ही दोस्तो, उमिद इस सेक्स कहानी का पूरा मज़ा लेने के लिए “हवस के रिश्ते-7” ज़रूर पढ़िए. अब आयेज..
रात के करीब 2 ब्जे तक जब सुनीता की आँख खुली तो उसका हाथ उसके मोटे लंड को ढूँदने लग गयइ. ढूँढते हुड उसका हाथ उसके लंड पर पहॉंच गया और वो फॉर अब उपर नीचे करने लग गयइ. उसको ये सब बहोट अछा लग रा था.
दोनो अनिता और रामलाल जाग र्हे थ्र थे और सुनीता के इस कम को भी देख र्हे थे. दोनो को बहोट मज़ा आ रा था.
अनिता- सुनीता आज तो तुझे खूब मज़ा आया है ना.
सुनीता – हाँ मज़ा तो बहोट आया है. और तो और आपका बहोट शुक्रिया है.
अनिता – हाँ हाँ अब शुक्रिया किस बात का.
सुनीता – आपकी वजह से मुझे इस छूट मे इतने मोटे लंड को लेने का मज़ा जो मिला.
अब ऐसे ही चल रा था. और तभी सुनीता उसके मोटे लंड को ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे कर रो थी. और ये देख कर राम लाल ओर अनिता जॉर्जोर से हासणे लग गये. तभी सुनीता ने मौसा जी को बहो मे भर लिया और हासणे लग गयइ.
सुनीता – मौसा जी आपको तो बहोट अछा ल्गा. पर मुझे तो सच मे बहोट मज़ा आया और फिर आपके इस मोटे लंड की तो मैं दीवानी हो रखी हूँ. और तो और ऐसे ही मैने फिर उनसे बात करना शुरू कार्डिया.
रामलाल – अछा तुम अब दोनो खुश तो हो ना.
अनिता – हाँ हम तो बहोट खुज़ है पर आप तो ब्ताओ.
राम लाल – हाँ हाँ ये तो है और मुझे तो बहोट ही ज़्यादा मज़ा आया है.
सुनीता – पर मौसा जी आपको मैं मिली भी अनिता दीदी की वजह से. असल मे मुज्जे दीदी की वजह से आपका मोटा लंड खाने को मिला. और तो और खूब मज़ा भी आया.
सुनीता – पर दीदी को वजह से आपका प्यार मुज्जे मिला है. और तो और फिर ऐसे ही मैने अपनी छूट की प्यास को भुजाया है.
राम लाल – हाँ वो तो ठीक है पर तुम मौसा जी तो अब मुझे ना कहो.
सुनीता -अछा तो क्या कहे फिर.
राम लाल – कहना क्या है. अब तुम दोनो मेरी रानिया हो. और तो और मुझसे चुड भी गयइ हो. और अब मैं तुम्हारा ख़सम हूँ.
सुनीता – हाँ हाँ ये तो है. और हम आपको ख़सम ही कहेंगे. और कहे भी क्यू ना आख़िर कर आप हो ही हुमारे ख़सम.
अब ऐसे ही चल रा था की तभी अनिता उनके उपर आ कर बेत गयइ और ऐसे ही प्यार करने लग गयइ. अब उसके बाद ऐसे ही मैने सुनीता के बूब्स चूसने लग गया. और फिर उसके बाद ऐसे ही सुनीता बोली.
सुनीता – मेरे ख़सम आप मुझे ये ब्ताओ की छूट के कितने नाम होते है.
राम लाल – नाम तो बहोट सारे होते हज और तो और उसके मज़े भी बहोट आते है.
सुनीता – अछा तो ब्ताओ तो क्या क्या होते है
और फिर उसके बाद राम लाल सुनीता के बूब्स को चूस्ते हुए लंड को अनिता के मूह मे डाल कर बोलने लग गया.
राम लाला – छूट हम सिंपल लॅंग्वेज मे बोलते है. और इसे बर भी कहते है. दोनो के अगले मतलब होते है और होये भी क्यू ना.
अनिता – तो इनके और क्या मतलबा होते है.
राम लाल -छूट का मतलब होता है की जब चुदाई करो तो उसे छूट कहते है. और बर का मतलब होता है की जब एक बाकचा होनजता है तो वो बर बम जाती है.
सुनीता – अछा तो दो बार हो जाए तो क्या कहते है.
राम लाल – उसे भोसड़ा कहते है.
सुनीता- अछा तो ऐसे ही काफ़ी सारे हो जाए तो क्या कहते है.
राम लाल – हाँ तो उसे भोसड़ा कहना ग़लत होगा और उसे हम बॉम्ब भोसड़ा कह सकते है.
अनिता – अछा तो जिस तरह अपने मुझे ये सब ब्टाया है तो उसी तरह लंड के कितने नाम है.
राम लाल – जेसे छूट के अनेक नाम है, वेसए ही लंड के काफ़ी नाम है. जेसे गलियो मे लोग लंड को लोडो भी कहते है. वेसए अगर तुझे कुछ ज़्यादा जानना है. तो मैने तेरी बहें अनिता के साथ काफ़ी सारी रातें गुज़री है, तो इससे बहोट आसानी से ये सब पूछ स्काती है.
सुनीता – ठीक है, अछा अब मुझे ये बतो की ये छोड़ना किसे कहते है ? क्योकि मैं बचपन मे देखा है, की जब भी किसी की लड़ाई हो र्ही होती है. तो वो बार बार कहते है, की मैं तेरी मा बहें छोड़ दूँगा. ये सला मुझे छोड़ना साँझ न्ही आया आज तक.
राम लाल – हा हाअ मेरी जान जो मैने तेरे साथ अभी किया है, उसे हम छोड़ना कहते है. जब लंड किसी छूट या गंद या किसी मूह के अंदर बाहर होता है. उसे हम छोड़ना कहते है, जेसे तूने अब मेरा लंड अपने आप मूह मे लिया और तू खुद लंड को अंदर बाहर कर र्ही थी. अब तू खुद अपने मूह को मेरे लंड से छोड़ र्ही थी.
सुनीता – हाए ये छोड़ना छोड़ना सुन कर तो अब मेरा भी चूड़ने का मान कर रा है. प्लीज़ जान अब आयो मेरी छूट को अपने मोटे लंड से छोड़ कर र्ख दो.
राम लाल – ठीक है मैं अभी छोड़ देता हूँ, पर पहले मुझे पेग पीना है.
सुनीता – दीदी जल्दी से हम दोनो के ख़सम के लिए एक मोटा सा पेग बनायो मेरे लिए एक लाइट पेग बनो.
अनिता ने तभी टीन बना दिए, और तीनो ने पेग खींच कर पहले एक दूसरे को चूमा और चटा. अब राम लाल उन दोनो बहें को के बीच मे लेआटा हुआ. उन दोनो के सेक्सी जिस्म से खेल रा था, उन दोनो के गोरे नंगे बूब्स को आचे से मसल्ले बाद राम लाल ने सुनीता को एक बार जाम कर छोड़ा.
फिर वो दोनो सुबह 10 बजे उठे, क्योकि रात भर चुदाई के बाद तीनो काफ़ी तक चुके थे. फिर ऐसे ही पूरे एक हाफते तक राम लाल हर रोज सुनीता की छूट चुदाई करता रहता था. जब सुनीता के जाने का टाइम आया तो वो राम लाल को एक घर के कोने मे ले गयइ और उसको अपनी बाहों मे भर कर. उसके सीने पर अपना सिर र्ख कर बोली.
सुनीता – जानू इन सात दीनो मे मैने आपसे अपने सात जन्मो जितना मज़ा लिया है. इन सात दीनो मे मैने जो मज़ा लिया है. वो मज़ा मुझे अपनी पूरी लाइफ मे न्ही लिया. शायद ही मैं इस मज़े को अपनी पूरी लाइफ मे भूल पौँगी. अछा अब अपने इस प्यारे लंड का ढयन र्खाना. क्योकि अब मेरी शादी होने वाली है, क्या पता मुझे आपके इस लंड की ज़रूरत पड़े.
राम लाल – ऐसा क्यो बोल र्ही हो तुम ?
सुनीता – क्या पता मेरा पति भी जीजू जेसे ना मर्द निकाला तो मैं तो आपके पास ही अवँगी ना अपनी प्यास को शांत करने के लिए.
ये कह कर सुनीता ने राम लाल का लंड अपने हाथ मे पकड़ कर आख़िर बार मसाला और वो व्हन से चली गयइ. उसके जाने के बाद राम लाल के मान मे उसकी वो बात बार बार गूंजने लग गयइ, की अगर उसका होने वाला पति भी जीजू की तरह ना मर्द निकाला तो ?
दोस्तो अभी कहानी ख़तम न्ही हुई है, अभी बहोट सारा मज़ा बाकी है. तो जुड़े रहईीए मेरी इस कहानी के साथ. [email protected]