मेरा नाम कामना है, और मैं उप से हू. मेरी उमर 26 साल है, और पिछले साल ही मेरी शादी हुई है. हाइट मेरी 5’6″ है, और रंग गोरा है. फिगर मेरा 36-30-36 है. अब मैं सीधे अपनी कहानी पर आती हू जिसमे मैं आपको बतौँगी की किस तरह मेरी वासना मुझ पर हावी हो गयी, और मैं अपने ससुर के लंड पर चढ़ गयी.
मेरे पति का नाम अर्जुन है, और वो आर्मी में है. बॉर्डर एरिया में उनकी ड्यूटी रहती है, और वो हर 6 महीने में एक महीने के लिए घर आते है. शादी के 3 महीने बाद वो ड्यूटी पर चले गये.
उसके बाद हमारी फोन पे ही बात होती थी. फोन पर ही वो मेरी छूट की और अपने लंड की आग को सेक्सी बातें करके ठंडा करते थे. इसी तरह फोन पर ही हम दोनो की सेक्स लाइफ चल रही थी.
फिर जैसे-तैसे 6 महीने निकल गये, और फिर वो एक महीना आया जब मेरे पति घर पर रहने वाले थे. उस एक महीने में मेरे पति ने कम से कम मेरी 100 बार चुदाई की होगी. हर पोज़िशन में, हर तरीके से, सुबा-शाम मेरे पति ने मुझे पेला.
पुर 6 महीने की कसर उन्होने एक महीने में निकाल दी. मैने भी उनके तगड़े लंड से चुदाई का पूरा मज़ा लिया. लेकिन फिर दोबारा आ गया जुदाई का वक़्त, और वो अपनी ड्यूटी पर चले गये. पिछली बार तो 6 महीने फोन पर सेक्सी बातें करके निकल गये. लेकिन इस बार फोन पर सेक्स करके गुज़ारा नही हो रहा था. अब मुझे अपनी छूट में लंड चाहिए था.
आयेज बढ़ने से पहले मैं आपको अपने ससुराल के बारे में बता देती हू. मेरे ससुराल में मेरे पति के अलावा सिर्फ़ ससुर जी है. सासू मा की काफ़ी साल पहले ही डेत हो चुकी है. ससुर जी भी पहले आर्मी में थे, लेकिन अब रिटाइर्ड थे.
अब कहानी पर वापस आते है. उन्ही दीनो में, जब मैं सेक्स के लिए तड़प रही थी, मैने कुछ ऐसा देखा, जिससे मेरी ज़िंदगी बदल गयी. एक रात अपने पति से बात करने के बाद अपनी छूट में उंगली कर रही थी. तभी मुझे बाहर का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई.
पहले मैने सोचा की ससुर जी होंगे. लेकिन तभी मुझे किसी महिला की आवाज़ आई. महिला की आवाज़ सुन कर मैं जल्दी से अपने कमरे का दरवाज़ा खोल कर बाहर देखने लगी. मैने देखा की कोई 35-40 साल की औरत दरवाज़े पर खड़ी थी, और ससुर जी उससे कुछ बात कर रहे थे.
फिर वो औरत अंदर आ गयी, और ससुर जी दरवाज़ा बंद करके उसको अपने कमरे में ले गये. अंदर जाके उन्होने दरवाज़ा बंद कर लिया. मैं भी धीरे से जाके उनके कमरे के बाहर खड़ी हो गयी, और खिड़की से अंदर देखने लगी.
देखते ही देखते ससुर जी ने उसको नंगा कर दिया और खुद भी नंगे हो गये. मैने देखा की ससुर जी का भी लंड मेरे पति जितना ही लंबा और मोटा था. फिर ससुर जी ने उस औरत को इतना ज़बरदस्त पेला, की मेरे मूह में पानी आ गया. मेरी चुदाई की आग और भड़क उठी. जब वो चुदाई करके बाहर आने लगे तो मैं जल्दी से अपने रूम में चली गयी.
रूम में जाके मेरे मॅन में ससुर जी के ही लंड के ख़याल आ रहे थे. मेरे दिमाग़ में बार-बार यही आए जेया रहा था की अगर मैं अपने ससुर से छुड़वाना शुरू कर डू, तो हम दोनो का मज़ा हो जाएगा. ये सोचते-सोचते मैं कब सो गयी मुझे पता ही नही चला.
फिर अगली रात भी मैने पति से बात की, और उसके बाद अपनी छूट में फिंगरिंग करने लगी. आँखें बंद करती थी, तो ससुर जी का लंड सामने आ रहा था. फिर मैने सोचा जो होगा देखा जाएगा, लेकिन आज तो छूट में लंड लेके ही रहूंगी.
ये सोच कर मैं ससुर जी के रूम के बाहर चली गयी. दरवाज़ा खुला था, और वो सो रहे थे. उन्होने धोती-कुर्ता पहना हुआ था. मैं चुप-छाप जाके उनके बेड के पास बैठ गयी. फिर मैने धोती उठाई तो उन्होने धोती के नीचे कुछ नही पहना था. उनका काला लंड मुझे सॉफ नज़र आ रहा था, और उसको देख कर मेरे मूह में पानी आ रहा था.
मैने बिना उनके जागने की परवाह किए धोती साइड करके लंड मूह में ले लिया, और उसको चूसने लग गयी. कुछ सेकेंड्स में ही उनका लंड खड़ा हो गया, और साथ ही वो जाग गये. वो मुझे हैरानी से देखने लगे. तभी मैने अपनी सारी का पल्लू गिराया और बोली-
मैं: ससुर जी, जिस्म की आग मुझसे बर्दाश्त नही हो रही. मैं बाहर मूह मार्टी, इससे अछा घर की बात घर में ही रहे.
जैसे ही मैने ये कहा, ससुर जी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर खींच लिया. उन्होने मेरा ब्लाउस और ब्रा खोल कर निकाल दिए, और मेरे बूब्स चूसने लग गये. मैं आहें भरते हुए उनके सर को अपने बूब्स में दबाने लगी. फिर उन्होने नीचे कमर चूमते हुए मेरे बाकी के कपड़े भी उतार कर मुझे नंगी कर दिया.
अब वो मेरी चिकनी छूट चाट रहे थे, और मैं गांद हिला-हिला कर मज़ा ले रही थी. कुछ देर में ही मेरी छूट ने उनके मूह में पानी छ्चोढ़ दिया. फिर वो नंगे हो गये, और मेरी छूट में अपना लंड घुसा दिया. मुझे बड़ी संतुष्टि मिली.
अब वो मेरे होंठ और बूब्स चूस्टे हुए मुझे ढाका-धक छोड़ रहे थे. मैने अपनी टांगे उनकी कमर पर लपेट ली, और चुदाई का मज़ा लेने लगी. मैं उनको और ज़ोर से छोड़ने के लिए बोल रही थी.
कुछ देर वैसे ही छोड़ने के बाद ससुर जी ने मुझे घोड़ी बना लिया. फिर पीछे से लंड मेरी चूत में डाल कर छोड़ने लगे. वो मेरी गांद पर ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मार रहे थे, जिसमे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर उन्होने मेरे कंधे पकड़ लिए, और ज़ोर-ज़ोर से लंड अंदर-बाहर करने लगे. उनका लंड मेरी बच्चे-दानी तक पहुँच रहा था.
उनसे मुझे उतना ही सुख मिल रहा था, जितना मेरे पति देते है. एक घंटे की तबाद-तोड़ चुदाई के बाद वो मेरी छूट में ही झाड़ गये. फिर मैने अपने कपड़े उठाए, और अपने कमरे में आ गयी.
उस दिन से हर रोज़ मेरे पति मुझे फोन पर गरम कर देते है, और मेरे ससुर उस गर्मी को ठंडा कर देते है. लाइफ मस्त तरीके से चल रही है.
तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको आयेज शेर ज़रूर करे.