चित्रा बता रही थी कि अंकल चुदाई करते हुए अजीब-अजीब हरकतें करते थे। लेकिन अब तो हालत ये हो चुके थे, कि ये सब करने के लिए अंकल को या उसे कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ती। चूत चुसाई, लंड चुसाई, चूतड़ों के छेद में उंगली, चूतड़ चटाई सब इशारों-इशारों से ही होने लग गया था। इसी बीच एक दिन चुदाई के दौरान चित्रा को ऐसे ही ख्याल सा आया कि अंकल चुदाई के दौरान चूत, फुद्दी, लंड, चूतड़ खुल कर बोलने लग जाते थे। क्या शराब के नशे के कारण ये सब होता था? अब आगे-
चित्रा की चुदाई की ऐसी-ऐसी बातें सुन-सुन कर मेरा दिमाग भन्ना रहा था। मैं बस यही सोच रहा था, “क्या ऐसा भी हो सकता था?” मगर किस्सा यहीं खत्म नहीं हुआ था। अभी तो चित्रा के मुंह से और भी बहुत कुछ सुनना बाकी था।
चित्रा बोली, “और राज, एक दिन मालूम है क्या हुआ?”
चित्रा की बातें सुन-सुन कर मेरा लंड खड़ा हो चुका था, और मुंह सूखा हुआ था। मेरे मुंह से बस इतना ही निकला, “क्या हुआ, बताओ?”
चित्रा बोली, “राज तुम्हें पता नहीं मालूम है कि नहीं, अंकल रात का खाना अपने कमरे में ही खाते हैं। अक्सर अंकल बाहर से ही कुछ ले आते हैं, जैसे तंदूरी चिकन या तली हुई मछली। अंकल के कमरे में भी एक बड़ा सा फ्रिज रक्खा हुआ है, जिसमें सोडे, नमकीन काजू, और कुछ दूसरा खाने का सामान पड़ा रहता है।”
“अंकल फार्म से आ कर, फ्रेश हो कर दो-चार बातें करते है, और अपने कमरे में चले जाते हैं। जाते-जाते या तो चिकन या फिश साथ ही ले जाते हैं, या बोल देते हैं गर्म कर के ले आना। बस उसके बाद अंकल कमरे से बाहर नहीं आते, ना ही कोइ उनके कमरे में जाता है।”
चित्रा बता रही थी, “अब तो अंकल के साथ मेरी इतनी चुदाईयां हो चुकी थी, वो भी रोशनी में, कि अब मेरे और अंकल के बीच रत्ती भर भी झिझक और शर्म नहीं बची थी। लंड, चूत, चूतड़, फुद्दी बोलना, चूत या चूतड़ों में उंगली करना, चूत चूतड़ चूसना चाटना, ये सब खुल कर होने लग गया था।”
“पहले तो अंकल आते, फ्रेश हो कर कमरे में जाते, और मैं काम निपटा कर या इधर उधर टाइम पास करके आधे पौने घंटे के बाद कमरे में जाती। तब तक अंकल को व्हिस्की का सुरूर आ चुका होता था। अंकल का लंड खड़ा हो चुका होता था, और वो सुरूर में चुदाई करने के लिए बिल्कुल तैयार बैठे होते थे, कब टाइट फुद्दी वाली चित्रा आये, और मैं उसकी चुदाई शुरू करूं।”
“अब तो ये हो गया है कि अगर मुझे कोइ काम ना होता तो बजाए इधर-उधर मटक कर टाइम पास करने के मैं अंकल के कमरे में ही चली जाती हूं। अंकल पीते रहते हैं और मैं बिस्तर पर लेट कर अपनी चूत में उंगली करती, और उन्हें व्हिस्की पीते हुए देखती रहती हूं।”
“पिछले कुछ दिनों से तो ये तक हो गया है कि जिस दिन हमारा चुदाई का प्रोग्राम होता है, अंकल नंगे ही सोफे पर बैठ कर व्हिस्की पीते है, और मैं नंगी बिस्तर पर लेट जाती हूं। अंकल के एक हाथ में गिलास होता है और दूसरे हाथ में उनका लंड। इधर मैं अंकल का आधा खड़ा लंड देखते-देखते अपनी चूचियां मसलती रहती हूं या अपनी चूत खुजलाती रहती हूं।”
“चार पांच पेग लगा कर अंकल उठते हैं, एक बार बाथरूम जाते हैं, और आ कर सीधे आ कर मेरे पास लेट जाते हैं। इसके दस-पंद्रह-बीस मिनट के बाद, जब भी अंकल को दारू का पूरा सुरूर हो जाता है, तो समझो पिक्चर चालू हो जाती है। बड़ी-बड़ी चुदाई की पिक्चरों को मात देने वाली पिक्चर। पूरे दो या ढाई घंटे की, वो भी बिना इंटरवल, बिना मध्यांतर के चलने वाली पिक्चर।” ये बताते हुए चित्रा फिर हंस दी।
“इस सब के दौरान ही मुझे समझ आया कि अंकल जब तक पूरे सुरूर में ना आएं, चुदाई नहीं करते। चुदाई के टाइम अंकल पूरे सुरूर में होते हैं, या कह लो कुछ-कुछ नशे में भी। इसी लिए अंकल इतना कुछ कर लेते हैं, इतना कुछ बोल लेते है, जैसे चूत का रस पीना है, चूतड़ चाटनी हैं वगैरह-वगैरह।”
— अंकल और चित्रा की बेशर्मी वाली बातें
चित्रा आगे की बात सुना रही थी, ”अब ऐसी लंड फुद्दी चूत चुदाई की बातें तो पूरी बेशर्मी के साथ होने लग गयी थी। एक दिन मैं जब नंगी अंकल के कमरे में लेटी हुई थी, और अंकल नंगे हो कर कुर्सी पर बैठे शराब पी रहे थे, और मैं अपनी चूत में उंगली रही थी। पता नहीं मेरे मन में क्या आया कि चूत में उंगली करते-करते मैंने अंकल से पूछा, “अंकल आप हमेशा से ही ऐसे ड्रिंक करते हैं?”
“अंकल ने जवाब दिया, “हां रात के खाने से पहले दो-तीन पैग पीने की तो मेरी सालों साल पुरानी आदत है, मगर अब जिस दिन चुदाई करनी होती है उस दिन दो या तीन पैग फालतू लगा लेता हूं। चुदाई का अलग ही मजा आता है।”
“अंकल फिर पूरी बेशर्मी के साथ बोले, “तुम बताओ चित्रा, व्हिस्की के सुरूर में चुदाई कैसी हो रही है ये तो तुम्हें भी पता ही होगा। चुदाई तो तुम्हारी ही होती है।”
“मैंने भी पूरी बेशर्मी के साथ बोल लिया, “हां अंकल चुदाई तो मस्त होती है, मगर अंकल चूत की चुदाई तो लंड के साथ होती है शराब का इस चुदाई के साथ क्या लेना देना?”
अंकल बोले, “यही तो बात है चित्रा, इस शराब का पूरा-पूरा लेना-देना है चुदाई के साथ। ये शराब इस चुदाई के मामले बड़ी करामाती चीज है। एक तो ये दिमाग को हल्का कर देती है, दुसरे सुरूर आने के बाद आदमी कुछ ज्यादा ही बेशर्म हो जाता है, और वो ऐसी-ऐसी बातें बोल देता है, ऐसे-ऐसे काम कर लेता है जो वो बिना नशे के नहीं कर सकता।”
“जब अंकल ने ये कहा तो सबसे पहले मुझे अंकल की वो बात याद आ गयी जब अंकल कहते है, “चित्रा आज अपनी चूत का रस पिलाओ।”
“उधर अंकल अपनी बात जारी रखे हुए थे, “शराब के सुरूर अगर तुम्हारी जैसे जवान खूबसूरत टाइट फुद्दी वाली लड़की नंगी सामने हो तो लंड की सख्ती और बढ़ जाती है और लंड जल्दी पानी भी नहीं छोड़ता। चुदाई का टाइम बढ़ जाता है।”
“फिर अंकल ने मुझसे पूछा, “अच्छा चलो चित्रा जरा सोचो, जब मैं तुम्हें चोदते वक़्त कुछ-कुछ चूत, चुदाई फुद्दी, लंड की मलाई बोलता हूं, तो तुम भी तो मेरे ये सब बोलने पर सिसकारियां लेने लगती हो, जोर-जोर से चूतड़ घुमाने लगती हो। तुम्हारी चूत कितनी बार पानी छोड़ जाती है और मेरा लंड एक बार ही गर्म-गर्म मलाई छोड़ता है। अब बताओ तुम्हें इन सब में मजा आता है या नहीं? ये सब दारू के सुरूर का ही करिश्मा होता है।”
“अंकल की ये बात सुन कर मैंने सोचा, “हद्द है, अंकल ये सब अपनी बेटे कि बीवी को बता रहे थे। मगर एक बात तो थी राज, अंकल बोल तो ये बिल्कुल सही रहे थे। शराब के सुरूर में चुदाई के दौरान अंकल एक बार भी नहीं झड़ते थे, और मेरी चूत दो-तीन बार पानी छोड़ देती थी। लंड के धक्के लगाते हुए अंकल के मुंह से चूत, टाइट फुद्दी, लंड, चुदाई खूब निकलता था और ये बातें सुन कर मेरा भी चुदाई का मजा तो दुगना हो जाता था, और मैं भी चुदाई के मस्ती में जोर-जोर से चूतड़ घुमाने लग जाती थी।”
चित्रा बता रही थी, “राज उस वक़्त तक तो अंकल की इतनी बेशर्मी वाली बातें सुन-सुन कर मेरी चूत में भी बाढ़ आई हुई थी।”
चित्रा बोली, “चूत तो मेरी पानी से भरी ही पड़ी थी। उंगली मेरी चूत में ही थी। मैंने अपनी चूत में से उंगली निकाल कर अंकल की तरफ कर दी और पूरी बेशर्मी से कहा, “अंकल ये बात तो सही है I जब आप बोलते हो, ले चित्रा अब भरूंगा तेरी फुद्दी… आआह… मजा आ गया आज की चुदाई का… आअह चित्रा… चित्रा निकला मेरा… आआह… निकला तेरी फुद्दी में।”
मुझे तो ये सब सुन कर बड़ा मजा आता है। मेरी चूत तो फुर्र-फुर्र पानी छोड़ने लग जाती है। देख लो अंकल अभी तो हम बातें ही कर रहे हैं, आपके लंड ने मेरी चूत को छुआ भी नहीं और मेरी चूत गीली भी हो गयी है।”
अंकल तो मुझसे भी ज्यादा बेशर्म थे। उन्होंने पहले चूत के पानी से सनी मेरी उंगली सूंघी और फिर मुंह में लेकर चूसते हुए बोले, “यही तो मैं भी कह रहा हूं चित्रा। हल्के सुरूर में इंसान खुल कर बेशर्मी के साथ बोलता है और चुदाई के दौरान तो बेशर्म हो कर बोलने से चुदाई का मजा बढ़ जाता है। क्या मस्त खुश्बू है, क्या मस्त स्वाद है चित्रा तुम्हारी चूत के पानी का। मन कर रहा है अभी के अभी चूस लूं तुम्हारी फुद्दी।”
“फिर अंकल कुछ सेकंड के लिए रुके और बोले, “चित्रा जब मैं चूत फुद्दी चुदाई बोलता हूं तो मेरे बोलने पर तुम भी तो बोलने लग जाती हो, ”अंकल… लगाओ… अब निकलेगा मेरा… दबा कर लगाओ अंकल और भर दो मेरी चूत… लंड के पानी से।”
“ये बोलो कर अंकल हंसने लगे, और मेरी भी हंसी छूट गयी।”
— चित्रा का मन भी हुआ व्हिस्की पीने का
“अंकल ने शराब के ऐसे गुणगान किये कि चुदाई से पहले एक बार तो मेरा मन भी पीने का होने लगा। मेरे मुंह से ऐसे ही निकल गया, “अंकल आज मैं भी व्हिस्की ट्राई करूं? मैं भी देखूं मैं नशे में चुदाई करवाते हुए मैं क्या-क्या और कितना कुछ बोल लेती हूं?” यह कह कर मैं दुबारा हंस दी।
“अंकल भी हंसते हुए बोले, “चित्रा क्या हुआ, पी कर चुदाई का मन करने लगा क्या?” फिर अंकल बोले, “शहरों में तो लड़किया अब पीती ही हैं, मगर हमारे घरों के लड़कियां तो अभी भी नहीं पीती।”
“मैं चुप थी। अंकल की बेशर्मी वाली बातें सुनते-सुनते चूत खुजलाते हुए मैंने भी तो मस्ती में ऐसे ही बोल दिया था। सच में ही शराब पीने की मेरी कोइ मंशा नहीं थी।”
मैंने कह दिया, “अरे अंकल ये तो मैंने ऐसे ही बोल दिया। मुझे नहीं पीनी ये शराब-वराब। मेरी तो जैसी चुदाई आप करते हो वही बड़ी मस्त है।”
“मगर अंकल कुछ सोचने लगे। कुछ चुप रहने के बाद अंकल ही बोले, “फिर भी चित्रा अगर तुमने जानना ही है कि शराब के सुरूर का चुदाई पर क्या असर होता है, तो आज पी लो। एक बार पी लेने से कुछ नहीं होगा। उल्टा तुम्हें भी पता लग जाएगा कि तुम्हारा पी कर चुदाई के वक़्त क्या-क्या क्या करने का, क्या-क्या बोलने का मन होता है।”
“फिर कुछ सोचते हुए अंकल बोले, “मगर तुम्हे चुदाई के दौरान तुमने क्या-क्या बोला, तुम्हें कैसे याद रहेगा?”
“मैं चुप रही। मैंने तो सोचा था बात यहीं खत्म हो जाएगी, मगर अंकल तो सच में ही मुझे पिलाने के चक्कर में पड़ गए। मैं चुप थी। फिर अंकल ही बोले, “चित्रा तुम्हारा फ़ोन स्मार्ट फ़ोन है ना?”
मैंने कहा, “हां अंकल एप्पल का iPhone 12 है। शादी में पापा ने एक मुझे और एक युग को दिया लेकर था। मगर क्यों अंकल?”
“अंकल बोले, “उसमे आवाज रिकार्ड होती है। चुदाई के दौरान आवाजें रिकार्ड कर लेंगे, बाद में तुम आराम से वो बातें सुनना।”
“मेरी हंसी छूट गयी। अंकल तो संजीदा ही हो गए थे। मैंने कहा, “अंकल मेरी शराब पीने की ऐसी कोइ मंशा नहीं थी। मुझे नहीं पीनी शराब और ना ही चुदाई के दौरान के अपनी बातें ही सुननी है। ये तो मैंने हंसी-हंसी में वैसे की आपसे पूछ लिया था।”
“अंकल मेरे पास आये और मेरी चूचियां दबाते हुए मुझे उठाते हुए बोले, “फिर भी एक बार ट्राई करने में क्या हर्ज है, जाओ फोन ले आओ। ये कह कर अंकल मुड़े और अलमारी में से गिलास निकाला और फ्रिज में से पेप्सी और मेरा पेग बनाने लगे।
“मैंने कहा, “नहीं अंकल मैं नहीं पियूंगी।”
“अंकल गिलास में व्हिस्की डाल चुके थे और पेप्सी डाल रहे थी। वो बोले, “अरे एक बार ट्राई तो करो। मैं तो खुद कह रहा हूं बस आज एक बार पी कर चुदाई करवा कर देखो तो सही कैसा और कितना मजा आता है। जाओ फोन ले कर आओ।”
“जब में नहीं हिली, तो अंकल ही बोले, “अरे चित्रा उठो भी अब। जिंदगी में जिस चीज के लिए मन करे वो एक बार तो जरूर करनी चाहिए। जाओ फोन लाओ, और चुदाई करवाते हुए जो मन में आये वो बोलो। फिर बाद में एक बार सुनना और फिर अगर चाहो तो रकार्डिंग हटा देना। एक बार पी कर चुदाई करवाने में क्या हर्ज है। मुझे ही देखो, मैं भी तो हमेशा ही पी कर चुदाई करता हूं।” ये कह कर अंकल हो-हो करके हंसने लगे।”
“चूत चुदाई की ऐसी बातें सुन-सुन कर मेरी चूत तो वैसे ही तैयार हो चुकी थी। मैंने भी सोचा, एक बार ट्राई करने में क्या जाता है, ये भी कर ही लेते हैं। मैं उठी और फोन ले आयी।”
“अंकल बोले, “रिकार्डिंग करनी आती है ना चित्रा।” फिर माथे पर हाथ मार कर बोले, “मैं भी क्या चूतियापे वाली बातें कर रहा हूं। आज के लड़के-लड़कियां तो इन स्मार्ट फोनों के हम से ज्यादा जानते हैं।”
“ये कह कर के अंकल ने गिलास मेरे हाथ में थमा दिया। मैंने गिलास पकड़ तो लिया, मगर बोली, “नहीं अंकल मेरा मन नहीं मान रहा।”
“अंकल ने मेरी बात अनसुनी करते हुए अपने गिलास उठाया और बोले “चियर्स चित्रा, आज का ये जाम तुम्हारी दारू वाली मस्त चुदाई के नाम।”
“और अंकल ने अपना गिलास खाली कर लिया। मैंने भी गिलास में से घूंट भरा। पेप्सी के कारण कड़वाहट तो कम थी, मगर फिर भी कभी पी नहीं थी इसलिए कड़वी तो लग ही रही थी। दो तीन घूंट भरने के बाद कड़वाहट थोड़ी कम लगने लगी। पहला गिलास जैसे तैसे खत्म हो गया। मैंने शराब पहली बार पी थी इसलिए मुझे सुरूर भी जल्दी ही आ गया।”
“अंकल ने खाली गिलास मेरे हाथ से लिया और फिर से व्हिस्की और पेप्सी से भर दिया। दूसरा गिलास पीने में मुझे कोइ दिक्कत नहीं हुई। तीसरी बार के लिए मैंने खुद ही गिलास आगे कर दिया। नशा तो समझो राज मुझे होना शुरू हो ही चुका था।”
“मेरा तीसरा गिलास पीते-पीते अंकल खड़े हो गए और मेरे मुंह के आगे लंड हिलाने लगे। मैंने भी आव देखा ना ताव। अपना गिलास खाली किया और अंकल का लंड मुंह में ले लिया। थोड़ा ही चूसा था कि मुझे लगा कि सब कुछ घूम रहा था। मैं समझ गई कि मुझे तीन पैग का नशा हो चुका था।”
— चित्रा को हुआ दारू का नशा
“मैंने अपना स्मार्ट फोन उठाया और रिकार्डिंग करने वाला बटन दबा कर फोन बिस्तर पर ही रख दिया, और अपना खाली गिलास अंकल के तरफ बढ़ाते हुए अंकल से बोली, “लो अंकल कर दी रिकार्डिंग चालू, थोड़ी और डालो गिलास में, और आ कर चढ़ो मेरे ऊपर, डालो अपना मोटा लंड मेरी टाइट फुद्दी में और करो मेरी चुदाई चालू। चुदाई के बाद कल सुनेंगे कि आप चुदाई करते-करते क्या बोले और मैं चुदाई करवाते हुए क्या बोली।” यह बोल कर मैं हंस दी।