नमस्कार दोस्तो, मैं राहुल वाराणसी का रहने वाला हूँ। जो पहली बार मेरी कहानी पढ़ रहे हैं उन्हें बता दूं कि मेरा लौड़ा 6.5″ लम्बा और गोलाई में 4.5″ मोटा है जो किसी की भी जवानी की प्यास बुझा सकता है, और चुदाई की आग भड़का भी सकता है।
मेरी पिछली कहानी
मकान मालकिन की भतीजी को चोदा उसकी मर्जी से
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने काजल को चोदा। उस पर मुझे कई पाठक पाठिकाओं से प्रतिक्रिया मिली। देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ। कॉलेज आने के कारण समय ही नहीं मिल रहा था।
अच्छा लगा यह जानकर कि आप सबको कहानी पसन्द आई।
एक पाठिका को यह कहानी झूठी भी लगी। लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि मैंने सिर्फ एक ही कहानी लिखी है और सम्भव है कि यह मेरे तरीके की कमी हो।
दूसरी बात यह कि किसी तकनीकी कारण से फ़ेसबुक ने मेरी आईडी बन्द कर दी है, तो कृपया वहां सन्देश ना भेजें।
अब बात करते हैं कहानी की।
मैंने आपको बताया कि काजल के घर पर शादी थी; शादी 18 जून को होनी थी। अच्छी जान पहचान हो जाने के कारण काजल की मम्मी ने मेरे घर भी न्योता दिया था।
आज शादी थी, वैसे तो मम्मी को जाने में कोई खास रुचि नहीं थी, पर कार्ड मिला था तो किसी को तो जाना ही था तो मम्मी ने मुझे जाने को बोला। मैंने थोड़ी ना नुकुर की, पर अंदर से मैं बेहद खुश था। तो मैं तैयार हो गया।
मैंने काजल को मैसेज किया कि मैं आने वाला हूँ।
वो बहुत खुश हुई।
शाम के 8 बजे मैं तैयार होकर बाइक लेकर निकल गया। शादी बनारस शहर में ही एक होटल में थी। तो मैं जल्दी ही पहुंच गया।
होटल के नीचे पहुंच कर मैंने बाइक खड़ी की और काजल को फ़ोन किया तो उसने मुझे नीचे ही रुकने को कहा।
मैं इंतज़ार कर रहा था तभी एक लड़की आई और कहा- तुम राहुल हो ना?
मैं- हाँ, क्यों?
वो- मैं जया हूँ, मुझे काजल ने भेजा है। मैं उसकी सहेली हूँ।
यह कहते हुए उसने हाथ मिलाया मुझसे।
क्या बताऊँ दोस्तो, क्या गज़ब लग रही थी ये लड़की … साड़ी में बिल्कुल कातिल लग रही थी। उसकी गांड ऐसी उठी हुई थी, और चूचे इतने बड़े बड़े, मैं तुरन्त समझ गया कि ये खूब चुदती है, और काजल इसी की बात कर रही थी।
मैं उसके चूचों और चूतड़ पर नज़र गड़ाए था। शायद उसने ये भांप लिया, उसने कहा- अब चलो भी, या यहीं देखते रहोगे?
मैं थोड़ा झेंप गया।
खैर मैं आगे बढ़ा और उसके साथ हॉल में गया। वहां सभी लोग थे।
काजल अपनी मम्मी के साथ बैठी हुई थी। मुझे देखकर वो मुस्कुरा रही थी। मैंने उसकी मम्मी को नमस्ते की और फिर बाकी सभी लोगों से मेरा परिचय करवाया।
मैंने काजल की मम्मी को शगुन दिया जो मेरी मम्मी ने भेजा था।
थोड़ी देर में बारात आने वाली थी तो लोग अपने अपने कामों में व्यस्त हो गए। मुझे कोई काम नहीं था, तो मैं एक तरफ कुर्सी पर बैठा हुआ समय बिता रहा था।
थोड़ी देर बैठे रहने के बाद मैंने काजल को फोन किया। उसने फोन नहीं उठाया। दो तीन बार कोशिश करने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।
तभी उसका मैसेज आया,
उसने लिखा था- अभी सबके साथ हूँ, बात नहीं कर सकती।
मुझे गुस्सा आ रहा था; पर कर भी क्या सकता था।
तभी मेरे बगल की कुर्सी पर जया आ कर बैठ गई, उसने मुझे हेलो बोला।
मैंने भी जवाब दिया।
उसने कहा- काजल तुम्हारी बहुत तारीफ़ करती है, हर वक़्त तुम्हारे ही बारे में बात करती है।
मैंने कहा- लेकिन जो तुम सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है।
जया- मुझे सब पता है, ज़्यादा सीधा बनने की ज़रूरत नहीं है। बात यह कि वो जो बोलती है क्या सच में तुममें वो दम है या बस ऐसे ही?
मैं- मतलब?
जया- मतलब मुझे भी तो पता चलना चाहिये आखिर काजल ने तुममें ऐसा क्या देख लिया।
मैं उसकी बातें समझ रहा था मगर फिर भी अंजान बनने की कोशिश कर रहा था।
मैंने कहा- साफ साफ बोलो जो भी कहना है।
इस पर वो कुछ बोली नहीं और एक कातिल सी मुस्कान देकर शादी में चली गई।
मैं सोच रहा था कि शायद इसकी भी चूत फड़क रही है मगर सीधे सीधे नहीं बोल रही थी। और मैं भी पहल नहीं करना चाहता था।
मैंने थोड़ी देर इंतज़ार किया।
कुछ छोटी मोटी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मैं काजल की मम्मी के पास गया और उनके पैर छुए। तो उन्होंने कहा – क्या हुआ बेटा, पैर क्यों छू रहे हो?
मैंने कहा- आंटी अब मैं घर जाऊंगा।
उधर मेरी बात सुनकर काजल का मुंह उतरा हुआ था।
आंटी- क्यों, अभी तो आये हो, रुको सुबह तक विदाई होने के बाद जाना।
मैं- आंटी घर पर मम्मी इंतज़ार कर रही होंगी।
आंटी- उनसे मैं बात कर लेती हूँ, तू रुक!
यह बोलकर उन्होंने मम्मी को फ़ोन कर दिया।
थोड़ी बहुत बातें करने के बाद उन्होंने फोन काट दिया और बोलीं- अब तू यहीं रहेगा। मम्मी को लेकर नहीं आया इसलिये तुझे ये सज़ा मिलेगी।
इस पर सभी हँस दिए।
मैंने कहा- नहीं आंटी, दरअसल यहाँ कोई काम नहीं था तो मुझे थोड़ी ऊब भी हो रही थी।
आंटी- अच्छा तो तुझे काम करना है।
आंटी- देखिये भाभी, मैं बोल रही थी ना, कितना अच्छा लड़का है।
ऐसा वो अपनी जेठानी से बोल रही थीं।
उधर काजल अपना मुंह दबा कर हंस रही थी।
उनकी जेठानी ने कहा- राहुल बेटा अगर तुम्हें कोई दिक्कत ना हो तो मेरा एक काम कर दो।
मैं- बोलिये आंटी।
वो- बेटा मैं नहीं चाहती कि बाद में कोई दिक्कत हो, तो क्या तुम बाज़ार मेहमानों के लिए कुछ और मिठाइयां पैक करवा सकते हो? सबको गिफ़्ट में पैक करा लेना।
यह बोलकर उन्होंने मुझे सब समझाया और दस हज़ार रुपये दे दिये।
जब मैं निकलने लगा तो पीछे से काजल की मम्मी बोलीं- बेटा काजल को भी साथ ले लो, ये भी कब से ऊब गई होगी।
मैं कुछ नहीं बोला, मगर अब काजल भी मेरे साथ आ रही थी।
होटल के नीचे आते ही उसने मुझे एक जोरदार किस किया।
मैंने उसे रोका और कहा- क्या कर रही हो, कोई देख लेगा तो।
काजल- अब इतना इंतज़ार करवाया तो बदले में कुछ देना भी तो था।
मैं हंस पड़ा।
वो मेरे पीछे बाइक पर बैठ गई; वो बिल्कुल चिपक कर बैठी थी; उसके चूचे मेरी पीठ पर रगड़ रहे थे और मुझे मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर में मैंने 25 किलो मिठाई पैक करवाई और होटल भिजवा दी। हम भी आ गए और सब कार्यक्रम चलने लगा।
मैंने काजल से धीरे से कहा- मेरा भी तो कुछ होना चाहिये।
उसने कहा- रुको मैं देखती हूँ।
थोड़ी देर बाद काजल आई तो वो काफ़ी खुश लग रही थी, बोली- चलो।
मैंने कहा- कहाँ?
काजल- मेरे घर।
मैं- ऐसा क्या बोल दिया कि काम हो गया?
काजल- मैंने बोला मम्मी से कि मेरी पीठ में दर्द है, घर जाना चाहती हूँ पर कोई जाने वाला नहीं है। तो उन्होंने कहा राहुल के साथ चली जाओ।
हम दोनों अब चल दिये लेकिन बाहर आने से पहले ही जया मिल गई, उसने पूछा- कहाँ जा रहे हो तुम दोनों?
काजल- घर जा रहे हैं मेरी पीठ में दर्द है।
जया- अरे मुझे भी ले चलो ना, वैसे भी यहां सिर्फ पक रही हूँ मैं।
काजल- अरे एक बाइक पर तीन कैसे आएंगे?
जया- अरे हो जाएगा चलो तो!
हम दोनों को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन मना भी नहीं कर सकते थे, अगर काजल की मम्मी को पता चलता तो मुसीबत हो जाती।
अब हम तीनों चले, जया बीच में बैठी थी, वो अपनी चुचियाँ रगड़े जा रही थी, इधर मेरा खड़ा हो रखा था।
खैर हम घर पहुंच गए। जया मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी और काजल पास में थी तो मैं चुप था।
सब अंदर गए तो काजल ने जया से सीधे बोला- देख जया, तू मेरी सबसे अच्छी दोस्त है ना, तो जानती ही होगी कि हम दोनों यहां सेक्स करने आए हैं।
तो जया हंसने लगी।
“अब कवाब में हड्डी मत बन और दूसरे कमरे में जा।”
जया ने मुस्कुरा कर मुझे एक आंख मारी और चली गयी।
हम खुश हुए और एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया। हम कुछ देर तक स्मूच करते रहे, और फिर धीरे धीरे हम दोनों के कपड़े शरीर से अलग हो गए। मैं काजल को गर्दन और सीने पर चूम रहा था। वो भी मुझे पागलों की तरह चूमे जा रही थी।
धीरे धीरे मैं नीचे बढ़ता रहा, अब मैंने काजल की नाभि, पेट को चूमना शुरू किया, अगले ही पल मैं नीचे उसकी चूत पर पहुंच चुका था। जैसे ही मैंने अपनी जीभ लगाई, उसकी ज़ोरदार सिसकारियां शुरू हो गईं।
थोड़ी देर मैं चूमता रहा, और पीछे से उसके चूतड़ों को अपने हाथों से रुई की गेंद की तरह दबाता रहा। देखते ही देखते उसने पानी छोड़ दिया।
अब हम दोनों खड़े हुए, एक दूसरे की आंखों में देखा, फ़िर मुस्कुराने लगे।
अब हम दोनों बिस्तर पर आ गए।
मैंने कहा- तुम दुनिया में सबसे खूबसूरत हो काजल!
काजल- तुम अपने इसी तरीके के लिए तो मुझे पसंद हो।
इस बार वो नीचे आई और अपने हाथ से मेरे लण्ड को आगे पीछे करना शुरू करने वाली थी, कि तभी वहां जया आ गई, और इस बार उसके बदन पर कपड़े नहीं थे। मैं समझ गया कि इसकी जवानी की प्यास भड़की हुई है.
उसका बदन क्या बताऊँ, बिल्कुल साफ, झांटों का तो नाम भी नहीं था। उसकी चूचियाँ बड़ी बड़ी और कसी हुई थीं और गांड काजल से भी बड़ी थी।
हम दोनों ही आश्चर्य से उसे देख रहे थे कि तभी काजल रोने लग गई। मैंने तुरंत उसे बांहों में भर लिया और उससे रोने का कारण पूछा तो उसने कहा- जया, तू तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है, और तू ही राहुल को मुझसे छीन लेगी।
इस पर जया हंस पड़ी और बोली- अरे तू एक नम्बर की पागल है। प्यार में और चुदाई में फ़र्क होता है। तू राहुल से प्यार करती है तो मुझे क्या दिक्कत। वो तो बस तू इसकी बहुत तारीफ़ करती थी, और अभी तुम दोनों की आवाज़ें सुनकर मुझसे रहा नहीं गया।
तू तो दोस्त है ना मेरी, बस एक बार चुदवा लेने दे राहुल से मुझे। मैं तुम दोनों के बीच कभी नहीं आऊँगी।
काजल चुप रही तो जया उसकी चुचियाँ चूसने लगी। अब उसके मुंह से सिसकारी निकलने लगी। जल्दी ही दोनों गर्म हो चुकी थीं।
इधर मैं लेटा हुआ दोनों को देख रहा था। थोड़ी देर एक दूसरे को गर्म करने के बाद दोनों मेरे पास आईं। मैं वर्णन नहीं कर सकता वो नज़ारा कितना सेक्सी था। मेरे सामने दो दो हसीनाएं बिना कपड़ों के एक साथ खड़ी थीं। उनके चार बड़े बड़े ख़रबूज़े उनके शरीर को और भी मादक बना रहे थे।
और तो और दोनों के ही चूत पर बाल नहीं थे; शायद दोनों ने ही साफ करवाये थे।
वो दोनों मेरे पास आईं और काजल अपनी चूत मेरे मुंह पर रखकर बैठ गई और और खुद जया की चूत चाटने लगी। उधर जया मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर चूसे जा रही थी।
आप कल्पना कीजिये कि हम तीनों की क्या हालत थी।
जल्दी ही काजल झड़ गई मेरे ऊपर ही; मैं सारा पानी पी गया। मगर मैं अभी नहीं झड़ा था, तो वो मेरे मुंह से उतरी और जया के साथ मिलकर मेरा लण्ड चूसने लगी। एक मेरा टोपा चूसती तो दूसरी मेरे ट्टटों को खा रही होती थी।
वो आनन्द शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है।
खैर इतनी ज़्यादती के बाद तो मेरा झड़ना भी तय था और दोनों ने ही चाट चाट कर सब साफ़ कर दिया।
हम तीनों लेट गए और कुछ देर बाद मैं उठा और पूछा कि पहले किसे चोदूँ।
दोनों कह रही थीं कि पहले मुझे, पहले मुझे।
आखिरकार तय हुआ कि मैं काजल को पहले चोदूंगा।
अब काजल सामने आकर लेट गईं। मैंने अपने लण्ड का टोपा उसकी चूत पर रखा और धीरे से धक्का दिया। चूत पहले से ही गीली थी, तो उसकी ज़रा सी सिसकारी के साथ ही आधा अन्दर चला गया।
वहीं काजल और जया दोनों एक दूसरे की चुचियाँ 69 जैसी ही मुद्रा में चूसने में लगी थीं। अगली बार पूरे ज़ोर से मैंने धक्का मारा और काजल का मुंह खुल गया। अब मैं पूरे जोश में आकर काजल को चोदने लगा था।
नीचे से जया उसकी चूचियाँ चूसकर उसे मज़े दे रही थी। इतने आनंद के कारण वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कार कर रही थी।
लगभग पांच मिनट की चुदाई के बाद काजल झड़ गई। अब वो शिथिल हो गई थी।
तो बारी जया की थी; अब वो सामने आ गई और मुझे धक्का देकर मेरे ऊपर चढ़ गई। और अपनी चूत को मेरे खड़े लण्ड पर सेट करते हुए बैठ गई, घप्प… और पूरा लण्ड एक ही बार में अंदर था।
अब वो उछल उछल कर चुद रही थी।
थोड़ी देर में काजल भी गर्म हो गई। अब वो आई और मेरे मुंह पर बैठ गई और खुद जया को किस करने लगी। दोनों बीच बीच में एक दूसरे की चूचियाँ पी रही थीं। मैं यहां जन्नत में था।
पर जल्दी ही दोनों का वजन मुझ पर असर डालने लगा
तो मैंने उन्हें रोका और अब मैं उठ खड़ा हुआ। जया को मैंने पीठ के बल लिटाया। और मैं सामने से उसकी चूत चोदने लगा। वो आवाज़ें निकाल रही थी। काजल उसकी चूची पी रही थी। ये चुदाई लगभग छः सात मिनट चली।
जया एक बार झड़ चुकी थी। अब मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और जया के ऊपर झड़ गया। काजल उसे चाटने लगी।
उसके बाद जया उठी और फिर दोनों ने ही मेरा लण्ड चाटकर साफ़ कर दिया। पर ये अभी भी खड़ा था.
मैं ही थक गया था तो मैं लेट गया।
मैंने कहा कि भूख लगी है!
तो जया बोली- हम दोनों का ही दूध है पी लो!
पर मुझे सच में काफ़ी भूख लगी थी, तो काजल रसोई में गई और हम तीनों के लिये मैगी बनाई। हम तीनों ही नंगे बैठकर खा रहे थे।
काजल मेरी गोद में बैठी थी। मैं बीच बीच में उसकी चुचियाँ भी चूस रहा था।
मेरा लण्ड अब खड़ा हो चुका था, मैं काजल से बोला- तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।
यह सुनकर उसने मुझे गुस्से में देखा।
मैं- प्लीज़ यार, एक बार!
काजल- पर बहुत दर्द होगा।
जया- अरे पागल सिर्फ एक बार दर्द होगा, फ़िर तू ख़ुद गांड मरवाती फिरेगी।
मैं- प्लीज़।
काजल- लेकिन सिर्फ़ एक बार।
मैं बहुत खुश हुआ। अब मैंने काजल को लिटाया और उसे गर्म करने के लिए उसकी चूत चाटने लगा। जल्दी ही उसकी आवाज़ें निकलने लगीं।
उधर जया अपनी चूत में उंगली कर रही थी। मैं अब रुका और काजल को पेट के बल लिटा दिया। उसकी गोरी गांड मेरे सामने थी। मैंने कोशिश की घुसाने की पर सब बेकार … छेद बहुत तंग था।
तो मैंने जया को उसमें सरसों का तेल लगाने को कहा।
जया कमर मटकाते हुए हुए गई और तेल ले आई, आते ही उसने उंगली में ज़रा सा तेल लगाया और उंगली सीधा काजल की गांड में घुसा दी।
काजल चिहुंक उठी। अब जया ने ढेर सारा तेल उसकी गांड में और ऊपर लगा दिया, और मेरे लण्ड पर भी तेल की मालिश कर दी।
अब मेरी बारी थी, मैंने अपना लौड़ा सेट किया और धीरे से धक्का दिया, तो गांड का मुंह खुल गया। अब फिर से धक्का दिया तो एक इंच घुस गया। उधर काजल चिल्लाने लगी। तो जया उसकी चुचियाँ चूसने लगी।
धीरे धीरे जब वो शांत हुई तो मैंने जया को इशारा किया।
जया उसके होठों को चूसने लगी। बारी मेरी थी तो मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा। आधे से ज़्यादा लण्ड घुस गया और उधर काजल छटपटाने लगी, वो ज़ोर ज़ोर से हाथ पटक रही थी, जया के चूसने के कारण चिल्ला नहीं पा रही थी।
उसने काफ़ी कोशिश की अपनी गांड को आगे करके लण्ड बाहर निकालने की, लेकिन मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ रखा था। तो उसकी हर कोशिश बेकार हुई।
धीरे धीरे जब उसने चिल्लाना बन्द किया तो मैंने धीरे धीरे अपना लण्ड आगे पीछे करना शुरू किया, उसकी गांड तंग थी, पर तेल के साथ कम दिक्कत हो रही थी। जल्दी ही उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया और मेरे साथ साथ अपनी कमर हिलाने लगी।
धीरे धीरे मैंने भी रफ़्तार पकड़ ली। हालांकि पूरा लौड़ा अब भी नहीं गया था, पर मैंने कोशिश छोड़ दी, मैं काजल को चोट नहीं पहुंचाना चाहता था।
जया अब काजल की चूचियाँ पी रही थी और काजल चिल्लाए जा रही थी।
उसकी गांड काफ़ी तंग थी तो मैं भी ज़्यादा देर टिक ना सका, 7-8 मिनट के बाद मैं काजल की गांड में ही झड़ गया।
अब मैं सचमुच थक चुका था, मैं लेट गया। और अब दोनों 69 की मुद्रा में आकर एक दूसरे को चूस रही थीं।
दोनों ने थोड़ी ही देर में एक दूसरे को झाड़ दिया।
हम तीनों ही लेट गए, हम सबको नींद आ ही जाती पर तभी मुझे होश आया और मैंने उन दोनों को कपड़े पहनने को बोला। हम कोई भी खतरा नहीं उठा सकते थे। तो बाथरूम में जाकर हम सबने एक दूसरे को साफ़ किया और वापस आकर कपड़े पहने।
फिर काजल ने दर्द की एक गोली खाई और फ़िर वो दोनों एक कमरे में गईं सोने।
मैं जानबूझकर हॉल में सोफ़े पर ही सो गया। आखिर घरवालों की नज़र में बढ़िया भी तो बनना था।
हुआ भी वही, सुबह काजल की मम्मी और बड़ी मम्मी आईं। मुझे सोफ़े पर लेटा हुआ देखकर मुझे जगाया और फ़िर कहने लगीं- बेटा कमरे में सोना चाहिये था।
मैं- अरे नहीं आंटी, ये ठीक था।
तो वो काजल को डांटने लगीं कि मुझे सोफ़े पर क्यों सोने दिया।
काजल मासूम बनकर बोली- मैंने तो बहुत कहा पर इसे यहीं सोना था तो मैं क्या करूँ।
बस फ़िर क्या था, वही तारीफों का दौर, संस्कारी लड़का वगैरह वगैरह।
मुझे नाश्ता करने के बाद विदा मिली।
अब काजल की मम्मी खुश थीं, काजल और जया बहुत खुश थीं।
और मैं?
मैं तो सबसे ज्यादा खुश था.