हेलो दोस्तो, आपने मेरी पिछली कहानी “प्रतिभा के साथ नैनीताल मे हनिमून” पढ़ा. मुझे बहुत से लोगो के मैल आया, मैने कुछ लोगों के मैल पे रिप्लाइ भी किया. आप लोगो का प्यार देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा.
मैं आप लोगो के लिए एक और गरमा गरम सेक्स कहानी लेकर फिर से हाजिर हूँ. मई, यह आशा करता हूँ, की मेरी ये कहानी आप सब देशिकाहानी.कॉम के पाठकों को पसंद आएगी.
दोस्तो, देर ना करते हुए अब कहानी पे आते हैं. जिन लोगो ने मेरी पिच्छली कहानी नही पड़ी, उनके लिए मई अपना परिचाए देना चाहता हूँ.
मेरा नाम सुनील है. अभी मेरी उमर 28 साल है. मई मूलरूप से फ़ैज़ाबाद,उप का रहने वाला हूँ. मैं दिखने मे एकदम गोरा, 5’8″ कद और औसत कद काठी, बिल्कुल गतिला बदन का एक नवजवान लड़का हू, मेरा लॅंड 7 इंच लंबा है.
मैं जो कहानी लिखने जा रहा हूँ. ये घटना मेरे दिल के सबसे करीब है.
दोस्तो, ये 2012 की बात है, जब मई गुरगाओं मे जॉब क्रटा था. उस टाइम मेरी उमर 20 साल रही होगी. मैने, गुरगाओं के पास आयनागर मे अपना रूम ले रखा था. मेरे रूम के सामने एक 2 रूम का सेट था, जिसमे एक कपल रहते था, जिनका एक 6 महीने का बाकचा भी था.
पति का नाम दीपेश, जिनकी उमर 25 साल, उनका कद 6’8” एकदम गोरे, गतिला बदन और उनका आकर्षक व्यक्तित्वा था और उनकी पत्नी का नाम सूमोना, जिनकी उमर 22 साल उनका कद 6’2” और उनके बूब्स 34 के, कमर 30 और गांद 36 का रहा होगा. सूमोना थोड़ी सी सवञवली थी. लेकिन, मुझसे उनकी सवञवली सलोनी सूरत बहुत आक्ची लगती थी.
एक बाकचा होने के बाद भी बहुत साज-धज के रहती तीन. उन्होने अपने बाल छोटे-छोटे करा रखे थे, नयन नक्श काटीले और जुवैसी बूब्स थे. क्योकि उनका 6 महीने का बाकचा था. सूमोना के बूब्स दिखने मे बड़े- बड़े लगते थे, सयद उनके चूंचियों मे हमेशा दूध भरा रहता था. 6 महीने का बाकचा होने के बाद भी देखने मे ऐसे लगती थी, जैसे अभी कुँवारी हों. अपने खाने- पीने और चंदन से महकते बदन का बहुत ख्याल रखती तीन. जब चलती तो उनकी गांद के दोनो कूल्हे इधर-उदार हिलते. मुझे बहुत ही मादक लगटिन. वो अक्सर सॅडी, ब्ल्ौसे और पेटीकोआते पहनती तीन.
पति-पत्नी दोनो ही बिहार से थे.
पदोषी होने के नाते मेरी पति-पत्नी से बात होती रहती. मुझे दोनो लोगों का बात व्यवहार अक्चा लगता. मई सूमोना को भाभी कह कर बुलाता था. जब भी सूमोना भाभी कुछ बनती, मुझे मेरे रूम मे लेक ज़रूर खाने को देतीं और अक्सर मुझे आँखे मार के बोल्तीं, खाओ मज़े से भाभी ने बनाया है और माँग लेना शरमाना नही, नही तो भाभी गुस्सा हो जाएँगी.
मैं, उनकी बातें सुनकर मुस्करा देता.
सूमोना के पति दीपेश गुरगाओं मे एक ब्पो मे जॉब करते थे, उनकी अक्सर नाइट सिफ्ट होती थी और उनका सॅटर्डे, सनडे ऑफ होता था.
दोनो लोगों को यही 2 दिन मिलते थे, जब दोनो लोग एक दूसरे की छूट और लॅंड का समागम करा सकते थे.
दीपेश थकान की व्जह से सयद सॅटर्डे नही, लेकिन, सनडे को सूमोना की चूत रात मे काई बार छोड़ते थे.
मई नोटीस करता, उनके कमरे मे सनडे को काफ़ी देर तक हलचल रहती. दोनो सनडे को देर तक जागते थे और उनकी आवाज़ें रात को सुनाई देती.
मैने, सनडे को एक रात उनके दरवाजे पे कान लगाकर उनकी बाते सुनने की कोशिश की. तो मई हैरान हो गया.
सूमोना, दीपेश से बोल रही थी.
“यार, पूरे हफ्ते की कसर आप एक ही दिन मे निकलना चाहते हो, अगर तुम मुझे डेली छोड़ो तो मई बहुत खुश रहूंगी. जिस दिन तुम्हारी ऑफीस बंद रहती है, मुझे भी बहुत काम क्रना पदता है. मेरा छूट छुड़वाने का मान नही करता. तुम रात की जॉब छ्चोड़ कर, दिन की जॉब क्यो नही ढूनडते. जिससे की हम साथ मे रात को हफ्ते मे कम से कम 3-4 बार तो अकचे से चुदाई कर सकें”.
लेकिन दीपेश, सूमोना की एक बात नही सुना. सूमोना की छूट को बिना गरम किए सयद अपना लंड उसकी छूट मे डाल दिया. वो चीख रही थी.
सूमोना – निकले लो यार, अपना लॅंड. मुझे मज़ा नही आ रहा है. मेरी छूट बाहौत दुख रही है,अभी अकचे से गीली नही हुई है.
दीपेश- तुम मेरी पत्नी है. तुम्हे नही छोड़ूँगा तो किसके पास जौन.
सूमोना – मई तुम्हे ये नही बोलती की, तुम मेरी छूट मत पेलो. लेकिन तोड़ा मूड बनाओ, मुझे गरम करो,मेरे बूब्स को चूसो. फिर, जब बीवी गरम हो जाए, तो जूम के मेरी चूत मे अपना लंड डाल कर अकचे से चोदो.
दोस्तो, दीप्श, सूमोना की बात नही सुना.
दीप्श, सूमोना से बोला.
“मुझे कल सुबह जल्दी उतना है और भी काम है. टाइम से सोना भी है, नही तो नीड नही पूरी होगी”.
फिर, दीपेश अपना लंड सूमोना की चूत मे डाल दिया और ज़ोर-ज़ोर से सूमोना की छूट मे अपने लंड से ढाके मारने लगा. सूमोना, दीपेश को रोकती रही. थोड़ी, देर बाद दीपेश ने अपना माल सयद सूमोना की छूट मे डाल कर उसके बगल मे लेट गया.
मैं, वापस अपने रूम मे आ गया. मैं, सोचने लगा, की दीपेश सच मे अपनी जवान बीवी को अकचे से गरम करके नही छोड़ रहा है. मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.
सूमोना, दीपेश के चुदाई करने के तरीके से खुश नही रहती थी. जब मैं सूमोना भाभी को देखता, तो उनके चेहरे पर एक अंत-हीन प्यास और तोड़ा सा निराशा दिखाई देती, जो कभी ना ख़तम होने वाली थी.
दोस्तो, थोड़े ही दीनो मे मेरी जान-पहचान दोनो से आक्ची हो गयी थी. दीपेश की नाइट ड्यूटी होने से, जब कभी सूमोना भाभी मुझे कुछ समान लाने को बोलती. मैं उनके घर पे सामान और ज़रूरत की छीसें लेक दे देता था. मैं जब भी उनको सामान देने जाता, सूमोना भाभी मुझे रूम के अंदर आने को कहतीं. मई अंदर जाता तो आके अपनी ब्ल्ौसे का एक हुक खोल के, सॅडी के आँचल हटा के मेरे साथ आके बैठ जाती. जिससे की उनकी दोनो बड़ी-बड़ी दूध से भारी हुई चूंचियाँ मेरे आँखो के सामने होती और मेरा हाथ पकड़ कर बोलती, दिखाओ ना सुनील क्या लाए हो, भाभी के लिए बेज़ार से.
मैं, उन्हे बाग से निकाल-निकाल क्र एक –एक सामान देता और वो मुझे झुक-झुक कर अपनी पूरी चूंचियाँ दिखाने का पूरा कोशिस करतीं.
जब, मैं उनके रूम से बाहर निकलता. मुझसे बोलती – सुनील! भाभी के लिए भी कुछ खाने के लिए ले आया करो. तुम्हारी भाभी घर मे बैठ कर बस नॉर्मल खाना खाती रहती है.
मैं, ये बात समझ गया था की सूमोना भाभी के इरादे सही नही है. लेकिन, मान ही मान सोचता था, अगर सूमोना भाभी मुझे मिल जयन तो पहले एँकी चूंचियो के सारे दूध निचोड़ निचोड़ के पी जौंगा, उसके बाद इनको तडपा-तडपा के एँकी छूट मे अपना लंड डाल के छोड़ूँगा.
दोस्तो, पति- पत्नी मुझे बहुत मानते थे. दीपेश, सूमोना से बोलते – सुनील मेरा भाई है, इसे कोई प्राब्लम मत होने देना.
सूमोना, मज़ाक करते हुए बोल्तीं.
“देवर जी, बहुत अकचे है. बहुत ध्यान रखते है, अपनी भाभी का.”
दीपेश मुस्कुरा देते.
दोस्तो, मैं ऑफीस से वापस आते टाइम सूमोना भाभी के खाने के लिए भी खुच ना कुछ खरीद लेता. जैसे की गोलगापे, ब्रेड पकोडे, समसे एट्सेटरा.
“देवेर जी, अब आप अपनी भाभी का ख़याल अकचे से रख रहे हो. अब आपकी भाभी को भी अपने देवर का अकचे से ख़याल रखना पड़ेगा.” सूमोना भाभी बोल्तीं.
मैं- भाभी जी, मैं तो आपके बातें मानकर, जो बोलती हो, बेज़ार से ले आता हूँ.
फिर, मैं, जो भी बेज़ार से लाया होता, मुझे साथ मे बैठकर खाने को कहती. मैं उनका साथ दे देता.
अब जब मैं उनके रूम से निकलता. खुश होकर, मुझे पकड़ के चिपक जातीं और उनकी दोनो चुच्च्ो का उभर ब्ल्ौसे से बाहर निकल जाता.
ये सिलसिला कुछ दिन चलता रहा.
मेरे से खुश होकर सूमोना भाभी ने एक दिन बोला.
“देवर जी, अब आप खाना मत बनाया करिए. आपकी भाभी आपके लिए खाना बना देगी, आप अकेले ही परेशान होते रहते है.”
मैने उनकी बात मान ली.
दोस्तो, अब मुझे खाना बनाने की दिक्कत नही थी. मैं, भाभी जी को महीने के कुछ पैसे खाना खिलाने के दे देता था. जब मई सुबह ऑफीस के लिए निकलता, मुझे भाभी मेरा लंच पॅक करके दे देतीं और शाम को भी मैं भाभी के साथ ही खाना ख़ाता.
दोस्तो, जून का महीना था. देल्ही मे गर्मी बहुत होती है. जब, मैं भाभी के साथ खाना खाने के लिए शाम को जाता, वो गर्मी की वजह से सिर्फ़ ब्ल्ौसे और पेटीकोआट मे रहती और 1 या 2 हुक ब्ल्ौसे के खोल के रखती. जिससे उनके बिल्कुल खड़े-खड़े बूब्स बाहर आना चाहते. उनकी कमसिन जवानी देख के खाना खाते-खाते मेरा लंड खड़ा हो जाता.
भाभी, बड़ी चालाकी से ये सब देख रही होती तीन.
“देवेर जी! कुछ और चाहिए तो बता दीजिएगा. देवेर को देने के लिए भाभी के पास बहुत खुच है.” सूमोना मुझसे पूछटीं.
“ज़रूर, भाभी जी. कुछ चाहिए होगा तो बता दूँगा.” मैं बोलता.
दोस्तो, सॅटर्डे और सनडे छ्चोड़ के जब उनके पति दीपेश घर पे नही रहते. तो, रोज़ शाम को, जब मैं अपने ऑफीस से आता तो फिर उनके बाकछे के साथ खेलता और भाभी खाना बनती रहती, लेकिन मई कभी-कभी नोटीस करता, भाभी मुझे प्यासी नज़ारो से देखा करतीं. उनका बाकचा रोने लगता तो आती और अपने दूध से भरे हुए बूब्स निकल के जामुन जैसे काले-काले छोटे-छोटे निपल उसके मूह मे डाल देती, वो चुप हो जाता.
“बेटा और बाप दोनो ने मुझे परेशान कर रखा है, खुद तो नाइट मे ड्यूटी चले जाते हैं, ना तो बीवी की परवाह है, ना बाकछे की. देवर जी, देखिए मैं परेसां हो जाती हूँ.” भाभी बोलने लगटिन.
फिर, मई उन्हे शांत करता.
भाभी से मैने एक दिन कहा – भाभी, आप परेशान क्यो होती हैं. मैं हूँ ना, आपके सामने ही रहता हूँ बस आवाज़ दे दिया करो, मैं आ जौंगा.
सूमोना – ठीक है, देवर जी. आप तो बहुत कुछ करते हैं, आपकी वजह से तो मुझे बहुत रहट मिल जाती है, ऑफीस से आकर आप मेरा बच्चा संभाल देते हैं तो मैं काम क्र लेती हूँ. जब आप बोल रहे है तो जब मुझे लगेगा मई आपको बुला लूँगी. आप रात को सोते रहते हो, मैं, आपको बुलाना ठीक नही समझती.
मैं – भाभी! आप मेरे लिए इतना कुछ करती हो. मुझे भी तो कुछ आपके लिए करना चाहिए.
दोस्तो, इस बात के दूसरी रात को ही भाभी ने मुझे करीब 11:30 बजे रात को आवाज़ दी, उनका बाकचा रो रहा था. मैं, बस, सोने ही जा रहा था. मैं तेज़ी से उनके कमरे मे चला गया.
“ह्म भाभी, आपने मुझे बुलाया.” मैने बोला.
दोस्तो, उस टाइम भाभी ने सिर्फ़ पनटी और ब्ल्ौसे पहना था. उनकी महकते हुए कमसिन बदन की खुश्बू मुझे महस्सोस हो रही थी. उनके कामुक बदन को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
उनके चेहरे पे पागलपन और तोड़ा सा गुस्सा था, वो अपनी अल्हड़ जवानी से बेख़बर तीन. मेरे आखो मे एक चमक थी. वो अपने बेड पे उठ के बैठ गयीं.
मुझसे बोली – देवर जी! तोड़ा सा दूध गरम कर दीजिए, बाकछे को पिलाना है.
मैने बोला- भाभी, आपको अपना दूध पिलाना चाहिए. बच्चा स्वस्थ रहेगा. बाहर का दूध उतना अक्चा नही रहता.
सूमोना- ये पीटा नही है ना, मैं दिन मे इसको ज़बरदस्ती तोड़ा बहुत पीला देती हूँ, अपने बाप पे गया है. मुझे अपना दूध खुद ही निकलना पड़ता है. सब बेकार हो जाता है.
देवेर जी! आप दूध गरम करके लाइए, पहले मई बाकछे को चुप करऔ. फिर, मुझे कुछ आपसे कहना है.