मैं अभी भी सोच ही रहा था कि क्या करूं कि मान्या बोली, “क्या हुआ किशोर? बाहों में ले मुझे।” फिर मान्या हंसते हुए बोली, “चोदने आया है मुझे, राखी बंधवाने नहीं आया।”
इस पर मैंने भी मान्या को पीछे से पकड़ा और बाहों में भींच लिया। मान्या की छोटी-छोटी मगर सख्त चूचियां मेरी छाती पर दब रहीं थी। मगर हिचकिचाहट अभी भी दूर नहीं हुई थी।
मान्या ने मेरी हिचकिचाहट को भांप लिया। एक हाथ से मान्या ने मेरी पेंट की ज़िप खोली, और मेरा लंड बाहर निकाल लिया।
थोड़ा हिलाने-डुलाने और दबाने भर से ही मेरा लंड खड़ा होने लग गया। मान्या नीचे बैठ गयी और लंड चूसने लगी। सच में मस्त लंड चूस रही थी मान्या। जल्दी ही मान्या की चुदाई का ख्याल मेरे दिमाग पर हावी होने लगा, और मेरा लंड सख्त होने लगा। शर्म और हिचकिचाहट खत्म होने लगी। मैंने पेंट उतार दी।
मान्या जोर-जोर से ऊंह-ऊंह की आवाजों के साथ लंड चूस रही थी। मैंने मान्या को उठाया और उसके होंठ अपने होठों में ले लिए। मेरा लंड मान्या के हाथ में ही था, और मान्या मेरा लंड हल्के-हल्के दबा रही थी।
मान्य के होंठ चूसते-चूसते मेरे होंठ जरा से खुले, और मान्या ने अपनी जीभ मेरे मुंह में सरका दी। मैंने सोचा जरूर नारंग ने ही सिखाया होगा। मैं मान्या की जीभ चूसने लगा। मान्या ने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए।
मैंने मान्या को अलग किया और उसके कपड़े उतार दिए। मान्या के जिस्म का हर हिस्सा सेक्सी था। तनी हुई चूचियां, खरबूजे की तरह के नरम चिकने चूतड़, छोटी सी मुलायम-मुलायम चूत, और गोरी-गोरी जांघें।
मैं मान्या का हर अंग चूमने लगा। चूचियां, पेट, चूत, चूतड़, जांघें हर अंग को मैंने अपनी जुबान से चाटा। मेरा लंड मान्या के नंगे जिस्म को देख कर फनफनाने लगा। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैंने मान्या को उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर छोटी सी चूत ऊपर उठाई और टांगें चौड़ी करके चूत के छेद पर एक नज़र डाली। छोटा सा छेद था। लंड और सख्त हो गया। मैंने छेद पर अपनी जीभ घुमाई। मान्या ने आह आह किशोर की आवाज निकाली और बोली,” डाल दो अंदर किशोर।”
मैंने लंड छेद पर रखा और एक ही झटके में लंड जड़ तक चूत में बिठा दिया।
मान्या की सिसकारी निकली, “आआआह… गया पूरा किशोर।” अगले ही पल मान्या ने चूतड़ हिलाने घुमाने शुरू कर दिए। सौरभ ठीक ही कह रहा था। मान्या पूरी मस्ती से चूतड़ घुमा-घुमा कर चूत चुदवाती थी। कुछ देर की चुदाई के बाद मान्या बोली, “किशोर अब तुम लेटो।”
मैंने लंड मान्या की चूत में से निकाला और लेट गया। मेरा खम्बे जैसा लंड सीधा खड़ा था। मान्या ने अपनी टांगें मेरे दोनों तरफ की, और लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा, और लंड के ऊपर बैठ गयी। लंड का सिरा चूत में किसी चीज़ को छू रहा था। पतली मान्या की चूत की पूरी गहराई तक लंड गया हुआ था।
मान्या भी बोली “किशोर तेरा लम्बा लंड चूत में बिल्कुल अंत तक बैठा हुआ है। आआह, बड़ा मजा आ रहा है। इतना कह कर वो ऊपर-नीचे होने लगी। मान्या अपनी मां, मेरी मामी से भी बढ़िया चुदाई करवा रही थी। क्या कहना चाहिए, चुदाई कर रही थी या चुदाई करवा रही थी? जब मान्या ऊपर उठ कर एक-दम झटके से नीचे होती थी, तो क्या मजा आता था।
मुझे मजा आने लगा। मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं, “आअह… मान्या बड़ा मजा आ रहा है।” उधर मान्या भी बोलती जा रही थी,”आआह… किशोर झड़ने वाली हूं मैं। निकाल अपना गर्म पानी और भर दे मेरी चूत। आआह… किशोर गई मैं, निकाल किशोर आअह… आअह निकाल दे किशोर… अअअअअह”, और मान्या को मजा आ गया। झड़ गयी मान्या।
अगर मान्या इतनी सिसकारियां ना ले रही होती,इतना शोर ना मचा रही होती, तो हो सकता था मैं पंद्रह मिनट और ना झड़ता।
मगर जैसे ही मान्या जोरदार सिसकारी के साथ झड़ी, मुझे भी मजा आ गया, “अअह मान्या ले, ले-ले मान्या ले अअअअअह।” और मेरे गर्म वीर्य की पिचकारी मान्या की चूत में छूट गयी।
मान्या वैसे ही मेरे ऊपर लेट गयी। लंड अभी भी उसकी चूत में ही था। मान्या बोल रही थी ,”किशोर क्या मजा आया है। ऐसा मजा तो कभी भी नहीं आया।”
मान्या उठी। लंड अपने आप ही फिसल कर उसकी चूत से निकल गया। मान्य ने थोड़ा जोर लगाया और उसकी चूत में से सारा वीर्य फर्र से निकल कर मेरे लंड पर बह गया।
मान्य मेरे ऊपर से उतरी और उसने मेरे लंड पर लगा और आस-पास बहा हुआ सारा वीर्य चाट लिया। मैं सोच रहा था क्या कमाल है दोनों मां बेटी। इसके बाद मान्या मेरे साथ ही लेट गयी और बोली, “किशोर तूने आज जन्नत दिखा दी। थोड़ा आराम कर लो, फिर मुझे ऊपर से चोदना। आज जी भर के चुदाई करवाऊंगी तुझसे। बहुत तरसी हूं तेरे लंड के लिए मैं।”
लेटे-लेटे मैंने मान्या से पूछा,”मान्या, तू चुदवाती तो बड़ा मस्त है। तेरी छोटी सी चूत लंड तो पूरा लेती है।” मेरी इस बात पर मान्या थोड़ा हंसी। मैंने यूं ही मान्या से पूछ लिया, “मान्या एक बात बता, तू कब से मुझसे चुदाई करवाना चाहती थी? तू मुझे पहले बताती तो मैं पहले ही तुझे चोद देता।”
मान्या बोली, “किशोर तेरी पेंट में तेरे इस हट्टे-कट्टे लंड के कारण उभार बनता है ना, वो किसी से छुपा तो रहता नहीं। मम्मी भी उस उभार को देख कर अपनी चूत खुजलाती रहती थी, और मेरी चूत भी उस उभार को देख कर गीली हो जाती थी। मगर फिर भी मेरे मन में तुमसे चुदाई करवाने का ख्याल कभी नहीं आया। आखिर को तुम मेरे भाई ही थे, मेरी सगी बुआ के बेटे। मगर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने सब बदल दिया।”
मैंने हैरानी से पूछा, “ऐस क्या हुआ और कब?”
मान्या बोली, “एक दिन मैंने तुम्हें और मम्मी को सोफे पर बैठे देखा। तुम दोनों नंगे थे और तुम्हारा ये गधे के लंड जैसा लंड मम्मी के हाथ में था। मम्मी तुम्हें कुछ बता रही थी और तुम बड़े ध्यान से सुन रहे थे।”
मैं समझ गया ये उस दिन की बात होगी, जब चुदाई के दौरान मामी मुझे और उसकी नारंग के साथ हुई चुदाई की कहानी सुना रही थी। मुझे याद आ गया उस दिन तो मामी की और मेरी बड़ी देर तक चुदाई चली थी।
मैंने मान्या से पूछा, “मगर मान्या हमारी चुदाई तो हमेशा तब होती थी, जब तुम घर पर नहीं होती थी। उस दिन तुम कैसे घर पर थी?”
मान्या बोली, “मैं उस दिन भी घर पर नहीं थी। नारंग सर के ऑफिस में मेरा फोटो शूट था। मगर जिस मॉडल के साथ मेरी शूटिंग होनी थी उसकी तबीयत अचानक खराब हो गयी और वो आया नहीं, और उस दिन की शूटिंग कैंसिल हो गयी। ऑफिस के बाकी के सारे लोग अपने-अपने काम में लगे हुए थे, इसलिए मैं घर आ गयी।”
मान्या बता रही थी, “घर पहुंची तो देखा तुम्हारी और मम्मी की दोनों की गाड़ियां बाहर खड़ी थी। मेरा माथा ठनका। मैंने सोचा उस वक़्त मम्मी को तो फिटनेस सेन्टर में होना चाहिए था, यहां घर पर क्या कर रही थी? और फिर मेरे दिमाग में ये भी आया कि तुम्हारा यहां इस वक़्त क्या काम? तुम्हें तो ऑफिस में होना चाहिए था। मुझे शक हो गया कि अंदर कोइ ना कोइ खिचड़ी पक रही थी।”
“बाहर के दरवाजे की एक चाबी मम्मी के पास होती है और दूसरी मेरे पास। मैंने धीरे से दरवाजे का ताला खोला और अंदर चली गयी। तुम लोग तो निश्चिन्त थे कि इस वक़्त तो किसी के आने का मतलब नहीं। सारे दरवाजे खुले थे, और तुम्हारी और मम्मी की पिक्चर चालू थी।”
“कुछ देर मम्मी तुम्हें कुछ बताती रही, और तुम सुनते रहे। उसके बाद तुम लोगों की चुदाई चालू हो गयी। तुम मम्मी की इतनी ताबड़-तोड़ चुदाई कर रहे थे, कि मेरा मन किया जाऊं और तुम्हें कहूं, बस करो अब और चढ़ो मेरे ऊपर।”
“मेरी चूत की हालत खराब हो रही थी। बस उसी दिन से मैंने सोच लिया कि तुम्हारा ये लंड किसी ना किसी दिन अपनी चूत में लूंगी ही लूंगी।”
“अब घर पर तो मौक़ा मिलता नहीं था। मगर फिर भी वो दिन आ ही गया। एक दिन सौरभ और आशीष के साथ यहां गेस्ट हाऊस में चुदाई का प्रोग्राम बना। कुछ ऐसा हुआ कि आशीष आया नहीं। सौरभ ने मुझसे पूछा, “मान्या आशीष तो नहीं आ रहा, किशोर से चुदवाओगी? मस्त लंड है उसका, चोदता भी मस्त है। कहो तो उसको फोन करूं?”
“तुम्हारा मोटा लंड मेरी चूत में? सौरभ की बात सुन कर पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। मगर फिर मैंने अपनी खुशी छुपाते हुए हां कर दी। और अब देखो, अब सौरभ भी नहीं है तुम मेरी तुम सच में ही मेरी मनमर्जी की चुदाई कर रहे हो।”
मैंने फिर पूछा, “ये बता सौरभ के साथ तेरा कब से शुरू हुआ?”
मान्या बोली, “जब फोटो शूट के लिए हम गोआ गए थे तब।”
मैं बोला, “मगर मान्या, तब तो कम्पनी ने श्रुति को भेजा था तेरे साथ?”
मान्या बोली, “तो किशोर तू श्रुति को क्या समझता है? खूब चुदवाती है वो। उसी ने मुझे सौरभ और आशीष से चुदवाया। हम चारों ने मिल कर चुदाई के खूब मजे लिए।” फिर मान्या बोली, “किशोर अगर तेरा कभी मन करे श्रुति को चोदने का तो मुझे या सौरभ को बोल देना। वैसे किशोर, ऑफिस की और लड़कियां भी चुदवाती हैं, बल्कि मैं तो कहती हूं सारी ही चुदवाती हैं।”
मैंने पूछा अच्छा मान्या ये बता, नारंग सर ने भी चोदा तुझे?”
मान्या मेरी तरफ देखते हुए बोली, “किशोर तुझे पता नहीं या तू मुझे पागल बना रहा है? नारंग सर, नेहा मैम का ऑफिस ऑफिस नहीं, चुदाई का अखाड़ा है। सब एक-दूसरे से मिले हुए हैं, क्या नेहा मैम, क्या रश्मि मैम। नेहा मैम तो बातों-बातों में पहले ही समझा देती है कि नारंग सर के ऑफिस में क्या हो सकता है। और ये नेहा मैम और रश्मि मैं, ये ही कौन सी कम हैं।”
“और ये जो तू पूछ रहा है कि नारंग सर ने चोदा मुझे तो बस ये समझ लो नारंग सर एक नंबर के चुदक्कड़ इंसान हैं। चुदाई के पीछे पागल। पांच ही मिनट में मैं और सर पीछे वाले कमरे में थे, और सर मेरी जांघों पर हाथ फेर रहे थे। इसके बाद तो जब एक बार शुरू हो गया तो बस फिर मत पूछ क्या हाल हुआ नारंग सर का। पागल हो गए मेरी चूत और चूतड़ों के पीछे। चाटते ही जा रहे थे चूत को और चूतड़ों को।”
मैंने कहा “मान्या पूरी बात बता ना मुझे, कैसे हुआ ये सब?”
मान्या हंसी ,”क्यों किशोर, सर और मेरी चुदाई के मजे लेने हैं क्या?”
मैंने कहा “नहीं ऐसे ही पूछ रहा था।”
मान्या बोली, “कोइ बात नहीं, अब तेरे से क्या छुपा है।” और मान्या बताने लगी, “किशोर जब मैं पहले दिन ऑफिस गयी तो रश्मि मैडम ने मुझे नेहा मैडम के पास भेज दिया।मैं नेहा मैडम के ऑफिस में गयी तो मैडम बोली “आओ मान्या हमारी कम्पनी में तुम्हारा स्वागत है, आओ बैठो।”
“मैं नेहा मैम के सामने बैठ गयी। नेहा मैम ने बात शुरू की “मान्या कैसी हो, और तुम्हारी मॉम कैसी है। नारंग सर बहुत याद करते हैं उन्हें। सच पूछो तो आज अगर तुम मॉडल बनी हो तो उनके कारण ही बनी हो। लड़कियों को कामयाब मॉडल बनने के लिए घर वालों का साथ और समर्थन बहुत जरूरी होता है। और तुम्हारी मॉम तो तुम्हारा पूरा साथ देती है।
मॉडलिंग की लाइन बड़ी ही कम्पीटीशन वाली लाइन है। इसमें भी पैसा भी है और शोहरत भी, मगर इसके लिए बहुत कुछ करना पड़ता हैI हमें लगता है ये बात तुम्हारी मॉम बड़े अच्छे से समझती है।”
मैं सोच रही थी नेहा मैम कुछ ज्यादा ही मॉम की बातें कर रही थी। फिर नेहा मैम बोली, “सच्चाई तो ये है मान्या ये लाइन उनके लिए है ही नहीं जो बड़ी सती-सावित्री बनने की कोशिश करती हैं या बनने का नाटक करती हैं। मॉडलिंग में ऐसी लड़कियां कामयाब होती है जो सुन्दर तो हों ही साथ-साथ बोल्ड भी हों और सेक्सी भी।”
मैं गौर से नेहा मैम की बातें सुन रही थी। मैम बोली, “मान्या तुम्हें पहली नजर में ही देख कर ये तो मैं जान गयी थी कि तुम सुन्दर हो। मुझे ये भी लगा था ये बोल्ड और सेक्सी वाले गुण तुममें हैं।”
नेहा मैम फिर बोली, “वैसे ये सारे गुण तुम्हारी मॉम में भी हैं। अगर वो मॉडलिंग में होती तो एक कामयाब मॉडल होती।”
फिर मान्या बोली, “नेहा मैम ने फिर पूछा “क्यों मान्या क्या तुम भी अपनी मॉम जितनी ही बोल्ड हो?”
“मैं बड़ी हैरान हुई। मॉम जितनी बोल्ड? इसका क्या मतलब हुआ? अब इसका जवाब मैं क्या देती?” फिर भी मैंने कहा, “अब ये मैं कैसे बताऊं मैम?”
“मुझे समझ नहीं आ रहा था नेहा मैम मॉम के बारे में ऐसा क्यों बोल रही थी? वैसे किशोर एक बात बताऊं? जिस तरह के कपड़े उस दिन मम्मी पहन कर आयी थी, था तो अजीब ही। फिर मुझे ध्यान आया की मम्मी दो बार हमारे साथ आयी थी दोनों बार घंटों नारंग सर के ऑफिस में रही। तो क्या नारंग सर ने मम्मी की चुदाई कर दी? नेहा मैम की बातों से तो मुझे ऐसा ही लगने लग गया था।”
मैंने बीच में ही मान्या को टोकते हुए कहा, “मान्या नारंग ने अच्छी खासी चुदाई की मामी की दोनों बार।” यहां मैं मामी के साथ हुई अपनी चुदाई की बात छुपा गया।
मान्या बोली, “तुम्हें कैसे पता किशोर?”
मैंने कहा, “मान्या मैं नारंग का ख़ास चमचा हूं। ऐसी बातें नारंग और नेहा मुझसे नहीं छुपाते। पहली बार चोदने के बाद नेहा ने ही मुझे मामी को अगली बार भी लाने के लिए बोला था। दूसरी बार तो मामी भी जानती थी कि उसे चोदने के लिए ही नारंग ने बुलाया है। खैर तुम बताओ तुम्हें नेहा ने क्या कहा?”
मान्या बोली, “इसका मतलब मेरा शक सही था। नारंग सर ने मम्मी को चोद दिया था और नेहा मैम ये जानते थी।”
फिर मान्या बोली, “फिर क्या, नेहा मैम मुस्कुराते हुए बोली, “चलो ठीक है। नारंग सर को बताना। मुझे उम्मीद है अपनी मॉम वाले ये सारे गुण तुममें भी होंगे। जाओ सर से मिल लो और इस कम्पनी में अपनी शुरुआत करो। मान्या मुझे उम्मीद है नारंग सर के साथ तुम्हारा ये इंटरव्यू बढ़िया रहेगा।”
फिर नेहा मैम बोली, “मान्या जाते हुए मुझसे मिल कर जाना।”
मैंने भी कहा, “यस मैम। हालांकि नेहा की मॉम वाले सारे गुणों वाली बात तब तो मेरी समझ में तो नहीं आयी, मगर अब मुझे सब समझ में आ रहा है। फिर भी मैंने कहा, “यस मैम, थैंक यू।” और मैं नारंग सर के ऑफिस में चली गयी।