हेलो दोस्तों, मैं कारण आपका फिरसे स्वागत करता हू. जैसा की आपने पिछले पार्ट में जाना, की राजू की क्लास में एक लड़का आया और राजू उससे प्यार करने लगा. उसके लिए जो लेटर लिखा था, उस लेटर को उसके क्लास के चार हरामी लड़के देख लिए, और उसका फिदा उठा के राजू को छोड़ने लगे. अब आयेज की कहानी, राजू के हिसाब से-
अब मेरे मूह में प्रसाद का लंड था. गांद में फिरसे राम का लंड, और दोनो हाथ में रवि और तेज का लंड था. तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. दरवाज़े की आवाज़ सुन कर हम चारो दर्र गये. फिर जल्दी से राम को छ्चोढ़ के हम चारो बातरूम में जेया कर च्छूप गये.
जब राम ने अपने कपड़े पहन के दरवाज़ा खोला, तो उसका पड़ोसी था दरवाज़े पर. उसने राम को चिल्लाने की आवाज़ के बारे में पूछा, तो राम ने छिपकली का बहाना बोल के उसके पड़ोसी श्याम चाचा को भगा दिया.
फिर जब वो कुण्डी लगा के इधर आया, तो उसने देखा की बातरूम में भी प्रसाद, तेज और रवि मुझे छोड़ रहे थे. उनको मुझे छोड़ते देख कर वो भी उनके साथ शामिल हो गया. फिर वो मुझे छोड़ के मेरे मूह में उनका पानी पीने के लिए बोले. मैं चुप-छाप उनका पानी पी गया. फिर मैं वाहा से चला आया.
जब मैं घर आया तो मुझे उस दिन अब इतना बुरा नही लग रहा था. क्यूंकी मुझे भी अब मज़ा आने लगा था. अब मुझे उन चारो ने अपनी रंडी बना लिया था. जहा भी उन्हे मौका मिलता था, वो मुझे छोड़ देते थे.
वो कभी मुझे क्लास में, तो कभी जंगल में छोड़ते थे. और मैं भी मज़ा लेता था. अब मैं पीयूष को भूल चुका था. गाओं में एक खंदार था. वाहा भूत है ऐसी अफवाह होने के कारण कोई भी वाहा नही आता था. इसलिए वो मुझे ज़्यादातर वाहा पर ही छोड़ते थे.
एक बार की बात है, जब मैं और वो चारो खंदार में जेया कर चुदाई के लिए नंगे हो गये. अब राम का लंड मेरे मूह में था. तभी राम के पड़ोसी श्याम चाचा आ गये. वो आके उसको बोले-
चाचा: आबे मदारचोड़, ये क्या बवाल है बे?
राम: कुछ नही चाचा.
चाचा: मुझे उस दिन ही तोड़ा अजीब लगा था, लेकिन आज पता चल गया है की गांद चुदाई हो रही है तुम सब की.
राम: प्लीज़ चाचा, आप मेरे घर में किसी को मत बोलना.
चाचा: एक शर्त पे नही बोलूँगा.
राम: क्या शर्त चाचा?
चाचा: आज मुझे डेडॉ अपनी इस रंडी को.
फिर राम, प्रसाद, रवि और तेज चले गये मुझे अकेला चाचा के पास छ्चोढ़ कर. वैसे मैं बता डू, की श्याम चाचा 35 आगे के थे. मगर दिखने में बहुत तगड़े थे, और 6 फीट हाइट थी उनकी. फिर जब वो नंगे हुए तो उनका 8.5 इंच वाला लंड देख कर मैं तो बौखला गया.
मैं अंदर ही अंदर खुश भी था, और दर्रा हुआ भी था. मैं तोड़ा रोने भी लग गया. फिर चाचा ने मुझसे पूछा-
चाचा: क्या हुआ राजू, रो क्यूँ रहे हो?
राजू: आप कितने बड़े हो, मुझे दर्र लग रहा है.
चाचा: दररो मत, तुम्हे मज़ा आएगा.
ये बोल कर वो मुझे अपने बाहों में उठा लिए, और किस करने लगे. उसी बीच उनका खड़ा लंड मेरी जांघों में टच होने लगा. फिर वो मुझे हवा में ही लंड घुसा के छोड़ने लगे. मुझे दर्द हो रहा था. लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था. क्यूंकी इधर उनका लंड मेरी गांद में था, और मेरा मूह उनके मूह से चिपक गया था.
फिर जब मुझे बहुत मज़ा आने लगा, उसके बाद वो मुझे कुत्ते की पोज़िशन में ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगे.
वो छोड़ते हुए बोल रहे थे: वाह, बहुत बढ़िया मेरी रंडी. तुम तो मस्त मज़ा दे रहे हो बे बेहन के लोड. तुम्हारी गांद का तो भोंसड़ा बना दूँगा आ ऊ फक.
ऐसे ही अलग-अलग पोज़िशन करके वो मुझे छोड़ने लगे. फिर करीब 45 मिनिट के बाद वो मेरी गांद में ही झाड़ गये. मेरी तो गांद और भी फूल गयी थी, लेकिन उस वक़्त झड़ने के बाद भी उनका लंड खड़ा ही था.
मे: चाचा, लंड ढीला क्यूँ नही हुआ है?
चाचा: तुम्हारी गांद इतनी मस्त है, की ये इसको और छोड़ना चाहता है.
मे: लेकिन उन्न चारो का तो एक बार के बाद झाड़ जाता है.
चाचा: क्यूंकी वो बच्चे है बे मदारचोड़, और मैं मर्द हू.
मे: तो दिखाओ अपनी मर्दाना शक्ति.
चाचा: आबे बहनचोड़, तुम चल नही पाओगे, मॅर जाओगे बे.
मे: तो मार डालो ना. आज मैं आपकी रंडी हू, तो मुझे मार डालो.
मेरे बोलने के बाद चाचा ने फिरसे मुझे हवा में उठा लिया, और ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगे. पहले से ही उनका पानी गांद में होने की वजह से लंड आचे से फिसल रहा था, और मज़ा बहुत आ रहा था. अब तो चाचा और भी गाली देकर छोड़ रहे थे.
चाचा: मर्दाना शक्ति देखनी है ना रंडी? ले देख मेरे लंड की मर्दानगी. तुझे आज सच में रंडी बना दूँगा बे मदारचोड़. आज तो घोड़ी बना के पेलुँगा.
इस बार तो चाचा ने पूरा एक घंटे तक छोड़ा, और मेरी तो गांद में से खून भी निकालने लगा. मैं सच में चल नही पा रहा था. तब चाचा ने मुझे गोद में उठा कर अपने घर छ्चोढ़ दिया, और घर में बोल दिया की मैं पीछे टक्कर खा कर गिर गया था.
दो दिन बाद मैं ठीक हो गया. अब मेरी गांद इतने मज़े में आ गयी थी, की मैं अब उन चारो को बुला-बुला के चुदाई करने को बोल रहा था. और जब चाचा मिल जाते, तो मैं तो उस दिन अपनी गांद का पूरा मज़ा देता था.
अब टीन सालों तक मेरी गांद की चुदाई ऐसे ही उन हरामी चारो लड़कों ने, और श्याम चाचा ने मिल कर की. फिर मेरे पापा का तबादला हो गया बेरहामपुर में, और हम आ गये यहा पर. आज भी मुझे वो चुदाई, गाली, मार बहुत याद आती है.
मैं आज भी चुड़वता हू, लेकिन उस टाइम की चुदाई बहुत ख़ास है मेरे लिए. क्यूंकी उस टाइम मुझे चुदाई का पूरा मज़ा मिलता था, और पुर गाओं में हर कोने में मेरी चुदाई हुई थी. मैं उस दिन के बाद उन चारो से नही मिला. अब भी मैं सिंगल हू, और अपनी गांद की खुजली मिटा रहा हू.
तो दोस्तों ये थी राजू की कहानी टीन सालों की, जिसमे उसको मज़ा भी मिला, दर्द भी मिला, और नया एक्सपीरियेन्स भी मिला. उमीद करता हू की आपको ये कहानी पसंद आई होगी.
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