सो ये स्टोरी है तारक मेहता का ऊलतः चश्मा की जहाँ पे गोकुलधाम सोसाइटी के सारे मेंबर्ज़ कुत्छ जो की गुजरात में है, वहाँ घूमने जाते है.
तो वैसे ही सब मेंबर्ज़ कॅमल पे बैठ के डिज़र्ट घूमने जाते है. लेकिन ड्र. हाथी और कोमल होटेल में ही रहते है बिकॉज़ कोमल की तबीयत ठीक नही थी.
बाकी सारे लोग नज़ारे का मज़ा लेते हुए एक दूसरे से बातें करते हुए आगे बढ़ रहे थे. सब से पीछे थी हमारी गोकुलधाम की सेक्स क्वीन और परियो की रानी, हमारी अंजलि भाभी और टापू सेना के लीडर तिपेन्द्रा जेथलाल गाड़ा.
दोनो आपस में बात करते हुए बढ़ रहे थे अपने अपने कॅमल पे की अंजलि को प्यास लगती है, और वो टापू से कहती है
अंजलि – बेटा टापू अपनी बाग से पानी का बॉटल निकल के दोगे?
टापू – हा अंजलि भाभी, एक मीं…
टापू और अंजलि भाभी कॅमल को रुका के नीचे उतरते है और टापू पानी का बॉटल अंजलि को देता है. अंजलि पानी पीटी है और बोलती है
अंजलि – यार टापू मैं तो तक चुकी हू, इतना पानी पी लिया लेकिन प्यास ही नही बुझती. लो तुम भी तोड़ा पानी पी लो
टापू – हा आंटी तोड़ा सा पानी पी लेता हू.
और वो पानी पी के बॉटल बाग में रख देता है और दोनो अपने अपने कॅमल पे बैठ जाते है और जैसे ही आगे की तरह देखते है दोनो चौंक जाते है.
क्यू की डिज़र्ट एरिया है तो हवा ब ज़्यादा चलती है और ज़्यादा आगे का दिखाई नही देता तो बाकी सारे मेंबर्ज़ आगे बढ़ चुके थे. और पीछे हमारी प्यासी भाभी और टापू रह गये थे जो फिलहाल घबराए हुए थे.
टापू – अरे आंटी सब कहा चले गये, कोई दिखाई ही नही दे रहा ..
अंजलि – अरे तुम चिंता मत करो आगे ही होंगे बस हम सीधे सीधे चलते है ..
और दोनो आगे बढ़ने लगते है. काफ़ी देर तक वो बढ़ते रहे और उन्हे कोई दिख नही रहा था और शाम होने लगी थी. दोनो काफ़ी देर तक यहा वाहा ढूनडते रहे हर जगह जाकर देख लिए लेकिन हर उम्मेड नाकाम नज़र आ रही थी
टापू – आंटी अब क्या करेंगे? हूमें तो कोई रास्ता ब पता नही है
अंजलि – टापू फोन में भी नेटवर्क नही आ रहा. किसी से कॉंटॅक्ट ब नई हो पा रहा और अंधेरा हो रहा है हूमें कोई जगह ढूंडनी पड़ेगी रुकने के लिए.
टापू – हा आंटी यहा डिज़र्ट एरीयाज़ में रात में काफ़ी ठंड होती है लेकिन यहा आस पास कोई नज़र नही आ रहा.
अंजलि – टापू वाहा कुछ नज़र आ रहा है? (इशारा करती है उंगली से)
टापू – हा आंटी लेकिन कुछ साफ नज़र नई आ रहा..आगे चल के देखे ?
अंजलि – हा चलो बाकी तो हम कुछ कर ब नई सकते.
अजब दोनो तोड़ा आगे पोछते है वो उन्हे पता चलता है की वो तो 2 पठार थे. उनकी फिर से कोशिश नाकाम हो गयी.
टापू – आंटी ये तो बस पठार है. अब क्या करे?
अंजलि – यार टापू मूज़े ब समाज नही आ रहा . मुझे ऐसा लग रहा है की हूमें रत के लिए यही पे रुकना चाहिए, वरना हम अंधेरे में पता नई दूर निकल जाएँगे.
दोनो उतार के अपने अपने कॅमल को पठार से बाँध लेते है और बैठ जाते है.
मीनवाइल जो बाकी सारे मेंबर्ज़ थे वो अपने गाइड को फॉलो करते हुए होटेल पॉच गये, जहा उन्हे पता चला की टापू और अंजलि भाभी साथ नही है.
जेथलाल – अरे टापू तो पीछे ही था ना हमारे ऐसे कहा गायब हो गया ?
तारक – अरे हा, अंजलि ब तो साथ ही थी कहा गायब हो गयी दोनो?
कहीं रास्ता तो भटक नही गये?
जेथलाल – लेकिन ऐसे कैसे हो सकता है ?
गाइड – आप लोग चिंता मत कीजिए, मैं अभी अपने दो साथी को भेजता हू..वो उन्हे ढूंड के लाएँगे आस पास ही होंगे, आप लोग चिंता मत कीजिए, और अपने अपने कमरे में जाइए, जैसे ही कुछ पता चलता है मैं आपको इनफॉर्म करता हू
सब टेन्षन में चर्चा करते करते अपने अपने कमरे में चले गये और गाइड ने अपने दो साथी को कहा की जिस रूट से हम आए है वाहा एक रौंद मार के आए..
दोनो निकल पड़ते है.
इस बात को लगभग 1 ह्र हो चुका था लेकिन उन्हे कोई मिला नही
बॅक तो अंजलि भाभी आंड टापू.
अंजलि – टापू मुझे नई लगता वो लोग इस वक़्त हूमें ढूंड पाएँगे , जो होगा सुबह ही देखा जाएगा
टापू – हा आंटी लेकिन आप साथ ही रहना.
अंजलि – टापू बेटा वो तुम्हारे बाग में कुछ खाने को है? रत को चुकी है और थकान के मारे भूक लग रही है
टापू – (बाग चेक करते हुए) आंटी ये एक बिस्कट का पॅकेट है सिर्फ़. लीजिए
अंजलि – लेकिन तुम ब तो भूके होंगे, तुम खा लो ये बिस्कट
टापू – नही आंटी पहले आप खा लो मुझे भूक नही.
अंजलि – अछा एक काम करते है, दोनो आधा आधा पॅकेट खाते है. (पॅकेट में से कुछ बिस्किट्स निकल के टापू को देती है)
टापू – थॅंक योउ आंटी. आप कितनी अची हो
अंजलि – बस क्या टापू ? अब इतना तो बचो के लिए सोचना ही पड़ता है ना
दोनो बातें करते हुए बिस्किट्स ख़तम कर लेते है और टापू बाग में से पानी का बॉटल निकालने लगता है
टापू – आंटी ये लीजिए पानी, लेकिन तोड़ा ही बचा है
अंजलि – हा तो टापू तोड़ा तुम पी लो और बचा के मुझे देना
टापू – आंटी पहले आप पी लो, वो मुझे बॉटल के उपर से पीने नही आता, मैं मूह लगा के पियुंगा ना
अंजलि – अरे बेटा कोई बात नही, तुम पियो
टापू – (2 घूँट पीने के बाद) लीजिए आंटी आंड सॉरी वो मूह लगाने के लिए
अंजलि – अरे बेटा कोई बात नही, (पानी पी लेती है) लेकिन टापू सुबह तक तो प्यास और बढ़ने लगेगी. खैर तब का तब देखते है ये लो बॉटल.
टापू – (बाग में बॉटल दल देता है) अओंती अब? हूमें यहीं पे सोना पड़ेगा?
अंजलि – हा टापू, बाकी तो कोई ऑप्षन नही नज़र आ रहा
टापू – लेकिन आंटी बोहोट ठंड लग रही है
अंजलि – हा टापू ठंड तो है, मगर क्या करें?
कुछ देर दोनो अपने आप को हाथ से ओढ़ के बैठ जाते है
टिल देन ये बता डू की दोनो ने पहना क्या था
अंजलि – जैसा की आपको पता होगा अंजलि भाभी सलवार सूट पहेनटी है हमेशा. तो आज भी उसने वैसा ही फुल स्लीव्स वाली ब्लॅक सलवार और नीचे टाइट ब्लॅक लेगैंग्स पहनी हुई थी और उपर से दुपट्टा. और अंदर क्या पहनी थी वो आपको धीरे धीरे पता चल जाएगा
टापू – ब्लू जीन्स और उपर टशहिर्त वाइट कलर की और ब्लॅक जॅकेट. बिल्कुल हीरो जैसे.
लेकिन इससे उनकी ठंड रुकने वाली नही थी.
टापू अंजलि को कपते हुए देखता है और अपनी जॅकेट उतार के अंजलि को देता है
टापू – आंटी आप ये जॅकेट ओढ़ लो ठंड कम लगेगी
अंजलि – नही बेटा तुम्हे ज़रूरत है.. बचो को ठंड जल्दी लगती है तुम पहें लो इसे
टापू – आंटी कोई बात नही, मुझे कुछ होगा तो आप मेरा ख़याल रख लोगे मुझे पता है.
अंजलि – अरे बेटा कुछ नही होगा, एक कम करो यहा आओ (पास बुलाती है )
दोनो करीब आ जाते है और अंजलि वो जॅकेट दोनो के उपर ओढ़ के टापू को गले लगा लेती है
अंजलि – अब ठीक है टापू?
टापू – हा आंटी तोड़ा ठीक है.
अभी टापू 19 साल का बचा जिसे अंजलि जैसे बॉम्ब भाभी ने हग किया हुआ था इतने ठंडी के मौसम में.
टापू – आंटी अब लेट जाए?
अंजलि – हा तुम्हे नींद आ रही है? लेट जाओ, मैं ब लेट जाती हो, सोने की कोशिश करते है
दोनो लेट जाते है बाजू बाजू में और वो जॅकेट उपर डालने की कोशिश करते है. लेकिन एक जॅकेट दोनो को फिट नही आ रहा था उपर से.
टापू – आंटी ऐसे तो ठंड ज़्यादा लग रही है और नीचे डिज़र्ट ब ठंडा है बोहोट.
अंजलि – हा टापू सोचती हू कुछ
टापू इतनी देर में 2 बार छींक चुका था ठंड के कारण. अंजलि को कुछ समाज नई आ रहा था, वो दर गयी की टापू की तबीयत बिगड़ ना जाए, वरना वो क्या करेगी ऐसे सिचुयेशन में
अंजलि – टापू बेटा तुम ठीक हो?
टापू – हा आंटी, बस वो छींक आ रही थी
अंजलि – टापू लेकिन हूमें कुछ करना पड़ेगा
टापू – लेकिन आंटी हम क्या कर सकते है
अंजलि – (काफ़ी देर तक सोचते हुए) एक कम कर सकते है.
टापू – क्या आंटी?
अंजलि – (उठ के अपना दुपट्टा निकल के नीचे डिज़र्ट पे बिछा देता है और उसके उपर लेट जाती है) टापू अब तुम मेरे उपर आ जाओ..और लेट जाओ
टापू – आपके उपर? क्यू आंटी?
अंजलि – अरे तुम करो तो जैसे बोल रही हू
टापू – ओके आंटी (उठ के अंजलि के उपर तोड़ा सा डिस्टेन्स रख के लेट जाता है)
अंजलि – अब एक मीं रूको बेटा (और वो जॅकेट टापू के उपर से ओढ़ लेती है). ये आइडिया कैसा है टापू?
टापू – आइडिया तो अछा है आंटी लेकिन मैं पूरी रत ऐसे हाथ के सपोर्ट से कैसे राहु?
(अब किसी के उपर अगर लेतेगा कोई तो उसका पूरा वज़न नीचे वेल पे आएगा ना? तो टापू आने हाथ के सपोर्ट से अंजलि के उपर पूरा नही सोया था)
अंजलि – अरे बेटा सपोर्ट क्यू चाहिए? मैं हू ना नीचे, हाथ फ्री कर दो
टापू – स्लोली हाथ हटा देता है और अंजलि के उपर लेट जाता है. (तोड़ा ऑक्वर्ड लग रहा था उसे)
अब सीन ऐसा था की अंजलि के बूब्स गोकुलधाम में सबसे बड़े है. जी हन बबिता से ब बड़े, लेकिन वो टाइट ब्रा पहेनटी है इस वजह से दिखाई नही देते, और वैसे ब अंजलि सलवार सूट टाइट ही पहेनटी है तो टापू का चेस्ट की वजह से अंजलि से सॉफ्ट और बड़े बड़े बूब्स प्रेस हो रहे थे.
अंजलि- अब बेटा ठीक है? (उपर से हग करते हुए)
टापू – हा आंटी अब अछा लगग्ग (और टापू अपना मूह साइड की तरफ करते हुए छींक देता है)
अंजलि – अरे बेटा तुम्हे तो शारडी हो गयी
टापू – हा आंटी मुझे तोड़ा होता है ठंडी में
अंजलि – अछा बेटा (फिर से सोचते हुए) एक कम करो..अपनी टशहिर्त उतार के दो
टापू – लेकिन आंटी ठंड?
अंजलि – बेटा जो कहती हू वो करो
टापू – (टशहिर्त उतार देता है) लीजिए आंटी
अंजलि – (टशहिर्त टापू के बॅक पे बिछा देती है और उसके उपर जॅकेट) देखो बेटा अब तुम्हारे उपर दो लाएएरर है कपड़ो के..तोड़ा अछा लगेगा.
(और अपना हाथ टापू की नंगी पीठ पे फेरने लगती है)
ऐसे करने से टापू को थोड़ी गर्माहट महसूस होने लगी. आफ्टर ऑल अंजलि भाभी सब के पसीने छुड़वा देती है. अब ऐसे काफ़ी देर हुआ तो टापू बेचारे को पता भी नही चला कब उसका छोटा सा लंड खड़ा हो गया जीन्स में.
अंजलि – (कुछ देर पीठ फेरने के बाद) टापू बेटा अब तुम काफ़ी बड़े हो गये हो..बॉडी ब अची ख़ासी है तुम्हारी. इतने साल हो गये हूमें सोसाइटी में और पता भी नही चला कब बचे बड़े हो गये.
टापू – नई आंटी अभी तक तो मैं पढ़ाई करता हू, मैं कहा बड़ा हुआ हू.
अंजलि – अछा बचु? मुझे सब पता चलता है
टापू – (गंद फट गयी) कैसे पता चला आंटी? ऐसा कुछ नही है (और अपनी गंद को तोड़ा उठा देता है ताकि अंजलि को उसके लंड क हाल का पता ना चले)
अंजलि – अरे बेटा जो हुलचूल तुम्हारे पंत में हो रही है ना उससे किसी को ब पता चल सकता है की कॉन्सा बचा कितना बड़ा हो गया है
टापू – सॉरी आंटी वो नही होना चाहिए था, लेकिन…
अंजलि – (इससे पहले की टापू कुछ कहे उसकी बात काटते हुए) अरे इट’स ओके बेटा, इस उमर में होता है. कोई बात नई तुम टेन्षन मत लो और लेट जाओ…बिना किसी टेन्षन के
टापू – (अपनी गंद नीचे करते हुए ) ओके आंटी, लेकिन मुझे ऐसे सब नही सोचना चाहिए , उसी वजह से ये सब हो रहा है
अंजलि – क्या सोच रहे हो बेटा ?
टापू – कुछ कुछ. नई आंटी बस ऐसे ही
अंजलि – अरे शरमाओ मत. शायद मैं कुछ मदात कर साकु तुम्हारी. खुल के बताओ
टापू – वो आंटी पहले कभी ऐसे किसी ने छुआ नही ना, तो बॉडी में तोड़ा करेंट जैसा लग रहा है
अंजलि – अछा? कैसे छुआ नही?
अंजलि फिर टापू के पीठ पे उंगलिया घूमने लगती है, सिड्यूस करने लगी. और वैसे ब अंजलि जैसी हॉट सेक्स क्वीन को लड़को को तड़पने में बड़ा मज़ा आता है. तो वो धीरे धीरे फिर टापू के पीठ से नीचे जाते हुए..टापू के आस पे टच करने लगी
अंजलि – तुम्हे यहा किसी ने नही छुआ टापू?
टापू – (कुछ सोचने और बोलने के हालत में नही था) नही आंटी
अंजलि – (टापू के जीन्स में पीछे से हाथ डालने की कोशिश कर रही थी लेकिन जीन्स टाइट थी) बेटा टापू रत को सोते टाइम बेल्ट नहिी पहेनटे, लग सकती है ना. चलो बेल्ट निकल के साइड में रख दो.
टापू – (बिना कुछ पूछते हुए बेल्ट निकल देता है) बिल्कुल सही कहा आंटी अपने
अंजलि – क्या बात है टापू? अब तो मेरी बात मानने लग गये बिना किसी सवाल के? (हासणे लगती है)
टापू – अब आंटी आपकी बात तो माननी ही पड़ेगी ना. इतनी ठंड में आप मुझे गरम महसूस करवा रही है.
अंजलि – अभी तो खेल शुरू हुआ है बचु. (टापू को अख मारती है)
कुछ मिनिट तक अंजलि ऐसे ही टच करते करते टापू को सिड्यूस करती रही और टापू का लंड जीन्स में ही मचलता रहा. कुछ मिनिट बाद अंजलि कहती है
अंजलि – चलो बेटा अब बोहोट गर्मी हो गयी अब सो जाओ.
टापू – बस? आंटी आगे कुछ नही? (टापू और ब एक्सपेक्ट करने लगा था, ये बात सुन के साद फेस बना लिया)
अंजलि – हा टापू, देखो कितनी देर से तुम्हे छींक ब नही आई. (मान ही मान वो आगे का प्लान बना चुकी थी)
टापू – (इसे लगा की अंजलि आंटी सीरीयस है, और आगे कुछ नही करेगी) ओके आंटी गुड नाइट. (अंजलि के ब्रेस्ट पे सिर रख के आखें बंद कर लेता है)
अंजलि – अरे टापू बेटा, तुम कुछ भूल नही रहे?
टापू – क्या आंटी? कुछ ब तो नही.
अंजलि – अरे बेटा सोने के पहले सस्यू करके सोना चाहिए ना. भूल गये?
टापू – हा आंटी, लेकिन यहा कहा जौ?
अंजलि – अरे कहीं ब कर लो, पूरा खाली ही तो है, बस ज़्यादा दूर मत जाना वरना खो जाओगे.
टापू – ओके आंटी (सोचते हुए की कहा जौ)
अंजलि – अरे एक कम करो, वो पठार के पीछे ही कर लो.
टापू उठ के पठार के पीछे जाता है और जीन्स खोल के अंडरवेर नीचे करता है और सस्यू करने लगता है. उसका लंड अभी ब खड़ा था अंजलि के सेडक्षन से, तो वो सोचता है क्यू ना हिला लू. वो अपना सस्यू करने के बाद लंड हिलने लगा अंजलि के बातें में सोच के. 2 मिनिट के बाद अंजलि की आवाज़ आई
अंजलि – अरे बेटा हुआ नही क्या? इतने में से कितना निकलोगे?
टापू – (घबराते हुए लंड अंडरवेर के अंदर दल देता है और जीन्स पहेनटे हुए) हा आया आंटी..बस हो गया
अभी ब वो निराश था क्यू की उसको खड़े लंड के साथ ही सोना पड़ेगा. और वो अंजलि के उपर आके लेट जाता है
टापू – अंजलि आंटी आपको नही करना सस्यू?
अंजलि – करना तो है बेटा, लेकिन यहा कहा जौ (मज़ाक करते हुए )
टापू – जैसे मैने किया आप ब चले जाओ
अंजलि – अरे लेकिन बेटा हमारा तुम्हारी तरह थोड़ी..निकाला और सस्यू कर लिया, बोहोट कुछ देखना और सोचना पड़ता है
टापू – आंटी आप टेन्षन मत लो, मैं आखें बंद कर लूँगा
अंजलि – गुड बॉय, और अपने कान ब बंद कर लेना
टापू – ओके आंटी.
अंजलि उठ ती है और पठार के पीछे जाके अपनी सलवार उठती है, फिर अपना लेगैंग्स नीचे करती है और पनटी ब घुटने तक उतार देती है. और बड़ी तेज़ी से सस्यू करने लगती है ताकि टापू को आवाज़ सुनाई दे
वाहा टापू ब सोच में था कैसे अंजलि को देखा जाए, और कान लगा के सुन रहा था. जैसे उसने धार की आवाज़ सुनी, वो इमॅजिन करने लगा.
अंजलि फिर उठ के पनटी पहें के लेगैंग्स पहें लेती है और सब ठीक कर के आके लेट जाती है. दोनो अपनी अपनी पोज़िशन में थे.
टापू – अंजलि आंटी, लगता है आपको काफ़ी देर से सस्यू लगी थी. (हेस्ट हुए)
अंजलि – चुप (टापू के आस पे स्पॅंक करते हुए) बदमाश कही का. बोला था ना कन बंद करने को
टापू – वो आंटी मैने तो बंद ही किए थे, फिर ब आवाज़ आई.
अंजलि – हा सब पता है. अछा एक कम कर, अभी तू नीचे लेट जा मैं तेरे उपर लेट ती हू.. तेरा वज़न अब सेवेन नही हो रहा
टापू – (फाटक से उठ के पोज़िशन चेंज कर लिया) आइए आंटी..लेट जाइए
अंजलि – (लेट जाती है) अछा अब तेरी बरी है. मुझे थोड़ी गर्मी महसूस कराएगा ना?
टापू – हा आंटी बिल्कुल (सोचता है यही मौका है.)
और वो अंजलि की पतली सी कमर को हग कर लेता है और एक हाथ से अंजलि के सलवार के उपर से ही हाथ घूमता है. थोड़ी देर ये सिलसिला चला
अंजलि – अरे बेटा, क्या मैने तुम्हे इस तरह किया?
टापू – नही आंटी, वो मैने तो टशहिर्त उतार दी थी ना. और अपने तो सलवार पहनी हुई है.
अंजलि – तो क्या हुआ? एक कम कर..सलवार के अंदर हाथ दल दे.
टापू – (खुश हो जाता है मान ही मान में. और सलवार के अंदर हाथ दल के हाथ लगाने लगता है)
अंजलि – लेकिन बेटा टापू, हाथ संबभल के, कहीं और ना चला जाए.
टापू मस्त अंजलि की नंगी पीठ पे हाथ घूमने का आनंद उठा रहा था. और उसकी ब्रा भी काफ़ी टाइट थी जिसकी वजह से टापू का हाथ फस रहा था. और अंजलि की सलवार ब टाइट थी जिसकी वजह से वो मज़ा नही ले पा रही थी. तो वो उठ के अपनी सलवार निकल के साइड में रखती है और लेट जाती है.
अंजलि – अब कर बेटा, कोई परेशानी नही होगी
टापू – (सपना सच होते नज़र आ रहा था, लेकिन अंधेरे के कारण वो देख तो नही पा रहा था लेकिन जो मज़े ले रहा था पूछो मत) वाउ आंटी आपकी बॉडी कितनी सॉफ्ट है और कमर ब कितनी पतली सी है.
अंजलि – थॅंक योउ बेटा, लेकिन तोड़ा उपर हाथ घुमा ना
टापू – (हाथ तोड़ा उपर ले जाते हुए) यहा?
अंजलि – तोड़ा और उपर
टापू – (ब्रा के हुक पे हाथ रख देता है) आंटी यहा?
अंजलि – हा बेटा…वाहा अपना हाथ रब कर आचे से
टापू – लेकिन आंटी वो आपकी.. (रुक जाता है)
अंजलि – मेरी क्या टापू?
टापू – वो अपने पहना है ना
अंजलि – अछा ब्रा ! ब्रा बोलनी में शरम आती है बेटा?
टापू – नही आंटी, वो मुझे लगा आप डतोगे.
अंजलि – (हस्ती है) अछा एक कम कर खोल दे हुक
टापू – (हुक बिना टाइम वेस्ट किए खोल देता है और अंजलि को टच करने लगता है) क्या बात है आंटी, बोहोट अछा लग रहा है.
अंजलि – हा बेटा मुझे भी
अंजलि भी अब गरम होने लगी थी, और हल्के हल्के से अपनी छूट को टापू के खड़े लंड पे रब करने लगी थी.
अब अंजलि ने अपनी ब्रा ब साइड कर दी और ऐसे ही लेट गयी. अंजलि के ब्राउन निपल्स खड़े हो चुके थे जो टापू के चेस्ट पे डब रहे थे. टापू और ज़्यादा एग्ज़ाइट हो गया
अंजलि – टापू कैसा लग रहा है?
टापू – आंटी बोहोट अछा लग रहा है..कितने सॉफ्ट है. मैं इसे टच करू?
अंजलि – (गुस्से में) खबरदार टच किया तो. (टापू डरने का रिक्षन देता है तो अंजलि हास देती है) अरे डरो मत.. क्या करना है?
टापू – आंटी आपके बूब्स पकड़ने थे और निपल्स काफ़ी बड़े है ऐसा लग रहा है
अंजलि – छू के देखो (वो अपना हेड तोड़ा उपर करती है ताकि ब्रेस्ट सीधा टापू के सामने आ जाए)
टापू. – (अंजलि के दोनो बूब्स हाथ से पकड़ लेता है और दबाने लगता है) वाउ आंटी, कितने मुलायम है..आआहाहा
अंजलि – बेटा लगता है तुमने पहले कभी क़िस्सी के दबाए नही है. है ना?
टापू – नही आंटी, वो मेरा फर्स्ट टाइम है . क्यू आंटी? मैं कुछ ग़लत कर रहा हू?
अंजलि – (टापू का फिंगर्स अपने हाथो से पकड़ती है और अपने निपल्स पे रख के दबाने का इशारा देती है).. ऐसे करो बेटा
टापू – (पूरा मदहोश हो गया था और जैसा अंजलि ने कहा वो अंजलि के निपल्स दबाए जा रहा था) आंटी मैं कहीं सपना तो नही देख रहा?
अंजलि – (अपना हाथ टापू के लंड पे रख के जीन्स के उपर से ही दबा देती है) अब बताओ, क्या ये सपना है?
टापू – (चिल्लाते हुए) नही आंटी… ये तो सच है. आ ऑश..
अंजलि – अब छू लिया मेरे ब्रेस्ट्स को? अब सो जाए?
टापू – आंटी क्या इनमें दूध है? (अंजलि के बूब्स को दबा के पूछता है)
अंजलि – अरे टापू बेटा तुम भी ना? एक कम करो खुद ही चेक कर लो (बोल के वो टापू के फेस की और आती है)
टापू – (एक हाथ अंजलि के कमर पे रख के और दूसरे हाथ एक एक बूब्स पकड़ के मूह में निपल्स ले लेता है और चूसने लगता है) आंटी दूध नही है इसमें लेकिन बोहोट यम्मी है
अंजलि – कैसे होगा दूध? मैं प्रेग्नेंट ही नही हुई हू अब तक तो
टापू – लेकिन आंटी क्यू? आपका दूध होता तो वो सब से टेस्टी दूध होता दुनिया का
अंजलि – (स्माइल करते हुए) अरे बेटा वो तारक अंकल है ना, उनका तोड़ा हेल्त इश्यू है. इसीलिए तो उनको प्रॉपर डाइयेट और सब जूस देती हू. लेकिन उनका है की जल्दी निपात जाते है. और उनका स्पर्म काउंट बोहोट वीक है
टापू – तो आंटी इतने साल से आप लोग सेक्स नही करते?
अंजलि – करते है लेकिन तारक 2 मीं में छूट जाते है, और फिर उनमें ताक़त नही बचती तो सो जाते है
टापू – सो साद आंटी, आप जैसी इतनी हॉट और ब्यूटिफुल लेडी अनसॅटिस्फाइड हो सकती है ये कभी सोचा ही नही था, और उसके बाद ब आप इतनी खुश और हस्ती रहती है
अंजलि – हा टापू, जैसे ब है मेरे पति है, उनके हर दुख सुख में उनके साथ रहना मेरा फ़र्ज़ है. और इतनी देर से जो तुम मेरा पकड़ के रखे हो..छोड़ोगे?
टापू – हा आंटी..वो मज़ा आ रहा था तो ध्यान ही नही रहा
अंजलि – अछा बेटा, इतना मज़ा आया? चलो फिर तुम्हारा तो अब तक पंत में निकल चुका होगा. है ना?
टापू – नही आंटी, इतना जल्दी नही, इतनी देर से खड़ा तो है लेकिन माल नही निकला है अभी
अंजलि – (टापू के कन के पास अपना मूह लेके जाती है और हल्की सी आवाज़ में) तो वेट किसका कर रहे हो बेटा?
टापू – (अंजलि के गंद पे हाथ रख देता है और दबा के बोलता है) इसका
अंजलि – ओो क्या बात है. इतनी ताक़त है बेटा तुम में? (हस्ती है, और सोचती है बचे में कितना दूं होगा)
टापू – आंटी एक मौका तो दो, आपको पता चल जाएगा
अंजलि – (सोचते हुए) लेकिन एक शर्त में तुम्हें मेरी आस मिलेगी
टापू – क्या आंटी?
अंजलि – अगर तुमने मुझे चरम सुख दिया तो तुम्हे बोनस में मेरी आस मिलेगी.
टापू – (ये सब सपना लग रहा होता है) हा आंटी बिल्कुल (पूरे एग्ज़ाइट्मेंट के साथ)
अंजलि अपने होंठ टापू के होंठ पे रख के किस करती है. और टापू ब सामने से किस करने लगा था. फिर दोनो धीरे धीरे अपने मूह खोल के स्मूच करने लगे. अंजलि तो पूरी एक्सपीरियेन्स है, टापू को बस चूमे जा रही थी. इतने सालो की प्यास बुझाने का वक़्त था. टापू पूरा एग्ज़ाइट हो चुका था, तो वो अपने हाथ अंजलि के कमर पे रख के हाथ को अंजलि के लेगैंग्स के अंदर स्लाइड करता है.
टापू का हाथ अंजलि की चड्डी पे था और वो अंजलि की गंद दबाना शुरू करता है. अंजलि सिसकिया ले रही थी ज़ोर ज़ोर से..
अंजलि – एस बेटा.. और ज़ोर से दब्ाओ
टापू – आंटी आप का फिगर कितना मस्त है.. और आपकी गंद कितनी सुंदर होगी, अंधेरे की वजह से मैं देख नही पा रहा लेकिन इमॅजिन कर रहा हू. (टापू अंजलि के चड्डी के अंदर हाथ दल के दोनो गंद के बीच अपनी उंगली घुमा रहा था)
अंजलि – आराम से बेटा चड्डी फड़ोगे क्या? (ये कहते ही अंजलि अपना हाथ नीचे ले जाती है और अपना लेगैंग्स और चड्डी घुटने तक नीचे कर देती है). बेटा अब करो
टापू – थॅंक योउ आंटी. अया आपकी गंद. (और ज़ोर से दो थप्पड़ लगता है अंजलि के गंद पे)
अंजलि – बेटा याद है ना? गंद तभी मिलेगी जब मेरी छूट को सुख दोगे..
टापू – हा आंटी बिल्कुल याद है. मैं तो आपको गरम कर रहा था
अंजलि – (अपना हाथ नीचे ले जाके टापू की जीन्स खोल देती है और खुद की जीन्स और अंडरवेर को घुटने तक उतार देती है. और टापू का लंड पकड़ लेती है.) टापू बेटा, ये तो बड़ा हो गया है काफ़ी (जैसे वो टापू के लंड का बाप ले रही हो)
टापू – आंटी आप के कारण ही हुआ है. आप कितना मस्त छू रही हो अया. (टापू तो आखें बंद कर के बस मज़े लेने में लगा था). आंटी और सब्र नई हो रहा, अंदर दल डू?
अंजलि – बिल्कुल बेटा, दल दो
टापू – अपने लंड को अंजलि की चिकनी छूट पे सेट कर के बाहर से टीज़ करने लगा
अंजलि – बेटा रूको, ऐसे ही नही घुसते
टापू – मतलब आंटी?
अंजलि – (अपने हाथ में थूक लगा के अपनी छूट पे रब करती है) अब डालो, झटके से
टापू – (लंड को पकड़ते हुए सीधे छूट में एक झटका मरता है)
अंजलि – आउच….टापुउुउउ अया (ये कहते ही अंजलि हिलने लगी, और लंड का मज़ा उठाने लगी)
टापू – आंटी आपके अंदर कितनी गर्मी है, बोहोट गरम है आपकी छूट. अया अंजलि…
अंजलि – टापू बेटा, मैने इतना बड़ा लंड कभी नही लिया, लेकिन मज़ा बोहोट दे रहे हो तुम, बस रुकना मत
टापू – हा आंटी, ये लो (ज़ोर ज़ोर से झटके मारना शुरू करता है और अंजलि की गंद पकड़ के छोड़ रहा था)
अंजलि – बेटा ध्यान रखना, अपना माल अंदर मत छोड़ना… आ एस बेटा…एस टापू
टापू – आंटी आपको मा नही बनना ?
अंजलि – आ ,, बनना तो है लेकिन बेटा तुम , अभी ओउउककच. खुद बचे हो
टापू – (तेज़ी से छोड़ते हुए) आंटी हमारा बचा होने दो ना, आप एक बार तारक अंकल के साथ कर लेना, और फिर उनको आप कह सकते हो की ये डाइयेट का नतीजा है.
अंजलि – (खुश हो जाती है और टापू को किस करने लगती है) स्मार्ट हन बेटा. ठीक है, चलो …अया निकालो…बेटा.. मेआइं.. छुउऊउउथत्…ने वाली हू बेटा
टापू – आंटी तोड़ा रुकिये साथ में निकलते है…..मैंन ब…म्म्म्मम
दोनो 1…2…3.. काउंट कर के साथ ही अपना माल छोड़ देते है. और अंजलि लेट जाती है टापू के उपर.
अंजलि – वा बेटा, काफ़ी स्टॅमिना है तुम में तो (हाफ्ते हुए)
टापू – आंटी बोला था ना..
अंजलि – लोवे उ टापू बेटा (स्मूच करती है टापू को)
टापू – आंटी अब मेरा बोनस?
अंजलि – बड़े शरारती हो बेटा, शरम नही आती? पड़ोस वाली आंटी की गंद माँगते हुए?
टापू – आंटी आप तो सबसे फेव आंटी है हमारी, पूरी टापू सेना आपकी दीवानी है, सच में
अंजलि – चल झूठे (स्माइल करती है)
टापू – हा आंटी साची, और तो और सोनू ब आपकी बड़ी तारीफ करती है, वो तो बिल्कुल आप जैसा फिगर बनाना चाहती है
अंजलि – अछा, तो कभी लेके आना सोनू को घर पे , उसे ब टिप्स दूँगी. फिलहाल ये बताओ, मेरी गंद का क्या करना है?
टापू – आंटी पहले आपकी गंद चाटूँगा, फिर पूरा मज़ा लेते हुए अपना लंड अंदर डालूँगा
अंजलि – लेकिन बेटा तारक ने कभी ब मेरी गांद नही मारी, तुम मार पाओगे?
टापू – आंटी टापू के लिए कोई कम मुश्किल नही.
अंजलि – नॉटी बॉय (और टापू के फेस पे बैठ जाती है, टापू के लंड की तरफ देखते हुए) लो बेटा, छत लो आंटी की गंद
टापू – (सब से पहले ज़ोर की साँस लेता है और अंजलि के गंद की सुगंध लेता है. फिर अपनी जीभ बाहर निकल के गंद के छेड़ पे रख के टेस्ट करता है. इतनी देर चुदाई के कारण दोनो के पसीने छूट रहे थे इतनी ठंडी में)
अंजलि – बेटा कैसी है मेरी गंद?
टापू – आंटी बोहोट ही लाजवाब. इसके लिए तो कोई ब इंसान कुछ ब करेगा आपके लए…टेस्टी
अंजलि – हहाहाहा (हेस्ट हुए झुक जाती है और टापू का लंड मूह में ले लेती है. दोनो अब 69 पोज़िशन में थे. और टापू अंजलि की गंद का छेड़ बड़ा करने की फर्स्ट में था. उंगली दल के छेड़ बड़ा कर रहा था)
टापू – आंटी बोहोट मज़ा आएगा जब मेरा लंड आपके अंदर जाएगा
अंजलि – तो बेटा किस बात का वेट कर रहे हो?
टापू – आंटी आप खुद ही पकड़ के अंदर दल . ना, मेरे . में आप ऐसा ही करती है..अया
अंजलि – (लंड पे अपना पोज़िशन लेते हुए , फिर से गंद पे थूक लगा के लंड को सेट करती है, और . का . करती है)
टापू – आंटी वो लंड की . नीचे कर दो ना पूरी…फिर अंदर .…आ
अंजलि – कितने नॉटी हो बेटा तुम (और वो . नीचे कर के लंड का . अंदर लेने लगती है) बेटा झटका .
टापू – (अंजलि के कमर पे हाथ रख के ज़ोर का झटका मरता है) . आंटी, कितनी टाइट है आपकी गंद
अंजलि – बेटा गंद टाइट नही है, तुम्हारा लंड बड़ा है…उफफफ्फ़ हाए र्सां
टापू – (अब अपना पूरा लंड अंदर दल चुका था. टापू का वर्जिन लंड और अंजलि की वर्जिन गंद चूस रही थी, और दोनो मज़े लेने में लगे हुए थे). आंटी ई लोवे उ…अंजलि आंटी…अया
अंजलि – (बस अपने चरम सुख पे ध्यान था) एस बेटा , ई लोवे उ टू..और तेज़…आ बेटा..अया टापूउ मेरी गाआआंद..आ
टापू – आंटी..यएएसस्स. ऐसे ही…आ
(करीब 15 मिनिट तक टापू अंजलि की गंद मरता रहा, जिसके बीच अंजलि एक बार झाड़ चुकी थी. और अब टापू की बरी थी)
टापू – आंटी मेरा छूटने वाला है…आ
अंजलि – बेटा मेरे मूह में निशाना मारना.
टापू – (फाटक से खड़ा हो जाता है, और अंजलि अपने घुटनो पे. अंजलि अपने हाथो से टापू का लंड सहला रही थी) आंटी अया करो
अंजलि – (अपना मूह खोलते हुए…) आआआ
टापू – (ज़ोर की पिचकारी निकलता है जो अंजलि के मूह में जाती है, और दूसरी पिचकारी अंजलि के फेस पे उड़ती है.) आंटी मज़ा आ गया…आ..थॅंक योउ आंटी, मेरी वर्जिनिटी लेने के लिए..
अंजलि – और बेटा जो मेरा फेस गंदा कर दिया उसका क्या? पानी ब नही है..कैसे साफ करू?
टापू – सॉरी आंटी.. वो पहली बार था तो निशाना चूक गया
अंजलि – (स्माइल करती है) कोई बात नही..बेटा चलो कपड़े पहें लो.
(और अंजलि अपने उंगली से सारा माल मूह में ले लेती है और कपड़े पहें ने लगती है. अंजलि ब्रा पहें चुकी थी और पनटी पहें ही रही थी की टापू बोलता है)
टापू – आंटी एक चीज़ मंगु तो आप माना तो नई करोगी?
अंजलि – मार तो ली मेरी गंद, और क्या चाहिए टापू?
टापू – अंजलि आंटी, आपकी पनटी मैं रखू?
अंजलि – क्यू बेटा? इसका क्या करोगे?
टापू – बस ऐसे ही, वो याद रहेगा ना
अंजलि – अछा तो घर आ जाना, मेरी मस्त नयी वाली पनटी दे दूँगी.
टापू – नही आंटी ये वाली, डर्टी वाली…इस्मीं आपकी महेक होगी ना
अंजलि – (हासणे लगती है) आज कल के बचे भी ना. (पनटी उतार के टापू को देती है) ये लो, रख लो
टापू – (पनटी लेके अपनी जीन्स में रख देता है) शुक्रिया आंटी…ई लोवे उ
अंजलि – वेलकम बेटा.. और सुनो, ये बात किसी को पता नही चलनी चाहिए, ठीक है?
टापू – हा आंटी..किसी को नही बतौँगा
दोनो कपड़े पहें के एक दूसरे के उपर ही लेट जाते है..सुबह तक.
***************थे एंड**************