ही रीडर्स, मैं सुनील अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. आशा करता हू की आप सब को पिछला पार्ट पसंद आया होगा. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़ ले.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मुझे अपने घर के पास वाले मंदिर के पंडित की बीवी बहुत पसंद थी. वो हमारे घर के सामने ही रहते थे. उसकी पत्नी का नाम अनु था, जिसको इमॅजिन कर-कर के मैं सुबा-शाम मूठ मारता था.
फिर एक दिन मैने उसको बोल दिया की मैं उससे प्यार करता था, और उसने मुझे जवाब में थप्पड़ मार दिया. उसके बाद मेरी हिम्मत ही नही पड़ी दोबारा पूछने की. फिर एक दिन अचानक पंडित जी चल बसे, और मेरी अनु से बात बन गयी. अब वो चुदाई के लिए रेडी थी. चलिए अब आयेज बढ़ते है.
अनु मुझसे मिलने के लिए और सेक्स करने के लिए तड़प रही थी. मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था. मैं अब अगले दिन की वेट कर रहा था जब मैं उससे मिलने वाला था.
फिर अगले दिन मैं घर से बिके पर कॉलेज के लिए निकला. मैं कॉलेज नही गया, और सीधे अपने फ्रेंड के पास गया. मैने उसकी शॉप पर बिके पार्क की, और उसको बोला की मुझे वापस छ्चोढ़ कर आए. फिर वो मुझे अक्तिवा पर बिता कर वापस छ्चोढने आया.
मैने अपना मूह धक लिया था, ताकि किसी को पता ना चल जाए. फिर मैं पंडित के घर के सामने उतरा, और जल्दी से दरवाज़ा खोल कर अंदर चला गया. मैने अनु को पहले से बोल रखा था की वो दरवाज़ा खुला रखे.
जब मैं अंदर गया, तो अनु मेरी वेट कर रही थी. उसने वाइट कलर की कुरती, और मरून लेगैंग्स पहनी हुई थी. उसका भरा हुआ बदन उन कपड़ों में बहुत सेक्सी लग रहा था. वो किसी केक की तरह लग रही थी जिसको मैं आज खाने वाला था.
मुझे देख कर वो स्माइल करते हुए मेरे पास आई. फिर हम दोनो गले मिले, और जैसे ही मैं उससे गले मिला, उसके मोटे बूब्स मेरी च्चती में डाबब गये. मज़ा ही आ गया दोस्तों उसको गले से लगा कर. मुझे जोश चढ़ गया, और मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा. तभी उसने मुझे रोका और बोली-
अनु: यहा नही, उपर चलते है.
फिर उसने बाहर के दरवाज़े की कुण्डी लगाई, और मेरे आयेज-आयेज उपर जाने लगी. मैं उसके पीछे था, और सीडीयान चढ़ते हुए उसकी मटकती गांद देख कर उत्तेजित हो रहा था. उपर जाते ही मैने उसको बाहों में भर लिया, और अपने होंठ उसके होंठो से मिला दिए.
अब हम पागलों की तरह एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे. क्या स्वाद था उसके होंठो का, एक-दूं ज़बरदस्त. मैं होंठ चूस्टे हुए उसके चूतड़ दाबबे लगा जिससे वो और उत्तेजित होने लगी. क्या सॉफ्ट चूतड़ थे उसके, दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था. उसके बदन की खुशु मेरी वासना को और बढ़ा रही थी.
तकरीबन 10 मिनिट तक हम दोनो एक-दूसरे के होंठ चूस्टे रहे. जब हम अलग हुए, तो हम दोनो की साँसे चढ़ि हुई थी, और उसके होंठो की लिपस्टिक मैं खा चुका था. फिर मैने उसको दीवार के साथ लगाया, और उसकी कुरती उतार दी. अंदर से उसके ब्रा में काससे हुए गोरे-गोरे बूब्स बाहर आ गये.
मैं उसकी गर्दन चूमने लगा, और क्लेवगे में मूह डाल कर उसको चाटने-चूमने लगा. बड़ी गर्मी थी उसकी क्लीवेज में, और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने चूमते हुए उसको घुमा दिया, और उसकी पीठ चूमने लगा. फिर मैने उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसको उतार दिया.
अब मैं उसकी नंगी पीठ चूमते हुए नीचे गया, और उसकी लेगैंग्स नीचे खींच कर उतार दी. उसके बदन पर अब सिर्फ़ पनटी बची थी नीले रंग की. पनटी में उसकी गांद क्या कमाल लग रही थी. फिर मैने पनटी के उपर से उसकी गांद पर किस किया, और पनटी उतार दी.
अब वो नंगी दूसरी तरफ मूह करके खड़ी थी. फिर मैने उसके छूतदों पर किस किए, और उसको घुमा लिया. वो शर्मा कर मुझसे अपनी छूट च्छुपाने लगी. लेकिन मैने उसके हाथ हटाए छूट में और अपना मूह डाल लिया. मैं उसकी छूट को चाटने लगा, और वो पागल होने लगी. छूट बहुत पानी छ्चोढ़ रही थी.
फिर मैने उसको बेड पर लिटाया, और अपने सारे कपड़े उतार दिए. मेरा तगड़ा लंड देख कर वो खुश हो गयी. मैं उसके उपर आया, और टांगे खोल कर लंड को छूट पर रगड़ने लगा. वो आ आ की सिसकियाँ भर रही थी, और गांद उठा कर लंड अंदर लेने की कोशिश कर रही थी.
तभी मैने ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड उसकी गरम छूट में उतार दिया. वो आ आ करके तड़पने लगी. लेकिन मैने उसके उपर भार डाल कर उसको हिलने नही दिया. फिर मैं धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करके उसको छोड़ने लगा.
कुछ देर तक उसको दर्द हुआ, लेकिन कुछ ही मिंटो में उसका दर्द चला गया, और उसको मज़ा आने लगा. अब वो मेरी तरफ देख कर स्माइल कर रही थी. मैने अपने होंठ उसके होंठो से लगाए, और तेज़ी से धक्के देके उसकी छूट छोड़नी शुरू कर दी. छूट के पानी से छाप-छाप की और जांघों से जांघें टकराने से फॅट-फॅट की आवाज़ आ रही थी. जन्नत का मज़ा अगर कही मिल सकता था, तो वो मुझे मिल रहा था.
फिर हमने पोज़िशन चेंज की. वो मेरे उपर आई, और लंड छूट में लेके उछालने लगे. मैने उसके उछलते हुए बूब्स पकड़े, और नीचे से भी धक्के देने लगा. उसके चेहरे पर मुझे चरम सुख नज़र आ रहा था. कुछ देर उछालने के बाद वो मेरे लंड से उतरी, और फिर घुटनो पर आ कर अपने आप ही घोड़ी बन गयी. मैने सोचा पंडित की बीवी पूरी शौकीन थी.
फिर मैने पीछे से उसकी छूट में लंड डाला, और घपा-घाप उसको छोड़ने लगा. ठप-ठप की आवाज़ो के साथ मैं उसको फुल स्पीड में छोड़ रहा था. वो आ आ करके मेरे लंड का मज़ा ले रही थी. 10 मिनिट और छोड़ने के बाद मैने अपना माल उसकी गांद पर निकाल दिया.
फिर वो बोली: आज से मैं आपकी पत्नी हू. आप जब चाहे मुझे छोड़ लेना. लेकिन ज़्यादा वेट मत करना.
दोस्तों कहानी कैसी लगी आपको? अगर अची लगी तो ज़्यादा से ज़्यादा शेर करे.
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