके थे सख्त मोटे और लम्बे।
संदीप हटा और सोफे के हत्थे पर बाहर की तरफ पर बैठ गया। उसने टांगें चौड़ी कर ली। संदीप का लंड बिलकुल सीधा खड़ा था। संदीप ने मुझे बाहों से पकड़ा और अपने लंड पर झुका लिया।