पंकज और कुणाल दोनों अंदर आये, हमें टाँगें उठाये पूछा, “क्या हुआ, एकदम सीधे चुदाई ? अरे लंड को मुंह में तो लो “।
मैं बोली, “हम चुदाई के लिए नहीं चुसवाने के लिए लेटी हैं “।
उन्होंने आव देखा ना ताव – हमारी टाँगें चौड़ी कर के अपना मुंह हमारी चूत में घुसेड़ दिया और लपड़….. लपड़….. चपड़…. चपड़….. सपड़ ….सपड़ …..की आवाज़ों के साथ चूत चटनी शुरू कर दी। जल्दी ही हम फिर गरम हो गयीं। रजनी बोली, “कुणाल उल्टा लेटो और अपना लंड मेरे मुंह में डालो “। कुणाल उठा और अपना लंड रजनी की मुंह में डाल दिया और चूत चाटने लगा।
मैं पंकज से बोली ,”क्या तुम्हें अलग से बोलना पडेगा ” ? वो हंसा और अपना लंड मेरे मुंह में डाल कर मेरी चूत चूसे लगा।
थोड़ी देर में कुणाल बोला, “रजनी अभी अभी तो तुम्हारी चूत चाट चाट कर सुखाई थी, ये तो फिर पानी छोड़ गयी – तैयार है क्या ” ?
“हाँ कुणाल तैयार है, करो जरा इसकी रगड़ाई “।
कुणाल पेलने के लिए खड़ा हो गया, पंकज भी उठ गया। मैंने पूरी मस्ती में पूछा, “अभी और कितने दौर चलेंगे चुदाई के ”?
पंकज बोला, “एक ये और इसके बाद हो सकता है दो और “- वो अपने खड़े लंड की तरफ इशारा करके बोला, “जब तक ये खड़ा है चुदाई चलती रहेगी। चोदते चोदते कहीं हमारी कमर का ही कचरा ना हो जाये”। दोनों हँसे।
इतनी चुदाई और वो भी एक ही रात में ? “हमे तो जन्नत मिल गयी” ?
मैं बोली, “तो फिर ठीक है, गांड इस चुदाई के दौर में चोदोगे कि अगले दौर में “।
दोनों ने एक दुसरे को देखा और कुणाल बोला, “अगले – आखरी दौर में “।
रजनी बोली, “ठीक है मगर तुम दोनों अदल बदल कर हमारी गांड मारना – हमे तुम दोनों के लंड अपनी गांड में भी ट्राई करने हैं ”।
“गांड ही ट्राई के लिए बची थी – मुंह में और चूत में तो दोनों के लंड जाते ही थे ”
“हमें भी तो दोनों कि गांड ट्राई करनी है – चूत में तो ये लंड जाते ही रहते हैं “, कुणाल ने कहा।
चुदाई फिर शुरू हो गयी – आधा घंटा चली इस चुदाई ने हमें निचोड़ कर रख दिया।
“ये वियाग्रा भी कमाल की की बनाई है बंनाने वाले ने”।
पंकज और कुणाल फिर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ कर बियर की चुस्कियां लेने लगे। लंड उनके वैसे ही तने हुए थे।
हम लेटे लेटे बातें करने लगी। रजनी बोली, “आभा, अब क्या इरादा है, मतलब चूत गांड की चुदाई और फिर बाद में ” ?
मैंने कुछ सोचा और बोली,” देख रजनी इस बार जब ये दोनों अपना लेसदार सफ़ेद पानी हमारी चूत में छोड़ देंगे उसके बाद हम एक दूसरी के ऊपर लेट कर, एक दूसरी की चूत चाटेंगी। ये भी कर के देख ही लें। इस दौरान इन दोनों चुदक्क्ड़ों को बोल देंगी की मूतेंगे नहीं, हम भी नहीं मूतेंगी – ये हमारे ऊपर मूतेंगे हम इनके ऊपर मूतेंगे “।
रजनी बोली, “अरी आभा, तूने तो पूरी बढ़िया प्लानिंग बना रखी है “।
इस बार कि चुदाई के बाद हम मूतने नहीं गयीं।
थोड़ी देर में दोनों फिर अपने खड़े लंडों के साथ आ गए, “क्या हुआ तुम मूतने नहीं गयी ? अगली चुदाई का महूरत तो आ गया है “। पंकज बोला।
“महूरत आ गया है ” !! हम दोनों की हंसी छूट गयी। मैंने हंस कर कहा, “महूरत आ गया है तो आ जाओ फिर – सोच क्या रहे हो चढ़ो हमारे ऊपर और शुरू करो चुदाई “।
कुणाल बोला, “मूतने नहीं जाना क्या ” ?
“लड़के लड़कियों को चुदाई के बाद अक्सर मूतने की इच्छा होती है”।
मैंने कहा, “नहीं, बाद में एक बार ही मूतेंगे तुम भी और हम भी “। और हम हंस दी।
हमें हँसता देख उन दोनों के चेहरे पर असमंजस के भाव आये।
“गर्मागर्म मूत्र स्नान”। सोच सोच कर ही मेरे शरीर में झुरझुरी हो रही। मेरा तो पहली बार होना था, रजनी तो दीपक के साथ ये भी कर आयी थी।
पंकज और कुणाल तो कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे। हमारी नंगी चूतें और चूतड़ देख कर वैसे ही उनके दिमाग काम नहीं कर रहे थे।
कुणाल बोला, “तो फिर ठीक है तो आ जाओ और गांड हम लोगों की तरफ करके खड़ी हो जाओ – गांड चोदने से ही शुरू करते हैं। वैसी भी गांड की चुदाई बहुत देर तक नहीं करवाई जा सकती। लंड और गांड दोनों दुखने लग जाते हैं। जब जिसकी गांड दुखने लग जाए और गांड चुदवाने की तस्सली हो जाए तो बता देना और चूत चुदवाने की तैयारी कर लेना। आज एक एक कप गर्मागर्म माल झड़ेगा तुम्हारी फुद्धियों के अंदर।
“फुद्धियों के अंदर” बड़ा ही अच्छा लगा “फुद्दी” शब्द सुन कर। मैंने पंकज की तरफ देख कर कहा “पंकज चूत मत कहा करो, फुद्दी ही कहा करो”।
कुणाल की एक एक कप गर्मागर्म मॉल की बात पर हम दोनों ने एक दूसरी की तरफ देखा – “तो आज तो ढेर सारा लेसदार गरम पानी चाटने का मज़ा आ जाएगा”।
हम टांगें चौड़ी कर के गांड उठा कर खड़ी हो गयी,”आओ जी मारो हमारी गांड, रगड़ो हमारी गांड के छेद को “।
पंकज और कुणाल, दोनों ने एक एक जेल की ट्यूब ली और जेल गांड के छेद पर लगा शुरू कर दिया। बीच बीच में गांड के अंदर भी उंगली घुसेड़ कर जैल लगा रहे थे । कौन पहले किसकी गांड चोदने वाला है ये नहीं पता था। मैंने सर घुमा कर देखा, कुणाल था मेरे पीछे – तो कुणाल चोदेगा मेरी गांड पहले। ये मेरी पहली गांड चुदाई थी। रजनी तो करनाल से गांड चुदवा कर आयी थी (रजनी की चुदाई – उसीकी जुबानी भाग -1 पढ़ें ) I
“मेरा मन घबरा सा रहा था”।
मगर फिर सोचा कुणाल ने कहा था गांड चुदाई उसकी स्पेशिएलिटी है – ‘पीएचडी’ की हुई है उसने गांड चुदाई में। मैं उसका लम्बा मोटा लंड लेने के लिए तैयार हो गयी।
गांड के अंदर बहार अच्छी तरह जैल लगा कर कुणाल ने अपने लंड का टोपा गांड के छेद पर रखा।
“रजनी ने बताया था की गांड में लंड को धीरे धीरे डाला जाता है, कम से कम जब गांड की पहली दूसरी चुदाई हो”।
ठीक ही कहा था रजनी ने। कुणाल ने लंड घुसेड़ने की कोशिश की, मगर लंड गांड में गया ही नही। कुणाल ने लंड हटा कर खूब सारी जैल लगाई और फिर जोर लगाया लंड अंदर करने का। पांच छै बार ऐसे ही अन्दर डालने की कोशिशों के बाद आखिर लंड का टोपा मेरी गांड के छेद के अंदर बैठ गया।
“आभा लगता है तुम्हे गांड अभी चुदी नहीं है – आज ही सील टूटेगी”। कुणाल के मोटे लंड का टोपा मेरी गांड के अंदर था। कुणाल बोला, “आभा ताला खुल चुका है बस दरवाजा खोल कर अंदर ही जाना है”।
कुणाल ने वहीं टोपा हिलाया डुलाया, फिर बाहर निकाला – जैल लगाई और टोपा फिर अंदर कर दिया। इस बार टोपा आसानी से अंदर चला गया। मुझे भी बड़ा ही मज़ा आया। मैंने अपने चूतड़ आगे पीछे करने शुरू कर दिए। मेरा मन था की बस अब कुणाल पेल दे अपना लंड मेरी गांड में। मगर कुणाल ऐसा नहीं कर रहा था।
“आखिर ‘पीएचडी’ जो था गांड चुदाई में “।
रजनी की आवाज़ आयी उई माँ उई माँ क्या कर रहे हो पंकज “? लगता है रजनी की गांड दुःख रही थी। पंकज का लंड पूरा रजनी की गांड में था। पंकज ने एक बारगी लंड बाहर निकाला, ढेर सारी जैल लंड पर लगाई – थोड़ी गांड के अंदर भी डाली और एक बार में ही पूरा लंड अंदर कर के चुदाई शुरू कर दी। शुरू में तो रजनी थोड़ा चिल्लाई, मगर पंकज रुका नहीं चोदता रहा चोदता। रजनी की दर्द वाली सिसकारियां मजे की सिसकारियों में बदल गयी, “आह… आह… आह… आह… आ… आ… आ… आह… वाह पंकज वाह क्या चुदाई है “।
मेरा ध्यान अपनी गांड की तरफ गया। कुणाल के लंड का टोपा मेरी गांड अंदर था बोला, “आभा ताला खुल खुल गया है, तैयार हो ” ?
रजनी की मस्ती भरी सिसकारियां सुन कर मैं भी मस्त हो चुकी थी। मेरा मन भी लंड को गांड में महसूस करना चाहता था I
मैंने कहा, “कुणाल अगर ताला खोल लिया है तो दरवाजा खोल कर घुस जाओ अंदर, देर किस बात की ” ?
मेरी बात पर कुणाल ने लंड का टोपा बाहर निकाला, गांड के बाहर अंदर और अपने लंड पर जैल लगाई लंड के टोपे को गांड के छेद पर रखा।
“मगर इस कुणाल ने तूपा अंदर बार टोपा अंदर नहीं किया”।
मैं अभी सोच ही रही थी कब राजन अंदर करेगा, कि तभी एक ही झटके से कुणाल ने लंड पूरा अंदर कर दिया।आवाज आयी “पट…..”। राजन के टट्टे मेरे चूतड़ों से टकराये थे और आवाज़ आयी थे “पट”। एक बार को तो लगा कि मेरी गांड फट गई है, इतना दर्द हुआ था। मगर अब कुणाल नहीं रुका। धक्के लगाता रहा, लंड को अंदर बाहर करता रहा। जैल लगाने के लिए भी चुदाई नहीं रोकी। चलती चुदाई में ही जैल अपने लंड और मेरी गांड पर लगा दी। अब गांड का छेद लंड का अभ्यस्त हो गया था और जैल से मुलायम भी हो गया था।
पट… पट… पट… पट … I पट पट की आवाजें दोनों तरफ से आ रही थी। लंड गांड के अंदर करने पर जब पंकज और कुणाल के टट्टे हमारे चूतड़ों से टकराते थे तो आवाज आती थे पट पट पट – “क्या सेक्सी आवाज थी “। पट पट पट पट पट I
पट पट की आवाज़ों के साथ हम दोनों की गांड चुद रही थी। कुणाल और पंकज ने हमें कमर से पकड़ा हुआ था जिससे उनके लंड के लम्बे धक्कों से हम आगे ही ना गिर जाएँ। इस दौरान दोनों ने अपनी ‘सवारियां’ भी दो बार बदली। कुणाल शुरू में मुझे चोद रहा था I फिर पंकज आ गया। थोड़ी देर में पंकज फिर से रजनी के पीछे था और कुणाल मेरे पीछे। फिर पंकज का लंड मेरी गांड में था और कुणाल का रजनी की गांड में। ऐसे ही अदल बदल कर हमारी गांड चुद रही थी।
कुणाल और पंकज के लंड तो एक से ही मोटे और लम्बे थे, मगर चुदाई में फरक था। जहां कुणाल लगातार तेज रफ्तार से धक्के लगाता था, वहीं पंकज लंड को बाहर तो धीरे से निकलता था मगर अंदर बड़ी ही तेज स्पीड से डालता था। कभी कभी पूरा बाहर भी निकल लेता था और फिर अंदर करता था।
“चुदाई का हर एक का अपना अपना तरीका है। मगर चुदाई का असल मकसद एक ही है मजे देना और मजे लेना “।