ही एवेरिवन, मेरा नाम नवीद है. मई यहा पहली बार अपनी कहानी लेकर आया हू. ये कहानी मेरे गाओं के स्कूल मे पढ़ाने वाली टीचर अंजुम मेडम, और उसके साथ रहने वाली औरतो की सच्ची कहानी है. मई आप लोगो को ये कहानी डीटेल मे बताता हू.
मई एक स्कूल मे पेवं की जॉब करता था. तब मेरी शादी नही हुई थी. फिर अंजुम नाम की एक नयी और कुवारि टेचएर हमारे स्कूल मे पढ़ाने के लिए आई. वो बहुत ही खूबसूरत थी. वो ज़्यादा सेक्सी तो नही दिखती थी. लेकिन उसके चेहरे मे ऐसी कशिश थी, की जो उसको एक बार देख ले, वो उससे नज़र ही नही हटा सकता था.
वो एक-दूं गोरी-चित्ति थी. और उसके चेहरे पे जो होंठ के नीचे एक तिल और एक नाक की साइड मे तिल था, उससे उसकी खूबसूरती ग़ज़ब ढा रही थी.
उसके बूब्स तो छ्होटे थे, और उनका साइज़ 30-32″ के करीब होगा.
वो दुबली-पतली सी थी. उसकी छ्होटी सी कमर और आवरेज साइज़ की बॅक थी. लेकिन वो बहुत अकड़ू और घमंडी टाइप की लड़की थी. पहले-पहले तो वो कभी मुझसे, या किसी जेंट्स टीचर से, या क्लर्क से कोई बात नही करती थी. लेकिन फिर भी सब लोग उसके खूबसूरती के दीवाने थे.
हमारे स्कूल के कुछ टीचर्स तो जैसे इस इंतेज़ार मे ही थे, की कब वो ग्रीन सिग्नल दे, और ये लोग उसे अपनाए. इन सब लोगो मे मई भी एक अधना सा पेवं था, जो अपनी कोशिश कर रहा था. मगर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था.
उसकी शादी टाई हो गयी थी, और लड़का कोई इंजिनियर था. वो लड़का किसी मल्टिनॅशनल कंपनी मे जॉब कर रहा था. उसकी शादी का सुन कर अब लोग उसको अवाय्ड करने लगे थे. लेकिन मई फिर भी उसको चाहे जेया रहा था.
फिर मेरी किस्मत खुलने लगी. अंजुम मेडम अब मुझसे बाते करने लगी थी. वो किसी भी काम के लिए मुझे बुलाने लगी. उसकी कोई भी काम होता था, तो वो मुझी से करवाती थी. फिर अब 10त क्लास के एग्ज़ॅम्स करीब थे. इसलिए स्टूडेंट्स की हेल्प के लिए हमारे स्कूल मे नाइट क्लासस स्टार्ट की गयी.
उन क्लासस मे हर रोज़ किसी ना किसी टीचर को नाइट मे पढ़ाने की बारी दी गयी. मई पेवं था, तो मुझे डेली ड्यूटी दी गयी थी, की मई टीचर्स की हेल्प किया करू. मतलब मेरा हर रोज़ स्कूल जाना ज़रूरी था. एक बार अंजुम मेडम की बारी थी, तो उसने मुझे कॉल करके कहा-
अंजुम मेडम: आप प्लीज़ मुझे स्कूल के लिए पिक-ड्रॉप कर दिया करो.
उसको स्कूल ले-जाने और वापस लाने का सुन कर मेरे मॅन मे लड्डू फूटने लग गये. अब हम दोनो आचे दोस्त बन चुके थे. अब वो रातो को अपने फिन्सी से बात होने के बाद, मुझे कॉल करती थी, और सब कुछ डिसकस करती थी.
वो जो भी बाते अपने फिन्सी से करती थी, वो सब मुझे बताती थी. उसको अब मुझसे लगाव सा हो गया था. वो मुझसे कभी बाते करती थी, तो मेरा हाथ अपने हाथो मे ले लेती थी. कभी-कभी वो हस्सी-मज़ाक मे मेरे जिस्म को छ्छूती थी.
अब तो ये सब नॉर्मल सा होके रह गया था. कभी-कभी जब हम बिके पे मार्केट भी जाते थे, तो वो मुझसे चिपक कर बैठती थी. इससे मुझे बहुत सुकून मिलता था. फिर मई घर आकर उसको सोचते हुए मूठ मारा करता था. मेरा ऐसा कोई भी दिन नही था, जो उसको इमॅजिन करके मूठ मारे बिना गुज़रता हो.
मई अब उसको अपने लंड का स्वाद चखाने की कोशिश मे था. मतलब मुझे उसको छोड़ने का बहुत मॅन कर रहा था. फिर एक दिन की बात है. वो जिस घर मे पेयिंग गेस्ट थी, उस घर की मालकिन रुखसाना भाभी थी. वो भी बहुत ही सेक्सी थी
रुखसाना भाभी ने भी बाद मे मुझसे चुदाई करवाई थी. क्यूकी उसका हज़्बेंड दुबई मे जॉब करता था, और 2 साल से वो चुदाई के लिए प्यासी थी. वो मुझसे कैसे और कब चूड़ी थी, वो मई आपको बाद मे बतौँगा.
तो उस घर मे अंजुम मेडम और रुखसाना भाभी के अलावा एक और मेडम रहती थी. उस मेडम का नाम नाहिदा था. उसको भी मैने रुखसाना भाभी की मदद से पत्ता कर छोड़ा था. क्यूकी नाहिदा मेडम भी बहुत सेक्सी थी. लेकिन मेरी बात अभी अंजुम से बन रही थी. इसलिए मई ये कहानी तफ़सील से लिख रहा हू.
तो अब अपने टॉपिक पे आते है. एक दिन की बात है. दिन था सॅटर्डे का, जब उसने स्काइ ब्लू कलर की पंजाबी ड्रेस पहनी हुई थी. मई जब रात 8 बजे उसको लेने के लिए उसके घर गया, तो वाहा पर वो अकेली ही थी. नाहिदा मेडम अपने घर जेया चुकी थी, और रुखसाना भाभी(रुकु भाभी) भी अपने माइके गयी हुई थी.
मैने वाहा जाके घर की बेल बजाई, तो अंजुम मेडम ने दरवाज़ा ओपन किया, और मुझे देखते ही उसने मुझे हग कर लिया. फिर मुझे हग करते ही वो रोने लग गयी. मैने उससे पूछा-
मई: क्या हुआ मेडम? आप रो क्यू रही हो?
तो वो कहने लगी: मुझे दर्र लग रहा है. आज कोई भी घर पर नही है ना, इसलिए बहुत दर्र लग रहा है.
और ये बोल कर वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. तब मैने उसकी आँखें सॉफ की, और कहा-
मई: ऐसा करते है, पहले हम लोग क्लास ख़तम करते है. उसके बाद हम बात करते है.
उसके बाद हम क्लास ख़तम करके लौटे, तो वो मोबाइल पे अपने मंगेतर से बात कर रही थी. और मई अलग रूम मे बैठा टीवी देख रहा था. फिर अचानक से उसकी ज़ोर-ज़ोर से आवाज़े आने लगी. वो झगड़ा कर रही थी अपने मंगेतर से.
फिर वो बात करते-करते टीवी रूम मे आई. मैने देखा, की वो फिरसे रो रही थी. फिर उसने फोन बंद किया, और बहुत ज़्यादा रोने लगी. मई लगातार उसको चुप कराने की कोशिश किए जेया रहा था. लेकिन वो चुप नही हुई और मुझे हग करके और ज़ोरो से रोने लगी.
फिर पता नही कितना वक़्त गुज़र गया, और वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. उसकी कुछ देर बाद मैने उससे पूछा-
मई: आख़िर हुआ क्या था, जो तुम इस तरह से रो रही थी?
उसने मेरे सवाल का कोई जवाब नही दिया, और बिना कुछ बताए फिरसे मुझसे लिपट कर रोने लगी. अब मुझसे रहा नही जेया रहा था, और मई उसके माथे पे एक किस करते हुए उसको दिलासा देने लगा, और उसको सहलाने लगा.
अब धीरे-धीरे मेरे हाथ उसकी पीठ पे चलने लगे. लेकिन उसने कुछ भी रिक्ट नही किया. अब उसके होंठ मेरे होंठो के करीब थे, और ये मेरे लिए उसका ग्रीन सिग्नल था, की मई उसको किस करू. फिर उसने अपनी आँखें बंद की, और अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया.
उसके बाद वो मेरे, और मई उसके होंठो को चूस रहा था. हम दोनो अब स्मूच कर रहे थे. हम दोनो एक-दूसरे को लगभग एक घंटे तक चूस्टे रहे. जब हमारी किस टूटी, तब उसने कहा-
अंजुम: मई तुम्हे काई दीनो से चाहने लगी हू. लेकिन मई ये कभी बता नही सकी.
फिर मैने अपने हाथ धीरे-धीरे उसके बूब्स पे रखे, और धीरे से उसके रिघ्त बूब को दबाया. उसके बूब्स थे तो छ्होटे-छ्होटे, लेकिन क्या मस्त बूब्स थे. मई अब उसके बूब्स को मस्ती से मसल रहा था, और उसके मज़े लूट रहा था.
अब वो भी मेरा बखूबी साथ दे रही थी. फिर धीरे-धीरे हम एक-दूसरे के जिस्म से कपड़े अलग करने लगे. अब उसने मेरे जिस्म पे सिर्फ़ अंडरवेर ही बाकी रखा था, जबकि मैने तो पहले उसका दुपट्टा ही उसके बदन से अलग किया था.
फिर उसको किस करते हुए, मई उसकी पीठ पे अपने हाथ ले गया, और उसके कुर्ते का नाडा खोल दिया. फिर मई अपने हाथो को उसके जिस्म पे फेरते हुए, नीचे की तरफ ले गया. उसके बाद मैने उसके कुर्ते को उठाया, और उपर करके निकाल दिया.
फिर इसी तरह उसको चूस्टे हुए मैने अपने हाथो से उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया, और उसकी सलवार को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया. उसके बाद मई उसको जी भर कर चूस्टा रहा. अब वो सिर्फ़ ब्रा और पनटी मे ही थी.
जो उसने येल्लो ब्रा और येल्लो पनटी पहनी थी, उस ब्रा पनटी मे वो मुझ पर क़यामत ढा रही थी. मई उसको ऐसे देख कर पागल सा हो गया था, और उसको उपर से नीचे तक चाट रहा था. उसका बदन गुलाब के जैसा महक रहा था. मुझे उसके रोम-रोम मे समा जाने का दिल कर रहा था.
क्या बदन था उसका, एक-दूं मखमली. मुझे तो ऐसा फील हो रहा था, जैसे कुबेर का ख़ज़ाना मिल गया हो. मई तो भूखे शेर की तरह उसपे टूट पड़ा, और वो भी मुझ पर टूट पड़ी थी. ऐसा लग रहा था, मानो जैसे हम दोनो जानम-जानम के प्यासे हो.
फिर सडन्ली उसने मेरी अंडरवेर उतारा, और मेरे लंड उछाल कर बाहर आ गया. वो बड़े प्यार से मेरे लंड को अपने हाथ मे लेके सहलाने लग गयी. फिर वो नीचे झुकी, और उसने मेरे लंड को अपने मूह मे डाल लिया. उसके बाद उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया.
वो मेरे लंड को ऐसे चूज़ जेया रही थी, मानो चॉक्लेट आइस-क्रीम चूस रही हो. 10- 15 मिनिट्स के बाद, मैने अपना सारा माल, जो मेरे लंड से निकालने वाला था, वो उसके मूह मे ही छोढ़ दिया. वो मेरा सारा माल पी गयी, और मेरे लंड को चाट-चाट के सॉफ कर दिया.
फिर कुछ देर बाद मैने उसकी येल्लो वाली ब्रा भी उसके जिस्म से हटा दी. ब्रा हट-ते ही मैने देखा, की उसके जिस्म पे तिल ही तिल थे. उसके गोरे-गोरे बदन पे ये तिल उसकी खूबसूरती को बढ़ा रहे थे. मई अब उसके बूब्स चूसने लगा था. क्या मिठास थी उसके बूब्स मे, मुझे तो मज़ा ही आ गया.
फिर कुछ देर बाद, मैने उसकी पनटी भी उसके जिस्म से निकाल फेंकी. अब वो मेरे सामने एक-दूं न्यूड थी. क्या अप्सरा लग रही थी वो. उसकी प्यारी सी गुलाबी छूट जिसपे हल्की-हल्की झाँते उग रही थी, ये बता रही थी, की अभी कुछ ही दिन पहले उसने झाँते सॉफ की होगी.
मैने उसकी छूट पे धीमे से हाथ फेरा, और उसकी छूट को निहारने लगा. उसकी छूट बस एक छ्होटा सा गुलाबी रंग का छेड़ था, मानो जैसे कोई काली खिल रही हो. उसकी छूट के आस-पास कुछ काले रंग के तिल थे, जो उसकी छूट की खूबसूरती मे चार चाँद लगा रहे थे.
अब मैने उसकी छूट पे एक प्यारी सी किस दे दी. मेरी इस किस से वो सिहार गयी-
अंजुम: अया…
बिल्कुल हल्की सी आ थी उसकी. अब मुझे उसपे और भी प्यार आने लगा. फिर मैने जब अपनी एक उंगली उसकी छूट मे हल्के से डाली, तो मैने महसूस किया, की उसकी छूट मे चिकना-पं था. इसका मतलब ये था, की वो अब भी वर्जिन थी. फिर जब मैने अपनी ज़ुबान को उसकी छूट मे डाला, तो वो मचलने लग गयी.
अब मई अपनी ज़ुबान से उसकी छूट को चाट रहा था. एक अलग ही स्वाद था उसकी छूट का. छूट का नमकीन सा स्वाद मुझे बेहद पसंद आया, और मई उसकी छूट को करीब 30 मिनिट तक चाट रहा था. और वो तो बस आवाज़े निकाल रही थी.
अंजुम: एयाया.. हह… अयाया.. हह..
अब मेरा लंड फिरसे खड़ा हो गया था, और मई उसको छोड़ने के लिए बिल्कुल तैयार था. मैने अपने लंड को उसकी छूट पे रखा, और एक हल्का सा धक्का दिया. वो मछली की तरह तड़प गयी, और बोली-
अंजुम: आआ… हह… दुख़्ता है आहह..
आज पहली बार वो कोई लंड अपनी छूट मे ले रही थी. इसलिए उसको बहुत तकलीफ़ होने लगी. वो मुझे कहने लगी-
अंजुम: निकालो इसको, बहुत दर्द हो रहा है मुझे. एयेए.. हा.. आआ..
मैने अब तोड़ा लंड बाहर निकाल कर देखा, तो उसकी छूट से ब्लड निकालने लगा था. तब मई समझा, की उसकी छूट सच मे बहुत छ्होटी थी. और इधर मेरा लंड 7 इंच से ज़्यादा था. इसलिए ही उसको इतनी तकलीफ़ हो रही थी.
फिर वो रोने लग गयी. लेकिन फिर मैने उसके रोने की परवाह किया बिना, उसको छोड़ना शुरू कर दिया, और उसको छोड़ता रहा. 10-15 धक्के मारने के बाद, उसको भी मज़ा आने लगा, और अब वो मेरा साथ देने लग गयी थी. मई लगातार धक्के मार रहा था, और वो चिल्लाते हू मज़े ले रही थी.
वो ज़ोर-ज़ोर की आहें भर रही थी, और इस
बीच वो टीन बार झाड़ चुकी थी. फिर इस तरह से करीब 15 मिनिट की चुदाई के बाद, अब मेरा भी झड़ने का वक़्त करीब आने वाला था. अब मैने समझदारी से काम लेते हुए, अपना सारा पानी उसकी छूट मे छोढ़ने की बजाए, छूट से बाहर निकाला, और अपना पानी उसके पेट पर छोढ़ दिया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा. तो दोस्तो कैसी लगी मेरी स्टोरी, मुझे [email protected] पे मैल करके ज़रूर बताए. और जो भी भाभी या आंटी मुझसे चूड़ना चाहती है, वो मुझे मैल के ज़रिए कॉंटॅक्ट कर सकती है.