हेलो दोस्तों मैं कारण आपका फिरसे स्वागत करता हू. मेरी पिछली को आप सब ने पसंद किया, इसलिए बहुत-बहुत धन्यवाद. उस कहानी को पढ़ कर एक चाहने वाले (उसका नाम राजू नाग) ने मुझे एमाइल में अपनी आप-बीती की कहानी मुझे बताई.
तो चलिए बिना देरी किए मैं उसकी कहानी आपके सामने पेश करता हू. लेकिन राजू के हिसाब से.
मेरा नाम राजू नाग है, और मैं वडिषा के जजपुर में रहता हू. मेरे पापा हमारे गाओं के कॉलेज के प्रिन्सिपल थे. ये कहानी तब की है, जब मैं 1स्ट्रीट एअर में पढ़ता था. उस वक़्त मैं दिखने में गोल-मटोल था, और मेरी गांद भी उभरी हुई थी. इसलिए कोई भी मेरी गांद पे हाथ फेर देता था. मुझे ये सब बहुत अछा लगता था.
मेरे क्लास में चार हरामी स्टूडेंट थे. वो थे तो मेरी उमर के, लेकिन वो कसरत करके अपनी बॉडी को गातीला बना लिए थे. कोई भी एक बार देख ले तो फिदा हो जाएगा. लेकिन मुझे उनको देखना बिल्कुल पसंद नही था, क्यूंकी उनकी नज़र मेरी गांद पर ही रहती थी. मगर मेरे पापा के प्रिन्सिपल होने की वजह से वो सिर्फ़ मुझे देखते ही थे, मगर कुछ नही कर पाते थे.
फिर एक नया लड़का हमारी क्लास में जाय्न किया. उसका नामे पीयूष था. वो दिखने में काफ़ी हॅंडसम था. पहली नज़र में ही मैं उसकी तरफ खिछा चला गया. मैं सिर्फ़ उसी के साथ घूमने लगा. मुझे उससे तोड़ा-तोड़ा प्यार होने लगा, लेकिन डरता था की पीयूष क्या सोचेगा मेरे बारे में. इसलिए मैं कुछ नही बोल पाता था.
जब फर्स्ट एअर का आखरी एग्ज़ॅम था, तब मैने हिम्मत करके अपने दिल की बात को एक पेपर पर लिखा, और उसके बाग में रख लिया. लेकिन उस वक़्त चुपके से वो चार लड़के मुझे ही देख रहे थे. जब मैं पेपर पीयूष के बाग में रख कर एग्ज़ॅम देने अंदर गया, की तभी प्रसाद (स्टूडेंट-1) आया, और पेपर पीयूष के बाग में से उठा कर ले गया.
एग्ज़ॅम ख़तम होने के बाद जब मैं टाय्लेट के लिए गया, तभी प्रसाद, रवि, तेज, राम ( स्टूडेंट-1,2,3,4) मेरे पीछे-पीछे टाय्लेट में आ गये. फिर वो मेरा लेटर पढ़ने लगे. मुझे पता चल गया था, की पीयूष के बाग से वो लेटर ले आए थे. मैं उस वक़्त काफ़ी दर्र गया, और उनसे हाथ जोड़ कर बोला की-
मे: प्लीज़ प्रसाद, ये लेटर दे दो मुझे. अगर कोई पढ़ लेगा तो मैं फ़ासस जौंगा.
प्रसाद: मैं तो नही दूँगा, सेयेल गान्डू.
रवि: तुम्हारी गांद को देख कर ही मुझे लग रहा था.
तेज: तुम्हारे बाप के दर्र से हम कुछ नही कर पाते थे.
राम: लेकिन अब तो तुम्हारी गांद और भी ज़्यादा फूला देंगे.
मे: प्लीज़ किसी को मत बोलना.
प्रसाद: हमे शांत करो, फिर हम देखेंगे.
उसके बाद वो चारो अपनी पॅंट्स उतार दिए, और पहले प्रसाद अपना 6 इंच वाला मोटा काला लंड मेरे मूह में डाल दिया. मुझे तो उल्टी आ रही थी, इसलिए मैं मूह से निकल कर जाने लगा. तभी चारो ने मुझे पकड़ लिया, और नीचे झुका कर मेरे मूह में प्रसाद का लंड घुसेधने लगे.
फिर रवि ने अपना 5.6 इंच वाला लंड मेरे मूह में डाला. उसका तोड़ा गोरा था, इसलिए मैं आवाज़ ना करके चूसने लगा. फिर तेज अपना 6.5 इंच वाला लंड मेरे मूह में घुसेध के ज़ोर-ज़ोर से आयेज-पीछे करने लगा. मेरे तो गले तक उसका लंड जेया रहा था.
उसके बाद राम जो की बहुत हटता-कटता था, उसका 7 इंच वाला मोटा काला लंड उसने मेरे मूह में घुसेध दिया. वो साथ ही मेरी गांद में उसकी मोटी उंगली घुसेधने लगा. मेरी तो जान ही निकली जेया रही थी उस वक़्त. प्रसाद मेरी गांद में थप्पड़ भी मार रहा था.
अभी फिरसे चारो ने बारी-बारी करके मेरे मूह में अपना लंड घुसेध दिया, और मूह को छोड़ने लगे. फिर चारो ने मिल कर अपना पानी निकाला, और मेरे उपर ही अपना पानी गिरा दिया. मेरे तो पुर कपड़ों में उनका पानी चिपक गया था. फिर मैने अपने रुमाल से वो सॉफ किया, और फिर घर चला गया. एग्ज़ॅम के बाद छुट्टी थी, तो मैं घर में ही रुका.
मैं दो दिन तक घर से बाहर नही निकला. फिर दो दिन बाद राम मेरे घर पे आ कर मुझे बुलाया उसके घर खेलने. लेकिन जब मैने माना किया तो वो लेटर दिखाने का बोल कर मुझे अपने साथ ले गया.
जब मैं राम के घर गया तो पहले से ही प्रसाद, रवि और तेज वाहा मौजूद थे. राम की मा-बाप दो दिन के लिए बाहर गये थे. इसलिए राम का घर पूरा खाली था.
मैं जब राम के घर गया, तो उसने दरवाज़े की कुण्डी लगा दी, और मुझे चारो ने पकड़ के बेड पे बिता दिया जब. फिर चारो पुर नंगा हो गये. वो इतने गातीले बदन के थे की मैं उन्हे देख कर इंप्रेस हो गया.
फिर वो उस दिन की तरह उनका लंड चुसवाने लगे. लेकिन इस बार राम ने मुझे उल्टा किया, और मेरी गांद में उंगली करने लगा. उसके ऐसा करने से मैं चिल्लाने लगा. अब राम तोड़ा तेल गांद में डाल कर उंगली करने लगा. इस बार मुझे इतना पाईं महसूस नही हुआ.
अब मुझे तोड़ा मज़ा आने लगा, तो राम ने अपना लंड सीधा मेरी गांद में घुसेध दिया. इससे तो मैं चिल्लाने लगा, और मेरे मूह में तेज का लंड था, तो मैने उसके लंड को काट लिया. अब गुस्से के मारे तेज मुझे थप्पड़ मारने लगा, और राम मुझे ज़ोर-ज़ोर से गांद में छोड़ने लगा.
मैं तो सिर्फ़ झटपटा रहा था, और कुछ नही कर पा रहा था. करीब 20 मिनिट राम के छोड़ने के बाद मुझे रवि गांद में छोड़ने लगा. रवि का लंड 5.6 इंच वाला होने की वजह से मुझे इतना दर्द महसूस नही हो रहा था. क्यूंकी राम का लंड 7 इंच का था, इसलिए उसका बहुत दर्द कर रहा था.
अब रवि के लंड की वजह से मुझे मज़ा आने लगा, और मैं धीरे-धीरे सिसकारियाँ लेने लगा. अब वो चारो ने समझ लिया की मुझे मज़ा आ रहा था. फिर वो बारी-बारी छोड़ने लगे. उसके बाद किसी ने दरवाज़ा खटखटाया.
वो कों था, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.
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