ही दोस्तों, मैं नीना अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. अगर आप में से किसी ने भी पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की मेरी मम्मी की डेत के बाद पापा डिप्रेशन में आ गये. इससे उनकी भी तबीयत खराब होने लगी. फिर डॉक्टर ने मुझे उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने के लिए कहा. फिर मेरे बाय्फ्रेंड की बात सुन कर मुझे लगा की उनकी वासना जगा कर अगर मैं उनको उत्तेजित करू, तो उनका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता था.
मैने वैसा ही किया. जब मैं रोज़ की तरह उनके कमरे में सफाई करने गयी, तो मैने ऐसे कपड़े पहन लिए, जिससे वो मेरे सेक्सी जिस्म को देख कर उत्तेजित हो जाए. और हुआ भी कुछ वैसा ही. अब आयेज बढ़ते है.
सुबा की सफाई के दौरान मैने पिता जी को तोड़ा उत्तेजित कर दिया था. जब मैं उनके रूम से बाहर आई, तो मैने विंडो से देखा की उनका हाथ उनके लंड पर था. ये देख कर मुझे खुशी हुई, की मैं अपने प्लान में कामयाब हो रही थी.
सफाई करने के बाद अब बारी थी उनको नहलाने की. मैं वही कपड़े पहने हुए उनके रूम में गयी, और उनको नहाने के लिए बातरूम ले जाने लगी. उन दीनो पापा को कमज़ोरी आई हुई थी, तो मैं बातरूम में उनको बिता कर नहलाती थी. उन्होने सिर्फ़ अंडरवेर पहना होता था.
मैने उनको बेड से उठाया, और उनका दया हाथ अपने कंधे पर घुमा लिया. फिर मैने अपना बया हाथ उनकी कमर पर रखा, और डाए हाथ से उनके डाए हाथ को पकड़ लिया, जो मेरे कंधे पर था. उसके बाद हमने बातरूम की तरफ जाना शुरू किया.
जाते-जाते मेरे दिमाग़ में एक खुराफात आई. मैने अपने डाए हाथ से जो उनका दया हाथ पकड़ा हुआ था, उसको मैं अपने बूब पर दबाने लग गयी. पापा ने भी हाथ पीछे नही किया, और मेरे बूब को टच करने का मज़ा लेने लगे.
फिर हम बातरूम पहुँच गये. मैने पापा को स्टूल पर बिताया, और उनके कपड़े उतारने लगी. अब पापा सिर्फ़ काले रंग के अंडरवेर में थे. उनका लंड तोड़ा-तोड़ा खड़ा हुआ लग रहा था. लेकिन मुझे उन्हे पूरी तरह उत्तेजित करना था.
फिर मैने उनकी बॉडी पर पानी डालना शुरू किया. उसके बाद मैं उनको साबुन लगाने लगी. साबुन लगते हुए मैं झुकी हुई थी और मेरे सेक्सी बूब्स का नज़ारा दिख रहा था. मैं देख रही थी, की पापा मेरे बूब्स को ही देख रहे थे.
मैं खुश थी, क्यूंकी मेरा मिशन सक्सेस्फुल हो रहा था. लेकिन उनका लंड अभी भी पूरा खड़ा नही हुआ था, मतलब वो पुर जोश में नही आए थे. तभी मैने कुछ ऐसा किया जिससे वो पुर जोश में आ गये.
जैसे की मैने आपको बताया था की मेरा पाजामा काफ़ी ट्रॅन्स्परेंट टाइप का था. मैने जब उनको नहलाने के लिए पानी डिब्बे में भरा, तो जान-बूझ कर डिब्बा अपने उपर गिरा लिया. डिब्बा सीधा जाके मेरे पेट पर गिरा, जिससे मेरा नीचे का हिस्सा पूरा भीग कर दिखने लगा. अब मेरी जांघें पूरी दिख रही थी, और मेरी बालों वाली छूट भी दिख रही थी. तभी मैं बोली-
मैं: ओहो, ये क्या हो गया. अब आपको नहलाने के बाद मुझे फिरसे नहाना पड़ेगा.
ये बोल कर मैने पापा को नहलाना जारी रखा. मैं देख सकती थी, की पापा का लंड मुझे देख कर पूरा खड़ा हो गया था. होता भी कैसे नही. मेरी मस्त जांघें और छूट को देख कर तो किसी भी मर्द का खड़ा हो जाए. ऐसे ही करते हुए मैने पापा को नहला दिया.
फिर मैं 2 मिनिट के लिए बातरूम से बाहर गयी, ताकि वो अपना अंडरवेर उतार कर बदल सके. उसके बाद मैने उनकी कपड़े पहनने में हेल्प की, और हम फिरसे उनके रूम की तरफ चल पड़े. मैने फिरसे उनको वैसे ही पकड़ा था. लेकिन इस बार मैने उनके डाए हाथ पर अपने हाथ नही रखा.
मैं देखना चाहती थी की क्या पापा अपनी तरफ से कुछ करेंगे या नही. और हुआ भी वैसा ही इस बार पापा ने खुद से मेरे बूब पर अपना हाथ रख लिया, और उसको हल्के-हल्के प्रेस करने लगे. मैने इस पर कोई रिक्षन नही दिया, और पापा भी अंजान बन कर मेरा बूब दबाते रहे. फिर मैने जाके पापा को बेड पर बिता दिया. जब मैं रूम से बाहर जाने लगी, तो पापा बोले-
पापा: बेटी वो सामने ड्रॉयर से मेरी बुक निकाल डोगी.
मैं: जी पापा, कों से ड्रॉयर में पड़ी है?
पापा: वो नीचे वाले में पड़ी है.
मैं समझ गयी थी की पापा मेरे पीछे से मेरी गांद का नज़ारा देखना चाहते थे. जब मैं नीचे झुकी, तो मैने सामने लगे एक छ्होटे से शीशे में देखा. मैं बिल्कुल सही थी. पापा हवस भारी नज़रो से मेरी गांद ताड़ रहे थे. मैं खुश हो गयी, क्यूंकी अगर ऐसा चलता रहता, तो पापा कुछ ही दिन में ठीक हो जाते.
फिर मैने बुक निकाल के पापा को दी, और रूम से बाहर चली गयी. मैने फिरसे विंडो में से पापा को देखा. आज भी उनका हाथ उनके लंड पर था. मुझे पूरा विश्वास था की मैं अपने पापा को जल्दी ही ठीक कर दूँगी.
उसके बाद मैने कपड़े बदल लिए, और नॉर्मल जीन्स और त-शर्ट पहन ली. जब मैने पापा को खाना खिलाया, तो मैने नोटीस किया की पापा मेरी त-शर्ट में से मेरी क्लीवेज देखने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन इस त-शर्ट में से उनको ज़्यादा कुछ मिलने वाला नही था. मैं देख रही थी, की पापा पॉज़िटिव रेस्पॉन्स दे रहे थे.
ऐसे ही करते हुए शाम हो गयी. अब मैं सोच रही थी, की मैं ऐसा क्या करू, की पापा और उत्तेजित हो जाए. मैं ध्यान भी रख रही थी, की कही पापा को ऐसा ना लगे की मैं जान-बूझ कर ऐसा कर रही थी. फिर मेरे दिमाग़ में एक धांसु आइडिया आया, जिससे मैं पापा को काफ़ी उत्तेजित कर सकती थी.
अब वो आइडिया क्या था, और कैसे मैने शाम में पापा को उत्तेजित किया. ये सब जानने के लिए आपको कहानी के अगले पार्ट की वेट करनी पड़ेगी. अगर आपको यहा तक की कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो प्लीज़ आप इस कहानी को अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे. ताकि वो भी मेरी इस कहानी का मज़ा ले सके. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद. अगला पार्ट जल्दी ही आएगा.