ही फ्रेंड्स मैं हू कामुकता. सही सुना आपने. कामुकता से भारी हुई मेरी सेक्सी काया 5’6″ हाइट, 55 क्ग वेट है. गोरा तराशा हुआ मेरा अंग-अंग कोमलता से भरा हुआ है. मेरी आँखें शराबी है, और इन शराबी आँखों की मदिरा जिस किसी ने पी है, वो मेरा गुलाम बन के रह गया.
सीने पर मेरी गोरी-गोरी क़ास्सी हुई 36″ साइज़ की मस्त चूचियाँ क़यामत धाती है. मेरे नितंब चलने में जब मेरी गांद इठलाती है, तो पीछे वाले मेरे आशिक़ मजनू हाए-हाए करके छाती पीट-ते है.
वो सब आहें भर-भर कर रत्त लगते है “हाए रे ज़ालिम ने मार डाला रे”. ये सुन-सुन कर मैं भी खूब इठलाती हू. मुझे अपनी सेक्सी काया पर गर्व होता है. घर से बाहर रह कर मैं एक बड़ी सी मल्टिनॅशनल कंपनी में जॉब करती हू.
मुझे पढ़ने-पढ़ने का बेहद शौंक है, सो खाली समय में मैं लड़के लड़कियों को टुटीओन भी देती हू. बॅचलर लाइफ और 35 साल की मेरी कसमसाती उमर है.
आज सनडे का दिन था. पूरा दिन छुट्टी ही छुट्टी. ऐसे में सुबा से ही मेरे बदन की ज्वाला धड़क उठी थी. अब किसी भी तरह मुझे चैन नही आ रहा था. मेरा पूरा बदन कसमसा रहा था. मैं अपने बेड पर कभी बैठती, तो कभी लेटने लग जाती.
मैं बेहद बैचानी महसूस कर रही थी. अब अनायास ही मेरा हाथ बार-बार कभी चूचियों पर, तो कभी छूट पर चला जाने लगा. मैं अपने ही हाथो से अपनी चूचियों को सहलाती और मसालती.
कभी मैं अपनी छूट को सहलाती, तो कभी छूट में उंगली डाल देती. इन सब से तोड़ा सुकून मिलता. लेकिन फिर दूसरे ही पल मुझे ज़ोरो का आवेश चढ़ जाता. बरबस ही मैं गुनगुनाने लगती “जागी बदन में ज्वाला, सैयाँ आके बजा दे बजा”.
लेकिन गुनगुनाने से क्या होता है? मेरी ज्वाला तो भड़कट्ी ही जेया रही थी. दोपहर के 02 बाज रहे थे. गर्मी भयंकर थी. हर तरफ सन्नाटा था, और ऐसे में ही मेरा बेस्ट स्टूडेंट पवन आ गया.
पवन 1स्ट्रीट एअर का स्टूडेंट था. पूरी 06 फुट की उसकी हाइट थी, और गातीला स्पोर्टी बदन था. बेहद ही आकर्षक और हॅंडसम था वो. मैने बड़े ही जोशीले अंदाज़ में पवन को वेलकम किया, और साथ वाले सोफा पर बिता लिया.
पहले से पवन को लेकर मेरे मॅन में कुछ भी नही चल रहा था. पर पवन को पास पा कर मेरे अंदर कुछ-कुछ होने लगा था. पवन को देख कर मेरी आँखों की शराब चालक पड़ी.
मेरी शराबी आखें बरादने लगी. फिर मेरी मनोदशा को देख कर पवन बोल पड़ा-
पवन: माँ आप ठीक तो हो ना?
लेकिन मैं अपने आप को संभाल नही पाई, और बोल पड़ी-
मैं: सैयाँ आजा पास मेरे, और छोड़-छोड़ कर बुझा दे मेरी प्यास.
ये बोलते-बोलते मैं पवन के सीने से लग गयी. 19 की उमर का जोशीला जवान मेरी सेक्सी काया को अपने में समाया पा कर पल में पिघल गया.
फिर पवन ने अपने होंठ मेरे रसीले गुलाबी होंठो पर रख दिए, और बेरेहमी से मेरे होंठो को चूसने लगा. पवन मेरे होंठो को चूस्टा गया, और मैं बरफ की तरह पिघलती गयी.
पवन मेरे होंठो को तब तक चूस्टा रहा, जब तक होंठो का रस्स सूख नही गया. अब पवन का सारा फोकस मेरी चूचियों पर था. होंठ चूस्टे-चूस्टे मेरी मस्त चूचियाँ आवेशित हो कर कठोर हो गयी थी.
पवन मेरी चूचियों को चूस्टा सहलाता और इधर कपड़े भी उतारता गया. मैने ज़्यादा कुछ पहना नही थी. मेरे बदन पर सिर्फ़ गाउन था. जब गाउन बदन से अलग हुआ, तो मेरी चिकनी चमेली खुसबुदार छूट पर्दे से बाहर आ गयी.
पवन को छूट का दर्शन हुए, तो मानो उसको सब कुछ मिल गया. मेरी छूट से मदन-रस्स तपाक रहा था. फिर पवन ने ज़रा भी देर नही लगाई. इस नीयत से उसने छूट पर झपट्टा मारा, की मदन-रस्स की एक भी बूँद ज़मीन पर गिर कर बेकार ना हो जाए.
उसने अपने मूह को बर पर लवनि की तरह लगाया, और एक कुशल बुरछट्टे की तरह चतर-चतर बर चाटने लगा पवन की बर चाटने की कला पर मैं अचंभित थी. फिर मैं उससे पूच बैठी-
मैं: अछा पवन, ये तो बताओ की तुमने इतना अछा बर चाटना कैसे और किससे सीखा?
पवन का छ्होटा सा जवाब था: पापा से.
ये सुन कर मैं और भी अचंभित हो गयी. तब बर चाट-ते हुए पवन ने बताया-
पवन: पापा मों को रोज़ छोड़ते है. और वो रोज़ उनकी बर भी चाट-ते है. मैने देख-देख कर सीख लिया.
फिर मैं बोली: पहले तूने बर छोड़ी है?
पवन बोला: नही.
ये सुन कर तो मैं तो खुशी से पागल हो गयी. हाए रे मेरी किस्मत, आज मुझे वर्जिन लंड से छुड़वाने का सौभाग्या मिल रहा था. फिर मैने आवेश में आ कर पवन के लंड को अपने हाथ में ले लिया, और पागलो की तरह लंड को अपनी बर पर रगड़ने लगी.
रगड़ते हुए पता नही कब लोड्ा बर के मूह पर सेट हो गया, जिसका आभास पवन को हो गया था. फिर पवन ने खच से लोड्ा मेरी बर में डाल दिया. 08″ लंबे और 4″ मोटे लोड का सूपड़ा अंदर बर में समा गया. मस्त लोड को बर में पा कर मैं तो जन्नत में पहुच गयी.
फिर पवन ने अपने दोनो हाथों की हथेलियों से चूचियों को पकड़ा. उसने मेरे मूह में अपनी जीभ डाली, और फिर धक करके लोड को बर के और अंदर डाल दिया. लगभग आधा लोड्ा बर में समा चुका था.
फिर जैसे-जैसे लोड्ा भीतर जाता, मैं असीम सुख की अनुभूति करती. कितना मज़ेदार पल था वो. बर में लोड्ा, हाथ में चूची, मूह में जीभ थी. इसमे मिलने वाले सुखों को मैं बताने में सक्षम नही हू.
मैं बस इतना कहूँगी, की छुड़वा कर खुद से फील करके बताना. फिर पवन ने तीसरा शॉर्ट मारा और पूरा का पूरा लोड्ा मेरी बर में समा गया. मैं मस्ती में गांद उछलने लगी. फिर मैं बोली-
मैं: छोड़ो मेरे राजा, छोड़ो. ज़ोर लगा कर छोड़ो मेरी बर को, और इसकी नास्स-नास्स को ढीली कर दो.
ये सब सुन कर पवन को जोश आ गया, और वो ढाका-धक मुझे छोड़ने लगा. मैं पवन की चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी, और गांद उछला-उछला कर उसका साथ भी दे रही थी.
फिर छोड़ते-छोड़ते पवन ढीला पड़ने लगा. मैने फिरसे पवन को जोश दिलाया-
मैं: ज़ोर लगा के बेटा, ज़ोर लगा के छोड़ो. अब मंज़िल बिल्कुल करीब है. मार धक्का, खचा-खच मार.
अब पवन दोगुना उत्साह से मुझे छोड़ने लगा. पवन छोड़ता जेया रहा था, और बड़बड़ाता जेया रहा था-
पवन: क्या मस्त बर है तेरी कसम से मा’आम. मेरा लंड चील गया इतनी क़ास्सी हुई बर छोड़ कर. आ आ आ हाए मैं गया मैं गया.
ये कहते हुए पवन के लंड से गरम पिचकारी मेरी बर में छूट पड़ी. मेरे मूह से भी आ आ निकली, और मैं शांत हो गयी. मुझे संपूर्ण संतुष्टि मिल गयी थी. अब पवन लेता हुआ था और मैं बातरूम जाने को उठ रही थी.
लेकिन पवन ने मुझे पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा. मेरी चूची गॅप से पवन के मूह में चली गयी और फिर शुरू हो गया मॅच का 2न्ड ओवर. मैने अपने आप को तैयार किया, और लगी छुड़वाने.
उस रात पवन बस मुझे छोड़ता रहा छोड़ता रहा और मैं चुड़वति गयी. मैने इतनी चुडवाई, की मेरी नास्स-नास्स ढीली हो गयी. लेकिन मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो गयी थी.
आज की कहानी बस यही तक दोस्तो. थॅंक्स आंड अलविदा. मुझे आप यहा पर अपनी फीडबॅक देंगे. कृपया मेरी हॉंसला-अफज़ाइ के लिए फीडबॅक ज़रूर देना, धन्यवाद. मेरी ईद है: