संतुष्टि के लिए ससुर जी की रंडी बनी

ही दोस्तो, मेरा नाम है नामिता. मैं 25 साल की हू, और शादी-शुदा हू. मेरा हाइट 5’5″ है और फिगर साइज़ 34″30″36″ है. मेरा रंग ज़्यादा गोरा नही है, लेकिन मैं बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत लगती हू.

मेरी शादी पिछले साल हुई थी. मेरे ससुराल में मेरे पति, सासू मा, और ससुर जी ही है. हमारे घर में किसी चीज़ की कोई कमी नही है, और सब अछा है. मेरे हज़्बेंड का नाम मानव है, और वो एक मंक में जॉब करते है. वो काफ़ी स्मार्ट भी है.

उनमे एक ही कमी है, की वो मुझे सॅटिस्फाइ नही कर पाते. और इसी वजह से मुझे अपने ससुर जी की रंडी बनना पड़ा. तो चलिए मैं अपनी रंडी बनने की कहानी आपको डीटेल में बताती हू.

शादी की पहली रात थी. मैं अपनी सुहाग-रात के लिए बहुत एग्ज़ाइटेड थी. मैने फिंगरिंग तो बहुत की थी, लेकिन लंड कभी नही लिया था. फिर मेरे पति आए, और हमारा रोमॅन्स शुरू हो गया.

हम किस्सिंग से शुरू हुए, जल्दी ही एक-दूसरे के सामने नंगे हो गये. मेरे पति के लंड का साइज़ तो ठीक था, लेकिन उनकी चुदाई सिर्फ़ 2-3 मिनिट ही चल पाई. ये देख कर मैने सोचा, की पहली-पहली बार में ऐसा ही होता होगा.

लेकिन ये सिर्फ़ उस दिन ही नही हुआ, बल्कि बार-बार हुआ. सुहाग-रात के बाद जितनी बार भी मेरे पति ने मुझे छोड़ा, वो 2-3 मिनिट से ज़्यादा नही टिक पाए. मुझे पता चल गया था, की वो मुझे संतुष्ट करने के लायक नही थे.

फिर मैने फिंगरिंग का सहारा लेना शुरू कर दिया. कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा. फिर एक दिन रात का वक़्त था. अचानक मेरी आँख खुली, और मैं पानी पीने किचन में गयी. किचन के रास्ते में मेरे सास-ससुर का रूम पड़ता है.

जब मैं उनके रूम के पास से गुज़री, तो मुझे कुछ आवाज़े सुनाई दी. वो आवाज़े चुदाई की थी. सासू मा की आहह आ की आवाज़े रूम के अंदर से आ रही थी. उनकी आवाज़े सुन कर मैं रोमांचित हो उठी, और रूम के अंदर झाँकने लगी.

मैने देखा, की सासू मा ससुर जी के आयेज घोड़ी हुई थी. ससुर जी का लंड 7 इंच लंबा था, और 3 इंच मोटा था. जब उनका लंड पूरा सासू मा की छूट में जाता, तो उनके चेहरे पर एक अलग ही सॅटिस्फॅक्षन देखने को मिलती.

उनका ये मज़ा देख कर मैं भी उत्तेजित होने लगी. मुझे फील होने लगा, की मेरी सास कितनी लकी थी, जो उनका पति इतनी आचे से उनको छोड़ता था. फिर मैं किचन में चली गयी. वाहा जाके मैने पानी पिया और 2 मिनिट के लिए वही रुक गयी.

फिर मेरे दिमाग़ में सास-ससुर का चुदाई वाला सीन आ गया. पता नही कब मेरा हाथ मेरी छूट पर चला गया. मेरी पनटी गीली हो गयी थी, और मैने अपनी छूट सहलानी शुरू कर दी.

मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी आँखों के सामने ससुर जी का लंड आ रहा था. मैं छूट सहलाने में इतनी बिज़ी थी, की मुझे आस-पास का ध्यान ही नही रहा. मैने निघट्य पहन रखी थी, और निघट्य उपर उठा कर मैं अपनी छूट सहला रही थी.

तभी मुझे कुछ आवाज़ सुनी. जब मैने आखें खोली, ससुर जी बाहर की खड़े थे. उनकी नज़र मुझ पर ही थी. फिर कुछ दीनो बाद मैं घर की सफाई कर रही थी. मैं ज़मीन पर पोछा लगा रही थी, और ससुर जी सोफे पर बैठे थे.

नीचे बैठ कर पोछा मारने की वजह से मेरे बूब्स दिखाई दे रहे थे. तभी अकाहनाक मेरी नज़र उन पर पड़ी, तो वो मेरे गोरे-गोरे बूब्स के ही दर्शन कर रहे थे. जब उन्होने देखा, की मेरी नज़र उन पर थी, तो उन्होने अपनी नज़र मुझसे हटा ली.

अब तक मैं समझ चुकी थी, की ये सब उस रात की वजह से था. क्यूकी इससे पहले कभी ससुर जी ने मेरी तरफ ऐसे नही देखा था.

मेरी सास को अस्थमा की बीमारी थी, इसलिए उनको हर महीने दवाई लेने के लिए दूसरे शहर जाना पड़ता था. तो एक दिन मेरी सासू मा और मेरे पति दवाई लेने के किए चले गये. वो लोग सुबा-सुबा ही निकल गये थे, ताकि शाम को टाइम पर वापस आ सके.

उनको भेजने के बाद अब मैं और ससुर जी ही घर पर थे. मैने पॅरोट कलर का शर्ट और पिंक लेगैंग्स पहनी हुई थी. दोस्तो आप तो जानते ही होंगे, की लेगैंग्स में लड़किया कितनी सेक्सी लगती है.

फिर मैने ससुर जी को ब्रेकफास्ट सर्व किया. ब्रेकफास्ट करते हुए भी ससुर जी का ध्यान मेरे जिस्म पर ही था. मुझे ये देख कर बुरा भी लग रहा था, और अछा भी. बुरा इसलिए लग रहा था, क्यूकी मेरे ससुर मेरे बाप के समान थे. और अछा इसलिए क्यूकी इतने बड़े लंड वाला आदमी मुझे हॉर्नी नज़रो देख रहा था.

फिर मैने भी ब्रेकफास्ट किया, और मैं अपने रूम में चली गयी. थोड़ी देर टीवी देखने के बाद मेरी आँख लग गयी, और मैं टीवी बिना बंद किए ही सो गयी. मैं एक तरफ मूड कर बेड पर सोई हुई थी. कुछ देर बाद मुझे अपनी जाँघ पर पीछे से कुछ महसूस हुआ, और मेरी आँख खुल गयी.

मैने देखा, की वो मेरे ससुर जी थे, जो मेरी जाँघ पर हाथ फेर रहे थे. लेकिन मैने उनको ये ज़ाहिर नही होने दिया, की मैं जाग चुकी थी. मैने जान-बूझ कर सोते रहने का नाटक किया. मैं देखना चाहती थी, की ससुर जी क्या करने वाले थे.

जब मैने कोई रिक्षन नही दिया, तो ससुर जी का हाथ उपर आता गया. मुझे बड़ी उत्तेजना होनी शुरू हो गयी थी. फिर वो अपना हाथ मेरी गांद पर ले गये, और उसको हल्के से दबाया. अब उनसे भी शायद कंट्रोल नही हो रहा था.

वो नीचे मेरे मूह की तरफ झुके, और मेरे गाल पर एक किस करने लगे. जैसे ही उनका फेस मेरे फेस के पास आया, तो मैने अपनी आँखें खोल ली. मुझे जागता हुआ देख कर उनकी गांद फटत गयी.

फिर मैं उनकी तरफ घूम गयी, और मैने नज़र सीधा उनके लंड पर डाली. ससुर जी ने कुर्ता-पाजामा पहना हुआ था, और उनका लंड पाजामे में टेंट बनाए हुए था. फिर मैने उनको बोला-

मैं: ससुर जी, ये आप क्या कर रहे हो?

ससुर जी: वही जो हर औरत चाहती है.

मैं: क्या मतला आपका?

ससुर जी: मैं जानता हू, की मेरा बेटा तुम्हे खुश नही कर पाता है.

मैं: ये बात आप कैसे जानते हो?

ससुर जी: वो मेरा बेटा है, इतना तो मुझे उसके बारे में पता ही है. वैसे अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हे वो खुशी दे सकता हू.

मैं: मैं आपकी बहू हू, और बहू बेटी जैसी होती है.

ससुर जी: हा होती है, लेकिन बेटी तो नही होती है. देख लो, नही तो इतना कमाल का बदन होते हुए भी तुम सारी लाइफ संतुष्टि के लिए तरसती रहोगी. कल को बाहर मूह मारो, इससे अछा घर का ही लंड लेलो.

अब मैं कोई जवाब नही दे पाई. ससुर जी ने इसको मेरा ग्रीन सिग्नल समझा, और सीधा मेरे उपर आ गये. उन्होने अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिए, और मेरे होंठ चूसने लग गये.

उनके किस ने मुझे सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया, और मैं भी उनका साथ देने लगी. फिर उन्होने मेरा शर्ट उतार दिया, और साथ ही ब्रा भी उतार दी. मेरे गोरे बूब्स देख कर वो बोले-

ससुर जी: अफ़सोस है मेरा बेटा इस जन्नत का मज़ा नही ले पाया.

ये बोल कर उन्होने मेरे बूब्स चूसने शुरू किए. बूब्स चूस्टे हुए उन्होने एक हाथ से मेरी लेगैंग्स नीचे की और पनटी के उपर से मेरी छूट सहलाने लगे. मैं तो पहले से ही सेक्स के लिए तड़प रही थी, तो मेरी छूट गीली हो चुकी थी.

फिर ससुर जी नीचे आए, और मेरी छूट चाटने लगे. आहह कितना मज़ा आ रहा था. आज तक मेरे पति ने मेरी छूट नही छाती थी. फिर ससुर जी ने अपने कपड़े उतार दिए. अब उनका बड़ा सा लंड मेरे सामने फंफना रहा था.

फिर वो मेरी टाँगो के बीच आए और मेरी छूट पर अपना लंड रगड़ने लग गये. मैं उनका लंड अंदर लेने के लिए मर्री जेया रही थी. फिर उन्होने एक ज़ोर का धक्का मारा, और उनका लंड मेरी छूट को चीरते हुए अंदर चला गया.

मैं: आहह…

इसी दर्द भरे मज़े के लिए मैं इतने दीनो से तड़प रही थी. फिर ससुर जी ने धीमी गति से धक्के मारने शुरू किए. वो मेरे उपर लेट गये, और मुझे किस करते हुए धक्के मारने लगे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मैं अब तेज़ी से चूड़ना चाहती थी.

फिर मैने अपने हाथ उनकी गांद पर रख लिए, और उसको अपनी तरफ दबाने लगी. ससुर जी समझ गये थे, की अब ताबाद-तोड़ चुदाई का वक़्त था. फिर उन्होने ज़ोर-ज़ोर के धक्के मारने शुरू कर दिए. मैं उनके कान काट रही थी, और उन्होने मेरे बूब्स लाल कर दिए थे.

20 मिनिट उन्होने मुझे खूब छोड़ा. उसके बाद उन्होने अपना लंड मेरी छूट से बाहर निकाल लिया, और मुझे लंड चूसने को बोलने लगे. मैने जल्दी उनके लंड अपने मूह में लिया, और चूसने लगी.

उन्होने मेरे बाल पकड़े और मेरे मूह को किसी रंडी की तरह छोड़ने लगे. फिर उन्होने आहह आ करते हुए मेरा मूह अपने माल से भर दिया. उस दिन के बाद से वो जब चाहे मुझे अपने पास बुलाते, और छोड़ लेते थे. अब मैं उनकी पर्सनल रंडी थी.

दोस्तो कहानी अची लगे, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.