ही दोस्तों, मेरा नाम देव है, और मैं अपनी कहानी के अगले पार्ट के साथ आप सब के सामने हाज़िर हू. पिछले पार्ट को आप सब ने बहुत प्यार दिया. उमीद करता हू, की आप सब इस पार्ट को भी प्यार देंगे. जिन लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो प्लीज़ पहले जाके पिछला पार्ट ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मैने और मेरी वाइफ दिव्या ने गोआ जाने का प्लान किया, और हम मेरी 2 सेक्सी सालियों (प्रिया आंड कणिका) को भी अपने साथ ले गये. फिर होटेल रूम में जाते ही मैने अपनी बीवी को पकड़ लिया, और हमारा सेक्स शुरू हो गया.
सेक्स के दौरान मेरी दरवाज़े पर नज़र पड़ी, और मैने वाहा अपनी छ्होटी साली कणिका को खड़े देखा. वो मेरा और दिव्या का सेक्स देख कर मज़ा ले रही थी. फिर मैं भी उसको उसकी बेहन की चुदाई दिखाने लगा. अब आयेज बढ़ते है.
मैं और दिव्या दोनो नंगे थे, और दिव्या लंड लेने के लिए तड़प रही थी. फिर मैने अपना लंड हाथ में लिया, और दिव्या की छूट पर रगड़ने लग गया. दिव्या आहह आ की सिसकियाँ भर रही थी. मैं चाहता था जब मैं लंड डालु, तो दिव्या की चीख ज़ोर की निकले. ताकि कणिका को सुन कर अंदाज़ा हो जाए की मेरे लंड में कितनी ताक़त है.
फिर ऐसा ही हुआ. मैने रगड़ते-रगड़ते लंड दिव्या की छूट के मूह पर रखा, और एक ज़ोर के धक्के से पुर लंड को उसकी छूट में एक ही बात में प्रवेश करवा दिया. दिव्या की ज़ोर की आअहह की चीख निकली, जो सीधे उसकी बेहन के कानो में पड़ी होगी.
उसकी चीख सुन कर मैं खुश हो गया, और कणिका भी मेरे लंड की ताक़त का अंदाज़ा लगा चुकी होगी. फिर मैने दिव्या के होंठो में अपने होंठ दिए, और अपनी गांद आयेज-पीछे हिला कर लंड उसकी छूट के अंदर-बाहर करने लगा. इस वक़्त हमारी टांगे दरवाज़े की तरफ थी, तो कणिका को मेरी गांद दिख रही होगी.
फिर मैने नज़र घुमा कर शीशे में देखा, तो कणिका अभी भी वही खड़ी थी. अब उसका एक हाथ उसकी जाँघो के बीच वाली जगह पर था. मुझे पक्का यकीन है, की वो अपनी छूट को जीन्स के उपर से सहला रही थी.
फिर मैने अपने धक्कों की स्पीड बधाई, और दिव्या के मूह को रिलीस कर दिया. अब दिव्या ज़ोर-ज़ोर से कामुकता भारी आ आ कर रही थी. किसी दूसरी लड़की की ऐसी आवाज़े सुन कर किसी भी लकड़ी की छूट गीली हो जाएगी. कणिका के साथ भी ऐसा ही हो रहा होगा. स्पेशली जब वो उसकी अपनी बेहन की चुदाई देख रही थी.
अब मैं चाहता था की कणिका को मेरा लंड उसकी बेहन की छूट में जाता दिखे. इसके लिए मैने दिव्या की टाँगो को पूरा मोड़ा, और उसके शोल्डर तक ले गया. फिर मैने लंड कणिका को दिखाते हुए उसकी बेहन की छूट में डाला, और छूट को छोड़ने लगा.
अब कणिका को मेरा लंड उसकी बेहन की छूट में जाता दिखाई दे रहा होगा. मैं पूरा लंड दिव्या की छूट में डालता, और फिर निकाल लेता. फिर दोबारा पूरा लंड उसकी छूट में डालता. दोस्तों गीला चिकना लंड देख कर किसी भी लकड़ी की नीयत खराब हो जाती है. फिर वो लंड चाहे उसके अपने जीजा का क्यूँ ना हो.
कुछ देर मैं वैसे ही दिव्या की चुदाई करता गया. फिर मैने उसको पोज़िशन बदलने के लिए कहा. अब मैं चाहता था, की मेरे चुदाई करने से जो सुकून दिव्या को मिलता है, और जो उसके चेहरे के मज़े वाले एक्सप्रेशन्स आते है, वो कणिका को दिखे. तो मैने दिव्या को डॉगी पोज़िशन लेने को कहा.
जब वो डॉगी पोज़िशन ले रही थी, तो मैने उसका फेस दरवाज़े की तरफ किया, ताकि कणिका उसका फेस आचे से देख पाए. दिव्या अब मेरे सामने घोड़ी बनी हुई थी. पहले तो मैने उसकी गांद को चूमा. फिर मैने उसके छूतदों को काटना शुरू किया. जब मैं उसके छूतदों को जात रहा था, तो वो आ आ कर रही थी.
फिर मैने उसके रिघ्त चूतड़ पर ज़ोर का थप्पड़ मारा, जिससे उसके चूतड़ पर मेरे हाथ का निशान च्चप गया. दिव्या ने ज़ोर से आहह किया और बोली-
दिव्या: धीरे जान. आज बड़े वाइल्ड हो रहे हो.
मैं: क्या करू जान, तुम हो ही इतनी सेक्सी, की तुम्हे देख कर कोई भी वाइल्ड हो जाए. ये तो मेरी किस्मत अची है, जो मुझे तुम मिली हो.
दिव्या: किस्मत तो मेरी अची है, जो आप जैसा पति मुझे मिला, जो मुझे इतना संतुष्ट कर देता है. वरना मेरी बहुत सारी फ्रेंड्स के पति तो उन्हे संतुष्ट ही नही कर पाते. अगर उनको पता चला की मेरा हज़्बेंड बेड में इतना अछा है, तो आपके पीछे पद जाएँगी.
दिव्या ये बोल ही रही थी, की मैने अपना लंड उसकी छूट पर सेट किया, और ज़ोर का धक्का मार कर पूरा उसकी छूट में घुसा दिया. इससे उसको ज़ोर का दर्द हुआ, वो बोली-
दिव्या: हाए मम्मी आहह, धीरे डालना था ना जानू.
फिर मैने उसके चूतड़ पकड़े, और लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया. धीरे-धीरे मैं अपनी स्पीड बढ़ने लगा, और फिर फुल स्पीड पर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लग गया. आयेज से उसके बूब्स उछाल रहे थे, और वो आ आ करके मज़े से चुड रही थी.
फिर मैं आयेज झुका, और मैने दिव्या के बूब्स पर हाथ डाल कर बूब्स मसालने शुरू कर दिए. साथ-साथ मैं उसकी छूट पीछे से छोड़े जेया रहा था. मैने अपना मूह रिघ्त साइड से आयेज किया, और उसकी गर्दन पीछे मोड़ कर उसके होंठ चूड़ने लगा.
फिर मैं सीधा हुआ, और उसकी पीठ पे थप्पड़ मारने लगा. उसके बाद मैने उसकी गांद पर ज़ोर-ज़ोर के थप्पड़ मारे. मैं दरवाज़े की तरफ नही देख रहा था, लेकिन एक बात तो पक्का थी, की अब तक कणिका का पानी निकालने वाला होगा.
मैने फिर दिव्या की कमर पकड़ी, और धक्को की स्पीड बढ़ा दी. दिव्या की छूट का पानी निकल चुका था, तो छाप-छाप की आवाज़े आ रही थी. अब मेरा भी निकालने वाला था. मैने कुछ धक्के और लगाए, और फिर पूरा लंड अंदर डाल कर रुक गया.
फिर मैने आ आ करते हुए अपना पूरा माल उसकी छूट में भर दिया. मेरा गरम माल महसूस करके दिव्या भी आहह आ करने लग गयी. फिर वो वैसे ही बेड पर लेट गयी, और मैं उसके उपर लेट गया. मैने टेढ़ी आँख करके दरवाज़े पर देखा, तो मुझे कणिका नही दिखी. मुझे लगा वो चली गयी थी.
लेकिन तभी दरवाज़े के नीचे दीवार की साइड पे मुझे उसका पैर नज़र आया. उसका पैर देख कर मैं खुश हो गया, क्यूंकी मैं जो चाहता था, वो हो चुका था.
दोस्तों आज के लिए इतना ही, इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में. आपको अगर कहानी पढ़ कर मज़ा आ रहा हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे. सब को मज़ा लेने का पूरा अधिकार है.