ही दोस्तों, मैं जवाहर वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. आशा करता हू की आपने पिछला पार्ट पढ़ा होगा, और उसमे आपको मज़ा भी आया होगा.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, की कैसे मैं बहाने से मनीषा को अपने रूम में ले गया. फिर वाहा मैने उसकी छूट की सील तोड़ दी. पहले-पहले उसने मुझसे छूटने की कोशिश की, लेकिन फिर वो आराम से चुड्ती रही.
लेकिन उसने एंड तक मेरा साथ नही दिया. फिर चुदाई के बाद उसने अपने कपड़े पहने. जो कपड़े फटते हुए थे उनको उसने किसी तरीके से मॅनेज किया, और फिर अपने आप को स्काफ़फ़ से धक कर वो चली गयी. अब आयेज बढ़ते है.
कुछ देर में पवन वापस आ गया. उसने आके पूछा मनीषा के बारे में तो मैने कहा-
मैं: उसको शायद कुछ काम था. उसके घर से कॉल आई थी, तो वो चली गयी.
पवन: ओक.
मैं अभी तक ये समझ नही पाया था, की वो चुप-छाप कैसे चली गयी. अब उसको चुदाई में मज़ा आया या नही, इस बात का मुझे कोई अंदाज़ा नही था. अगले एक हफ्ते में मनीषा एक बार भी हमारे घर नही आई.
मैने पवन से पूछा, तो उसने कहा की मनीषा कॉलेज भी नही आई थी. ये सुन कर मैं दर्र गया. मुझे लगा कही कोई पंगा ना पद गया हो.
फिर 2 दिन और बीट गये. और तीसरे दिन मनीषा फिरसे पवन के साथ पढ़ने आ गयी. उस दिन उसने फ्रॉक पहन रखी थी. वो फ्रॉक लाइट पिंक कलर की थी, जिसपे डार्क पिंक फ्लवर्स बने हुए थे. बाल उसने खोल रखे थे.
आज तो वो पहले से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी. उसने मेरे साथ नॉर्मल ही बिहेव किया, जैसे पहले करती थी. मुझे तो डाउट होने लगा था, की कही मैने उसकी चुदाई का सपना तो नही लिया था. फिर मैं किचन में कॉफी बनाने के लिए गया उन दोनो के लिए. इस बीच मनीषा ने पवन को कहा-
मनीषा: पवन मैं बातरूम होके आती हू.
पवन: ओक.
हमारे घर में बातरूम किचन को क्रॉस करके आता है. मैं अपना मगन होके कॉफी बना रहा था. मुझे नही पता था, की मनीषा बातरूम जाने के लिए रूम से निकली थी. मैने वाइट शॉर्ट्स और ब्लू त-शर्ट पहनी हुई थी.
तभी मुझे महसूस हुआ की मेरे पीछे कोई था. जब मैने मूड कर देखा, तो वो मनीषा थी. मनीषा ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा. फिर अचानक वो अपने घुटनो पर बैठ गयी, और इससे पहले मुझे कुछ समझ आता, उसने मेरी शॉर्ट्स नीचे खींच कर अंडरवेर में से मेरा लंड निकाल लिया.
मेरे लंड ढीला पड़ा हुआ था. उसने मेरे लंड को मूह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया. मैं ये देख कर हैरान था. मुझे समझ नही आया, की ये कैसे हो रहा था. अगले एक मिनिट में ही मेरा ढीला लंड लोहे की रोड जैसा सख़्त हो गया. मनीषा लंड चूस्टे हुए अपनी नशीली कामुकता भारी आँखों से मुझे देख रही थी.
फिर मैने उसके बाल पकड़े, और उसके मूह में धक्के देने लगा. क्या मज़ा आ रहा था उस लौंडिया को लंड चुसवाने में. कुछ देर उसको लंड चुसवाने के बाद मैने उसको खड़ा किया.
फिर हमने होंठ से होंठ मिलाए, और किस करने लग गये. आज वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. किस करते हुए वो मेरा सर सहला रही थी, और मैं उसकी पीठ और गांद सहला रहा था. फिर मेरा हाथ उसकी फ्रॉक की ज़िप कर जाके टीका, और मैने उसकी फ्रॉक की ज़िप खोल दी.
ज़िप खुलते ही उसकी फ्रॉक नीचे गिर गयी, और अब वो ब्रा-पनटी में मेरे सामने थी. मैने गॅस बंद की, और उसको उठा कर अपने रूम में ले गया. रूम में जाके मैने उसको बेड पर पटका, और उसकी पनटी फाड़ दी. फिर मैं उसकी छूट चाटने लगा. वो मेरे सर को अपनी छूट में दबा रही थी.
आज तो वो किसी नागिन की तरह तड़प रही थी. उसके बाद मैने उसकी ब्रा उतारी, और उसके बूब्स चूसने लग गया. वो मेरा सर अपने बूब्स में दबा रही थी. मैं ज़ोर-ज़ोर से उसके बूब्स चूस रहा था. फिर मैं तोड़ा नीचे आके उसकी नाभि चाटने लगा. तभी वो बोली-
मनीषा: अब डाल भी दो ना.
मैने ज़रा भी देर नही की, और अपना लंड मनीषा की छूट पर सेट करके ज़ोर का धक्का मारा, और पूरा लंड उसकी छूट में घुसा दिया. उसकी आ निकली, और उसने अपने नाइल्स मेरी पीठ पर गाड़ दिए.
मैं उसकी टाइट छूट में धक्के मारने लगा, और वो आहह आ करने लग गयी. मैं उसके होंठ और चूचे भी साथ में ही चूस रहा था. उसकी टाँगो को मैने पूरी तरह मोड़ लिया, और ज़ोर-ज़ोर के धक्के मारने लग गया.
रूम में छाप-छाप की आवाज़े आ रही थी. 20 मिनिट मैने उसको ऐसे ही छोड़ा. उसके बाद मैने उसको डॉगी पोज़िशन में आने को बोला. वो झट से मूडी, और गांद बाहर निकाल कर कुटिया बन गयी. मुझे विश्वास नही हो रहा था, की ये कल वाली मनीषा थी, जो चूड़ने से माना कर रही थी.
फिर मैने पीछे से लंड उसकी छूट में डाला, और ज़ोर-ज़ोर से उसको छोड़ने लगा. वो ज़ोर-ज़ोर से आहें भर रही थी. मैं उसकी गांद पर थप्पड़ मार रहा था, और उसके चूतड़ मैने लाल कर दिए थे. इससे वो और ज़्यादा वाइल्ड हो रही थी.
वो बोल रही थी: फक अंकल! फक मे हार्ड! और ज़ोर से करो अंकल, और फाड़ दो मेरी छूट.
ऐसे ही 10 मिनिट मैने उसको छोड़ा, और फिर अपने लंड को छूट से बाहर निकाल कर उसके मूह में डाल दिया. वो मेरा लंड चूसने लगी, और मैने अपना लंड उसके मूह में ही खाली कर दिया.
मेरे माल से उसका मूह भर गया था. कुछ माल उसके मूह से बाहर भी आ रहा था. फिर मैं उसकी साइड में लेट गया. तभी मेरा बेटा बोला-
पवन: बाबा! ये आप क्या…?
मेरे पास कोई जवाब नही था. तभी मनीषा बोली-
मनीषा: बाबा वो कर रहे थे, जो तू नही कर पाया. इतने दिन से तुमसे हाथ भी नही लगाया गया, और बाबा ने मुझे ठंडा कर दिया. जेया तू जाके पढ़ाई कर. मुझे अपने बाबा के साथ मज़े करने दे.
पवन वाहा से चला गया, और मैने मनीषा को 2 बार छोड़ा. उस दिन के बाद से मनीषा पढ़ाई के बहाने नही, बल्कि मुझसे चूड़ने आती है. मैने भी उस कक़ची काली की छूट का भोंसड़ा बना दिया.
दोस्तों कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.