हेलो फ्रेंड्स, आप सब ने मेरी पहली चुदाई कहानी “सहेली के पापा ने मेरी सील तोड़ी” तो पढ़ ली होगी. जो कोई भी नही पढ़ा हो अभी तक, वो जाके ज़रूर पढ़ ले.
रात को अंकल मेरी गोद में अपना सिर रख कर सो रहे थे. तब मेरी भी आँख लग गयी थी. रात को मेरी छूट पानी छोढ़ दी थी, और तब मेरी नींद टूटी. आँखें खोल के जब मैने देखा, तो मेरी छूट के उपर अंकल का मूह था.
छूट के उपर मेरी पाजामी थोड़ी गीली हो गयी थी. और तोड़ा पानी अंकल के लिप्स पे भी लगा हुआ था. तो अंकल की दाढ़ी मेरी छूट पे घिसने की वजह से मेरी छूट ने पानी छोढ़ दिया था.
आब आयेज की कहानी.
रात भर तड़प-तड़प के सोने के बाद जब मैं सुबा उठी, तो पहला ख़याल मेरे मॅन में अंकल का ही आया. मैं जब बेडरूम से बाहर आई, तो अंकल किचन में खाना बना रहे थे. फिर मैं अंकल के पास किचन में गयी.
मैं: गुड मॉर्निंग अंकल.
अंकल: वेरी गुड मॉर्निंग दिशा. उठ गयी तुम? कुछ लॉगी टी ओर कॉफी?
मैं: नही अंकल.
अंकल: ओक, ब्रेकफास्ट बना दिया है, खा कर कॉलेज चले जाना दोनो.
फिर अंकल जब तक शूस पहन रहे थे, तो मैं उनका लंच बॉक्स पॅक करने लगी. लंच बॉक्स पॅक करके मैं अंकल को देने दरवाज़े के पास गयी. अंकल ने मुझसे लंच बॉक्स लिया, और अचानक मेरे गाल पे एक किस कर दिया.
अंकल: बाइ.
और अंकल चले गयी. मैं एक-दूं शॉक हो गयी अंकल के किस करने से. फिर मैं दरवाज़ा लॉक करके अंदर आ गयी. पर मेरे मॅन में बस वही इन्सिडेंट रिपीट हो रहा था. फिर नीलम और मैं कॉलेज गयी.
मेरी सोच बस अंकल के किस करने पे ही टिकी हुई थी. तब अंकल ने नीलम को कॉल करके बोला, की वो हमे लंच पे बाहर ले जाना चाहते थे. फिर नीलम और मैं लंच टाइम पर कॉलेज से निकल कर बाहर आ गये. अंकल ने जिस होटेल का बोला था, हम वाहा पहुँच गये.
वाहा अंकल पहले से ही हमारी वेट कर रहे थे. फिर हम तीनो होटेल के अंदर गये, और एक टेबल पे बैठ गये.
मैं जब अंकल की तरफ देखती, तो बस मुझे वो किस्सिंग सीन ही याद आ जाता. और अंकल भी बार-बार मुस्कुराते हुए मुझे देख रहे थे. हम सब ने जब लंच कर लिया, तो अंकल ने नीलम को बिल पे करने के लिए भेज दिया. फिर अंकल बोले-
अंकल: सॉरी.
मैं: आपने ऐसे ही मुझे किस क्यू की, और अब सॉरी क्यू बोल रहे हो?
अंकल: मैं किस के लिए सॉरी नही बोल रहा. रात को जो हुआ उसके लिए बोल रहा हू.
मैं: रात में क्या हुआ?
अंकल: तुम्हे नही पता? भूल गयी क्या, याद भी नही?
मैं: नही, क्या? कुछ भी तो नही हुआ था.
अंकल: तुम्हारी छूट ने जो पानी छोढ़ दिया था.
अंकल के मूह से ये बात सुन कर मैं शॉक हो गयी और शरम के मारे अंकल को देख नही पा रही थी. मैं सोच रही थी, की अंकल तो सो रहे थे, और उन्हे तो पता ही नही होगा मेरी छूट ने पानी छोढ़ा था. पर मैं ग़लत थी, और अंकल सब जानते थे.
अंकल: कल रात जब तुम्हारी छूट ने पानी छोढ़ा था. वो पानी मेरे मूह पे जब लगा, तो मेरी भी नींद टूट गयी थी. पर तभी तुम भी उठ गयी. तो मैने जान-बूझ कर सोने का नाटक किया, ताकि तुम मुझे नींद में सोता हुआ देख कर कंफर्टबल हो जाओ. तुम्हारा मुझे गोदी से उठना, मेरा
मूह पोंछना, सब याद है मुझे.
तब मैने हड़बड़ाहट में बोल दिया-
मैं : आप ही की वजह से निकला था पानी. आप तो सीधा सो रहे थे, फिर उल्टे होके क्यू सोए? आपकी दाढ़ी के चुभने की वजह से मेरा पानी निकल गया.
फिर मैं मॅन ही मॅन सोचने लगी, की ये क्या कह दिया मैने अंकल को. और फिर मैने शरमाते हुआ नज़र नीचे झुका ली.
अंकल: चलो मेरी वजह से तुम्हारी छूट ने पानी तो छोढ़ा. अब क्यू शर्मा रही हो?
मैं: अंकल आप यहा पे ऐसे वर्ड्स और टॉपिक पे बात मत कीजिए. पब्लिक प्लेस है, और इन लोगो में से कोई सुन लेगा.
अंकल (धीरे से बोले): ओह अच्छा, हा-हा, पब्लिक प्लेस है. कोई सुनेगा तो क्या बोलेगा. सही बोली तुम. बाइ थे वे (अब ज़ोर से बोले ) तुम्हारी छूट का पानी एक-दूं टेस्टी था.
मैं: अंकल!
फिर मैं वाहा से हेस्ट हुआ उठ के चली आई. तब तक नीलम भी बिल पे करके हमारी वेट कर रही थी. फिर मैं नीलम के पास गयी.
नीलम: पापा नही आए, तू आ गयी?
मैं: आ रहे है वो.फिर थोड़ी देर में अंकल भी आ गये. तो हम सब होटेल से बाहर निकालने लगे. हम घर आने वेल थे, पर अंकल ऑफीस जाने वाले थे वापस.
नीलम: बाइ पापा, आजा दिशा.
और वो जाने लगे.
अंकल: बाइ नीलू, बाइ डीशू
बाइ बोलते हुए अंकल ने मेरे कूल्हे पे एक थप्पड़ मार दिया. मैं तो स्टॅच्यू बन गयी, वाहा पे जब अंकल का थप्पड़ मेरे कूल्हे पे पड़ा. शॉक्ड होके मेरा मूह खुल गया, और मैं वाहा खड़ी हो गयी. मुझे ऐसे देख कर नीलम ने मुझसे पूछा-
नीलम: क्या हुआ? आ ना चलते है. वाहा क्यू रुक गयी?
अंकल: चलो ना, यहा क्यू रुक गे? ( अंकल हेस्ट हुए बोले)
फिर मैं चलते हुए गुस्से से अंकल को देखने लगी, और अंकल मुस्कुरा रहे थे. सुबा गाल पे किस और अभी कूल्हे पे थप्पड़, वो भी नीलम के होते हुए. अछा हुआ की नीलम ने नही देखा. फिर हम दोनो घर आ गये, और अंकल ऑफीस चले गये.
घर पे आके बस मैं अंकल के ही बारे में सोचती रही. सोच-सोच के मैं अंकल की और अट्रॅक्ट होने लगी, और मॅन ही मॅन मुस्कुराती रही. मुझे ऐसे धीरे-धीरे मुस्कुराते देख कर नीलम ने पूछा-
नीलम: क्या हुआ? इतना क्यू मुस्कुरा रही है?
मैं: नही, कुछ नही ऐसे ही.
नीलम: कों याद आ रहा है अब तुझे? जिसकी यादों में हस्स रही है तू ?
अब उसको मैं कैसे बताती, की मेरी मुस्कुराने की वजह उसके पापा ही थे, जो आज सुबा से ही नटखट हो गये थे, और नॉटी हरकते कर रहे थे मेरे साथ.
नीलम: दिशा, चल टीवी देखते है.
मैं: सुन ना, अंकल ने हमे लंच करवाया.
नीलम: तो इसमे कों सी बड़ी बात हो गयी?
मैं: क्यू ना हम भी उनके लिए कुछ करे?
नीलम: क्या करे?
मैं: उनके रूम की सजावट कर देते है.
नीलम: मैं नही करने वाली. तुझे करनी है तो तू जेया.
मैं: चल ना हेल्प करने के लिए. कुछ मत कर तू.
नीलम: मैं तो टीवी देखूँगी.
मैं: मत आ फिर, मैं ही जेया रही हू.
नीलम टीवी देखने बैठ गयी, और मैं अंकल के रूम में गयी. मैने रूम पूरा सॉफ करके हर चीज़ सूटबल जगह पे सज़ा के रख दी. अंकल का बेड भी सॉफ करके ठीक से बिस्तर भी लगा दिया. फिर मैं आल्मिराह सॉफ करने लगी. अंकल के सारे कपड़े ठीक से रख दिए आल्मिराह में.
तब मेरी नज़र पड़ी मेरी एक पासपोर्ट साइज़ पिक पर, जो आल्मिराह के डोर पे लगी हुई थी. मैं वो पिक देख कर चौंक गयी. मैं सोचने लगी, मेरी फोटो अंकल की आल्मिराह में क्या कर रही थी. और तो और वो फोटो आई कहा से थी?
तब मुझे याद आया की मैने 2 फोटोस नीलम को ही दी थी उसके माँगने पर. नीलम हर फ्रेंड्स की फोटो लेके मेमोरीस के लिए डाइयरी पे लगती है.
फिर मैं अपनी काम पे लग गयी. करीब 2 घंटे लगे अंकल के रूम की सजावट करने के लिए. जब मैं बाहर निकली, तब भी नीलम टीवी देख रही थी. फिर मैं उसके पास जाके बैठ गयी सोफा पे.
मैं: नीलू, ज़रा तेरी फ्रेंड्स वाली डेरी दिखना.
नीलम: क्यू, क्या करेगी?
मैं: अर्रे देखूँगी, लेके थोड़ी जौंगी.
नीलम: टेबल पे ही है, ले आ.
फिर मैं डेरी ले आई, और उसके पास बैठ कर देखने लगी.
नीलम: ओह हा डीशू, अपनी फोटोस फिर देना ज़रा.
मैं: अरे दी थी ना. क्या किया तूने उनका?
नीलम: अर्रे पता नही कहा गुम हो गयी.
मैं: ऐसे कैसे गुम हो गयी?
नीलम: आराम से बाबा, फोटो ही तो गुम हुई है. तुझे तो किसी ने गुम नही किया. और 2 फोटोस दे, मैं चिपका लूँगी.
अब मैं उसको कैसे बताती, की वो फोटोस उसके पापा ने ही ली थी, और अब वो मुझे गुम करने के चक्कर में थे. शाम को अंकल जब घर पे आए, तब मैं किचन में खाना बना रही थी. नीलम तब किसी के साथ कॉल पे बात कर रही थी. अंकल ने रूम में जाते ही आवाज़ लगाई-
अंकल: थॅंक्स बेटा, रूम सॉफ करने के लिए.
नीलम: मैं नही पापा, दिशा ने किया है सब कुछ.
अंकल: दिशा कहा है?
नीलम: किचन में खाना बना रही है.
उनकी बात मुझे किचन में भी सुनाई दे रही थी. फिर 15 मिनिट बाद मुझे पीछे से किसी ने पकड़ लिया. मैने जब पीछे मूड के देखा, तो वो अंकल थे.
अंकल बोले: थॅंक्स डीशू.
मैं: छोधिए अंकल, नीलू देख लेगी.
अंकल: नीलू बात करते हुए च्चत पे चली गयी है. अब तुम और मैं ही है.
ये बोल के अंकल ने और ज़ोर से मेरी कमर को पकड़ लिया.
मैं: जो भी हो, छोधिए आप बस.
अंकल: अर्रे मैं तो बस तुम्हे थॅंक्स बोल रहा हू.
ये बोल कर अंकल ने उनकी बॉडी मेरी बॉडी से चिपका दी. तब अंकल का गरम मोटा लंड मेरे कुल्हो को टच कर लिया. तभी मैं जल्दी से अंकल से अलग हो गयी. मैं अंकल से बोली-
मैं: आप जाओ यहा से.
अंकल: नही, मैं नही जौंगा. मैं तो तुम्हारी मदद करूँगा खाना बनाने में.
फिर मैने कहा: नही चाहिए आपकी कोई भी मदद. मैं संभाल लूँगी.
अंकल: कैसे?
फिर अंकल मेरा हाथ पकड़ ही रहे थे, की नीलम आ गयी. तब उन्हे मेरा हाथ छोढ़ना पड़ा. अंकल उधर ही पानी पीने का नाटक करने लगे. नीलम आई तो अंकल चले गयी.
रात को डिन्नर करने सब बैठे. तो अंकल खाते वक़्त अपने पैर से मेरे पैर को टच करने लगे. गुड-गुडी हो रही थी मुझे, तो मैं मॅन ही मॅन हेस्ट हुआ खा रही थी. डिन्नर करने के बाद अंकल बोले-
अंकल: डीशू, आओ वॉक पे चलते है.
मैं जानती थी की जिस हिसाब से अंकल आयेज बढ़ रहे थे, और आज ये सब हरक़ते कर रहे थे, बाहर जाते ही कुछ ना कुछ नटखट तो करेंगे ही. ये सोच कर मैं बोली-
मैं: नही अंकल, आज नही. तोड़ा दर्द है मेरे पेट में.
अंकल: कहा पेट में, देखाओ तो.
मैं: पेट के अंदर.
अंकल : अर्रे कुछ नही होगा. थोड़ी वॉक कर लो. पास से ही आ जाएँगे आज. आओ ना डीशू.
फिर अंकल और मैं बाहर गये वॉक पे. मैं संभाल के चल रही थी, की अंकल अचानक कुछ ना कर दे. दोनो बिना बात किए साइलेंट चल रहे थे. कुछ देर हमे अंधेरे में चलना था. जब अंधेरे के अंदर गयी, तब अंकल बोले-
अंकल: मेरा रूम क्यू सॉफ किया तुमने?
मैं: सॉफ नही सजावट.
अंकल: हा वो भी. करने का रीज़न बताओ.
मैं: आपने लंच ट्रीट दी, तो मैने भी आपके लिए कर ली, बस.
अंकल: श अछा, अब मैं भी तुम्हे कुछ देना चाहता हू.
मैं: अभी देंगे? अब क्या है आपके पास?
अंकल: बहुत कुछ है.
मैं घबरा गयी थी, की अंकल क्या करने वाले थे अब. फिर अचानक अंकल ने मुझे हग करते हुए अपने होंठ मेरे होंठो से मिला दिए. वो मुझे लीप किस करने लगे. मैं उनसे छ्छूट पाती, उससे पहले ही अंकल ने दोनो हाथ से मेरी कुल्हो को पकड़ के अपने साथ चिपका लिए.
इससे मेरी छूट उनके गरम लंड से चिपक गयी. छ्छूटने को तो मैं भी छ्छूट सकती थी, पर जैसे ही उनके लंड की गर्मी को मेरी छूट ने महसूस किया, और उपर से लीप किस किए जेया रहा था, तो मैं भी गरम होके अंकल का साथ देने लगी.
अब हम दोनो के लीप लॉक हो गये थे. मैने भी किस करते हुए अंकल को हग कर लिया, और अंकल बस किस करते हुए मेरे कुल्हो को दबाए जेया रहे थे. अंधेरे से भारी रात थी, तो हम किसी की परवाह किए बिना एक-दूसरे से चिपके हुए थे
पब्लिक प्लेस, उपर से रोड के उपर ही थे हम. और ये बात तो हम भूल ही गये थे. करीब 20 मिनिट की ज़बरदस्त मस्ती भारी लीप लॉक के बाद हम एक-दूसरे से अलग हुए.
अंकल: अब आयेज का भी यही करले क्या ?
मैं: नही, घर पे चलते है.
फिर हम घर की तरफ मूड गये. आते वक़्त अंकल मेरी कमर को पकड़ते हुए मेरे कुल्हो पे हाथ रख के चलने लगे. 5 मिनिट में ही हम घर पहुँच गये.
अब घर पहुँचने के बाद हमारे बीच क्या होता है, वो जान-ने के लिए वेट करे नेक्स्ट पार्ट का.
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