बात मेरे मास्टर्स की है. मेरा जर्मनी के कॉलेज में अड्मिशन हुआ. वाहा मैने एक घर लिया क्यूंकी मैं प्राइवसी में रहना चाहता था. वैसे वो तोड़ा सुनसान जगह पे था, क्यूंकी उसके पास के घर बिल्कुल खाली थे. बुत वाहा के खाने मुझे आचे नही लगे, और मुझे फुड पाय्ज़निंग हो गयी थी.
दाद: हेलो.
मे: ही दाद.
दाद: कैसे हो अब?
मे: ठीक हू दाद.
दाद: बेटा एक काम करो, तुम रूम चेंज कर लो, जहा अछा खाना मिले.
मे: दाद ये रूम कॉलेज के पास है, इतने पास कोई दूसरे रूम अवेलबल नही है, और सब जगह सेम फुड है.
दाद: तुम कोई पर्सनल कुक रख लो.
मे: दाद बुत यहा के कुक नही.
तभी मों ने कहा-
मों: बेटा तेरे लिए यहा से कुक भेज देंगे.
दाद: हा ये सही है.
मे (ये सुन के बहुत खुश हुआ): थॅंक्स मों, बुत सविता आंटी को भेजना आप.
मों: सविता क्यूँ?
दाद (बीच में): सही बोल रहा है तू बेटा. सविता के हाथ का खाना राज ने बचपन से खाया है. उसे पसंद भी आएगा और क्या है, वो उसकी आचे से केर भी करेगी.
मों: वो तो ठीक है. फिर यहा का काम कों करेगा?
दाद: यहा कोई और रख लेंगे. अभी राज इंपॉर्टेंट है.
मे: थॅंक्स दाद, लोवे योउ.
दाद: लोवे योउ टू बेटा. मैं नेक्स्ट वीक सविता का वीसा करा के उसे भेजता हू.
मे: ओक दाद.
फिर मैं बहुत खुश था. अब वेट करने लगा नेक्स्ट वीक ट्यूसडे को सविता आने वाली थी. मैं उसे लेने एरपोर्ट गया. उसने प्लैइन सलवार-सूट पहना था, और वो नज़रे झुकाए खड़ी थी.
मैने उसे कहा: समान पकड़ के बिके पे बैठ जेया.
फिर हम घर पे आ गये. मैने बिके पार्क की, और उसे अंदर लेके आया. वो घर छ्होटा था 1भक का. मैने उसे पानी दिया और कहा-
मे: फ्रिड्ज में स्नॅक्स है, तुम खा के आराम करो. मुझे काम है.
फिर मैं बाहर गया, और शाम को आया. अंदर आके देखा तो सविता ने पूरा घर सॉफ कर दिया था. फिर मैने उसे एक सेक्सी रेड निघट्य दी, और बोला-
मे: ये पहन के आओ.
वो नखरे करने लगी, तो मैने उसे कहा: देख तू आज भी मेरी रॅंड है. भूल मत मैं तेरे साथ क्या कर सकता हू.
फिर वो निघट्य में आई. एक-दूं रंडी लग रही थी. फिर हमने खाना खाया. उसके बाद मैं उसे अपनी गोदी में उठा के बेडरूम में ले गया. मैने अपनी अंडरवेर उतरी, और लंड सीधे उसकी छूट में डाल के छोड़ना शुरू किया. सविता सिसकारियाँ ले रही थी, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इतने सालों के बाद दोबारा उसकी छूट लेने में.
फिर 30 मिनिट बाद मैं उसकी छूट में झाड़ गया. वो कुछ बोल नही रही थी, बस बेड पे लेती रही.
मैने बोला: क्यूँ बे रंडी, मज़ा आया.
वो कुछ नही बोली. मैं उसको अपनी बाहों में लेके सो गया. सुबह 7 बजे उठा तो सविता उठ गयी थी. वो वॉशरूम से नहा के आई और अपने कपड़े पहनने लगी. मैने उसके कपड़े ले लिए और कहा-
मे: आज के बाद तू कुछ नही पहनेगी. आज से तेरे लिए इस घर में रूल्स है, जो तुझे फॉलो करने होंगे. वरना तू जानती है हम क्या कर सकते है.
उसने हा में सिर हिलाया. फिर मैने उसे रूल्स बताए: 1)- तू रोज़ 5 बजे उठ के मेरा घर सॉफ करेगी और फिर मेरे लिए नाश्ता बनाएगी. 2)- तू मुझे उठाने के लिए रोज़ मेरा लंड चूसेगी. 3)- तुझे पीने सिर्फ़ मेरा मूत मिलेगा और कुछ नही. 4)- जब मैं टट्टी करूँगा तो तू मेरा लंड मूह में लेगी. मेरे टट्टी करने के बाद मेरी गांद चाट के सॉफ करेगी.
मे: 5)- तेरे गले में हमएसा एक पत्ता होगा, और तू सिर्फ़ कुटिया की तरह चलेगी. 6)- तुझे बोलने की पर्मिशन नही है यहा, और जो मैं बोलू तुझे वो किसी भी हालत में करना होगा. 7)- तुझे खाने में मेरा जूता मिलेगा बस, वो भी तोड़ा सा. 8)- अगर कोई भी रूल टूटा, तो तू पछताएगी.
फिर मैने कहा: चल कुटिया, मूह खोल मुझे सस्यू करना है. उसने मूह खोला, और मैने उसमे सस्यू कर दिया.
फिर उसे बोला: पूरा पीना है. हल्का सा भी गिरना नही चाहिए.
मगर मेरा सस्यू इतना ज़्यादा था की तोड़ा सा गिर गया. मुझे गुस्सा आया और मैने उसके बूब्स पे तासेर चला दिया. वो ज़ोर से चिल्लाई.
मे: साली मेरा मूट क्यूँ गिराया.
उसने मुझसे माफी माँगी.
मैने कहा: चल फिर.
मैं उसे बातरूम लेके गया, और मैं टट्टी करने लगा. वो मेरा लंड चूज़ रही थी. तभी मैने देखा की उसने मेरी टट्टी की स्मेल से नाक बंद की. मैने उसका फेस पकड़ा, और टाय्लेट सीट के अंदर डाल दिया.
फिर मैं बोला: ले देख मेरी टट्टी, और सूंघ इसे.
फिर 5 मिनिट बाद बोला: गांद चाट अब.
उसने वही किया. फिर उसने मुझे आचे से नहलाया.
मैने उससे कहा: जाके नाश्ता बना.
फिर 10 मिनिट बाद वो मेरे लिए नाश्ता लेके आई. मैने नाश्ता किया.
तभी उसने कहा: मलिक मुझे भी भूख लगी है.
मैं तासेर से दाना दान उसपे शॉक देता गया, जिससे उसकी हालत खराब हो गयी.
फिर मैने कहा: साली मेरी पर्मिशन के बिना तूने बोला कैसे?
फिर मैं उसे कुटिया बना के अपने साथ च्चत पे ले गया. वाहा उसे खड़ा किया, और उसकी गांद मारनी शुरू की. पिछली चुदाई से उसकी गांद खुल गयी थी. बुत फिर भी थोड़ी टाइट थी. लंड तोड़ा मुश्किल से अंदर गया. अब मैं उसकी गांद मार रहा था, और हाथ से उसके बूब्स नोच रहा था, और एक हाथ से उसके बाल.
वो सिर्फ़ आहह उफफफ्फ़ कर रही थी. फिर मैने कुछ देर चुदाई की. उसके बाद उसे ज़मीन पे लिटाया. उसके पैर हवा में किए, और उसे बोला-
मे: अब तू आयेज-पीछे हो. रुकना नही.
फिर वो आयेज-पीछे होने लगी. मैं बस उसके चूचे नोच रहा था. फिर कुछ टाइम बाद मेरा पानी निकल गया, और उसकी गांद से मैने लंड निकाला. अब सविता ने अपने पैर नीचे किए.
मैने कहा: साली रंडी, किसकी पर्मिशन से तूने पैर नीचे किए?
फिर मैने सोचा उसे कों सी सज़ा डू. मैने उसे मुर्गा बना दिया.
उसने कहा: प्लीज़ माफ़ कर दो. इस आगे में ये सब नही कर पौँगी.
मैने उसकी छूट पे तासेर लगा के ओं कर दिया. इससे वो एक-दूं तिलमिला उठी. तभी मैने दोबारा तासेर छूट पे रखा, तो उसने कुछ नही बोला और रोने लगी. वो मुर्गा बनने की कोशिश करने लगी और बन भी गयी. फिर मैं उसकी गांद पे स्टिक से मारता गया. मार-मार के मैने गांद लाल कर दी.
फिर मैं अपने लिए जूस लेके आया और एक चेर पर बैठ के एंजाय कर रहा था. बाहर धूप बहुत तेज़ थी. मैं सीडी पे बैठा था. फिर मैने सुकेश को वीडियो कॉल किया वो अपने रूम में सो रहा था.
मे: क्यूँ बे भद्वे, भूल गया अपने मलिक को?
सुकेश: अब क्यूँ फोन किया है?
मे: सेयेल औकात में रह, भूल मत मैं तेरे साथ क्या कर सकता हू. अछा ये देख.
तभी मैने उसे कॉल पे उसकी मा को दिखाया.
मे: देख रंडी अपनी ग़लती की सज़ा भुगत रही है.
सुकेश: प्लीज़ ऐसा मत करो.
मे: रंडी बात कर अपने बेटे से (सविता ने कुछ नही बोला).
मैने फोन को उसके आयेज रखा ताकि उसका बेटा सब देख सके. सुकेश मुझसे बोलता रहा मैं छ्चोढ़ डू उसकी मा को. बुत मैं मारता रहा. फिर 2 मिनिट बाद मैं सुकेश को बोला-
मे: चल अब नही करता. लेकिन आज के बाद तूने कभी अपनी मा को कॉल किया, तो तेरी मा की खैर नही.
मे: सुन रंडी आज के बाद तू किसी से बात नही करेगी. तेरा फोन अब मेरा हो गया. तेरी जगह मैं उसमे सबसे छत करूँगा.
फिर मैने उसे ऐसे ही 2 घंटे रखा. ऐसे ही हमारी ज़िंदगी चलती रही, और धीरे-धीरे सविता को इन सब की आदत हो गयी.
अब वो खुद मुझसे कहती थी की मैं उसे टॉर्छेर करू. मगर धीरे-धीरे मैं उसे टॉर्छेर ना करके उसे अपनी पत्नी बना के प्यार करने लगा. वो भी एक कहानी है, किसी और दिन बतौँगा. आज के लिए इतना ही. तब तक के लिए गुड बाइ. अगर आपको स्टोरी पसंद आई हो तो फीडबॅक ज़रूर देना.