हेलो गाइस, मुझे लोग प्यार से बंटी बुलाते है. मेरी आगे 19 यियर्ज़ है. फॅमिली में मेरी मैं, मेरी मम्मी, डॅडी, और दीदी है. मेरी फॅमिली 4त फ्लोर पे एक 3 भक अपार्टमेंट में रहती है. मेरी मम्मी बहुत सुंदर और नेचर वाइज़ भी अची है, और उन्हे सब पसंद करते है. मैने काई बार देखा है, की हमारी सोसाइटी के अंकल उन्हे घूर के देखते है.
मेरी दीदी भी मेरी मम्मी की कार्बन कॉपी है. बस छ्होटा वर्षन है. मेरी दीदी का नाम निशा वेर्मा है. उनकी आगे 20 यियर्ज़ है, और वो कॉलेज में पढ़ती है. मेरे डॅडी काफ़ी प्राउड फील करते है मेरी बेहन पे, क्यूंकी वो क्लास टॉपर है, और एक मैं मुश्किल से पास होता हू.
मेरी बेहन बिल्कुल क्यूट है और उसकी आगे 20 यियर्ज़ में भी उसके बूब्स बहुत बड़े है. हमारी सोसाइटी के सारे मर्द उसे बुरी नज़र से देखते है. उसका स्किन कलर बिल्कुल फेर और उसका फिगर 34-25-34 इंचस है. हमारी फॅमिली थोड़ी कन्सर्वेटिव है, तो हमे बिल्कुल भी आज़ादी नही है.
हमारे पड़ोस में एक अपार्टमेंट खाली था, तो वाहा पे एक कपल रहने आया. पर उससे मेरे डॅडी को बहुत प्राब्लम थी, क्यूंकी वो कपल दूसरे धरम का था. मेरे डॅडी एक ओल्ड फॅशंड इंसान है, और वो दूसरे धरम के लोगों को बिल्कुल भी पसंद नही करते है.
जब उन्हे पता चला हमारे पड़ोस में एक-दूसरे धरम का परिवार आ रहा था, तो उन्होने काफ़ी हुंगमा किया. हमारे सारे अपार्टमेंट में हिंदू फॅमिली रहती है, तो डॅडी ने काफ़ी कोशिश की उन्हे रोकने की. पर वो नाकाम रहे, और वो फॅमिली हमारे अपार्टमेंट के सामने ही शिफ्ट हो गयी.
पर डॅडी का मूड तब ज़्यादा खराब हुआ जब इन्हे पता चला की उनकी फॅमिली में जो आदमी था, आगे 47, जो हटता-कटता 6 फुट का था, वो डॅडी का पुराना कॉलेज का दुश्मन था. पहले दिन ही जब वो आदमी अपनी वाइफ के साथ आया, तब डॅडी से हाता पाई हो गयी.
बाकी लोगों ने उस आदमी और डॅडी को अलग किया. उसी टाइम से हम दोनो के फॅमिलीस के रीलेशन बहुत खराब थे. भले ही आमने-सामने रहते थे, पर हम दोनो फॅमिलीस में कोई भी आपस में बात नही करता था.
पर मैने हमेशा नोटीस किया की वो आदमी हमेशा मेरी मम्मी और मेरी बेहन को बुरी नज़र से देखता था. लेकिन मैं क्या ही कर सकता था. काई बार मैने भी अपनी बेहन का नाम लेकर मूठ मारी थी.
वो अंकल हमेशा मुझसे बात करने की कोशिश करते रहते थे, पर मेरे डॅडी ने सब को बोला था की उससे डोर रहना. इसलिए मैं हमेशा कोई बहाना बना कर निकल जाता था.
बात तब की है जब फेस्टिवल होली आने वाली थी. तो हम सब बहुत एग्ज़ाइटेड थे, ख़ास कर मैं. हमारी सोसाइटी में होली बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है. आज होली का दिन था, पर मेरी मम्मी नाना-नानी के घर गयी थी होली मानने. मेरे डॅडी भी सफेद कुर्ता पाजामा पहन कर तैयार हो रहे थे. हम सब सोसाइटी के नीचे इकट्ठे हो कर होली मानते है.
मेरे डॅडी वैसे तो दारू नही पीते, पर होली के दिन वो काफ़ी दारू पीते है और शाम को वापस घर आते है. मैं भी पूरी तैयारी कर रहा था होली खेलने जाने के लिए. वैसे ही दीदी अपनी पूरी तैयारी कर रही थी.
दीदी होली खेलने के लिए सबसे पहले घर से निकल गयी. उसके बाद डॅडी और फिर मैं. जब मैं घर से निकला, तो मैने अपने घर का लॉक लगा दिया, और चाबी अपने पास रख ली. दीदी ने ब्लॅक कलर की टाइट त-शर्ट पहनी थी, और ब्लॅक पाजामा पहना था. टाइट त-शर्ट में उनके बूब्स काफ़ी बड़े और सेक्सी लग रहे थे.
मैं जब नीचे गया तो मैने अपनी बेहन को देखा जो बाकी दोस्तों के साथ होली खेल रही थी. फिर जब मैं तोड़ा आयेज गया, तो देखा की मेरे डॅडी दारू पीने की तायारी कर रहे थे. फिर मैं भी अपने दोस्तों के साथ होली खेलने लगा और मौज करने लगा. करीब 1 घंटे बाद मेरी बेहन की दोस्त रिया मेरे पास आई और बोली-
रिया: सुनो बंटी.
मे: ह्म, हॅपी होली.
रिया: हॅपी होली. अर्रे वो तेरी बेहन ने ग़लती से भांग पी ली. अब उसे संभला नही जेया रहा. तू उसे रूम पर ले जेया.
मे: कहा है वो?
रिया: मेरे साथ चल.
फिर मैं उसके पीछे चला गया तो देखा मेरी बेहन एक कुर्सी पर बैठी थी और उसे ज़्यादा होश नही था. तो मैने डॅडी को ढूँढने की कोशिश की, पर वो नही मिले. फिर मैं उसे खुद उपर ले गया लिफ्ट से. जब मैं 4त फ्लोर पर पहुँचा तो मैने देखा की पड़ोस वाला आदमी अपने रूम के बाहर खड़ा घूम रहा था. उसने जब हमे देखा तो पूछा-
वो आदमी: क्या हुआ तुम्हारी बेहन को?
मे: वो ग़लती से भांग पी ली इसने.
वो आदमी: तुम अकेले आए हो, मम्मी-पापा किधर है?
मे: मम्मी नाना-नानी के घर गयी है, और पापा दारू पीने. अब वो शाम से पहले नही आएँगे.
वो: तुम अकेले कैसे संभालोगे? ऐसा करो तुम इसे मेरे रूम पर लिटा दो.
मुझे अपनी बेहन को इस हालत में उसके पास छ्चोढना बिल्कुल सेफ नही लगा. क्यूंकी उसकी वाइफ भी काई दीनो से बाहर गयी थी और वो आदमी हमेशा मेरी बेहन को बुरी तरह से देखता है.
मे: नही कोई ऐसी एमर्जेन्सी नही है. मैं संभाल लूँगा.
पर वो आदमी नही माना.
वो फिरसे बोला: अर्रे बेटा मुसीबत में पड़ोसी ही काम आते है. उसे ले आओ मेरे घर पे.
मैने बड़ी मुश्किल से उससे पीछा चुधया और अपनी बेहन को अपने घर के अंदर ला कर तुरंत गाते बंद कर दिया. उसके बाद मैने अपनी बेहन को अंदर बेडरूम डबल बेड पर लिटा दिया.
उसके बाद वो सोने लग गयी. अब मेरे अंदर चुल थी की मुझे होली खेलने जाना था. तो मैने बाहर चेक किया तो वो अंकल बाहर नही थे. फिर मैं भी बाहर निकला, और रूम बाहर से लॉक कर दिया. फिर मैं नीचे ग्राउंड में अपने दोस्तों के साथ होली खेलने लग गया.
मेरे दोस्तों ने बोला: चल आ, सोसाइटी के बाहर चल कर दूसरी जगह जाते है.
फिर मैने सोचा की कही डॅडी को वापस घर जाना हो तो कैसे जाएँगे. पर मुझे तो होली खेलने जाना था, तो मैने जल्द-बाज़ी में चाबी अपने वॉचमन को दे दी.
मे: अर्रे वॉचमन भैया, ये ले लो घर की चाबी इसको डॅडी को दे देना.
वॉचमन: अर्रे बेटा मेरी नाइट ड्यूटी थी, और मॉर्निंग वॉचमन की आज छुट्टी है. और मैं भी घर निकल रहा हू.
मुझे तो होली खेलने जाना था, तो मुझे जल्दी थी. मेरे दोस्त मेरा वेट कर रहे थे, तो मैने वॉचमन को बोला-
मे: अर्रे किसी डॅडी के दोस्त को दे देना. और वो चाबी डॅडी को दे देंगे.
फिर मैं अपने 4 दोस्तों के साथ होली खेलने निकल गया.
इसके आयेज क्या हुआ वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करे.
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