मैं: अब तुम्हे मालूम ही है तो सुन लो. हम दोनो स्कूल से ही दोस्त थे. हम दोनो कब एक-दूसरे के सामने नंगे हो गये हम खुद नही जानते. वो तो मुझे बहुत पहले से ही छोड़ना चाहता था. मैं उसको और सब तरह का मज़ा देती थी, लेकिन चुदाई शुरू की कॉलेज के फाइनल एअर के आख़िरी टीन-चार महीनो में.
मैं: मुझे बढ़िया से याद है, हमने कुल मिला कर 12 बार ही चुदाई की. लेकिन उसके सामने 200 से ज़्यादा बार नंगी हुई थी. मैं हर बार उसका लोड्ा चूस्टी थी, और वो मेरी छूट को चूस्टा और छत-ता था. बिना चुदाई के ही हम एक-दूसरे को पूरा ठंडा कर देते थे.
एक पब्लिक प्लेस में मैं अपने बेटे को अपने प्रेमी के साथ की चुदाई की बातें बता रही थी.
मैं: मालूम नही कैसे उसके घर वालो को पता चल गया. उन लोगो ने उसकी शादी कही और कर दी. एक महीने के अंदर मेरी शादी तुम्हारे बाबा से हो गयी. तुम्हारे बाबा ने मुझसे कभी कोई शिकायत नही की. मुझे बहुत प्यार करते है. करीब-करीब हर रात छोड़ते है. कभी-कभी 2-3 बार लगातार छोड़ते है.
मैं: लेकिन बेटा, जो मज़ा, जो मस्ती कुंदन के साथ की चुदाई में आता था, वैसा मज़ा तेरे बाबा मुझे कभी नही दे पाए. बहुत बढ़िया से और बहुत देर तक छोड़ता था कुंदन मुझे.
मैं बेशरम जैसे बेटे को शादी के पहले की चुदाई की कहानी सुना रही थी. मुझे अपने सामने बैठा बेटा विनोद नही कुंदन ही दिख रहा था. मैं चाहती थी की विनोद ही मुझे अपनी प्रेमिका समझ कर छोड़े. लेकिन बेटा शायद कुछ और प्रोग्राम बना कर आया था.
विनोद: मा, हम दोनो ने एक साथ कभी सिनिमा नही देखा. मुझे अपना प्रेमी कुंदन समझ लो, और जैसे उसके साथ सिनिमा देखती थी मेरे साथ भी देखने चलो.
मैने और कुंदन ने सैंकड़ो बार साथ सिनिमा देखा होगा. सिनिमा देखते हुए वो मेरी छूट को सहलाता था, छूट में उंगली पेलता था. मैं भी उसका लोड्ा सहलाती थी, और काई बार मौका देख कर मैं उसका लोड्ा भी चूस्टी थी.
मुझे उसके लोड का रस्स पीना बहुत बढ़िया लगता था. मेरा पति भी मुझसे लोड्ा चुस्वता था, लेकिन झड़ने के ठीक पहले लोड को मौत से बाहर निकाल लेता था. विनोद वही कह रहा था जो मैं चाहती थी. लेकिन मैने नखरा किया.
मैं: बेटा साढ़े-चार बाज रहे है. सिनिमा देखने में बहुत लाते हो जाएगा. तेरे बाबा बहुत नाराज़ होंगे.
और विनोद ने टेबल पर रखे मेरे हाथो को पकड़ लिया और मसालने लगा.
विनोद: मा, हम हिन्दी नही कोई सेक्सी इंग्लीश फिल्म देखेंगे. बाबा 7 बजे आएँगे. हम उनसे पहले घर पहुँच जाएँगे.
मेरी छूट में आग लग रही थी. मैने सोच लिया की जैसे भी हो सिनिमा हॉल में विनोद नही तो किसी और के साथ मस्ती मारूँगी ही. बेटे ने मुझे अपनी पहले प्रेमी की याद क्या दिलाई, मैं लाज शरम भूल कर चुदसी हो गयी थी.
अपने सोशियल स्टेटस और पति को भूल मैं उस समय किसी का भी लोड्ा छूट में लेने को तैयार थी. आक्च्युयली मुझे कुंदन के 8 इंच लंबे और अपनी कलाई जैसे मोटे लंड के साथ छुड़वाने के साथ-साथ छूट चुसवाने की भी ज़रूरत थी.
हम दोनो आइस क्रीम पार्लर से निकले. बेटे ने एक टॅक्सी वाले से बात की. फिर हम दोनो टॅक्सी की पिछली सीट पर बैठ गये. मैं बेटे को फिर सेक्स की बातों में उलझाना चाहती थी. बेटे ने अपना एक हाथ मेरे पेट के नज़दीक एक जाँघ पर रखा. उसने थाइस को दबाया भी.
विनोद: मा, बहुत ही कड़क थाइस है.
मैने अपना एक हाथ थाइस पर रखे उसके हाथ पर रखा.
मैं: बेटा, ना तू राजेश खन्ना है, और ना मैं हेमा मालिनी. मैं तेरी मा हू, और मा की जाँघो को नही दबाना चाहिए. तुझे कुंदन के बारे में किसने बताया?
विनोद मेरी जाँघो से हाथ हटता कैसे? मैने अपने एक हाथ से उससे और ज़ोर से दबा रखा था. मैने महसूस किया की उसकी उंगलिया मेरी छूट की तरफ बढ़ रही थी. विनोद ने अपनी पॉकेट से एक लेटर निकाल कर मुझे दिया. मैने लेटर खोला, और मुझे लगा की हार्ट अटॅक आ जाएगा.
लेटर बिंगाली लॅंग्वेज में लिखा था. कुंदन ने मेरी पहली चुदाई के अगले दिन एक लेटर दिया था, जिससे मैने अपने ज्यूयलरी बॉक्स में ऐसी जगह रखा था, जहा किसी को आसानी से नही मिलता. उस लेटर में कुंदन ने जितना हो सकता था पूरी डीटेल से मेरे अंग-अंग का डिस्क्रिप्षन लिखा था. साथ ही हमारी पहली चुदाई का भी डीटेल्ड डिस्क्रिप्षन था.
मैं: ये लेटर दिखा कर तुम मुझे ब्लॅकमेल करना चाहते हो? मुझे, अपनी मा को छोड़ना चाहते हो?
विनोद ने थाइस पर से अपना हाथ खींच लिया. मुझे ये अछा नही लगा. मैं चाहती थी की चलती कार में बेटा मुझे छोड़े.
विनोद: आज सुबा रेणु ( हमारी 24-25 साल की मैड ) को ये लेटर तुम्हारे रूम से मिला. मुझे मालूम नही उसने ये पढ़ा की नही? मा, मैने बहुत सी पॉर्न बुक्स, चुदाई की किताबे पढ़ी है. लेकिन इस लेटर में कुंदन ने तुम्हारे अंग-अंग को डिस्क्राइब किया है, उसने कैसे छोड़ा, तुमने चुदाई के समय कैसा रेस्पॉन्स किया, वैसी डीटेल्स पहले नही पढ़ी.
विनोद ने फिर मेरी जाँघ को दबाया.
विनोद: मा, मैं आज से नही, जब से मेरा लोड्ा टाइट होना शुरू हुआ है मैं तुम्हे ही छोड़ना चाहता हू. लेकिन मैं तुम्हे ब्लॅकमेल कर छोड़ना नही चाहता हू.
विनोद: स्कूल में और कॉलेज में भी बहुत सी लड़कियाँ सामने से आ कर मुझसे छुड़वाना चाहती थी. लेकिन मुझे सिर्फ़ एक ही लड़की, एक ही औरत पसंद है, वो तुम हो मा. ये लेटर तुम संभाल कर रखो. कही बाबा या किसी और के हाथ ना लग जाए.
विनोद: मा, मुझे मालूम है की मा को छोड़ना पाप है. लेकिन प्लीज़ मुझे अपनी जवानी का फील लेने दो.
बोलते हुए बेटे ने मेरा एक हाथ पकड़ कर ट्राउज़र्स के उपर से लोड पर रखा. मैं जैसा एक्सपेक्ट कर रही थी लोड्ा वैसा टाइट नही था. फिर भी मैं लोड को ट्राउज़र्स के उपर से सहलाने लगी.
मैं: बेटा, मा से झूठ क्यूँ बोलता है. मैने मा होकर बेटे के साथ अपनी चुदाई की बात की, फिर तू मुझसे झूठ क्यूँ बोल रहा है की अब तक तुमने किसी को नही छोड़ा.
लेटर मेरे हाथ में था. मैने कुछ सोचा और लेटर को बिना फेड खिड़की के बाहर गिरा दिया. विनोद ने देखा की लेटर कही डोर उडद गया.
विनोद: मा, जो भी उस लेटर को पढ़ेगा किसी ना किसी को ज़रूर छोड़ेगा. छोड़ने नही डोगी तो कम से कम हाथ से सहला कर, लोड्ा चूस कर, जैसे कुंदन को ठंडा करती थी, मेरा लोड्ा भी सहलाओ और चूसो. प्लीज़ मा, अपने बेटे पर रहम खाओ. तेरे बेटे का लोड्ा अब तक किसी की छूट में नही घुसा है.
ड्राइवर: साहब सिनिमा हॉल आ गया.
उसने टॅक्सी रोकी. हम दोनो बाहर आए. टॅक्सी वाला भाड़ा लेकर चला गया. एक-दूसरे का हाथ पकड़े हम गाते के अंदर घुसे.
सिनिमा हॉल का नाम था “मॉडर्न सिनिमा”. इस इलाक़े में मैं पहली बार ही आई थी. सिनिमा हॉल देख कर लगा की ये हॉल 2-3 साल पहले ही बना होगा. बेटा काउंटर्स से टिकेट लेने गया, और मैं लोगों के कॉमेंट्स सुनती रही.
“क्या मस्त माल है यार! बहुत कीमती हॉग. अफ इस औरत को रगड़ने में बहुत मज़ा आएगा. “
मैने नज़र दौड़ाई. 150 के करीब लोग कॉंपाउंड में थे. कुछ सिंगल्स को छ्चोढ़ सभी कौपलेआ ही थे. सभी अपने साथ की औरत के साथ ऐसा बिहेव कर रहे थे. मानो जैसे अपने बेडरूम में हो.
बेटा टिकेट्स लेकर आया. उसने धीरे से कहा-
विनोद: करिश्मा रानी, अंदर चलो, सिनिमा शुरू होने वाला है.
आयेज की कहानी अगले पार्ट में.