मई शालु.
पहले भाग मे आपने पढ़ा की कैसे पति के सामने एक अंजान दर्जी ने मुझे छोड़ा. बाद मे पति ने मुझे अपने बॉस से छुड़वाने के लिए कहा. सोसाइटी के गुआर्द ने कार मे मुझे नंगा बैठ देखा तो यूयेसेस ने भी मुझे छोड़ने की बात की.
इधर घर की मैड के पति ने बताया की उसकी घरवाली पारो मेरे पति से शादी के पहले से ही छुड़वा रही है. पहली चुदाई के तीसरी रात जब ट्राइयल लेने दर्जी के दुकान मे गयी तो पति से शुरू कर मैने दर्जी से, दोनो से टीन-टीन बार चुडवाया. वापसी मे गुआर्द के साथ थोड़ी मस्ती की और उससे अगली रात घर मे ही अपने साथ रात गुजरने के लिए बुलाया.
दोनो विनोद और दर्जी से लगातार 3-3 बार छुड़वा कर मई बहुत टाइयर्ड हो गयी थी. फिर भी मई सोई नही. दोनो आद्मीो ने 3-3 बार छोड़ा और हर बार छूट के अंदर ही पानी गिराया.
पहली चुदाई के पहले विनोद ने छूट छाती और मैने उसका लवदा चूसा था. लेकिन यूयेसेस के बाद किसी ने थोड़ी भी ओरल आक्षन नही किया. और सच बतौ, भले ही विनोद के धक्के मे दर्जी के धक्का जैसा दूं नही था विनोद के साथ की चुदाई मुझे पहली बार बढ़िया लगी.
अब मुझे घर मे और बाहर भी नंगा रहने बढ़िया लगने लगा था. विनोद तो घर आकर सू गये. मई फिर नंगी बैठ कॉफी पीते हुए म्यूज़िक चॅनेल देखने लगी. दरवाज़ा पर नॉक सुन्न कर मैने दरवाज़ा खोला. पारो ने मुझे नंगा देखा लेकिन बिना कुछ कॉमेंट किए किचन मे चली गयी.
मई – पारो बढ़िया कड़क छाई लेकर जुल्दी मेरे पास आ.
थोड़ी देर बाद 2 कप छाई लेकर पारो मेरे पास आई. यूयेसेस ने दोनो कप टेबल पर रखा और मेरे दोनो फीट पकड़ कर लाउड्ली रोने लगी. मई घबरा गयी. बहुत पुचहकारने के बाद शांत हुई. मैने बहुत पुचछा तब उसने नज़र झुकाए जबाब दिया,
पारो – दीदी, मई जिंदगी भर आपकी मुफ़्त की नौकरी करती रहूंगी लेकिन आप मुझे अपने पति, विनोद मालिक से अलग मूत कीजिए. मई अपनी जान से ज़्यादा उन्न से प्यार करती हू.
ये बात बलदेव मुझे पहले ही बता चुका था की उसकी पत्नी पारो शादी के पहले से ही मेरे पति से छुड़वा रही है.
मैने पारो को उठाकर अपने बगल मे बिताया. यूयेसेस के हाथ मे छाई का कप दिया. हम दोनो ने छाई का घूँट लिया.
मई – पारो बहन, तू ये बात मुझे आज बोल रही है लेकिन मई ये बात उसी दिन जान गयी थी जिस दिन मई इश्स घर मे पहली बार आई थी. तू देख ही रही है की मई कितने खुले दिमाग़ की लड़की हू. औरत का जानम ही हुआ है मर्दो को खुश करने के लिए.
मुझे भी कोई मर्द पसंद आएगा तो मई अपने पति के सामने भी यूयेसेस से छुड़वा लूँगी. ना मई तुमसे नाराज़ हू और ना विनोद से. तुम दोनो जब चाहो, मेरे सामने भी खुल कर प्यार कर सकते हो लेकिन एक बात का ध्यान रखना.
पारो – कौन सी बात दीदी?
मई – यही की वो कभी भी तुम्हे अपने सामने दूसरो से छुड़वाने बोल सकता है, दूसरो के साथ तुम्हे चूड़ते देखना चाहेगा.
छाई पीते हुए हम दोनो थोड़ी देर एक दूसरे की आँखो मे देखते रहे. फिर पारो ने लेफ्ट हॅंड से मेरी झांतो को सहलाना शुरू किया.
पारो – मुझे भी एसा झांट बढ़ा कर रखना पसंद है लेकिन विनोद को मेरी चिकनी छूट बहुत पसंद है. और दीदी, डरने की ज़रूरत मुझे नही आप को है.
किसी औरत ने पहली बार मेरी छूट को च्छुआ था और मुझे बढ़िया लग रहा था.
मई – मई उसकी पत्नी हू, मई क्यो दारू?.
पारो – क्योकि, विनोद ने आप जैसी खूबसूरत औरत से सिर्फ़ इश्स लिए शादी की है की वो आपको दूसरे से छुड़वा सके. मई विनोद की पहली औरत हू. हम दोनो कुंवारे थे और मालूम नही क्यो विनोद मुझे बहुत पसंद आया. ग़रीब घर की लड़की हू. नही चाहते हुए भी कुछ और लोगो से छुड़वाना पड़ता है.
किसी किसी का लवदा 9 इंच लंबा और मोटा भी होता है लेकिन जितनी खुशी मुझे आपके पति के साथ छुड़वा कर मिलती है वैसी खुशी किसी और मर्द ने नही दी. आप के ससुर ने भी काई बार मुझे अपना मूसल दिखाया लेकिन मैने उन्हे अपना बदन टच भी करने नही दिया. बहुत ही बढ़िया लवदा है आप के ससुर का और उनकी पर्सनॅलिटी भी विनोद से बढ़िया है.
अगर विनोद से प्यार नही हुआ होता तो मई आप के ससुर की ही रखैल बन गयी होती.
सब की अपनी अपनी पसंद.
मई – इतने दीनो तक मुझे नही मालूम था फिर आज क्यो सब बता रही है.
पारो – क्यो की रात मे बलदेव ने मुझे हाथ भी नही लगाया लेकिन ये बोला की यूयेसेस ने आप को बता दिया है की मई आप के घरवाला की रखाई हू.
मई कुछ देर चुप रही और फिर उससे गले लगा कर चूमा.
मई – नही दीदी, तुम विनोद की रखैल नही मेरी बड़ी सौतन हो. जो कसम ले लो, मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है. तू जब चाहे इश्स घर मे रात गुज़र सकती हो. तुम्हारे रहते वो मुझे भी छोड़ेगा तो ठीक नही तो मई कोई अपना दूसरा यार ढूंड लूँगी. और कोई नही मिला तो बलदेव (पारो के पति) को ही छूट के अंदर ले लूँगी.
पारो – एक बात और, मई जब भी किसी दूसरे से चुड़वति हू तो हर बार विनोद साहब के लिए किसी ना किसी नया माल का इंतज़ाम करती हू.
मुझे पारो की बात सुन्न के बहुत सर्प्राइज़ हुआ.
पारो – विनोद इश्स कॉलोनी की 7 औरतो को छोड़ रहे है, 3 कुमारी कॉलेज की लड़की को भी छोड़ा है और सभी विनोद से बहुत खुश है तभी तो वे बार बार उनसे चुड़वति है.
ये मेरे लिए बिसवास ना करनेवाली बात थी. लेकिन पीच्छली रात विनोद ने जिस तरह से मुझे छोड़ा था वैसी चुदाई से कोई भी खुश हो सकती थी. आक्च्युयली, पीच्छली रात मुझे दर्जी से ज़्यादा मज़ा विनोद के साथ की चुदाई मेी ही आया था.
मई – इसका मतलब है की तू विनोद के अलावा दूसरे डूस मर्दो से छुड़वा चुकी हो !
पारो ने नोदड़ किया.
पारो- तैयार रहिए साहब दीवाली की रात आपके लिए कोई दूसरा मर्द लाएँगे और खुद मुझे रात भर छोड़ेंगे.
मुझे शॉक्ड छ्होर पारो एंप्टी कप लेकर किचन चली गयी. पारो ने जो कहा उसका मतलब सॉफ था.
विनोद प्यार तो पारो से करता है और मुझ जैसी खूबसूरत लड़की से शादी सिर्फ़ दुनिया को दीखने के लिए किया है.
मुझे कोई प्राब्लम नही था. पारो की बातो ने मुझे दूसरो से छुड़वाने का ब्लंकेट पर्मिशन दे दिया था. लेकिन मैने एक और डिसिशन लिया की घर मे मई जिस किसी के साथ भी चड़वौनगी यूयेसेस से अपने और विनोद के सामने पारो को भी चड़वौनगी.
मई -— पारो. तेरे यार की बात मई तभी मानूँगी जब तू भी मेरे साथ रहेगी नही तो मई दूसरे आदमी क्या तेरे घरवाला विनोद से भी नही चड़वौनगी, हा, तेरा बलदेव जब भी आएगा तुम दोनो के सामने यूयेसेस से चड़वौनगी.
पारो किचन से चिल्लाई,
“तुम एक नंबर की घटिया औरत हो.”:
खैर, टाइम पास हुआ. विनोद के पास समय नही था. वो समय पर ऑफीस चला गया. यूयेसेस दिन धनतेरस था और मई सिल्वर यूटेन्सिल्स खरीदना चाहती थी. मैने पारो से कहा की अपने हज़्बेंड को लेकर आ जाए, हम बाज़ार जाएँगे.
पारो – दीदी, आज धनतेरस है, हुमे बर्तन (यूटेन्सिल्स) खरीदना है.
मई — रंडी, मई भी बाज़ार जाने के लिए ही बोल रही हू, बलदेव को छुड़वाने के लिए नही बुला रही हू.
“बाप रे, आप कैसे एईसी घटिया बात इतनी आसानी से बोल सकती है.”
भुन- भुनाते हुए पारो घर गयी और एक घंटा बाद ही अपने पति बलदेव को लेकर आई. कार विनोद ले गये थे. हम तीनो एक ही रिक्शा पर बैठे. मई बीच मे और दोनो पति पत्नी मेरे अगाल बगल बैठे थे.
मुझे जब भी मौका मिलता था मई अपनी चुचीॉ को उसके साइड, आर्म्स से रगड़ती थी. और मेरी मेहनत रंग लाई. दुकान पहुँचने के एक – दो मिनिट पहले बलदेव ने मेरी आँचल के नीचे हाथ घुसा कर 2-2 बार दोनो चुचीॉ को ज़ोर से दबाया. पारो के हज़्बेंड पर मेरा जादू चल गया था.
यूटेन्सिल्स की दुकान पर बहुत भीड़ थी.
बलदेव -— मालकिन, इतनी भीड़ मे आप दोनो को बहुत मुस्किल होगी. आप को जो चाहिए मुझे बोल दीजिए मई खरीद कर ले अवँगा.
मई – नही बल्लू, आज धनतेरस है, खरीडूँगी तो खुद ही.
मैने 2-3 बार ज़ोर से ताली बजाई. सबकी नज़र हमारी ऑर घूमी. मैने दोनो हाथ ज़ोर कर प्रान्नम करते हुए कहा,
“मुझे मालूम है की आप सबको जुल्दी है लेकिन हम सिर्फ़ डूस मिनिट समय लेंगे. एक मिनिट भी ज़्यादा नही. भैया हुमारे लिए चाँदी का मीडियम साइज़ का 2 सेट प्लेट, कटोरा और चम्मच (स्पून) निकाल दीजिए.”
और देख कर भी मुझे बिसवास नही हुआ.
“ये कौन है, पहली बार देख रहा हू, कितनी सुंदर है, किस किस्मत वाले की घरवाली है एट्सेटरा एट्सेटरा”
लोग बोलते रहे और हमारे लिए रास्ता भी बना दिया. दुकान दार ने 2 सेट दिखाया और यूयेसेस ने जितना कहा उतना रुपया देकर हम तीनो 7 मिनिट मे ही बाहर आ गये. मैने घूम कर फिर से प्रान्नम करते हुए कहा,
“आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद. हमारी तरफ से आप सभी को दीवाली की बहुत बहुत शुभकामना एवं बधाई और हा मेरा नाम शालु वेर्मा है, ये मेरी दीदी पार्वती है और ये उनके पति बलदेव है. मई”सी”टाइप क्वॉर्टर मे रहती हू.”
इतना बोलकर हम तीनो फिर एक रिक्शा पर बैठे. वापसी मे भी मई दोनो पति पत्नी के बीच मे ही बैठी थी. चुकी दोनो किनारे बैठे थे, पॅकेट मेरी गोदी मे था. रिक्शा भीड़ भाड़ इलाक़े से गुजर रही थी. अगाल बगल से आते जाते लोगो की नज़र तो एक बार मेरी ऑर ज़रूर . थी.
मैने दोनो हाथो से पॅकेट पकड़ रखा था. पारो के पति बलदेव ने इसका पूरा फाइयदा उठाया. पीच्छले ही दिन बहँचोड़ ने कहा था की वो मुझे कभी नही छोड़ेगा. 24 घंटा भी नही गुजरा, मातेरचोड़ चुचि दबा ही चुका था. और अब उसका एक हाथ दोनो पॅकेट्स के नीचे कपड़ो के उपर से छूट को मसल रहा था. मेरी जांघे आप से आप अलग हो गये. बल्लू को छूट के खेलने के लिए अब ज़्यादा जगह मिल गया था.
मई और पारो बाते कर रहे थे. मुझे मालूम ही नही हुआ की यूयेसेस ने कब मेरा सारी और पेटिकोट उठाकर हाथ अंदर घुसा दिया. उसकी अँगुलिया जब मेरे क्लिट और छूट की पत्टीओ को मसालने लगा तब मुझे मालूम हुआ की ये हरामी मेरी नंगी छूट से खेल रहा है. मैने सीट पर चुटटर और आयेज घास-काया.
बल्लू भी समझ गया और अगले 13-14 मिनिट तक वो मेरी छूट के अंदर एक साथ 2 अंगुली घुसकर मुझे छोड़ता रहा. जब सोसाइटी गाते के अंदर रिक्शा घुसी तब यूयेसेस ने अपना अंगुली बाहर खींचा और मुझे दिखाते हुए उन्न दोनो को चूसने लगा.
मैने घूर कर उसकी ऑर देखा लेकिन मई मुस्कुराई नही. मैने रिक्शा का भाड़ा दिया. हम तीनो घर के अंदर घुसे. दोनो पॅकेट्स मे से एक पॅकेट मैने पारो को दिया,
“पारो और बल्लू, एक बहन से दूसरी बहन को छ्होटा सा भेंट (गिफ्ट). तुम दोनो को दीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाए. परसो, दीवाली की रात तुम दोनो हमारे साथ ही रहोगे.”
दोनो को स्टंड छ्चोड़ मई अपने बेडरूम मे गयी. थोड़ी ही देर बाद फ्रेश होकर और कपड़े चेंज कर वापस आई.
पारो – दीदी, हम इतना मँघा गिफ्ट नही ले सकते !
मई – पगली, मुझे दीदी भी बोलती है और मेरा गिफ्ट भी वापस करती है ! चुप छाप रख ले और सबके लिए एक बढ़िया छाई बना.
पारो किचन मे गयी. मैने बल्लू की तरफ घूर कर देखा.
मई -हरामी, खुद तो मरेगा ही मेरी भी जान लेगा. किसी ने तुम्हे मेरी छूट मे अंगुली करते देखा होगा तो सोच कितनी बदनामी होगी.
बल्लू – मालकिन उतनी भीड़ थी. लोगो को आपका खूबसूरत चेहरा देखने से फ़ुर्सत हो तब ना कोई देखता की मेरा हाथ सारी के नीचे है. कल दिन मे 11 बजे अवँगा, अंगुली नही अपना लवदा आपकी छूट मे पेलुँगा. नखरा मूत कीजिएगा. विनोद साहब से ज़्यादा मज़ा दूँगा.
मई – इतना दिन इंतेज़ार किया तो एक दिन और वेट कर. दीवाली की रात इसी लिए तुम दोनो को यान्हा रहने बुलाया है. मालिक तो तेरी घरवाली की गांद मारते ही है उन्न दोनो के सामने तुम अपनी मालकिन को छोड़ना. मुझे बढ़िया लगा तो यूयेसेस के बाद जब आएगा तब चड़वौनगी. रास्ते मे तूने अंगुली की मुझे बहुत बढ़िया लगा.
मेरी बात सुन्न बलदेव का चेहरा खिल गया. छाई पीने के बाद दोनो अपने घर गये. विनोद भी थोड़ी देर बाद आ गया. मई यूयेसेस के गोदी मेी बैठ उससे चूमा और उसकी तरफ घूम कर, उसके सीना से अपनी चुचीॉ को रगड़ने लगी.
मई – दर्जी को हुँने कल का समय दिया है लेकिन चलो आज ही छकते है. देखे हरामी मेरे जैसी किसी दूसरी माल को भी बुलाता है क्या?
विनोद – लेकिन तुमने तो गुआर्द को घर बुलाया है ! मई तुम्हारी छूट मे दूसरा लवदा अंदर बाहर होता हुआ देखना चाहता हू.
मई – उससे दूध पिलाकर खुश कर दूँगी और कोई बहाना बना दूँगी. दर्जी से छुड़वाने का मॅन कर रहा है.
आक्च्युयली, बलदेव की हर्क़ुआतो ने बहुत चुदसी बना दिया था.
विनोद भी दर्जी के साथ मेरी चुदाई देखने के लिए तैयार हो गया. पति हो तो एसा !
रात 10 बजे मैने गुआर्द उदय को बुलाया था इश्स लिए हम यूयेसेस से पहले ही घर से निकल गये. त्योहार का दिन था. गाते पर बहुत चहल पहल थी. काई लोग आ जेया रहे थे. उदय को गाते पर देख मई बहुत खुश हुई. जैसा मैने कहा था यूयेसेस ने किसी के साथ अपना शिफ्ट चेंज कर लिया था.
लोगो के बीच मई उदय से बात नही करना चाहती थी लेकिन मेरे पति देव का बस चलता तो वोन्ी सारे लोगो के बीच मुझे उदय से चुड़वाते. विनोद ने गाते के बहुत नज़दीक कार को एक किनारे रोका. उदय तुरंत मेरे बगल मे आ गया. मैने झूठ कहा.
मई -— उदय, अभी थोड़ी ही देर पहले खबर आई की मेरे एक रिश्तेदार बहुत बीमार है. तुम्हारे साथ रात गुज़रना चाहती थी लेकिन क्या करू, जाना ही परेगा. कल दिन भर घर मे ही रहूंगी.
यह देख की काई लोग हमारी ऑर देख रहे है उदय ने मुझे सल्यूट किया. मैने मुस्कुराते हुए नाड किया. हम वाहा से निकल गये.
आयेज क्या क्या होता है पढ़िए अगले पार्ट मे, दर्जी के साथ अंदर कों था, या कों थी? ये सब आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा.