Kamukta, जालंधर और लुधियाना के बीच मेरा हर रोज का सफर रहता था मैं लोकल ट्रेन से ही सफर किया करता हूं उस ट्रेन में मैं अब सवारियों को भी पहचानने लगा था क्योंकि ज्यादातर उसमें से कॉलेज के छात्र छात्राएं और निजी संस्थान में काम करने वाले लोग और कुछ मजदूर हुआ करते थे। मुझे एक साल हो चुका था और एक साल से मैं जालंधर से लुधियाना लुधियाना से जालंधर आया करता था। माना की लुधियाना में मेरे बहुत सारे रिश्तेदार रहते हैं लेकिन उनके घर पर मेरा जाना नहीं हो पाता था मैं बैंक में नौकरी करता हूं बैंक में जो भी लोग आते थे उनसे मैं बड़े ही अच्छे तरीके से बर्ताव करता। सब लोग मेरे व्यवहार से बहुत खुश रहते थे और कभी भी किसी बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष को कोई मदद की जरूरत होती तो मैं सबसे पहले उसकी मदद के लिए आगे आ जाता। एक दिन एक 65 वर्ष के बुजुर्ग व्यक्ति आये और उन्होंने मुझे कहा सरकार जी जरा मेरे पास बुक में देखना कितने पैसे हैं।
मैंने उनकी तरफ देखा तो मुझे उन्हें देख कर ऐसा कुछ प्रतीत नहीं हुआ वह देखने में ठीक ठाक दिख रहे थे मैंने उन्हें बताया कि आपके खाते में तो बहुत कम पैसे हैं। वह कहने लगे कुछ समय पहले ही तो मेरी पेंशन आई थी मैंने उन्हें कहा आप किस में नौकरी करते थे वह कहने लगे बेटा मैं रेलवे में नौकरी करता था। मुझे नहीं मालूम था कि उनकी स्थिति उनके बच्चों की वजह से पूरी तरीके से खराब हो चुकी है और उन्हें दिखाई भी नहीं दे रहा था मैंने उनसे पूछा कि आपको दिखाई नहीं देता वह बहुत दुखी हो गए उनके चेहरे की तरफ देख कर मैं समझ गया कि उनके दुख का कारण उनके बच्चे हैं जो कि उनसे अब दूर रहने लगे थे। वह कोने पर लगी हुई बेंच पर बैठ गये और वहां पर बैठकर ना जाने वह क्या सोच रहे थे बार-बार मेरी नजर उनकी तरफ ही पढ़ रही थी और मैं उस दिन अच्छे से काम भी नहीं कर पा रहा था। वह काफी देर तक वहां बैठे रहे अब हमारा लंच टाइम होने वाला था तो मैं उनके पास गया और कहा बाबूजी अब लंच टाइम होने वाला है आप घर चले जाइए वह कहने लगे बेटा मैं घर जा कर भी क्या करूंगा वह काफी दुखी थे फिर मैंने उनसे पूछ लिया कि आप इतने दुखी क्यों है।
वह कहने लगे बेटा जब हम कोई पेड़ लगाते हैं तो उसकी देखभाल बड़े अच्छे से करते हैं लेकिन जब वह पेड़ बड़ा हो जाता है तो वह फल देने लगता है और उसे अपने ऊपर बहुत घमंड हो जाता है कि मैं लोगों को फल दे रहा हूं लेकिन उसका घमंड चकनाचूर हो जाता है जब वह बूढ़ा हो जाता है, तब उसे एहसास होता है कि वह कितना बदनसीब है। मैंने अपने बच्चों को भी बचपन से कोई कमी नहीं होने दी उन्हें मैंने अच्छी शिक्षा दी और अच्छे माहौल में रखा लेकिन जब मैं बूढ़ा हो गया तो मेरे बच्चों ने मुझे अपनाने तक से मना कर दिया और मैं अब अकेला रहता हूं। मै उनकी स्थिति देखकर बहुत दुखी था मैंने उन्हें कहा तो आपका इस दुनिया में और कोई नहीं है वह मुझे कहने लगे मेरी पत्नी थी लेकिन उसकी मृत्यु भी पिछले वर्ष हो गई और तब से मैं अकेला ही हूं। मैंने उनसे पूछा आप कहां रहते हैं उन्होंने मुझे कहा बेटा तुम बहुत अच्छे इंसान प्रतीत होते हो मैंने बाबूजी से कहा कि मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूं लेकिन वह मुझे कहने लगे बेटा मैं चला जाऊंगा। मैंने उन्हें कहा आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए जब आपके खाते में पैसे आएंगे तो मैं आपको बता दूंगा और यह कहते हुए वह चले गए। कुछ दिनों बाद मैंने उनके अकाउंट में चेक किया तो उनके अकाउंट में पैसे नहीं थे मैंने देखा कि उनके अकाउंट में पैसे आए हुए थे लेकिन वह किसी ने निकाल लिए। मैंने उन बाबूजी को फोन किया और कहा आपके अकाउंट से किसी ने पैसे निकाल लिए हैं तो वह कहने लगे भला मेरे अकाउंट से कौन पैसा निकालेगा तब उन्होंने मुझे बताया कि मेरे बेटे को मैंने कुछ दिनों पहले एक साइन किया हुआ चेक किया था उसने ही शायद पैसे निकाल लिए होंगे। उनके पास अब बिलकुल भी पैसे नहीं थे उस दिन मैंने सोच लिया कि मैं उनके साथ उनके घर पर जाऊंगा, मैं जब उनके घर पर गया तो उनके घर की स्थिति बिल्कुल खराब थी वह काफी ज्यादा दुखी थे।
मैंने उन्हें कुछ पैसे दिये और कहा यह पैसा आप रख लीजिए वह बड़े ही स्वाभिमान किस्म के व्यक्ति थे वह कहने लगे नहीं बेटा तुम यह पैसे अपने पास रख लो मै पैसों का क्या करूंगा। उन्होंने मुझसे पैसे पकड़ने से इंकार कर दिया लेकिन मैंने उन्हें कहा कि आप यह पैसे रख लीजिए जब आपके पैसे आएंगे तो आप मुझे पैसे दे दीजिएगा। वह कहने लगे ठीक है लेकिन मैं तुम्हें पैसे दूंगा तो तुम वह अपने पास रख लेना मैंने उन्हें कहा हां बिल्कुल, उन्होंने मुझे कहा मैं तुम्हारे लिए चाय बना देता हूं मैंने उन्हें कहा नहीं बाबूजी रहने दीजिए मैं अभी चलता हूं। मैं वहां से चला गया और उसके बाद मैंने उन्हें काफी समय बाद फोन किया जब मैंने उन्हें फोन किया तो वह कहने लगे बेटा मुझे बैंक में आना था मैंने कहा हां आप बैंक में आ जाइए और वह बैंक में आ गए। जब वह बैंक में आए तो मैंने कहा आपके पैसे आए हुए हैं मैंने उन्हें पैसे दे दिए फिर उन्होंने मुझे मेरे पैसे लौटा दिए और कहा बेटा यह पैसे तुम अपने पास रखो तुमने मेरी जरूरत के वक्त पर बहुत मदद की। उन्होंने मुझे ऐसा कहा तो मुझे लगा जैसे कि मैंने दुनिया का सबसे अच्छा काम किया हो मैं बहुत ज्यादा खुश था मैं दिन जब घर लौटा तो शायद मेरी किस्मत भी अच्छी थी जब मैं जालंधर स्टेशन से नीचे उतरा तो रास्ते में मेरी टक्कर एक लड़की से हो गई और सिमरन के रूप में मुझे मेरी होने वाली पत्नी मिल चुकी थी।
मैं बहुत ज्यादा खुश था और मेरी खुशी का ठिकाना ना था लेकिन सिमरन की सगाई हो चुकी थी और उसके बाद लड़के ने उसे ठुकरा दिया था जिस वजह से सिमरन ने मेरे साथ सगाई करने से मना कर दिया। मैंने उसके माता-पिता से भी बात की थी लेकिन वह कहने लगे बेटा हम बिना सिमरन के इजाजत के कैसे किसी के साथ उसकी शादी कर दें। मैंने जब यह बात बाबू जी को बताई तो वह कहने लगे कि बेटा जरूर सिमरन से तुम्हारी शादी हो जाएगी और मैं इसी आस में था कि मेरी शादी सिमरन से हो जाए और आखिरकार सिमरन मेरी बात मान गई। जब सिमरन मेरी बात मानी तो हम दोनों की सगाई हो चुकी थी अब हम दोनों जल्दी एक दूसरे से शादी करने वाले थे और जब हम दोनों की शादी हो गई तो मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरी शादी सिमरन से हो चुकी है। शादी की पहली रात जब सिमरन के साथ मैं कमरे में था तो मै खुश था। मैने सिमरन से बात की मेरा लंड उसे देखकर हिलोरे मार रहा था मैं चाहता था कि उसे उसी वक्त चोदू लेकिन सिमरन के भी कुछ अरमान थे मैं उन्हें जानना चाहता था और पहली रात में यादगार बनाना चाहता था। इसके लिए मैंने पूरी तैयारी कर रखी थी मैंने अपनी जेब में सरसों की तेल की शीशी रखी हुई थी। जब मैंने उसके हाथ को पकड़ना शुरू किया तो वह भी समझ गई कि अब मेरी चूत मारी जाने वाली है और इसी के साथ उसने अपने आप को मेरे आगे समर्पित कर दिया। वह बिस्तर पर लेट गई थी मैं उसके लिपस्टिक लगे होठो का रसपान करें जा रहा था। मैंने काफी देर तक उसके लिपस्टिक लगे होठों को चूसना जारी रखा जिससे कि मैं पूरी तरीके से जोश में आ चुकी थी और काफी देर तक मैंने उसके साथ किस का आनंद लिया। मैंने अब धीरे धीरे उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए वह पूरे लाल जोड़े में थी और उसने पेंटी ब्रा भी लाल रंग की पहनी हुई थी।
उसके गोरे स्तन देखकर मैं अब इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और सिमरन से कहा तुम इसे अपने मुंह में लो ना। सिमरन भी मना ना कर सकी क्योंकि वह अब मेरी पत्नी थी उसने मेरे मोटे से 9 इंच मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरू किया। जिससे कि मेरी उत्तेजना भी पूरी चरम सीमा पर पहुंच गई मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया। वह मेरे लंड को चूस चूस कर उसका पानी बाहर निकालने लगी मैंने सिमरन से कहा मैं तुम्हारी चूत मारने वाला हूं। सिमरन शर्माने लगी उसने अपने हाथों से अपने मुंह को ढक लिया। मैंने जैसे ही उसकी गोरी चूत पर अपने लंड को लगाया तो मैंने अंदर की तरह धक्का देते हुए अपने लंड को अंदर प्रवेश करवा दिया उसकी योनि के अंदर तक मेरा लंड प्रवेश हो चुका था। उसकी गोरी योनि से लाल रंग का खून बाहर की तरफ को निकालने लगा जिससे कि मुझे आभास हो गया कि सिमरन एकदम फ्रेश माल है।
जिस प्रकार से सिमरन ने मेरा साथ दिया उससे मैं समझ गया कि सिमरन मेरे लिए पूरी समर्पित है और सिमरन ने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया था मैं और भी तेजी से उसे धक्के मारता। मैंने काफी देर तक उसे तेज गति से धक्के दिए जैसे ही सिमरन की चूत से गर्मी बाहर निकलने लगी तो मैंने सिमरन से कहा मेरा वीर्य तुम्हारी योनि में गिरने वाला है। सिमरन कहने लगी कोई बात नहीं तुम गिरा दो यह कहते ही मैंने उसकी चूत के अंदर अपने माल को प्रवेश करवा दिया। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो वह सो चुका था। मैंने उसे दोबारा से खड़ा करते हुए अपने लंड पर तेल की मालिश की और उसे दोबारा से कड़क बना दिया। कडक होते ही मैने सिमरन की योनि के अंदर दोबारा से अपने लंड को घुसा दिया और तेज गति से धक्के मारने लगा। मैं काफी देर तक उसे धक्का मारता रहा और काफी देर तक मैंने उसको अच्छे से चोदा। वह इतनी ज्यादा खुश हो गई कि उसने मुझे गले लगा लिया और कहने लगी आपने मेरी इच्छा अच्छे से पूरी की। मैं हर रोज सिमरन की चूत मार कर काम पर जाता हूं।