ही दोस्तों, मेरा नाम युवराज है, और मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. उमीद है आपने पिछले पार्ट को मिस नही किया होगा. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की मेरी मा मेरे लिए रिश्ता ढूँढ रही थी. फिर उनकी मंदिर की एक फ्रेंड ने उन्हे रिश्ता बताया और लड़की की मा से मिलवाया. फोटो देख उन्होने मुझे पसंद कर लिया. जब लड़की से हम मिले, तो वो इतनी खूबसूरत नही थी. फिर भी हमने हा बोलने का सोचा.
उसके बाद जब वो लोग हमारा घर देखने आए, तो मैने लड़की की भाभी साक्षी को देखा. उसकी खूबसूरती को देख कर मैं तो जैसे पागल हो गया. घर देख कर वो चले गये, और फिर उन्होने रिश्ते के लिए माना कर दिया. लेकिन साक्षी भाभी मेरे दिमाग़ से निकल नही रही थी. अब आगे-
मैने जो साक्षी भाभी को रिक्वेस्ट भेजी थी फ्ब पे, वो आक्सेप्ट हो चुकी थी. अब मैं बड़ा एग्ज़ाइटेड था. लेकिन मैं सोच रहा था की बात शुरू तो कर लूँगा, लेकिन आयेज कैसे बढ़ौँगा. फिर मैने सोचा की शुरू करते है, आयेज जो होगा देखा जाएगा. ये सोच कर मैने मेसेज किया-
मैं: हेलो साक्षी जी.
साक्षी: ही, कैसे हो?
मैं: मैं ठीक हू. आप कैसे हो?
साक्षी: मैं भी ठीक हू. सॉरी की तुम्हारा रिश्ता नही हो पाया.
मैं: इट’स ओक. ऐसा होता रहता है. जब लोग क्वालिटी को ना देख कर सिर्फ़ पैसे देखते है, तो ऐसा ही होता है.
साक्षी: हा वो तो है.
मैं: वैसे बुरा ना मानो तो एक बात पूचु?
साक्षी: हंजी ज़रूर पूछिए.
मैं: आपने इनके बेटे से शादी कैसे कर ली?
साक्षी: क्यूँ क्या हुआ?
मैं: मतलब आपका कोई मेल नही है एक-दूसरे से. आप इतनी खूबसूरत, और आपके हज़्बेंड को देखो तो…
साक्षी: हा मैं जानती हू. यहा भी आपके वाला केस है क्वालिटी और पैसे वाला. मैं एक ग़रीब फॅमिली से हू. मुझे पैसे की दिक्कत नही झेलनी थी सारी ज़िंदगी, और इनको अपने बेटे के लिए एक खूबसूरत लड़की चाहिए थी.
मैं: और प्यार? पॅशन? कंपॅटिबिलिटी?
साक्षी: सब कुछ कहा मिलता है एक साथ में.
मैं: मतलब पैसों के लिए आपने एक ऐसे आदमी से शादी कर ली, जिसके साथ जब भी आप पिक्चर क्लिक करेंगी, किसी पार्टी में जाएँगी, या फिर किसी को अपने हज़्बेंड से इंट्रोड्यूस कराएँगी, तो आपको एक दुख का एहसास होगा.
साक्षी: ह्म.
मैं: वो दुख क्या पैसे से डोर किया जेया सकता है?
साक्षी: युवराज अगर तुम सही भी हो, तो अब क्या हो सकता है?
मैं: मुझसे फ्रेंडशिप करोगे?
साक्षी: मैं मॅरीड हू युवराज.
मैं: मैं जानता हू.
साक्षी: और तुमसे फ्रेंडशिप करके मेरा क्या फ़ायदा है.
मैं: हसील पल. मैं आपको वो हसीन पल दूँगा, जो आपको अपने हज़्बेंड के साथ कभी नही मिलेंगे.
साक्षी: मुझे अभी कुछ पता नही. मैं सोच कर बताती हू.
मैं: हा, टके युवर टाइम.
फिर मैं वेट करने लगा की साक्षी कब मेरे सवाल का जवाब देगी. 2 दिन बीट गये, लेकिन उसकी तरफ से कोई जवाब नही आया. मुझे लगा शायद वो इंट्रेस्टेड नही होगी. फिर तीसरे दिन मुझे मेसेज आया-
साक्षी: ही.
मैं: ही.
साक्षी: तुमने सही कहा युवराज. पैसे के लिए मैने एक ऐसे आदमी के साथ शादी कर ली है, जो जब भी मेरे करीब आता है, तो मेरा मॅन टूट जाता है. उसको जब मैं कपड़ों में देखती हू, तो मुझे घिंन आती है. सोचो जब वो बिना कपड़ों के मुझे छ्छूता होगा, तो मुझे कैसा लगता होगा. और वैसे भी उसको भी मुझसे कोई प्यार-व्यार नही है. उसको सिर्फ़ मेरे जिस्म से मतलब है.
मैं: सुन कर बुरा लगा.
साक्षी: तो जो कल तुमने मुझसे सवाल पूछा था, उसका जवाब हा है. मैं बनूँगी तुम्हारी गर्लफ्रेंड.
मैं: ई लोवे योउ साक्षी. जब से मैने तुम्हे देखा है, मेरे दिल-दिमाग़ में तुम ही तुम घूम रही हो. मुझे तुम्हारी ननद से रिश्ता ना होने का ज़रा सा भी दुख नही है. दुख तो इस बात का था की शायद मैं तुम्हे दोबारा ना देख पौ. एक अजीब सी घबराहट होने लगी थी.
साक्षी: युवराज आज तक इतनी प्यारी बात किसी ने मुझे नही कही. ई लोवे योउ टू युवराज. मुझे तुम जैसा लड़का चाहिए था. लेकिन मुझसे ग़लती हो गयी. पर चलो देर से ही सही, मुझे अपनी पसंद का लड़का तो मिला.
फिर हमारी कुछ दिन ऐसे ही प्यार भारी बातें चलती रही. मैने उससे कोई सेक्सी टाइप बात नही की, क्यूंकी मैं नही चाहता था की वो मुझे सेक्स का भूखा समझे. फिर एक दिन उसी ने ऐसी बात की, जिससे मुझे सेक्सी बातें करने का मौका मिल गया. हमारी बात कुछ ऐसी हुई-
साक्षी: अछा वैसे ऐसा क्या देखा तुमने जो मैं तुम्हे पसंद आ गयी?
मैं: अब एक चीज़ हो तो बतौ.
साक्षी: कोई नही, ज़्यादा चीज़े सुनने के लिए बहुत टाइम है. बताओ ना प्लीज़.
मैं: चलो बताता हू. पहली बार जब मैने तुम्हे देखा, तो तुम्हारे चेहरे का नूवर देख कर मेरी रूह खुश हो गयी. फिर तुम्हारी स्माइल देख कर मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. जब तुम मुस्कुराती हो, तो तुम्हारे चेहरे का नूवर और बढ़ जाता है.
मैं: तुम्हारी चमकती आँखें सीधे किसी के भी दिल में वार करती है. गर्दन ऐसी की देखते ही किस करने का दिल करता है. और…
साक्षी: क्या हुआ, रुक क्यूँ गये?
मैं: अगर आयेज बढ़ा, तो कही तुम ये ना सोचो की मैं हवस का पुजारी हू.
साक्षी: हवस का पुजारी वो होता है जो सिर्फ़ सेक्स चाहता था. प्यार वो होता है जिसमे पसंद भी होती है, प्यार भी होता है, और सेक्स भी होता है. और वैसे भी अब मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हू. मुझसे ऐसी बातें नही करोगे तो किससे करोगे? जो बोलना है खुल के बोलो. शरमाओ मत. हवस का पुजारी तो मेरा पति है, जिसके साथ ना चाहते हुए भी मुझे सेक्स करना पड़ता है.
फिर मैने क्या बोला, और आयेज इस कहानी में क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी ज़रूर शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद. [email protected]