ही दोस्तों, मैं हू राहुल. मैं देल्ही में एक मंक में जॉब करता हू. मेरी आगे 27 है, और मैं अभी सिंगल हू. हाइट मेरी 5’11” है, और बॉडी अची है. मैं काफ़ी हॅंडसम हू, तो लड़की पाटने में आसानी होती है. लंड मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है, तो किसी भी छूट को चरमसुख दे सकता है. अब मैं अपनी कहानी पर आता हू.
मैं जिस ऑफीस में काम करता हू, वाहा काफ़ी सारी लड़कियाँ है. उनमे से काई लड़कियों को मैने छोड़ा हुआ है. लेकिन कोई भी लड़की ऐसी नही थी जिसके साथ मैं सेट्ल होने का सोचु. सब के साथ चुदाई करने के बाद मेरा उनमे इंटेरेस्ट नही रहा.
फिर एक दिन एक नयी लड़की ने मेरे ऑफीस में जाय्न किया. उस लड़की का नाम रोज़ी था, और वो देल्ही से ही थी. जिस दिन मैने रोज़ी को पहली बार देखा, तो देखता ही रह गया. गोरा रंग, 5’7″ की हाइट, 36-28-36 का पर्फेक्ट फिगर, खूबसूरत नैन-नक्श, और तगड़ी पर्सनॅलिटी. उसकी आगे 24 साल थी.
उसको देखते ही मुझे कुछ-कुछ होने लगा. वो ज़्यादा किसी से बात नही करती थी, और उसका और मेरा डिपार्टमेंट अलग होने की वजह से मेरी भी अभी तक उससे बात नही हुई थी. मैं बिना वजह बात नही शुरू करना चाहता था, क्यूंकी मैं नही चाहता था की वो मुझे चेप समझे.
लेकिन फिर एक दिन मुझे उसके साथ बात करने का मौका मिला. हमारे ऑफीस में एक नये प्रॉजेक्ट पर काम शुरू हुआ था, जिसका टीम लीडर मुझे बनाया गया था. और रोज़ी मेरी टीम में थी. इस सिलसिले में मैं अपने सभी टीम मेंबर्ज़ की एक-एक करके मीटिंग ले रहा था. तो मुझे रोज़ी से बात करने का मौका मिला.
उससे बात करके मुझे पता चला की वो बहुत समझदार भी थी. मैं उसकी पर्सनॅलिटी से इंप्रेस हो चुका था. मुझे लगने लगा था की शायद रोज़ी ही वो लड़की थी, जिसका मुझे इंतेज़ार था. अब मुझे उससे दोस्ती करनी थी.
एक दिन बारिश हो रही थी, और आप लोग देल्ही की बारिश के बारे में तो जानते ही होंगे, की हर जगह जाम लग जाता है. मैं ऑफीस की बेसमेंट से गाड़ी लेके निकल रहा था. तभी मैने रोज़ी को देखा. वो अपनी कॅब का वेट कर रही थी. मुझे ये अछा मौका दिखा, और मैने अपनी गाड़ी उसके सामने जाके रोक दी.
मैं: रोज़ी, तुम्हे ड्रॉप कर डू?
रोज़ी: नो थॅंक योउ सिर. मेरी कॅब आ रही है.
मैं: इस बारिश में कॅब कभी टाइम पर नही आती. तुम बिना वजह लाते ही जाओगी. आओ मैं ड्रॉप कर देता हू. नही तो ऐसा करो कॅब वाले को कॉल करके पूच लो कहा पहुँचा है.
फिर रोज़ी ने कॅब वाले को कॉल की. उसने कहा की उसको कम से कम आधा घंटा और लगने वाला था. ये सुन कर रोज़ी ने कॅब कॅन्सल कर दी, और मेरी गाड़ी में बैठ गयी. रोज़ी ने कुर्ता वित जीन्स पहन रखा था, जिसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी.
स्किन-टाइट जीन्स में उसकी जांघें देख कर मुझे थोड़ी उत्तेजना होने लगी थी. फिर मैने उससे बात शुरू की, और उसके बारे मैं पूछना शुरू किया. उसने बताया की उसके घर में उसकी मा और एक छ्होटा भाई थे. उसके घर पहुँचते-पहुँचते हमारी काफ़ी बातें और हस्सी-मज़ाक हुआ.
वो हस्ती हुई बहुत खूबसूरत लगती थी. अब वो मेरे साथ पूरी कंफर्टबल हो गयी थी. अगले दिन से ऑफीस में भी आते-जाते हमारी बात होने लगी. कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. फिर एक दिन मैने उसको कॉफी के लिए पूछा. वो मान गयी. कॉफी पीते हुए मैने उसको बहुत हासाया, और साथ ही मोविए के लिए भी पूच लिया.
वो भी कही ना कही जानती थी, की बात धीरे-धीरे किस तरफ जेया रही थी. फिर मोविए वाले दिन हम लोग थियेटर में बैठे मोविए देख रहे थे. हमारी आयेज की सीट पर एक लड़का-लड़की बैठे थे. वो दोनो गफ़-ब्फ थे, और तभी उन्होने किस्सिंग शुरू कर दी.
मेरा ध्यान उन दोनो की तरफ था, और मैं उनको बड़े गौर से देख रहा था. तभी रोज़ी ने मेरे सामने चुटकी मार कर मेरा ध्यान वाहा से हटाया. वो बोली-
रोज़ी: मोविए देखने आए हो तो वो देखो. उधर क्यूँ देख रहे हो?
मैं: देख तो मोविए ही रहा था, लेकिन उधर मोविए से भी कुछ ज़्यादा इंट्रेस्टिंग देखने को मिल गया.
रोज़ी: बड़ा इंटेरेस्ट है तुम्हे देखने में. अपनी गफ़ को बोलो तुम्हे भी किस करने दे.
मैं: गफ़ होगी तो कहूँगा ना.
रोज़ी: तो बना लो.
मैं: एक लड़की तो है मेरी नज़र में, लेकिन पता नही वो हा बोलेगी या नही.
रोज़ी: पूच कर देख लो, हा तो हा, ना तो ना.
मैं: ओक, क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी रोज़ी.
ये सुन कर वो शर्मा गयी, और मूह दूसरी तरफ कर लिया. फिर मैने अपने हाथ से उसके मूह को अपनी तरफ घुमाया और पूछा-
मैं: बताओ ना, क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
उसने अपनी आँखें झुका ली, और मैने इसको उसका अप्रूवल मान कर अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिए. अब हमारी किस शुरू हो चुकी थी. क्या स्वाद आ रहा था उसके होंठ चूसने में. शुरू-शुरू में उसको किस करना नही आ रहा था, लेकिन मुझे कॉपी करते हुए वो भी मज़े से किस करने लगी.
तकरीबन 15 मिनिट तक हमारी किस चलती रही. इस दौरान मैने अपने एक हाथ से उसका बूब भी हल्के-हल्के दबाना शुरू कर दिया. वो मुझे रोक नही रही थी, इसका मतलब ये था की वो सब कुछ करने को तैयार थी. फिर मैने उसके बूब से अपना हाथ हटाया, और उसकी जाँघ पर ले गया.
क्या मस्त सॉफ्ट जाँघ थी. मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था. फिर मैने उसका हाथ पकड़ा, और अपने खड़े लंड पर रख दिया. उसने एक-दूं से हाथ हटा लिया जैसे पता नही हाथ में क्या पकड़ लिया हो. लेकिन मैने फिरसे उसका हाथ पकड़ कर लंड पर रखा, और उसी के हाथ से लंड को सहलाने लगा.
अब वो कंफर्टबल हो गयी थी, और आराम से लंड सहला रही थी. तकरीबन 15 मिनिट हम दोनो का ऐसे ही चलता रहा. फिर हम अलग हुए. हम दोनो की साँसे चढ़ि हुई थी, और हम एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी अची लगे तो शेर ज़रूर करे.
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