ही दोस्तों, मैं सीमा (21) हू. ये मेरी सॅकी स्टोरी है. ये स्टोरी तब की है जब मैं 19 की थी, और मेरा इंटर्मीडियेट का एग्ज़ॅम हो गया था. तो मैने दूसरे शहर में एक कॉलेज के एग्ज़ॅम के लिए फॉर्म डाला था. उसमे दो पेपर होने थे. 1 पहले, और उसके 10 दिन के बाद दूसरा पेपर.
उसी शहर में मेरे जीजू जो बड़े पापा के दामाद थे, उनकी ड्यूटी थी. वो वाहा पर पोलीस में सी थे, और अकेले रहते थे. दीदी कभी-कभार जाती थी, तो मम्मी ने उनसे बात की-
मम्मी: दामाद जी, कैसे हो आप?
जीजू: नमस्ते मम्मी, मैं ठीक हू. और वाहा सब ठीक है?
मम्मी: हा बेटा, सब ठीक है. ऐसा है की सीमा का एग्ज़ॅम 15 और 25 को है आपके यहा ही. तो उसको 14 को भेज दूँगी. 15 को आप एग्ज़ॅम दिला कर बस पर बिता देना. वो आ जाएगी.
जीजू: ठीक है मम्मी. सीमा जब घर से निकलेगी तो कॉल कर देगी.
मम्मी कॉल रख कर बोली: जेया तेरा काम हो गया. दामाद जी तुझे एग्ज़ॅम दिला देंगे.
मैं भी खुश हो गयी की 2 दिन बाद मुझे दूसरे शहर जाना था. मैं एग्ज़ॅम की तैयारी करने लगी. 15 को सुबह मैं तैयार होने लगी. मैं सूट-सलवार पहन ली. उस टाइम मैं ब्रा नही पहनती थी, क्यूंकी मेरे बूब्स अभी छ्होटे थे. मैने बस में बैठ कर जीजू को कॉल की.
मैं: जीजू नमस्ते, मैं सीमा.
जीजू: ही सीमा, कैसी हो? कहा पहुँची?
मैं: जीजू बस बस अभी-अभी यहा से निकली है.
जीजू: ओक आराम से आओ. मैने सेंटर देख रखा है, तुमको लेकर सेंटर पर छ्चोढ़ दूँगा.
मैं: ओक जीजू.
मैं थोड़ी देर में Wहत्साप्प चेक की तो जीजू का मसाज था.
जीजू: ही सीमा, तुमको देखे बहुत दिन हो गये. अपनी पिक भेज देना, जिससे मैं तुमको आराम से पहचान लू.
मैने अपनी एक पिक्चर सेंड कर दी, जो आज सुबह ली थी.
जीजू: नाइस सीमा, कितनी बड़ी हो गयी तुम. खूबसूरती में तो तुम अपनी दीदी को भी पीछे छ्चोढ़ दी हो.
मैं: ऐसा नही है जीजू. दीदी तो मुझसे बहुत अधिक खूबसूरत है.
जीजू: अब तो आ ही रही हो, तो देख कर बता दूँगा कों ज़्यादा खूबसूरत है.
मैं: जीजू बस पहुँचने वाली है.
जीजू: मैं बस स्टॅंड पर ही हू, तुम नीचे उतरो तो.
मई नेक हाथ से बाग और दूसरे हाथ से दुपट्टे को संभालते हुए बस से उतार कर इधर-उधर देखती रही. तभी सामने से एक बिके पर स्मार्ट सा लड़का 32 आगे होगी आ कर बोला-
जीजू: ही सीमा, दिक्कत तो नही हुई?
मैं: जीजू नही, मैं ठीक से आ गयी.
जीजू: बैठो तुम्हे सेंटर छ्चोढ़ कर मुझे ड्यूटी जाना है.
मैं: ओक जीजू.
बोल कर दोनो तरफ पैर करके बैठ गयी, और दोनो कंधो पर हाथ रख दी. हम लोग सेंटर पर पहुँचे तो वाहा काफ़ी भीड़ थी. पता चला की एग्ज़ॅम कॅन्सल हो गया था. मुझे परेशन देख कर जीजू अंदर जाने लगे. पोलीस की वर्दी में होने की वजह से गाते पर उनको कोई रोका नही. थोड़ी देर में वो वापस आए.
जीजू: सीमा एग्ज़ॅम कॅन्सल हो गया है. एग्ज़ॅम डटे कल क्लियर होगा, तो आज तुमको रुकना पड़ेगा.
मैं: ठीक है जीजू.
जीजू: सीमा ऐसा है, रास्ते में ही मेरा पोलीस स्टेशन पड़ेगा. तो वाहा 10 मिनिट अटेंडेन्स लगा कर फिर तुमको रूम पर छ्चोढ़ देता हू.
मैं: ठीक है जीजू.
ये बोल कर मैं इस बार कमर पर हाथ रख कर उनको पकड़ ली. मेरे छ्होटे-छ्होटे 28 के बूब्स जीजू की पीठ पर सट्टे थे. मुझे पोलीस स्टेशन के बाहर छोढ़ कर जीजू अंदर गये. मैं अंदर देखती रही, जीजू अपने सीनियर को मुझे दिखा रहे थे. वो मुझे अजीब निगाहों से देख रहा था, तो मैं नीचे सिर कर ली. फिर जीजू बाहर आए, और गाड़ी स्टार्ट करते हुए बोले-
जीजू: सीमा, सिर तुमको अंदर बुला रहे थे.
मैं: मुझे क्यूँ बुला रहे थे?
मैं जीजू की बॉडी से पूरी चिपक कर बैठ गयी थी.
जीजू: बोल रहे थे की तुम्हारी साली बहुत खूबसूरत है, अंदर बुलाओ उसको.
मैं (शरमाते हुए): जीजू आप भी ना, मज़ाक करते हो.
जीजू: नही सच बोल रहा हू. ये लो के, घर आ गया. तुम चेंज कर लेना, तुम्हारी दीदी के कपड़े होंगे. मैं काम ख़तम करके आता हू. और हा, मम्मी को कॉल करके सारी बात बता देना.
मैं: ठीक है जीजू, बाइ.
जीजू मुस्कुराते हुए चले गये. मैं गाते खोल कर अंदर गयी, तो 1 भक का फ्लॅट था. हॉल से होते हुए मैं बेडरूम की तरफ बढ़ी. रूम के अंदर से मस्त खुश्बू आ रही थी. अंदर लाइट ओं करने पर मैं चारो तरफ देखने लगी.
बेड के सिरहाने पर गुलदस्ता और वॅसलीन की बॉटल रखी थी. सामने दीवार पर टीवी, और एक दीवार पर कुछ लड़कियों की पैंटिंग थी, जिसमे उनका उपरी हिस्सा बूब्स खुले हुए थे. पूरा बेडरूम रोमॅंटिक तरह का दिख रहा था.
मैने चेंज करने के लिए अलमारी खोली. जीजू ने बताया था की उसमे दीदी के कपड़े थे. मैं सारे कपड़े देखने लगी. उसमे काई नेट की निघट्य थी, जिसमे दीदी का आधा जिस्म खुला रहता होगा. लेकिन साइज़ बड़ा था, तो मेरे लिए किसी काम की नही थी. उसके नीचे 4-5 ब्रास थी जो काफ़ी सेक्सी थी.
उठा कर साइज़ देखा तो 38″ था. मुझे दीदी के साइज़ से जलन हो रही थी. यही सोचते हुए मेरे हाथ बूब्स पर चले गये, और मैं उन्हे मसालने लगी. अचानक मोबाइल की रिंग बाजी, तो मेरा ध्यान टूटा और अलमारी बंद करके फोन देखी. जीजू थे फोन पर.
मैं: हा जीजू.
जीजू: क्या हुआ सीमा, चेंज कर लिया?
मैं: नही जीजू, दीदी के सारे कपड़े बड़े साइज़ के है. तो क्या चेंज करू?
जीजू: ऐसा है तो मैं लौट रहा हू. तो तुम्हारे लिए कुछ कपड़े ले लेता हू. मम्मी से बात हुई है. अब तुम यही रुकोगी एग्ज़ॅम तक.
मैं: ठीक है जीजू, ले लीजिए.
कोई 15 मिनिट बाद जीजू का Wहत्साप्प पर मेसेज आता है
जीजू: सीमा क्या कपड़े लेने है?
मैं: जो लेना हो ले लीजिए.
जीजू: बताओ मैं शॉप पर जेया रहा हू.
मैं: जीजू मैं सिटी में पहली बार आई हू. तो आपको जो लेना हो ले लीजिए. घर पर तो मैं सूट-सलवार, जीन्स-टॉप पहनती हू.
जीजू: ओक मैं अपनी पसंद का ले लेता हू. तुम बुरा तो नही मानोगी?
मैं: नही जीजू, ऐसा क्या लेंगे की मैं बुरा मान जौंगी?
जीजू: प्रॉमिस करो की तुम बुरा नही मानोगी.
मैं: ओक प्रॉमिस बाबा.
जीजू: साइज़ बताओ.
मैं शांत हो गयी. मुझे उमीद नही थी की जीजू ऐसे मेरा साइज़ पूच लेंगे और जाने क्यूँ जब से मैं जीजू के पास आई थी, मेरे शरीर में थोड़ी हरकत होने लगी थी. मैं सोच ही रही थी की रिंग बाज गयी. देखा तो जीजू थे. मैने फोन नही उठाया, और जीजू को व्हत्साप्प कर दिया.
मैं: 28-26-28.
मैं फोन बगल में रख कर सोचने लगी मेरी पहली चुदाई के बारे में, जब टुटीओन सिर ने मुझे अपने दोस्त के साथ मिल कर के खूब छोड़ा था. मेरे हाथ छूट सहलाने लगे.
दोस्तो कैसे लगी मेरी स्टोरी? ये मेरी पहली स्टोरी है, तो कोई ग़लती होगी तो ज़रूर बताईएएगा. जल्द ही नेक्स्ट पार्ट के साथ आती हू.