ही फ्रेंड्स, मैं यश आज अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. उमीद है आपको पिछला पार्ट पसंद आया होगा. जिन लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, प्लीज़ पहले जाके वो पार्ट ज़रूर पढ़ ले.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की मैने भाभी की चुदाई कर दी थी. और अब भाभी मेरी पक्की रंडी बन गयी थी. फिर दीवाली वाली रात मैं उनके पास गया, और हमारा रोमॅन्स शुरू हुआ. अब भाभी नंगी बेड पर घोड़ी बनी हुई थी. चलिए आयेज बढ़ते है.
भाभी की नंगी गांद तो ऐसी लग रही थी, जैसे कोई केक सज़ा कर प्लेट में मेरे सामने रख दिया गया हो, और मैं उसको अपनी मर्ज़ी से जितना मर्ज़ी खा सकता था. उनकी गांद को देख कर मेरे मूह और लंड दोनो में पानी आ रहा था.
फिर मैं आयेज बढ़ा, और उनकी गांद में मूह डाल लिया. क्या ज़बरदस्त महक आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे नशा चढ़ जाएगा. दोस्तों छूट और गांद चाट-ते हुए जो मूट और टट्टी की भीनी-भीनी सुगंध आती है, उसका मज़ा तो कोई हवसी इंसान ही समझ सकता है.
अब मैं उनकी छूट और गांद के च्छेद पर अपनी जीभ फेरने लगा. साथ ही भाभी की कामुक आहें शुरू हो गयी. धीरे-धीरे मैने अपनी स्पीड बधाई, और ज़ोर-ज़ोर से ही उनके दोनो च्छेदो को चाटने-चूसने लगा. भाभी गांद हिला-हिला कर चटवाने का मज़ा ले रही थी.
फिर मैने सोचा की आज कुछ और मज़ा लिया जाए. साथ ही में टेबल पर मिठाई की प्लेट पड़ी थी. उसके काफ़ी टाइप की मिठाई पड़ी थी. सबसे पहले मैने एक गुलाब-जामुन उठाया लंबे वाला, और उसको भाभी की छूट में घुसा दिया. इससे भाभी की आ निकल गयी. मैने गुलाब-जामुन पूरा उनकी छूट में घुसा दिया.
अब छूट में से पानी के साथ-साथ चाशनी भी रिसने लग गयी. मैने अपने दोनो होंठ भाभी की छूट के होंठो पर लगाए, और चुस्कियाँ भर कर छूट का रस्स पीने लगा. मैं मूह से खींच-खीच कर रस्स चूस रहा था. गुलाब-जामुन भी तोड़ा-तोड़ा करके बाहर आने लगा. क्या मज़ा और स्वाद आ रहा था, मैं बता नही सकता.
फिर एक-दूं से बाकी का गुलाब-जामुन सीधा मेरे मूह में आ गया, और मैने उसको खा लिया. फिर मैने एक गीला रोड शेप वाला पेठा पकड़ा, और उसको भाभी की गांद में डाल दिया. पेठा फिसलता हुआ गांद में घुस गया. फिर मैं उसको अंदर-बाहर करने लगा, और भाभी आ आ करके गांद हिलने लगी.
जब मैने पेठा बाहर निकाला, तो उसका रस्स निकल चुका था. उस पर थोड़ी टट्टी भी थी. मैने वो पेठा भाभी के मूह में डाल कर उनको खिला दिया. अब मैं फिरसे उनकी छूट और गांद चाटने लगा. मेरा लंड अब भाभी की गांद में जाने के लिए पूरा तैयार था. लेकिन भाभी नही जानती थी की मैं पहले गांद में लंड डालने वाला था.
फिर मैने भाभी की छूट पर अपनी उंगली रखी, ताकि उनको लगे मैं छूट पर लंड सेट कर रहा था, और गांद के च्छेद पर अपना लंड सेट कर लिया. उसके बाद मैने ज़ोर का धक्का मारा, जिससे मेरा एक-तिहाई लंड गांद में घुस गया. भाभी की चीख निकली, और वो आयेज होके मुझसे अलग होने लगी.
लेकिन मैने भाभी को जांघों से कस्स के पकड़ लिया, ताकि वो डोर ना हो सके. मैने लंड पे पूरा प्रेशर बनाया, जिससे लंड तोड़ा-तोड़ा करके पूरा अंदर चला गया. भाभी चीखते हुए बोली-
भाभी: अर्रे हरंखोर क्या कर रहा है? बहुत दर्द हो रहा है. यहा मत डाल, निकाल इसको.
मैं: भाभी एक बार के दर्द के बाद देखना फिर कितना मज़ा आएगा.
भाभी: अगर ज़िंदा रहूंगी तो मज़ा आएगा ना. निकाल इसको.
मैं: सॉरी भाभी, अब ये नही निकलेगा.
और ये बोल कर मैने तबाद-तोड़ उनकी गांद में धक्के लगाने शुरू कर दिया. भाभी चीखती रही, और मैं उनकी गांद छोड़ता रहा.
भाभी: प्लीज़ यश! आ प्लीज़ मेरी जान, दर्द हो रहा है.
लेकिन मुझे नही रुकना था, तो मैं धक्के मारता गया. कुछ देर में भाभी का दर्द कम हुआ, और वो मज़े से भारी सिसकियाँ लेने लगी. वो आ आ करने लगी, और मैं उनकी गांद छोड़ता गया. फिर मैने उनकी गांद से लंड निकाला, और गांद को सॉफ किया. तभी भाभी बोली-
भाभी: क्या हुआ यश, रुक क्यूँ गये.
फिर मैने तोड़ा तेल डाला गांद के च्छेद पर, और दोबारा लंड घुसा दिया. 15 मिनिट गांद की तबाद-तोड़ ठुकाई के बाद मैं भाभी की गांद के अंदर ही झाड़ गया. फिर मैं भाभी की साइड में सीधा लेट गया. भाभी भी उल्टी मेरे साथ ही लेट गयी. लेते-लेते मुझे कब नींद आ गयी पता ही नही चला.
कुछ देर बाद मेरी नींद तब खुली, जब भाभी मेरा लंड चूस रही थी. भाभी ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थी, और उनके चूसने की वजह से मेरा लंड पूरा तन्ना हुआ था. मैने भाभी के सर पर हाथ रख लिया, और लंड उनके गले तक डालने लगा. इश्स भाभी की साँस रुकने लगी, और वो खाँसी करने लगी.
कुछ देर लंड चूसने के बाद भाभी मेरे उपर आई, और लंड छूट में सेट करके बैठने लगी. उसने धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर ले लिया, और फिर लंड पर उछालना शुरू कर दिया. अब उनके हाथ उनके सर पर थे, और वो मेरे लंड पर उछाल रही थी. उछालने से उनके मोटे-मोटे बूब्स उछाल रहे थे.
फिर मैने अपने हाथ भाभी के बूब्स पर रखे, उनको ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा. भाभी की उछालने की स्पीड और तेज़ हो गयी. ऐसे ही उछलते-उछलते उनकी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया, और वो मेरे उपर गिर गयी. फिर मैने उनको नीचे किया, और तेज़ी से उनकी छूट में धक्के मारने लगा.
वो आ आ करती रही, और मैं उनको छोड़ता गया. तकरीबन आधे घंटे के बाद मैने अपना पानी भाभी की छूट में ही निकाल दिया. फिर मैं और भाभी कुछ देर किस्सिंग करके सो गये. सुबा अर्ली मॉर्निंग, घर वालो के जागने से पहले मैं उठा, और अपने घर चला गया.
तब से अभी तक मेरा और भाभी की चुदाई का सिलसिला चलता आ रहा है. और ये आयेज भी चलता ही रहेगा. दोस्तों अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको बाकियों के साथ भी शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.