फिर अवनीत खुद से ही सौरव का लंड चूसने लगती है, और थोड़ी देर बाद सौरव अवनीत के मूह में ही झाड़ जाता है. और अवनीत उसका माल अपने मूह में ले कर सब को दिखाने लगती है, की देखो सौरव मेरे मूह में झाड़ा.
फिर उधर से अनुस्का बोलती है: क्या दिखा रही है? मैने अपनी बर का पानी सौरव के मूह में गिराया है अभी.
फिर कणिका को जलन होने लगती है ये सब सुन के. तब वो सौरव का हाथ पकड़ती है, और उसको रूम में ले जाती है. फिर अवनीत बोलती है अनुस्का से-
अवनीत: ये कहा गयी सौरव को लेकर?
तब अनुस्का बोलती है: इसको अछा नही लगा होगा की उसने सब के साथ कुछ ना कुछ किया, पर इसके साथ कुछ नही किया. इसलिए शायद ये अपनी बर फदवाने गयी है उसको लेकर.
फिर दोनो बातें करने लगी. उधर कणिका सौरव को रूम में बोलती है-
कणिका: तुम्हे मेरी बर फादनी पड़ेगी सौरव, नही तो ये सब मेरे पे हासेंगे.
सौरव बोलता है: क्यूँ नही.
फिर कणिका अपनी शॉर्ट पंत उतारती है, और सौरव के उपर आ जाती है बिना पनटी खोले. फिर सौरव अपने हाथ कणिका के बूब्स पे लेकर जाता है, और उनको बहुत प्यार से दबाता है.
उसके बाद सौरव कणिका की टॉप को उतारता है, और उसके बड़े-बड़े बूब्स को ब्रा के उपर से दबाना शुरू करता है. थोड़ी देर बाद वो उसके बूब्स दबा-दबा के लाल कर देता है. फिर वो उसकी ब्रा को खोलता है, जिससे उसके बूब्स और भी बड़े लग रहे होते है.
फिर कणिका को अपनी बर के पास कुछ हरकत फील होती है, तो उसको पता चल जाता है की सौरव का लंड खड़ा हो गया था. कणिका उसके लंड को अपनी बर के साथ रगड़ने लगती है, जिससे सौरव जोश में आ जाता है, और कणिका को पलट देता है.
इससे कणिका नीचा आ जाती है. फिर सौरव अपना लंड निकाल लेता है. सौरव का लंड 7 इंच का होता है, और कणिका अभी तक वर्जिन थी, जिससे कणिका तोड़ा दर्र जाती है. फिर सौरव कणिका की पनटी फाड़ देता है, और उसकी बर को देखने लगता है, जैसे खा जाएगा.
सौरव उसकी बर को चाटने लगता है, और कणिका अपने बूब्स दबा-दबा के हॉर्नी होने लगती है. 5 मिनिट कणिका अपनी छ्होटी से बर को चत्वाते-चत्वाते सौरव के मूह पे ही झाड़ जाती है. फिर सौरव उसकी छूट से निकले पानी को पी जाता है.
उसके बाद सौरव अपने 7 इंच के लंड के साथ कणिका की छूट पे निशाना सेट करता है, और कणिका से पूछता है-
सौरव: चला डू गुण?
कणिका बोलती है डरते हुए: हा.
फिर सौरव कणिका की छ्होटी सी छूट में अपना हथियार एक ही झटके में डालने की कोशिश करता है. पर उसकी छूट बहुत टाइट होती है, तो सिर्फ़ 3 इंच ही जेया पता है. पर कणिका उस 3 इंच के लंड के अंदर जाने से ही चिल्ला उठती है-
कणिका: आहह बाहर निकालो.
सौरव अब उसकी नही सुनता, और तोड़ा दूं लगा के पूरा लंड छ्होटी से छूट में डाल देता है. इससे कणिका के बर से बहुत ज़्यादा खून आने लगता है. वो रोने लगती है बहुत ज़ोर-ज़ोर से. सौरव धक्के मारना छ्चोढता नही है. कणिका बहुत ज़ोर-ज़ोर से छिला रही थी-
कणिका: एयेए नो प्लीज़, छ्चोढो मुझे नही करना आहह आहह.
इतनी तेज़ आवाज़े सुन के अवनीत और अनुस्का भी रूम की तरफ आने लगती है, और आपस में बात करने लगती है, की, “शायद कणिका अपनी छूट का सील तुद्वा रही है, चल-चल मज़ा आएगा देखने में”.
अनुस्का बोलती है: हा चल, उसकी बर में उंगली करेंगे.
फिर वो दोनो रूम में आती है, और देखते है सौरव कणिका को डॉगी स्टाइल में छोड़ रहा होता है बहुत ज़ोर-ज़ोर से. कणिका रो रही होती है, और उसकी आँखों से आँसू आने लगे थे. पर अनुस्का को ये देख के मज़ा आ रहा था.
वो सौरव के पास जाती है और बोलती है: सौरव तू इसकी गांद भी मार. इसको बहुत घमंड है अपनी गांद पे.
अनुस्का बोलते-बोलते उसकी गांद में अपनी बड़े नाख़ून वाली 2 उंगलियाँ घुसने लगती है, जिससे कणिका को बहुत दर्द होता है, और अनुस्का के बड़े नाख़ून के कारण उसकी गांद से भी खून निकालने लगता है.
इतने में सौरव अनुस्का की 2 उंगलियाँ देख के जो कणिका की गांद में घुसी हुई थी, वो अपना अंगूठा भी कणिका की गांद में घुसा देता है. इससे अब कणिका की गांद में 3 उंगलियाँ हो जाती है.
पर अवनीत साइड में खड़े होके देख रही होती है ये सब, और सोचती है क्यूँ ना मैं भी करू गांद में उंगली. वो भी अपने बड़े नाख़ून वाले अंगूठे को कणिका की गांद में घुसा देती है, जिससे कणिका की गांद से और खून आने लगता है, और वो भेहोशी वाली हालत पे आ जाती है.
इतने में सौरव झड़ने वाला था. पर उसने कॉंडम नही लगाया था, तो वो उसकी छूट में नही झाड़ सकता था. इसलिए वो अपना लंड निकाल के अनुस्का की साइड कर देता है, और बोलता है-
सौरव: इसको चूसो.
अनुस्का तोड़ा घबरा जाती है, पर अवनीत अनुस्का के बाल पकड़ के उसको लंड की साइड धकेल देती है, और सौरव का लंड अनुस्का के गले तक चला जाता है. वो ज़ोर-ज़ोर से ख़ासने लगती है, पर अवनीत उसको बार-बार उसके लंड पे दबाते जाती है.
कणिका बेहोश हो चुकी थी, और सौरव की नज़र अवनीत के चूचे पे चली जाती है. वो अपना अंगूठा कणिका की गांद से निकालता है, और वो अवनीत के चूचे पे हाथ मारता है, और उसको कपड़ो के उपर से ही दबाने लगता है.
फिर सौरव अवनीत के चूचे को आज़ाद कर देता है, और उसको ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगता है. अवनीत के चूचे पूरी तरह से लाल हो जाते है, और इतने में सौरव अनुस्का के मूह में ही झाड़ जाता है, और सौरव अनुस्का को कहता है उसके गिरे हुए माल को पीने को.
वो नही पीटी तो सौरव उसकी बर में थोड़ी सी उंगली करता है. इससे वो तोड़ा एयेए श करती है और सारा माल अनुस्का के गले से नीचे उतार जाता है. फिर वो वाहा से भाग जाती है दूसरे रूम में.
तभी अवनीत सौरव से बोलती है: सौरव अब चलो तोड़ा बाहर वॉक पे.
सौरव पूछता है अवनीत से: कणिका का क्या करना है?
वो बोलती है: मैं उसको कपड़े पहना देती हू 1 मिनिट में.
फिर वो कणिका की पनटी ढूँढती है, पर सौरव बोलता है-
सौरव: वो तो मैने फाड़ दी.
अवनीत उसकी जीन्स ढूँढती है, और उसको बहुत मुश्किल से पहना देती है. उसकी जीन्स कणिका की गांद के पास आके बहुत टाइट हो जाती है. फिर कणिका को ब्रा पहना के उसको उपर से त-शर्ट पहना देती है, और अपने आप को भी ब्रा से धक के उपर से अपनी ब्लाउस जैसी शर्ट को बाँध लेती है.
फिर वो दोनो रूम से बाहर चले जाते है.
तो बे कंटिन्यूड…
अगले पार्ट में पढ़िए कैसे कणिका होश में आती है, और सौरव अवनीत और अनुस्का की बर फाड़ता है, वो भी ब्रेकफास्ट करते हुए.