हेलो फ्रेंड्स, सभी को मेरी प्यार भरा नमस्ते. मैं हू आप सब की प्यारी अंजलि भाभी. आप सब का स्वागत करती हू मेरी खुद की कहानी में. ये मेरी पहली चुदाई का किस्सा है, जो मैं आज आप सब के साथ शेर करने जेया रही हू.
इससे पहले मैं अपने बारे में बता डू. मैं मॅरीड हू, और मेरी उमर 24 है. मेरा फिगर साइज़ 36सी”28″36″ है. मैं दिखने में बहुत सुंदर हू. मेरी सुंदरता को चार चाँद लगती है सामने से मेरे उभरे हुए दोनो स्टअंन, और पीछे से मेरे गोल-मटोल दो कूल्हे.
मेरे एरिया के सब लोग मेरे स्टान्नो के लिए ही पागल थे. ये मैने भी काई बार नोटीस किया था, की जब मैं बाहर घूमने निकलती थी, तो बस सब की नज़र मेरे स्टान्नो पे ही अटक जाती थी. जब मैं उन्हे पास करके चली जाती, तो वो लोग मेरे हिलते हुए कुल्हों को ही घूरते थे.
तो आप इमॅजिन कीजिए, की मेरे स्टअंन और कूल्हे कैसे होंगे. अब आप सब को मेरे स्टअंन और कूल्हे कैसे लगे, ये मैल करके ज़रूर बताना.
तो फिर ज़्यादा टाइम खराब ना करते हुए कहानी की तरफ चलते है. कहानी के टाइटल से तो पता चल ही गया होगा आपको की ये कहानी किस बारे में है. तो हा, बिल्कुल सही. ये कहानी मेरी सील तोड़ने की, यानी मेरी पहली चुदाई की है.
इसमे आपको पता चलेगा, की कैसे मेरी सहेली के पापा ने मेरी कुँवारी छूट को छोड़ के मुझे काली से फूल बनाया, और खुद मेरी छूट का भरपूर आनंद लिया. मेरी सहेली का नाम नीलम था, और उसके पापा का नाम रंजीत था. उनकी उमर 45 होगी.
नीलम भी देखने में अची थी, और उसके पापा भी बहुत हॅंडसम थे. कोई बोल नही सकता था, की वो एक जवान लड़की के बाप थे. उनकी तो खुद की जवानी अभी तक ख़तम नही हुई थी. अंकल गूव्ट. जॉब करते थे.
बात तब की है, जब मैं ग्रॅजुयेशन कर रही थी. मेरी उमर तब 19 साल थी. तब मेरी मम्मी पापा को अचानक एक ज़रूरी काम के लिए गाओं जाना पड़ा. वो मुझे भी साथ चलने के लिए बोले, पर मैं नही गयी उनके साथ.
फिर वो मेरे छ्होटे भाई को साथ ले गये. मैं जवान लड़की अकेली घर पे नही रह सकती थी, इसलिए पापा मुझे मेरी सहेली नीलम के घर रुकने के लिए बोले. पापा ने रंजीत अंकल को कॉल करके बता दिया, की वो गाओं जेया रहे थे, और मैं उनके वाहा रुकने वाली थी. फिर मम्मी, पापा और छ्होटा भाई गाओं के लिए निकल गये.
कुछ देर बाद रंजीत अंकल उनकी बिके लेके आए मुझे लेने के लिए. फिर मैं अपने कुछ समान के साथ उनके घर चली गयी नीलम के पास. मैं और नीलम दोनो मिल कर कॉलेज, टुटीओन, और घूमने जाते थे. मैं हमेशा नीलम के साथ ही सोती थी.
कभी नीलम खाना बनती थी, तो कभी मैं. पर ज़्यादातर अंकल ही बनाते थे खाना. दो दिन ऐसे ही नॉर्मली निकल गये. फिर धीरे-धीरे घर का अट्मॉस्फियर चेंज होने लगा.
मैने नोटीस कर लिया, की अब ज़्यादातर अंकल मुझसे ही बात करना चाहते थे. वो मेरे साथ टाइम स्पेंड करना चाहते थे, और मेरे पास बैठना चाहते थे. अब उनकी नज़र कुछ अलग हो गयी थी, मुझे देखने के लिए.
फिर धीरे-धीरे मैं भी अंकल के साथ देर रात तक टीवी देखती, नाइट वॉक पे जाती, च्चत पे उनके साथ बैठ के बात करती. जब मैं और अंकल मिल जाते, तो नीलम सोने चली जाती थी. इससे नीलम से मेरी थोड़ी दूरी बढ़ने लगी, और मैं अंकल के करीब जाने लगी.
अंकल के साथ नज़दीकियाँ बढ़ते-बढ़ते अंकल अब मुझे टच करने लग गये थे. वो नाइट वॉक के टाइम कभी मेरी कंधो पर हाथ रख लेते थे सहारे के लिए, तो कभी च्चत पे बैठते वक़्त मेरा हाथ पकड़ लेते. या टीवी देखते वक़्त मेरी जाँघ पे हाथ रखते. मैं भी उन्हे कुछ नही बोलती थी.
एक दिन ऐसे ही मैं और अंकल डिन्नर करके नाइट वॉक करने गये थे. तब मैने पूछा अंकल से-
मैं: अंकल, एक बात पूचु मैं आपसे?
अंकल: हा क्यू नही, पूछो.
मैं: प्लीज़, आप ग़लत मत समझना, और बुरा तो नही मानोगे?
अंकल: अर्रे पूछो ना.
मैं: क्या आप आंटी के बारे में बता सकते है कुछ? मैने काई बार नीलम से पूछा, पर वो बताती ही नही. ‘नही पता’, या ‘छोढ़ ना’, करके बात को ताल देती है. मैने काई बार ट्राइ किया आपसे पूछने के लिए, पर कभी पूच ना सकी. अब तो आप और मैं घुल-मिल गये है. इसलिए आज हिम्मत करके पूच रही हू. तो क्या आप मुझे बताएँगे?
मेरी ये बात सुन कर ही अंकल रोडसाइड पे बैठ गये, और रोने लगे. तो मैं भी अंकल के पास बैठ गयी, और अंकल के कंधो पे हाथ रख के सहलाते हुए उनको सांत्वना देने लगी.
मैं: सॉरी अंकल, मुझे ये पूछना नही चाहिए था. ई आम सॉरी. आप रोइए मत.
फिर अंकल अब मेरे कंधे पे सिर रख कर रोने लगे.
मैं: अंकल प्लीज़, सॉरी. आप चुप हो जाइए. मत बताइए कुछ. कोई प्राब्लम नही है.
अंकल बस रोते ही रहे मेरे कंधे पर सिर रख कर. फिर मैं “चलते है” बोल कर उन्हे उठाने लगी. तो अंकल उठ गये, और हम घर की तरफ वापस आने लगे. अंकल कपल की तरह मेरा हाथ पकड़ के चलने लगे.
उनका एल्बो मेरे स्टान्नो को चू रहा था. मैं नॉर्मली ही लिया बात को, और उनको कुछ नही बोली. फिर अंकल और ज़ोर से मेरा हाथ पकड़ने लगे और उनके एल्बो से मेरे स्टअंन और डाबब गये. फिर अंकल आंटी के बारे में बताने लगे.
अंकल: अरेंज मॅरेज हुई थी मेरी और तुम्हारी आंटी की. हम नये कपल मस्ती में रहने लगे. एक साल बाद नीलम पैदा हुई, जो की वो नही चाहती थी. वो मेरे साथ खुश नही थी. तब मुझे पता चला, की वो किसी और को पसंद करती थी. मैं तो तुम्हारी आंटी को बहुत प्यार करता था, पर उसका प्यार कोई और था. फिर एक दिन वो बिना बताए ही नीलम और मुझे छोढ़ कर चली गयी. तब से मैं अकेला हू.
मैं: ऐसा मत बोलिए अंकल, मैं हू ना.
मेरी मूह से ये बात सुन कर अंकल बाहर रोड पे ही मुझे गले लगा लिए. मेरे स्टअंन उनकी च्चती में डाबब गये. अंकल रो रहे थे, तो मैं भी कुछ नही बोली. मैं बस उन्हे शांत करने के लिए उनकी पीठ पे हाथ घुमा रही थी. फिर मैने बोला-
मैं: अंकल, टाइम हो रहा है. घर चलते है.
फिर अंकल और मैं घर आ गये. घर आके मैने बोला-
मैं: ओक, गुड नाइट अंकल.
मैं गुडनाइट बोल कर नीलम के रूम पे जाने ही वाली थी, की तभी अंकल बोले-
अंकल: रूको ना दिशा. आओ थोड़ी देर बैठ के बात करते है.
मैं अंकल को माना नही कर सकी, और अंकल के साथ जाके सोफा पे बैठ गयी. अंकल भी मुझसे चिपक के बैठ गये. फिर हम बात करने लगे. अंकल उनके पुराने किससे मुझे बताने लगे. ऐसे ही थोड़ी देर बात करने के बाद अंकल ने पूछा-
अंकल: दिशा, क्या मैं तुम्हारी गोद पे सिर रख के लेट सकता हू?
मैं: हा, क्यू नही (अंकल को मैं माना नही कर सकी ).
तो अंकल भी फटा-फट मेरी गोद में सिर रख के लेट गये, और फिर बात करने लगे. मैं बस उनके सिर पे हाथ घुमा रही थी. बात करते-करते अंकल कब सो गये, पता ही नही चला. अंकल ज़िंदगी में बहुत अकेले थे. उनका साथ देने के लिए और कोई नही थी. ये मैं समझ गयी थी.
मॅन ही मॅन बहुत उदास थे अंकल. पर आज सोते वक़्त अंकल की चेहरे पे एक अनोखी मुस्कुराहट थी. आज अंकल खुश थे शायद. तो मैने भी उन्हे उठना ठीक नही समझा. और अंकल मेरी गोद में सिर रख के सोते रहे. मुझे भी कब नींद लग गयी, पता नही चला.
पर मेरी नींद तब टूटी जब मेरी छूट ने ऑटोमॅटिक पानी छोढ़ दिया. मैने आँख खोल के देखा तो अंकल उल्टा लेते हुए थे. वो उल्टा ऐसे लेते हुए थे जिससे उनका मूह मेरी छूट की बिल्कुल उपर ही था. मेरी छूट और उनके मूह के बीच में सिर्फ़ मेरा पाजामा ही था. अगर पाजामा नही होता, तो अंकल का मूह मेरी छूट को चू ही लेता.
मेरी छूट ने जो तोड़ा पानी छोढ़ा था, वो मेरे पाजामे में लग गया था. उस पानी से मेरी छूट के सर्फेस जितना पाजामा भी गीला हो गया था. शायद तोड़ा पानी अंकल के होंठो पे भी लग गया था, तो मैने उसको सोफे के क्लॉत से सॉफ किया.
फिर मैने अंकल के सिर को आराम से उठा कर सोफे पे रख दिया, और खुद सोफा से उठ गयी. उसके बाद मैं नीलम के रूम की तरफ जाने लगी.
मैं (मॅन ही मॅन में): अछा हुआ अंकल सो रहे थे. उनको पता नही होगा. अगर अंकल को पता चल जाता, की वो मेरी छूट का पानी था, और वो उठ जाते तो मैं उनसे नज़र ही नही मिला पाती.
फिर मैं बातरूम गयी, और पाजामा चेंज कर लिया, और नीलें के पास आके सो गयी. मुझे नींद नही आ रही थी. मैं बस अंकल के बारे में ही सोच रही थी. छूट से पानी निकालने का रीज़न तो अंकल ही थे ना. फिर अंकल के बारे में सोचते-सोचते मैं सो गयी.
अब मेरी चूत से पानी अंकल निकले थे या खुद ऑटोमॅटिक निकली थी जानने के लिए वेट करे नेक्स्ट पार्ट का. और आप को क्या लगता है अंकल कुछ किए होंगे जो मेरी छूट से पानी निकल गया? इसका जवाब मुझे मैल करके ज़रूर बताए.