ही फ्रेंड्स, मेरा नाम ठिंकू है. मैं 20 साल का हू, और कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी हाइट 5’4″ है, और लंड 3 इंच का है. रंग मेरा गोरा है, और शरीर मोटा है. गांद मेरी पूरी गोल है, एक-दूं लड़कियों की तरह.
अब ये सब जानने के बाद तो आप समझ ही गये होंगे की मैं एक गे हू. मुझे स्कूल टाइम में ही पता चल गया था की मैं एक गे हू. क्यूंकी मेरे दोस्त जब लड़कियों के बारे में सेक्सी बातें करते थे, तो मुझे कोई उत्तेजना नही होती है. लेकिन दोस्तों पर मुझे ज़रूर प्यार आता था.
मेरी पहली चुदाई 7 महीने पहले हुई, और वही कहानी मैं आप सब को आज बताने जेया रहा हू. तो ज़्यादा टाइम ना वेस्ट करते हुए मैं सीधा कहानी पर आता हू.
हमारे घर में कन्स्ट्रक्षन का काम चल रहा था. 3 मज़दूर लगाए थे हमने काम पर एक मिस्त्री के साथ. उन मज़दूरों में से एक मज़दूर था जिसका नाम था अजय. अजय 30 साल कर हटता-कटता आदमी था. उसको देख कर लगता नही था की वो मज़दूर होगा. वो किसी अखाड़े का पहलवान लगता था.
क्यूंकी मेरे मम्मी-पापा दोनो जॉब करते है, और मेरी उन दीनो छुट्टियाँ थी, तो मैं घर पर रह कर काम करवा रहा था. फिर एक दिन बारिश होने लगी, जिसकी वजह से मुझे मिस्त्री का फोन आया की आज काम नही होगा. उसने मुझसे कहा की अगर कोई मज़दूर आ गया, तो मैं उसको वापस भेज डू. मैने उसको ठीक है बोल कर फोन काट दिया.
कुछ देर बाद दरवाज़े की घंटी बाजी. मैने दरवाज़ा खोला, तो बाहर अजय खड़ा था. मैने उसको बताया की आज काम नही होगा, तो वो वापस जाने लगा. जैसे ही वो वापस जाने लगा, तो बारिश बहुत तेज़ होने लगी. मैने उसको कहा की वो हमारे घर ही रुक जाए, और बारिश बंद होने पर चला जाए.
फिर वो रुक गया, और मैने उसको स्टोररूम में बिता दिया. बारिश लगातार हो रही थी. कुछ देर बाद मैने देखा की वो मोबाइल पर कुछ देख रहा था. ध्यान से देखने पर पता चला की वो पॉर्न वीडियो देख रहा था.
फिर मैने उसके लंड की तरफ देखा, जो पूरा खड़ा था. उसका लंड कम से कम 7 इंच का था. तभी उसने बाहर की तरफ देखा जहा मैं खड़ा था, लेकिन मैं जल्दी से साइड हो गया. फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और उसको सहलाने लगा. उसका लंड बिल्कुल ब्लॅक कोब्रा जैसा था.
उसका लंड देख कर मेरे मूह में पानी आने लगा, और गांद में खुजली होने लगी. मुझसे रुका नही गया और मैं स्टोररूम में चला गया. जैसे ही उसका ध्यान मुझ पर पड़ा, वो दर्र गया और मुझसे ऐसा करने के लिए माफी माँगने लगा. तभी मैं उसके सामने घुटनो के बाल बैठ गया, और बोला-
मैं: लाओ अजय मैं तुम्हारी मदद कर देता हू.
ये बोल कर मैने उसके लंड को अपने हाथ में ले लिया, और जीभ से उसके टोपे को छाता. टोपा चाट-ते हुए मेरी आँखें उसकी आँखों से मिली हुई थी. मेरे ऐसा करने पर वो हैरान हो गया. अब तक वो समझ चुका था की मैं उससे क्या करवाना चाहता था.
फिर मैने उसके लंड को अपने मूह में डाल लिया. लंड मूह में डालते ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली, और मेरे मूह की गर्मी का आनंद लेने लगा. कुछ देर मैं लंड चूस्टा रहा. मुझे इसमे बहुत मज़ा आ रहा था. आज तक मैने सिर्फ़ लंड इमॅजिनेशन में ही चूसा था. लेकिन असल में चूसने में मज़ा कही ज़्यादा आ रहा था.
फिर अजय ने आँखें खोली, और कमान संभाल ली. उसने मेरे सर के पीछे हाथ रखा, और ज़ोर-ज़ोर से धक्के देके मेरा मूह छोड़ने लगा. वो लंड को मेरे गले की दीवार तक लेके जेया रहा था. मुझे साँस लेने में भी दिक्कत हो रही थी, लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था.
कुछ देर ऐसे ही उसने मेरा मूह छोड़ा. फिर उसने मुझे खड़ा किया, और मेरे होंठो से अपने होंठ चिपका दिए. ये मेरी पहली किस थी, और मा कसम मुझे ऐसा लगा जैसे मैं जन्नत में था. वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रहा था. मैं साथ में उसका लंड सहला रहा था.
फिर उसने मुझे घुमाया, और मेरा मूह दीवार की तरफ कर दिया. मैने पाजामा त-शर्ट पहने हुए थे. उसने मेरा पाजामा और अंडरवेर साथ में नीचे कर दिए. अब मैं नीचे से नंगा था. फिर उसने मुझे झुकाया, जिससे मेरी गांद बाहर की तरफ निकल आई. उसके बाद वो खुद नीचे बैठ गया, और मेरी गांद के च्छेद को चाटने लगा.
मुझे इतना मज़ा आ रहा था की मैं बता नही सकता. कुछ देर चाटने के बाद वो खड़ा हुआ, और मुझे तेल लेके आने को बोला. मैं किचन में गया, और वाहा से सरसो का तेल ले आया. उसने तेल अपने लंड पर डाला, और पूरी तरह से चिकना कर लिया. फिर उसने मुझे दोबारा दीवार पर हाथ रखवा कर घोड़ी बना लिया.
अब उसने लंड मेरी गांद के च्छेद पर टीकाया. मुझे दर्र भी लग रहा था, और मज़ा भी आ रहा था. फिर उसने ज़ोर का धक्का मारा, जिससे लंड का टोपा गांद के अंदर और चीख मूह से बाहर निकली. मुझे बहुत दर्द होने लगा और मैं उसको लंड बाहर निकालने को बोलने लगा. लेकिन उसने मेरी बात की अनसुना कर दिया.
उसने मेरे चूतड़ पकड़े, और धक्के पे धक्का देता गया. दर्द से मेरी जान निकल रही थी, और उसका लंबा मोटा लंड अंदर जाए जेया रहा था. अब पूरा लंड अंदर जेया चुका था. वो कुछ देर रुका, और मेरी गांद मसलता रहा.
जब मेरा दर्द कम हुआ, तब उसने अपना लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया. अब मुझे मज़ा आने लगा. धीरे-धीरे वो अपनी स्पीड बढ़ने लगा. मेरी गांद का च्छेद खुल चुका था, और लंड अंदर-बाहर होने से ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था.
आधा घंटा वो ऐसे ही ज़ोरदार धक्के लगते हुए मुझे छोड़ने लगा. उसके बाद मुझे अपनी गांद में उसके माल की पिचकारी महसूस हुई. माल निकालने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया जिसको मैने चूस कर सॉफ किया.
बाहर बारिश बंद हो चुकी थी, और वो बिना कुछ बोले चला गया. उसके बाद वो दोबारा हमारे घर नही आया.
थे एंड.