हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.
में जानती हू यह स्टोरी ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप आगे पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इश्स स्टोरी का 12त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आगे
हनिमून माना कर घर वापस लौटने के कुछ हे दीनो बाद में अज़हर के साथ मथुरा चली आई. अज़हर नौशड्जी के मथुरा वेल ब्रांच को संभालते थे. नौशड्जी मेरे ससुरजी देल्ही वाली ब्रांच को संभालते थे और मेरे जेत्जी बारेल्ली वाली ब्रांच संभालते थे.
देल्ही वेल घर वापस आने के बाद सब तरह तरह के सवाल पूछते थे और मूज़े तंग करने के बहाने धुंते थे क्यूकी में उन्न सब की नौकझोक से भौत शर्मा जाती थी.
कुछ हे दीनो मे मेने महसूस किया की अज़हर अपनी भाभी मुस्कान से कुछ अधिक हे घुले मिले थे. वो दोनो एक दूसरे से काफ़ी मज़ाक करते और एक दूसरे को चुने की या मसालने की कोशिश करते.
मेरा यह शाक यकीन मे तब बदला जब मेने उन्न दोनो को अकेले मे एक रूम मे एक दूसरे के आगोश मे देखा. मेने जब रात को अज़हर से इश्स बारे मे बात की तो पहले तो वो इनकार करते रहे लेकिन बार बार ज़ोर देने पर इन्होने मान लिया की उनके और भाभी के बीच मे जिस्मानी तालुकात भी है और वो दोनो अक्सर मौका ढूँढ कर सेक्स का मज़ा भी लेते है.
उनकी यह काबुलियत ने तो जैसे मेरा दिल पे रखे पत्थर हे हाट गया क्यूकी अब मूज़े यह गिल्टी नही रही की में चिपचिप कर अपने सौहर को धोका दे रही हू. अब मूज़े यकीन हो गया की किसी दिन अज़हर को अगर मेरे जिस्मानी रिश्तो के बारे मे पता भी लग गया तो वो कुछ नही बोलेंगे.
पर यूयेसेस वक़्त मेने तोड़ा भौत दिखावे का रूठने का नाटक किया. तो अज़हर ने मूज़े पूछकरते हुए वो मंज़ूरी भी दे दी. उन्होने कहा की अगर में भी किसी से जिस्मानी रिश्ता रखूँगी तो वो मूज़े कुछ नही बोलेंगे.
उनकी यह मंज़ूरी के बाद अब मेने लोगो की नज़रो का ज़्यादा ख़याल रखना शुरू कर दिया था. में देखना चाहती थी की कों कों मूज़े चाहतभारी नज़रो से देखता है.
तब मेने पाया की मेरे हे घर के तीनो मर्द मूज़े कामुक निगाओ से हे देखते है. नंदोइजी और ससुरजी के अलावा मेरे जेत्जी भी अक्सर मूज़े कामुक नज़रो से निहारते रहते है.
मेने उनकी इक्चाओ को हवा देना अब शुरू कर दिया था. में अपने कपड़ो और अपने पहनावे मे काफ़ी खुलापन रखने लगी थी. इननेर्स को तो मेने पहेना हे बंद कर दिया था. में सारे मर्दो को अपने जिस्म के भरपूर जलवे करवाती.
जब मेरे कपड़ो के अंदर से झकते मेरे नंगे जिस्म को देख कर उनके कपड़ो के अंदर से लंड का उभर दिखने लगता. तो यह देखकर में भी गीली होने लगती और मेरे निपल्स भी तंन कर खड़े हो जाते थे. लेकिन में इन्न रिश्तो का लिहाज करके अपनी तरफ से चुदाई की हालत तक उन्हे आने नही देती थी.
एक चीज़ जो देल्ही आने के बाद पता नही कहा और कैसे गायब हो गयी पता हे नही चला. वो चीज़ थी मेरी और अज़हर की शवर के नीचे क्लिक की हुई फोटो. मेने मथुरा जाने से पहले अज़हर से भी पूछा था. मगर वो भी पूरे घर मे वो फोटो कही नही ढूँढ पाए.
यूयेसेस वक़्त मूज़े अज़हर पर भौत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था. क्यूकी पता नही यूयेसेस नंगी फोटो को कहा रख दिया था. अगर ग़लती से भी घर मे किसी और के हाथ लग जाती तो???
खैर भौत ढूँढने पर भी वो फोटो नही मिली और हम भी देल्ही से मथुरा आ गये थे. वाहा हुमारा एक भौत बड़ा घर था और घर के सामने गार्डेन था. घर बड़ा होने की वजह से हुँने 2 नौकर भी रखे थे जो हर वक़्त घर के काम मे लगे रहते और साथ हे गार्डेन के लिए एक माली भी था.
वो 3 नो हे नौकर गार्डेन की तरफ बने क़ुअटेर्स मे रहते थे. शाम होते हे अपना काम ख़तम कर उनको जाने को में कह देती. क्यूकी अज़हर के आने से पहले में उनके लिए एकद्ूम बान सावरकर हमेशा रेडी रहती थी.
में जब पहली बार अज़हर के साथ मथुरा जेया के रहने लगी तो ह्यूम मिलने भौत सारे अज़हर के कोवोर्डिनेटर्स मिलने के लिए आते थे और अज़हर के कुछ दोस्त भी थे और साथ हे अज़हर मूज़े कुछ खास खास कॉंट्रॅक्टर्स से भी मिलवाने ले जाते थे.
इसीलिए वो मूज़े हमेशा एकद्ूम बंथन कर रहने को कहते.. और साथ हे मूज़े सेक्सी और एक्सप्लोसिव कपड़े पहें ने को कहते. क्यूकी बड़ी पार्टीस मे या गेट-तो-गेतेर्स मे सब औरते भौत हे सेक्सी कपड़ो मे आती थी.
अज़हर वाहा 2 क्लब्स मे मेंबर भी थे जहा सिर्फ़ बड़े बड़े घर के लोगो के लिए हे था. बड़े लोगो की पार्टीस लाते नाइट तक चलती थी और वाहा सब पार्ट्नर्स बदल बदल कर डॅन्स भी करते शराब भी पीते सब उल्टे सीधा मज़ाक भी करते और एक दूसरे के जिस्म को खुलेआम चुना तो नॉर्मल बात थी. शुरू शुरू मे मूज़े यह सब मे भौत शरम आती थी लेकिन ढेरे ढेरे में इश्स माहूल मे अड्जस्ट हो गयी.
अड्जस्ट होना कुछ तो इसलिए ईज़ी हो गया की मेरा नेचर हे था चंचल जैसा. और पहले भी गैर मर्द जैसे मेरे नंदोइजी ने मेरे शरम के पर्दे को तार तार कर दिया था. अब मूज़े किसी भी गैर मर्द की बाहो मे जाने मे ज़्यादा अककवर्ड महसूस नही होता था. और सच काहु तो अज़हर भी यह हे चाहते थे की सब मूज़े कामुक उत्तेजनजनक या कहे की एक सेक्सी हॉट औरत के रूप मे हे जाने.
वो कहते थे की जो औरत जितनी फ्रॅंक और ओपन माइंडेड होती है. उसका हज़्बेंड उतनी हे ज़्यादा सक्सेस्फुल होता है. इन्न सब का हज़्बेंड के रेप्युटेशन और बिज़्नेस पर भी फराक पड़ता है.
इश्स लिए हर हफ्ते एक या दो बार इश्स तरह की गेठेरींग्स हो हे जाती थी. में भी इसमे शामिल होती लेकिन किसी गैर मर्द से जिस्मानी रिश्ता करने को झिकझकति थी. शराब पीने नाच गाने तक और उपेर उपेर से चूमचाती तक भी सब सही था लेकिन जब बात बिस्तर तक आ जाती तो में चुपचाप खुद को यूयेसेस इंसान से दूर कर लेती थी.
यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबॅक आप मूज़े मेरी मैल ईद इलोवेंसेस्तलोवेर्स@गमाल.कॉम पे लिख सकते हो.