हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम राहुल है, और मैं हरयाणा से हू. बात है जब मैं 1स्ट्रीट एअर में था. तभी मेरे दोस्त का बड़ा भाई जिसका नाम बबलू था, मैं उससे मिला. धीरे-धीरे वो मुझे डेली मिलने लगा खेलने के लिए. इस सब टाइम उसके छ्होटे भाई भी वाहा होते थे.
कुछ दीनो के बाद उसने अपने भाई को कुछ समान लेने भेजा, और मुझे अकेले देख के पकड़ लिया, और किस करने लगा. मेरी शॉर्ट्स उतार कर अपने लंड को मेरे पीछे रगड़ने लगा, और थोड़ी देर बाद अपना निकाल कर बाहर ही हॅट गया.
उसके बाद वो मुझे काई बार अकेली जगह लेकर जाता, और मेरे साथ ऐसा करता. काई बार तोड़ा अंदर चला जाता तो मेरी चीख निकल जाती, और वो एक-दूं से बाहर निकाल देता. ऐसे ही काफ़ी टाइम बीट गया. मुझे ये सब समझ आ रहा था. फिर एग्ज़ॅम्स आ गये, और अब बबलू से मैं बहुत कम ही मिल पाता था.
अब वो भी ऐसी हरकत नही करता था मेरे साथ. ऐसे ही समय बीट-ता गया, और फिर मैने पहली बार ब्लू फिल्म देखी. मैने उसमे लड़की को लंड चूस्टे हुए देखा. उसके बाद काई बार मैने वैसी मूवीस देखी, और ब्लोवजोब वाला पार्ट मैं हमेशा रीवाइंड करके देखा करता था अकेले में.
फिर आया वो टाइम जब मुझे दोबारा सेक्स करने का मौका मिला. एक दिन मैं दिन में अकेला था घर में, और मुझे कुछ करने का बहुत मॅन हो रहा था. गर्मी की दोपहर थी, और मैं अकेला. ऐसे ही मेरे दिमाग़ में आया की मैं बबलू को जेया कर पूछता हू की उनका केबल ठीक चल रहा था क्या. फिर मैं उनके घर चला गया.
मैने बबलू से कहा: क्या तुम्हारा केबल ठीक चल रहा है?
तो वो बोलता है: हा.
फिर मैने चेक किया और वाहा से आ गया. पर जैसे ही मैं घर पहुँचा, तभी अचानक दरवाज़े की बेल बाजी. मैने दरवाज़ा खोला तो दरवाज़े पे बबलू था.
वो बोलता: मैं चेक करता हू, शायद कोई वाइयर ना हिली हो.
और वो अंदर आ गया. मैने भी दरवाज़ा बंद कर दिया, और उसे टीवी ओं करके रिमोट दिया. वो चॅनेल बदलने लगा. सभी चॅनेल सॉफ चल रहे थे.
फिर उसने बोला: अब सब ठीक है शायद.
मैने बोला: हा.
और शायद तब तक वो समझ चुका था की मेरे मॅन में क्या चल रहा था. वो धीरे से मेरे पास मेरी कमर में हाथ घुमाया और अपनी तरफ खींचते हुए बोला-
बबलू: केबल तो ठीक हो गया.
कुछ और भी ठीक कर डू?
मैं चुप रहा. फिर उसने मेरी पंत उतरी, और खुद बेड पर बैठा रहा. उसके बाद वो मुझे नंगा करके मेरी गांद पर थूक लगाने लगा, और फिर धीरे-धीरे उसने मुझे उसपे बिता लिया. लंड तोड़ा सा अंदर गया.
अभी मुझे दर्द नही हुआ, और अभी कुछ रग़ाद महसूस होनी शुरू हुई थी, की मुझे कुछ गरम-गरम फील हुआ. तभी देखा तो उसका निकल चुका था. उसने एक-दूं से अपना लंड बाहर निकाला, पंत बंद की, और वाहा से चला गया. मुझे कुछ समझ नही आया.
उसके जाने के बाद मैं अपने लंड को हिलाया, और फिर शांत हुआ, और इस दिन के बाद मैं उसे काई बार मिला, पर हर बार वो ऐसा ही करता था. इस बीच हुआ एक कांड. बबलू ने हमारी ये सब बातें अपने कुछ दोस्तों को भी बता दी, और फिर मैं उन सब के लिए एक रंडी बन गया.
उसके सभी दोस्तों ने किसी ना किसी तरह मुझे अकेले पकड़ कर मेरे साथ सेक्स किया. बुत मुझे कभी भी किसी के साथ कोई मज़ा फील नही हुआ. पर इस सबसे मुझे चूड़ने की आदत लगने लगी थी. अब जब भी मैं कभी पॉर्न मूवीस देखता तो मुझे लड़की का पार्ट ही अछा लगता था. मैं लड़कों के लंड देख कर काफ़ी एग्ज़ाइटेड होता था.
पर मेरे पास कोई ऑप्षन नही था. बबलू के पास जाना मतलब सब के सामने बेइज़्ज़ती करवाना. फिर समय बीट-ता गया. सर्दियों के दिन थे, और मैं अकेला था घर पर. सभी लोग टेस्ट मॅच देखने में व्यस्त थे. उन दीनो बबलू भी अकेला था. तो उस दिन दोपहर में 3 बजे के करीब मैं बबलू के घर गया.
वो भी मॅच देख रहा था. तो मैं उसके साथ बेड पे बैठ के मॅच देखने लगा. तभी मेरे मॅन में पता नही क्या आया, की मैं अचानक से उठा, और बबलू के लंड के पास जेया कर लेट गया. फिर मैने खुद ही उसका लंड बाहर निकाला, और उसे मूह में डाल लिया और चूसने लगा.
उस दिन मैने पहली बार किसी का लंड मूह में लिया था. इससे पहले सब ने गांद में ही दिया था. लेकिन ये दिन कुछ ख़ास्स था. मैने खुद अपने मॅन से ऐसा किया. फिर मैने बबलू की तरफ देखा. उसके चेहरे से लग रहा था, की वो विश्वास नही कर पा रहा था, की कोई उसका लंड चूस रहा था.
उसकी टांगे काँप रही थी. वो बार-बार मुझे हटाने की कोशिश कर रहा था. फिर थोड़ी देर में उसका निकल गया. उसने मुझे पहले ही डोर कर दिया था.
फिर उस दिन उसके बाद कुछ नही हुआ. बुत मैं उसके साथ काफ़ी देर तक बैठा रहा, और सोच रहा था की बस ये इस बार किसी को कुछ बताए नही.
मैं अगले दिन दोस्तों के आस-पास ही रहा की कोई ऐसी बात तो नही. जब मुझे कन्फर्म हुआ की उसने किसी को नही बताया था, तो मैं उसके घर गया. वाहा जेया कर उसका लंड आचे से चूसा. इस बार भी निकालने से पहले उसने मेरे मूह से निकाल लिया था, तो सारा माल उसने एक कपड़े पर गिरा दिया.
फिर वाहा से जाने से पहले मैने उससे कहा की किसी को बताना मत. तो वो हासणे लगा. मुझे कुछ समझ नही आया, बुत उस शाम उसने 2-3 दोस्तों को सब बता दिया. बुत अब सब गर्लफ्रेंड वाले हो चुके थे, तो उन्हे कुछ ख़ास फराक नही पड़ा.
उन्होने मुझे 1 बार सुनाया. मैने डिनाइ किया तो उन्होने कुछ नही कहा. बुत मुझे बबलू पे बहुत गुस्सा आया. फिर अगले दिन मैने बबलू को बुलाया. बुत जैसे ही वो मुझे अकेले में मिलने आया, उसने आज आते ही अपना लंड बाहर निकाला, और मुझे नीचे बिताया. फिर लंड मेरे मूह में डाल दिया और बोला-
बबलू: चूस आचे से.
मुझे उसका ये स्टाइल पता नही क्यूँ बहुत पसंद आया. तभी मैने चूस्टे हुए उससे कहा-
मैं: मुझे आज भी वो सीन याद है कैसे मैने तुम्हारे लंड को मूह के पास हाथ में पकड़ कर कहा था प्लीज़ अब किसी को मत बताना.
उसने मुझे देखा और मेरे मूह में डाल दिया. फिर मैने पुर दिल से उसका लंड चूसा, और जब उसका निकालने वाला था, तब उसने मेरे मूह से बाहर निकालने की कोशिश की. बुत आज मैने उसे निकालने नही दिया, और उसको मेरे मूह में झड़ना पड़ा. मैने उसका सारा कम पी लिया और उसे देखता रहा. मुझे लगा शायद अब वो समझ जाएगा की मैं सिर्फ़ उसके लिए था, सब के लिए नही.
और हुआ भी कुछ ऐसा ही. उसने ये बात किसी को नही बताई, और इसके बाद वो मुझे काई बार मिला. अब वो मुझे कही भी अकेले में ले जाता और लंड चुस्वा दिया करता था, और कभी अगर जगह हो तो गांद भी मार लिया करता था.
इस सब से उसका बढ़िया टाइम चल रहा था, और इधर मैं मज़े तो कर ही रहा था. पर मुझे पूरा मज़ा नही मिल पा रहा था. फिर धीरे-धीरे ये सब बंद हो गया. अब मेरा उससे मिलना बंद हो गया. अब मेरा भी कॉलेज ख़तम हो गया था.