कुणाल और पंकज के लंड तो एक से ही मोटे और लम्बे थे, मगर चुदाई में फरक था। जहां कुणाल लगातार तेज रफ्तार से धक्के लगाता था, वहीं पंकज लंड को बाहर तो धीरे से निकलता था मगर अंदर बड़ी ही तेज स्पीड से डालता था। कभी कभी पूरा बाहर भी निकल लेता था और फिर अंदर करता था।
“चुदाई का हर एक का अपना अपना तरीका है। मगर चुदाई का असल मकसद एक ही है मजे देना और मजे लेना “।
दस मिनट की गांड चुदाई के बाद मेरी तो बस हो गई। मैंने पंकज से कहा, “पंकज, चूत पानी छोड़ रही है, लगता है लंड मांग रही है”।
मैंने रजनी से पूछा, “रजनी तुम्हारा क्या हाल है “।
रजनी बोली “मैं अभी पांच मिनट और गांड मरवाउंगी”।
पंकज पीछे हट गया और मैं बिस्तर पर लेट गयी। खुद ही अपने चूतड़ों के नीचे तकिया रक्खा और टांगें उठा कर चौड़े कर दी।
पंकज से रहा नहीं गया। एक दम से आया और उसने लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैंने अपनी टाँगे से उसकी कमर को पर कैंची की तरह पकड़ लिया। उसने अपने बाजू मेरी कमर के पीछे कर के मुझे अपनी छाती के साथ भींच लिया। मेरी चूचियां उसके छाती के साथ लगी थी। लंड कड़क था और नीचे से धुआँधार जबरदस्त धक्के लग रहे थे।
“पक्का वियाग्रा का असर था”।
रजनी भी अब चूत चुदवा रही थी।
हमारी चूतें लेसदार पानी छोड़ रहीं थीं। चूत में लंड लगातार अंदर बाहर हो रहा था। रगड़ाई से चूत अंदर से गरम हो चुकी थी। मेरी चूत का पानी तो किसी भी पल छूट सकता था।
धक्के चालू थे। पंकज का मुंह मेरे कान के पास था। हर धक्के के साथ आवाज़ आ रही थी ,”आह…. ओह…. ओह…. आह…. ओह ………. और फिर उसने इतने ज़ोर से धक्के लगाए जैसे मेरी चूत में ही घुस जाना चाहता हो।
चुदाई की आवाजें भी सुनी जा सकती थी फच….. फच…… फच….. फच…..। गीली चूत पर लंड का अंतिम सिरा टकराता था तो आवाज़ आती थी फच….. फच….. फच…..।
और फिर आ……आ……आह……आह……ओह…..आ……आ….आह की आवाज़ के साथ पंकज ने मेरी चूत में पिचकारी छोड़ दी। गरमगरम गाढ़ा पानी मेरी चूत में क्या गिरा की मेरा भी पानी निकलने को हो गया आ….आ…..ओ…..गयी मैं…….गयी……. मैं गयी……आ…. आ…. आ….और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
अब हमारी आवाजें सुन कर कह लो या फिर वैसे ही – कुणाल और रजनी की भी पूरी चुदाई हो चुकी थी, वो भी एक आह…..आह…. आह… आह…की आवाज़ों के साथ उसी समय छूट गये।
मेरी चूत पूरी की पूरी मेरेअपने लेसदार नमकीन पानी से और पंकज के गाढ़े सफेद पानी से भर गयी थी – रजनी कुणाल भी झड़ चुके थे ।
पांच मिनट दोनों, पंकज और कुणाल हमारे ऊपर ही पड़े रहे , फिर उठे और बात रूम की तरफ जाने लगे।
रजनी के कहा, “रुक जाओ कहाँ जा रहे हो। पिक्चर अभी पूरी कहाँ हुई है – पूरी पिक्चर तो देख कर जाओ “, और मेरी तरफ देख कर “बोली आओ आभा, तुम ऊपर आओ”।
कुणाल और पंकज दोनों हैरान दिख रहे थे समझ नहीं पा रहे थे की ये क्या होने जा रहा है।
रजनी ने मेरे चूतड़ पकड़ कर चूत को बिलकुल अपने मुंह के ऊपर कर लिया और बोली, “चलो आभा खोल दो अपनी फुद्दी”। और मैंने अपनी चुत ढीली कर दी। सारा सफदे सफ़ेद गाढ़ा वीर्य रजनी के मुंह के अंदर चल गया। रजनी मेरी चूत चाटने लगी। उधर मैंने अपनी उँगलियों से रजनी की चूत खोल दी और अंदर से सफ़ेद वीर्य चाटने लगी सपड़… सपड़… सपड़… सपड़…।
ऊपर होने के कारण, मेरी चूत के अंदर से वीर्य रजनी के मुंह में गिर रहा था। उधर रजनी ने जोर लगा कर सारा वीर्य बाहर की तरफ धकेला। मैं आखरी बूँद तक चाट गयी।
जब चूत पर लगा सारा वीर्य खत्म हो गया तो मैं रजनी के ऊपर से उतर गयी। पंकज और कुणाल बात रूम की तरफ चलने लगे। अपने लंड उन्होंने पकड़ रखे थे। लगता था फिर जोश मार रहे हैं।
रजनी पीछे से बोली , ” बात रूम जा रहे हो मगर मूतना मत करना हम भी आ रही हैं “।
उन दोनों ने सोचा होगा की हो सकता है इक्क्ठे मूतेंगे और एक दुसरे को पेशाब करते देखेंगे। मगर हमारी तो प्लानिंग ही कुछ और थी।
बाथ रूम पहुंच कर हम नीचे बैठ गयी और दोनों चोदुओं को बोलीं – “मूतो अब”।
हम पास पास ही सट कर बैठी थी। दोनों हमारे सामने खड़े हो गए और हमारे ऊपर मूतने लगे। मैं धार को अपनी चूचियों पर और मुंह में ले रही थी मगर रजनी केवल अपने मुँह में ले रही थी।
पता नहीं कितनी बियर पी थी उन्होंने – पेशाब खत्म ही नहीं होने को आ रहा था। गर्म गर्म मूत से हम पूरे नहा गयीं।
जब उनका मूतना बंद हुआ तो मैंने कहा, “हमे अपनी गोदी में उठाओ”। हम दोनों उनसे लिपट गयीं। हमारी बाहें उनकी गर्दन से लिपटी थी और टांगें कमर से पीछे कर के उनके चूतड़ जकड़ लिए। हमारी चूतें उनके लंडों को छू रही थी। हमने भी अपनी फुद्दियों में से मूत की धार छोड़ दी। ढेर सारा मूत उनके लंडों के ऊपर गिर कर उनकी टांगों से होता हुआ नीचे की तरफ बह रहा था।
मूत कर के जब हम नीचे उतरी तो देखा उनके लंड फिर से खड़े हो गए हैं।
पंकज बोला चलो अब हमे भी अपनी चूत चटवाओ। हम आगे आगे और वो दोनों पीछे पीछे।
हम बिस्तर किनारे पर गयीं। टाँगें हम ने खोल कर खड़ी कर दी ऊपर की ओर, और पूरी फैला दी। वो दोनों आये और नीचे बैठ कर हमारी फुद्दियों की चुसाई करने लगे। मेरे तो मजे के मारे आँखें बंद थी, पता नहीं कौन मेरी चूत चूस रहा था।
सच कहूँ तो मेरी चूत फिर गर्म हो चुकी थी। फिर वो उठा – मैंने देखा कुणाल था। उसने मेरी टांगें पकड़ी लंड चूत पर रखा और एक ही झटके में अंदर धकेल दिया।
“ये क्या, फिर से चुदाई ”?
पंकज अभी भी रजनी की चूत चूस रहा था। थोड़ी और चूसने के बाद वो भी उठा और रजनी की टांगें चौड़ी करके लंड उसकी चूत में डाल दिया।
चुदाई फिर शुरू हो चुकी थी। ऐसे ही लेटे पंकज ने रजनी के चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर उसकी गांड पर जैल लगाई और लंड गांड में डाल दिया।
मेरी भी गांड फड़फड़ाने लगी। मैंने कुणाल की तरफ देखा। वो सब समझ गया। उसने भी मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और मेरी गांड ऊंची की – जैल लगाई और एक ही बार में लंड अंदर घुसेड़ दिया।
अब हमारी गांड और चूत दोनों चुद रही थी। लंड कभी गांड में जा रहा था तो कभी चूत में। लंड पूरा सख्त था। मेरी तो चूत पानी छोड़ने लगी। ऐसा लगा मजा ही आ जाएगा। मैं चूतड़ हिला हिला कर लंड अंदर लेने लगी।
कुणाल ने मेरी चूत में लंड डाला हुआ था की मुझे लगा की मेरा पानी छूटने वाला है। तभी कुणाल ने लंड चूत से निकाला और गांड में डाल दिया और उधर मेरा पानी निकल गया। मैंने अपनी टांगों से कुणाल के चूतड़ जकड लिए और उंगली से चूत का दाना रगड़ने लगी ।कुणाल अपना लंड मेरी गांड से निकाल नही पा रहा था मगर मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था I
अचानक मुझे फिर से मजा आ गया ओह… ओह… आह… आह… “इतना मज़ा” !!
कुणाल ने मेरी गांड में पिचकारी डाल दी। गर्म गर्म लेसदार वीर्य मेरी गांड के अंदर।अजीब ही अनुभूति थी लेकिन मस्त थी।
” कभी कभी गांड में भी मर्द का लेसदार सफ़ेद पानी छुटाने में कोइ हर्ज नहीं ”
कुणाल उठा और बात रूम में चला गया। मेरी अब हिम्मत नहीं थी की उठूं और उसके पीछे जाऊं। मुड़ कर देखा तो रजनी गांड ही चुदवा रही थी और चूत को उंगली से रगड़ रही थी। जल्दी उन दोनों का काम भी हो गया। रजनी का पानी भरपूर मजे के साथ निकला और पंकज का लेसदार वीर्य रजनी की गांड के अंदर निकल गया।
पंकज भी उठा और बाथ रूम की तरफ चला गया। मैं उठ कर बैठ गयी और रजनी की गांड देखने लगीं जिसमें से सफ़ेद सफ़ेद पानी धीरे धीरे बाहर बह रहा था।
कोइ और मौक़ा होता तो हम ये सफ़ेद लेसदार पानी हाथ से पोंछ कर चाट लेती, लेकिन अब इतनी चुदाई करवाने के बाद हिम्मत नहीं बची थी।
पंकज और कुणाल बात रूम से बाहर आ गए थे और कपड़े पहन रहे थे।
हम भी उठ कर बाथ रूम गयी चूत धोई, जोर लगा कर गांड में से वीर्य बाहर निकाला। गांड की धुलाई की और फटाफट वाला स्नान करके नंगी ही बाहर आ गयी। कमरे में जा कर कपड़े पहने और पंकज और कुणाल के पास ही बैठ गयी। रात के दो बज चुके थे।
पंकज बोला, “चलते हैं। कुणाल चलो तुम्हें भी छोड़ दूंगा”। कुणाल भी खड़ा हो गया।
हमने कहा, “इतनी रात कहाँ जाओगे, कल संडे ही तो है “।
दोनों बोले, “नहीं बहुत थक गए हैं”।
थक तो हम भी बहुत गयी थी, मेरी तो चूत ही दर्द कर रही थी इतना चुदने के बाद । रजनी का पता नहीं क्या हाल था।
उन लोगों ने खाली बियर की बोतले एक प्लास्टिक के थैले में डाल ली। कुणाल बोला, अब कब का प्रोग्राम है। पंकज भी हमारी तरफ देखने लगा।
रजनी बोली, “पढ़ाई भी करनी है खाली चुदाई ही नहीं करनी। पंद्रह बीस दिन तो आराम करो। मैं फोन कर दूंगी। इस बार इक्क्ठे ही आना “।
हंस कर दोनों ने हमारे होंठ चूमे और जाने के लिए मुड़े।
मैंने पीछे आवाज़ लगा कर कहा “पंकज जैल ले कर आना “।
इस बार उन दोनों के साथ साथ रजनी की भी हंसी छूट गयी।
अब हमें इंतज़ार था करनाल से सरोज के फोन का कि कब रजनी के मां बाबू जी रामेश्वरम जायेंगे। अब अगला चुदाई का दौर करनाल में होना था।
करनाल के नाम से मुझे कुछ याद आ गया। मैंने रजनी से पूछा,”रजनी एक बात बताओ, हम दोनो ने पंकज और कुणाल के लंड चूसे चाटे भी अपनी चूत में भी लिए और गांड में भी लिए, तुमने तो दीपक और संतोष से भी चूत की चुदाई करवाई। तुम्हें किसकी चुदाई सब से बढ़िया लगी ” ?
रजनी ने एक पल को सोचा फिर बोली, “आभा चुदाई तो सारे एक जैसी ही करते हैं, बहुत थोड़ा ही फरक होता है। कोइ लम्बे धक्के लगाता है, कोइ पूरा बाहर निकल कर फिर अंदर डालता है।
कोइ ऐसे धक्के लगाता है मनो चूत कहीं भाग जाएगी फिर मिलेगी नहीं। कोइ कोइ तो लंड चूत या गांड में डाल कर रुक जाता है, कुछ नहीं करता – बस लड़की ही अपनी चूत और गांड को कभी टाइट करती है कभी खोलती है। मतलब तो एक ही होता है चूत के अंदर की खुजली को को दूर करना। इसी खुजली को दूर करवाने को ही चुदाई या मजा आना कहते हैं। और इस खुजली को मोटा और सख्त लंड ही दूर करता है।
“ऐसे ही मोटे लौड़े को पाने के लिए लड़कियां सोमवार के व्रत रखती हैं – बाकी सब, आमदन शक्ल सूरत वो तो सब दिख ही जाता है – नहीं दिखता तो वो है खड़ा लंड “।
रजनी ने होनी बात जारी रक्खी, ” हाँ मगर दीपक लौड़ा थोड़ा सा अलग है “।
“वो कैसे”, मैंने हैरान हो कर पूछा।
“वो ऐसे की दीपक के लंड का टोपा लंड से कुछ ज़्यादा ही बड़ा और उभरा हुआ है। दीपक लंड जब मुंह में डाल कर लंड को मुंह के अंदर बाहर करता है तो इस उभार के कारण पूरा मुंह भर जाता और होठों पर जो रगड़ आती है उससे तो मजा ही आ जाता है। यही मजा चूत में भी आता है जब दीपक लंड बहार निकलता है और अंदर डालता है। चूत की एंट्री एक दम चौड़ी हो जाती है और जब टोपा अंदर चला जाता तो फिर से सिकुड़ होती है – क्या मज़ा आता है कसम से “।
“गांड में तो इसका और भी ज़्यादा मज़ा आता है। गांड का तो सारा मजा ही गांड की छेद के शुरू में होता। लंड बाहर निकलते समय या डालते गांड का छेद एकदम फ़ैल जाता है – हे भगवान वही असली जन्नत है “।
मेरी तो चूत और गांड में खलबली मच गयी, ”पता नहीं और कितने दिन हैं जब दीपक का ये आठवां अजूबा मेरी चूत और गांड में जाएगा”।