ही फ्रेंड्स, मैं लोकेश वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. ई होप आप लोगों ने इस कहानी का पिछला पार्ट पढ़ा होगा, और उसको एंजाय भी किया होगा. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले जाके उसको पढ़िए.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की मोहल्ले में रहने वाली गीता आंटी को मैने पाटने की कोशिश की. फिर मेरी कोशिश कामयाब हुई, और मुझे उनकी छूट छोड़ने को मिली. अब आयेज बढ़ते है.
उस दिन उनकी चुदाई करवाने के बाद आंटी ने मुझे जाने को बोला. मैं भी चुप-छाप वाहा से आ गया. उस रात आंटी की चुदाई के सीन याद कर-कर के मेरा लंड बैठ ही नही रहा था. मैने बहुत कोशिश की सोने की, लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी.
फिर मैं उठ गया, और आंटी को कॉल करने लगा. मैने 3-4 बार ट्राइ किया, लेकिन आंटी ने फोन पिक नही किया. मेरी बेताबी बढ़ती जेया रही थी, और मुझे चैन नही आ रहा था. मुझे अपने लंड को फिरसे उस आंटी की गरम छूट में डालना था.
फिर मैं अपने रूम से बाहर निकला. रात का टाइम था, और मेरे घर वाले सब सो रहे थे. मैं चुपके से घर के बाहर निकल आया, और आंटी के घर की तरफ चल पड़ा. वाहा जाके मैने बेल बजाई, लेकिन उनके घर की बेल काम नही कर रही थी.
उनका मैं दरवाज़ा लोहे का बना था. अगर मैं उसको खटखटता तो बहुत आवाज़ होती. तो मैने ऐसा कुछ नही किया. लेकिन मुझे कैसे भी करके आंटी को छोड़ना था. आंटी के गाते के पास एक पीपे है, जो सीधे च्चत पर जाती है.
मेरा दिमाग़ इतना खराब हुआ पड़ा था, की घर के अंदर जाने के लिए मैं पीपे चढ़ने को रेडी हो गया. पहले मैने आचे से आस-पास देखा, की कही कोई गुआर्द या कुत्ता तो नही था.
जब मुझे कोई दिखाई नही दिया, तो मैने पीपे पर हाथ डाला, और भगवान का नाम लेते हुए उस पर चढ़ने लगा. पीपे पर उपर चढ़ने के लिए आंगल्स लगे थे, तो ये काम इतना मुश्किल नही था. मुझे 2 मिनिट ही लगे पीपे चढ़ कर च्चत पर पहुँचने में.
फिर मैं च्चत से उनके घर के अंदर आ गया, और आंटी के रूम में गया. आंटी ब्लॅक जाली वाली निघट्य में थी, और बेड पर घोड़े बेच कर उल्टी सोई हुई थी. उनकी निघट्य उनके घुटनो तक ही थी, और पीछे से थोड़ी उठी हुई थी.
वाह क्या सीन था. वो सेक्स की देवी मेरे सामने उल्टी सोई हुई थी, और वो भी ब्लॅक निघट्य में. उसकी गोरी जांघे दिख रही थी, और गांद उभरी हुई थी. ये सीन देख कर मेरा तो लंड खड़ा हो गया.
फिर मैने अपना एक हाथ आंटी की जाँघ पर रखा, और फेरने लगा. फिर मैने उनकी जाँघ पर किस किया, और उसकी खुश्बू सूंघने लगा. क्या मस्त महक आ रही थी आंटी में से, एक-दूं उत्तेजक. फिर मैने उनकी निघट्य थोड़ी और उपर उठाई, और मुझे उनकी पनटी नज़र आने लग गयी.
उन्होने नेआवी ब्लू कलर की पनटी पहनी थी, जिसमे उनकी मोटी गांद क़ास्सी हुई थी. मैने उनकी निघट्य में मूह डाला, और उनकी गांद को पनटी के उपर से चाटने लगा. आंटी गहरी नींद सोई हुई थी, और उनको कुछ ध्यान नही था.
फिर मैने निघट्य के अंदर हाथ डाले, और पनटी को कमर से पकड़ कर धीरे-धीरे नीचे करना लगा. मुझे कुछ वक़्त लगा, लेकिन मैने धीरे-धीरे खिसकते हुए उनकी पनटी निकाल दी.
अब उनकी नंगी गांद मेरे सामने थी. मैने हल्के हाथो से उनके चूतड़ खोले, और मुझे उनकी छूट और गांद के च्छेद दिखने लग गये. फिर मैने उनकी गांद के चियर में अपनी जीभ डाल ली, और उनकी गांद के च्छेद और छूट को चाटने लगा.
बड़ा स्वाद आ रहा था उनकी गांद और छूट चाटने में. आंटी की भी छूट पानी छ्चोढने लग गयी थी. फिर मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और नंगा हो गया. मेरा लंड लोहे की रोड की तरह तन्ना हुआ था. मैने अपना लंड हाथ में लिया, और आंटी की निघट्य पीठ तक उठा दी.
फिर मैने पीछे से ही उनकी छूट पर लंड सेट किया, और धीरे से अंदर करने लगा. छूट चाटने से गीली थी, तो धीरे-धीरे लंड अंदर जाने लगा. कुछ ही सेकेंड्स में मेरा पूरा लंड आंटी की छूट के अंदर चला गया. जैसे ही लंड छूट में गया, आंटी जाग गयी.
उनका मूह नीचे की तरफ था, तो उन्हे पता नही था की मैं कों था. नींद से जागते ही आंटी हड़बड़ा गयी. वो कहने लगी-
आंटी: कों है आहह, और ये क्या कर रहे हो? छ्चोढो मुझे आ.
मैने सोचा तोड़ा मज़ा लिया जाए. तो मैने आंटी के सर पर हाथ रख कर उनके मूह को तकिये में दबा लिया. मैं चाहता था की मेरा चेहरा उनको ना दिखे. फिर मैने अपना लंड धक्के देके उनकी छूट में अंदर-बाहर करना शुरू किया.
कुछ मिनिट तो आंटी रेज़िस्ट करती रही, लेकिन फिर वो भी मज़े से चूड़ने लगी. मैने पीछे से उनके कंधो पर हाथ रख कर उनकी छूट में धक्के देने शुरू किया, और वो आ आ करके मेरे लंड का मज़ा लेने लगी.
बड़ा मज़ा आ रहा था. पीछे से जब लंड छूट में जाता है, तो गांद का चियर देख कर बड़ा मज़ा आता है. फिर मैने अपने धक्को की स्पीड बधाई, और साथ ही आंटी की आहें भी तेज़ हो गयी. अब ठप-ठप की भी आवाज़े आने लगी थी.
फिर मैने लंड को छूट से निकाला, और आंटी के बाल पकड़ कर उपर खींचा. जब वो घोड़ी बन गयी, तो मैने उनको वही कस्स लिया. उसके बाद मैने उनकी निघट्य उनके बदन से अलग कर दी. अब वो नंगी थी, और मेरे सामने घोड़ी बनी हुई थी. अब आंटी भी मुझे देखने की कोशिश नही कर रही थी, और चुदाई का मज़ा ले रही थी.
फिर मैने अपना लंड पीछे से उनकी छूट पर सेट किया, और एक ही झटके में पूरा अंदर डाल दिया. उनकी ज़ोर की आ निकली. फिर मैं पीछे से उनके साथ चिपक गया, और उनकी छूट छोड़ने लगा.
मैं अपने हाथ आयेज ले गया, और आंटी के बड़े-बड़े बूब्स को पकड़ लिया. अब मैं ज़ोर-ज़ोर से उनके बूब्स दबा रहा था, और पीछे से उनकी छूट की सर्विस कर रहा था. 10 मिनिट मैं ऐसा ही करता रहा. आंटी को बहुत मज़ा आ रहा था, और 10 मिंटो में ही उनकी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया.
अब आंटी तक गयी थी, और हाँफ रही थी. फिर मैने लंड उनकी छूट से निकाला, और उनको चूढ़ दिया. आंटी बेड पर मूह के बाल लेट गयी. फिर मैने उनको सीधा किया, तब उनको पता चला की मैं था, जो उनको छोड़ रहा था.
आंटी: लोकेश तू, पहले नही बता सकता था की तू है. मैं पता कितना दर्र गयी थी.
मैं: तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही है मेरी जान.
और ये बोलते हुए मैं आंटी के उपर लेट गया, और अपने होंठ उनके होंठो के साथ जोड़ दिए. मैं और आंटी पागलों की तरह किस करने लगे. आंटी ने नीचे से अपनी टांगे खोल दी थी, और मेरा लंड उनकी छूट पर रग़ाद खा रहा था.
फिर हमने किस तोड़ी, और मैने अपना लंड हाथ में लेके आंटी की छूट पर सेट किया. मैने एक ही बार में लंड अंदर घुसाया, और फिरसे किस करते हुए आंटी की छूट छोड़ने लगा. आंटी ने मुझे बाहों में भर लिया, और मुझे अपने बूब्स का रस्स पिलाने लगी. वो आ आ की कामुक आवाज़े निकालती रही.
उन्होने अपनी टांगे मेरी कमर पर लपेट ली, और नीचे से अपनी गांद उठा-उठा कर अपनी चूत की चुदाई करवा रही थी. मैं भी आंटी की छूट में पूरा ज़ोर लगा कर धक्के मार रहा था. कुछ देर हमारी चुदाई ऐसे ही चलती रही. और फिर मेरा पानी निकालने वाला हो गया.
मैने आंटी को बोला: मेरा निकालने वाला है, कहा निकालु?
आंटी बोली: मेरे मूह में निकाल दो.
फिर मैने लंड आंटी की छूट से निकाला, और उपर आके उनकी ब्रेस्ट पर बैठ गया. उसके बाद आंटी ने मूह खोला, और मैने अपना लंड उनके मूह में डाल दिया. मैं उनके मूह को ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लग गया. कुछ सेकेंड्स में मेरा पानी आंटी के मूह में निकल गया.
आंटी मेरा सारा पानी पी गयी. फिर वो मेरा लंड चूस-चूस कर सॉफ करने लगी. उसके बाद हम दोनो बातरूम में गये सॉफ-सफाई करने, और वाहा भी तोड़ा रोमॅन्स किया. अब मेरी आग ठंडी हो चुकी थी, तो मैं घर वापस आ गया.
दोस्तों ये कहानी आपको कैसी लगी, मुझे कॉमेंट करके ज़रूर बताए. कहानी पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद.