दोस्तो, कैसे हो आप सब … मैं शिवराज एक फिर से अपनी सच्ची कहानी लेकर हाजिर हूँ. इस कहानी में एक विधवा की प्यासी चूत को मैंने सुहागन किया था.
हुआ यूं कि मेरी सेक्स स्टोरी
कानपुर की नूर बेगम
को पढ़ कर एक महिला रेखा का ईमेल आया. वो भी कानपुर की थी. ईमेल पर हमारी बात होने लगीं.
उसने बताया कि उसके हस्बैंड नहीं हैं, यही कोई आठ साल पहले उनकी डेथ हो गयी थी. उनका एक बेटा है, जो अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा है. उनका ये लड़का अभी दिल्ली में पढ़ रहा है. रेखा खुद एक सरकारी बैंक में जॉब करती है.
मैंने भी उसे अपने बारे में सब कुछ बताया. फिर हमारे नंबर एक्सचेंज हुए. मैं रेखा से फ़ोन पर बात करने लगा. चूंकि हम लोग अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरी को पढ़ कर एक दूसरे से परिचित हुए थे इसलिए हम दोनों के बीच हर तरह की बात होने लगी.
उसने मेरी सेक्स स्टोरी के बारे में पूछा कि ये सेक्स स्टोरी रियल है या फेक है.
मैंने पूछा- आपको क्या लगता है?
रेखा बोली- लगती तो रियल है लेकिन आजकल पता नहीं चलता कि क्या रियल है और क्या फेक है.
मैंने- मैं तो रियल हूँ … आप अपनी झिझक संकोच छोड़ो और मुझे ये बताओ कि आना कहां है. मैं आ जाता हूँ … आज ही आपसे मिल लेता हूँ.
मेरी इस बात पर उसने मना कर दिया और बोली- जब मुझे ट्रस्ट हो जाएगा, तब मिलूंगी.
मैंने कहा- वो कैसे होगा … मैं आपको कैसे भरोसा दिला सकता हूँ?
वो बोली- मुझे थोड़ा टाइम दो … मैं बता दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है, जब दिल करे, तब बता देना.
उसने कहा- ठीक है.
इसके बाद हमारी व्हाट्सप्प पर मैसेज से बात होने लगी. हमारे बीच एक दो सेक्स क्लिप भी शेयर हुए.
एक दिन मैंने कहा- क्यों तड़पा रही हो यार … मिलते हैं न किसी दिन.
वो बोली- हां, जल्दी ही मिलेंगे.
फिर शुक्रवार की शाम को उसका फ़ोन आया- कल मिल सकते हो?
उसकी तरफ से मिलने की सुनकर मेरी तो जैसे मन की मुराद ही पूरी हो गयी हो.
उस सैटरडे को उसका ऑफ था, तो बोली- कल ग्यारह बजे तक आ जाना.
उसने मुझे अपना एड्रेस मैसेज कर दिया.
मैं कहा- क्या लाऊं आपके लिए?
रेखा- क्या ला सकते हो?
मैंने- अपना दिल और लंड.
रेखा हंसने लगी.
फिर मैंने पूछा- बियर पियोगी?
रेखा बोली- हां बियर लेकर आना … पिए हुए बहुत दिन हो गए.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं अगले दिन घर से ऑफिस के लिए निकला और ऑफिस में बोल दिया कि जरूरी काम से बाहर जा रहा हूँ, तो ऑफिस नहीं आ पाऊंगा.
ऑफिस से फुर्सत मिलने के बाद अब मेरे पास पूरे दिन का टाइम था. मैं बियर शॉप पहुंचा, तो पता लगा कि बारह बजे खुलेगी. मैं खाली हाथ जाना नहीं चाहता था, सो उसके घर के नजदीक वाली शॉप के पास वेट करने लगा.
रेखा का साढ़े ग्यारह पर फ़ोन आया.
वो बोली- क्या हुआ … नहीं आ रहे क्या?
मैंने कहा- यार जरा मीटिंग में हूँ … अभी कॉल करता हूँ.
यह बोल कर मैंने फ़ोन काट दिया.
मैं भी उसे तड़पाना चाहता था.
जैसे ही दूकान खुली, मैंने बियर की पांच कैन खरीदीं और अगले पांच मिनट में ही रेखा के घर के पते पर पहुंच गया.
मैंने उसके घर की तरफ देखा, तो वो गेट पर ही खड़ी थी. उसकी फोटो मैंने उसकी डीपी में देखी हुई थी, तो मैं उसे झट से पहचान गया. उसने भी मुझे फोटो में देखा हुआ था, इसलिए उसने मेरी तरफ हाथ से इशारा किया. मैं इधर उधर देखते हुए उसके घर की तरफ बढ़ने लगा.
सामने रेखा हरे रंग की साड़ी में बड़ी मस्त लग रही थी. मुझे उसकी उम्र चालीस के आस पास की मालूम थी, लेकिन अभी वो दिखने में तीस की लग रही थी. उसने खुले बाल किये हुए थे. हरी शिफोन की साड़ी में क्या गजब माल लग रही थी.
मैंने अपनी बाइक उसके घर के अन्दर खड़ी की और उसके पीछे पीछे अन्दर पहुंच गया. अन्दर सोफे पर बैठते हुए मैं कमरे की साज सज्जा देखने लगा.
रेखा बोली- कैसे हो?
मैंने कहा- ठीक नहीं था, लेकिन शायद अब ठीक लग रहा है.
रेखा हंस कर बोली- अच्छा जी अब क्या ठीक लगने लगा तुम्हें?
मैंने कहा- तुम्हें देख कर बहुत अच्छा लग रहा है.
वो मेरे सामने बैठने लगी, तो मैं भी उठ कर उसके बगल में बैठ गया. वो मेरी तरफ को देखने लगी, तो मैंने उसको अपने सीने से लगा लिया.
वो भी आंखें बंद किए मेरे से चिपक गयी. हम दोनों एक दूसरे को यूं ही पकड़े हुए दस मिनट तक बैठे रहे. हम दोनों में बिना बात नहीं हो रही थी, बस एक दूसरे की धड़कन से ही बात कर रहे थे.
कुछ मिनट बाद मैंने उसका चेहरा ऊपर किया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया. रेखा भी मुँह खोल कर किस करने में मेरा साथ देने लगी. उसकी सांसें तेज होने लगीं और वो मेरा सर पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगी. उसकी चूमने की कशिश से लग रहा था कि शायद ये मुझे खा ही जाएगी. उसकी मस्त सांसों की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.
फिर हम दोनों अलग हुए.
वो बोली- पहले कुछ नाश्ता करोगे?
मैं बोला कि नहीं … मैं नाश्ता करके आया हूँ. हम लोग अभी बियर का मजा लेते हैं न.
फिर मैंने बैग से तीन बियर निकाल कर उसको दे दीं कि इसे फ्रिज में रख दो. दो अभी ठंडी थीं, मतलब ठंडी तो पाँचों थीं लेकिन फ्रिज में रखने से मतलब ये था कि वो ठंडी बनी रहेंगी.
उसने कैन लेते हुए हां में सर हिलाया और एक कैन को देखने लगी.
मैंने कहा- पहले बेड पर चलते हैं?
वो बोली- ठीक है.
मैंने कहा- बेड पर एक एक बियर भी पिएंगे.
उन दो बियर के कैन लेकर हम दोनों बेड पर आ गए. कैन खोल कर चियर्स किया और सिप ले लेकर बियर पीने लगे.
मैंने सिगरेट जलाने के लिए डिब्बी निकाली और उससे पूछा- सिगरेट से दिक्कत तो नहीं है न?
वो बोली- नहीं … इसी में से मैं भी पी लूंगी.
मैंने सिगरेट उसी को दे दी. उसने होंठों में सिगरेट दबा ली और मैंने लाइटर से जला दी. उसने बड़ी अदा से सिगरेट का कश खींचा और धुंआ के छल्ले उड़ाते हुए कहने लगी- आज कई साल बाद बियर पी रही हूँ … पहले बार हस्बैंड ने पिलाई थी … उनके साथ ही पी लेती थी. उनके बाद से नहीं पी.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लेटे हुए बियर और सिगरेट का मजा ले रहे थे. हम दोनों कभी बियर पीते, कभी किस करने लगते. सच में बहुत मजा आ रहा था. हम दोनों ही बियर पीते पीते कब नंगे हो गए, इसका पता ही नहीं चला.
वो नंगी हो गई तो मैं कभी उसके मम्मों को चूसता … कभी प्यासी चूत में उंगली करता … कभी नीचे आकर उसकी चूत चाटता और उसकी चूत का स्वाद उसके होंठों को चूस कर उसे भी दिलाता. वो भी मेरा लंड सहलाती … कभी लंड को मुँह में लेकर चूसने लगती.
हमारी एक एक बियर खत्म हो चुकी थी … हल्का हल्का सुरूर होने लगा था. हम दोनों एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे.
क्या नज़ारा था … कोई देखता तो देखता ही रहता.
वो बोली- आज आठ साल हो गए प्यासी चूत को बिना चुदे. इतने दिन बाद आज जिंदगी जीने को मिली है. ऑफिस के कई लोग मुझे चोदना चाहते थे, लेकिन हिम्मत नहीं हुई किसी के साथ कुछ करने की … पर पता नहीं मैंने तुम में ऐसा क्या देखा कि तुम्हें मना नहीं कर पायी.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों पर कसते हुए कहा- बस अब सब कुछ भूल कर इस पल का मजा लो.
उसको मैंने सीधे लिटा कर उसकी प्यासी चूत को चाटना शुरू कर दिया.
वो टांगें फैला कर गांड उठाते हुए ‘सीईई सीईई …’ करके मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी. मैं भी मस्त होकर उसकी प्यासी चूत में जीभ डाल कर चूसे जा रहा था. कुछ ही मिनटों में पता ही नहीं चला कि वो कब झड़ गयी. उसका नमकीन पानी मेरे मुँह के स्वाद को मस्त बना रहा था.
झड़ने के बाद वो शांत हो गयी थी.
मैंने पूछा कि क्या हुआ?
वो कुछ नहीं बोली, बस मुस्करा रही थी. मैंने भी अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा. वो भी मेरा लंड अपनी प्यासी चूत में डलवाने के लिए गांड हवा में उठा रही थी.
रेखा बोली- आज फाड़ ही डालो इसको … बहुत साल हो गए … आज तो इतना पानी निकल रहा है कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि इसको क्या हो गया.
मैं बोला- आज इसको लंड की महक मिल रही है न … इसलिए रो रही है.
वो हंस कर बोली- हां … ये तो है … कभी कभी मैं इसको अपने हाथों से सहला लिया करती थी … तो जरा सा पानी निकल जाता था, लेकिन आज ये झरना तो रुक ही नहीं रहा. तुमने तो कमाल कर दिया यार … तुम्हारी बीवी बहुत किस्मत वाली है.
बीवी का नाम सुनते ही मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी प्यासी चूत की गहराई में उतार दिया. पूरा लंड चूत की जड़ तक घुसा कर मैंने उसको कसके जकड़ लिया. वो लंड घुस जाने से कुछ तेज कराहना चाहती थी, पर मैं रेखा के होंठों को चूसने लगा. इससे उसकी चीख दब कर रह गई.
कुछ पल बाद वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा कर मजा लेने लगी थी. मैं भी उसकी जीभ पकड़ कर चूसने लगा.
कोई पांच मिनट तक मैं चुपचाप लंड घुसाए उसकी जीभ चूसता रहा.
अब वो अपनी गांड हिलाने लगी थी. मैं समझ गया कि अब मुझे क्या करना है. मैंने स्पीड से चुदाई चालू कर दी, वो भी मजे लेकर चूत चुदवा रही थी. हम दोनों दुनिया से बेखबर चुदाई में मस्त थे. मैं उसकी प्यासी चूत में पूरा अन्दर तक लंड पेल कर उसकी मदमस्त चूचियों को भी चूस रहा था और वो भी अपनी चूचियां चुसवाते हुए लंड का मजा ले रही थी.
थोड़ी देर में मैंने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से लंड को उसकी चूत में घुसा दिया. लंड घुसेड़ने के बाद मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ों पर थप्पड़ मारता हुआ उसे चोदने लगा. तभी मेरी नज़र उसकी गांड के छेद पर पड़ गई. उसकी गांड का छेद खुल बंद हो रहा था. मेरे सामने उसकी भूरी सी गांड खुली हुई थी.
मैंने अपने लंड को प्यासी चूत में पेले हुए ही अपनी दो उंगलियां उसकी गांड में घुसा दीं और गांड खोदने लगा.
मेरे उंगलियां पूरी तरह से गीली हो गईं. उसकी तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ … तो मैं समझ गया कि शायद उसकी गांड भी चुद चुकी थी. मैंने अपना लंड उसकी चूत में चलाना चालू कर दिया और उंगलियों से उसकी गांड को मथने लगा. इसमें उसको उसको डबल मजा मिल रहा था.
वो मस्ती में गालियां देने लगी, रेखा बोली- आंह मादरचोद … कसके चोद साले … आज दिखा दे अपने लंड का जलवा … आह मैं झड़ने वाली हूँ और जोर से चोद मेरे राजा.
मैं भी थक गया था, सो मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और उसकी प्यासी चूत में झड़ने लगा. मैंने कंडोम पहना हुआ था, तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी.
वो घोड़ी बनी थी, सो ऐसे ही बिस्तर पर लेट गयी … मैं भी उसके ऊपर ही गिर गया.
थोड़ी देर में दोनों होश में आए. मेरे लंड पर कंडोम चढ़ा था, लेकिन लंड अभी भी खड़ा था.
वो उठी और अपने हाथों से कंडोम निकाल कर कंडोम के ऊपर से मेरे सुपारे को किस किया और मेरे लंड को बड़े प्यार से सहलाने लगी. वो बोली- भूख लग आयी होगी मेरे शेर को …
यह कह कर वो नंगी ही किचन में चली गयी और बियर व खाना लेकर आ गयी.
हम दोनों नंगे ही खाना खाया और बची हुई बियर के कैन पीने लगे.
अब तक हम दोनों थोड़ा फ्रेश हो चुके थे तो दूसरे राउंड की चुदाई के लिए तैयार थे. इस बार उसने मोर्चा संभाला और मेरा लंड मुँह में लेकर जबरदस्त चुसाई शुरू कर दी.
मैंने रेखा को 69 की पोजीशन में ले लिया. अब मैं भी उसकी चूत चाटने लगा और धीरे से एक उंगली उसकी गांड में डाल दी.
वो मजे ले रही थी … बोली- क्या इरादा है मेरी जान?
मैंने कहा- जो तुम्हें अच्छा लगे … वो सब करूंगा.
रेखा बोली- एक बार हस्बैंड ने मेरी गांड मारी तो थी, लेकिन तब बहुत दर्द हुआ था. पर आज तुमको जो दिल करे, वो करो … मैं मना नहीं करूंगी.
मैंने कहा- चलो जान कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं.
हमारी चुदाई शुरू हो गयी. पहले मैंने प्यासी चूत में अपना लंड डाला. जब वो मस्त हो गयी, तो एक एक करके दो उंगलियां उसकी गांड में डाल कर चलाने लगा. उसकी चूत के साथ साथ गांड में हाथ चल रहा था.
थोड़ी देर मैंने अपना लंड चूत से निकाल कर उसकी गांड में घुसा दिया. आह बहुत टाइट गांड थी … उसने मेरी लंड झेल लिया.
उंगलियों का चलना अब उल्टा हो चुका था. मेरा लंड रेखा की गांड में था और उंगलियों से उसकी चूत की मस्त चुदाई कर रहा था. वो भी जन्नत के मजे ले रही थी. जो लोग ऐसी चुदाई कर चुके हैं. वो समझ सकते हैं कि ऐसी चुदाई में कितना मजा आता है.
करीब आधे घंटे तक नॉन स्टॉप चुदाई में वो दो बार झड़ी थीं. अब जान नहीं बची थी. एक बार मैं फिर से झड़ा.
अब हम दोनों लस्त हो चुके थे, ऐसी दमदार चुदाई के बाद कैसी हालत होती है, ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है.
एक घंटे सोने के बाद हम दोनों जग गए. फिर वो कॉफी बना कर लायी. हम दोनों ने कॉफी पी. हम दोनों अभी भी नंगे थे. शाम के 5 बज चुके थे.
फिर मैंने पूछा- और कुछ?
वो बोली- बस अब जान नहीं बची.
मैंने कहा- जानेमन कोई बात नहीं, मैं तुम्हारे अन्दर थोड़ी सी जान डाल देता हूँ.
वो हंसने लगी और बोली- कितना चोदोगे यार.
मैंने कहा- आज चोद लेने दो … इतने दिनों से तड़पाया है, आज पूरा बदला लेना है.
मैं फिर से उसकी चूत चाटने लगा. दस मिनट की चूत चुसाई से वो भी जोश में आ गई. हम दोनों के तीसरे राउंड की चुदाई के लिए हम दोनों फिर से तैयार हो गए थे.
फिर मैं काफी देर तक जम कर कभी चूत कभी गांड को बारी बारी से चोदता रहा. वो भी पूरा साथ दे रही थी.
अब तक 6.30 बज चुके थे. आज की चुदाई से हम दोनों पूरी तरह से थक चुके थे.
फिर उसने मुझे विदा किया.
दोस्तो, ये थी एक विधवा की प्यासी चूत की अगन … कैसे मैंने विधवा को सुहागन होने का अहसास करवाया. आपको कैसी लगी मेरी ये सच्ची चुदाई की कहानी. बताना जरूर … मैं आपके मेल का इंतज़ार करूंगा.
आपसे मैं जल्दी ही एक नई कहानी के साथ मिलता हूँ.
आपका दोस्त शिव राज सिंह