राहुल के प्यार की निशानी

हेलो दोस्तो, “शोकसभा से हमबिस्तर-12” जो बहात दिन के बाद आई उससे आप पढ़ लिया होंगे.

अब आयेज की कहानी…

हम मिशनरी पोज़िशन मई चुदाई कर रहे थे साथ ही हम दोनो के लीप लॉक हो गयी थे. वो मेरी उपर था तो मैं यूयेसेस से अपने बाहों मई पकड़ी हुई थी. वो सिर्फ़ कमर को फंक्षनिंग करते हुआ लंड को अंदर बाहर कर रहा था.

कुछ देर के लीप लॉक के बाद जब वो मुझसे अलग हुआ.

राहुल : कैसे लग रहा है भाभी आपको चुदाई ?

मैं : ऐसे लग रहा है जैसे कोई 70-80 साल का बुढहा बिना एनर्जी और स्टॅमिना के छोड़ रहा है. ( मस्ती मई चिढ़ने के लिया मैं ऐसे बोली)

राहुल : क्या ? 70-80 का बुढहा लग रहा हूँ मैं तुम्हे.

मैं : बिल्कुल, 70-80 का बुढहा भी तुमसे अच्छा छोड़ सकते है, पर तुम नही.

राहुल : यॅ बोलके अपने मेरे ईगो को हर्ट काइया भाबी. मैं तो आपकी छूट प्यार से मार रहा था. पर नही, अब देखता हूँ मैं आपको मेरा असली ताक़त.

ऐसे बोलके राहुल खुद मो मेरी बाहों से च्छुदके मेरी दोनो पेर को फिर से चौड़ा कर दिया और अपने ही हाथ के बाल पे मेरी उपर रहा.

राहुल : तैयार हो जाओ भाभी.

फिर राहुल मुझे ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. बड़ी ही तेज़्ज़ रफ़्तार के साथ वो लंड को आंदार बाहर करने लगा. यूयेसेस ने कुछ ज़्यादा ही सीरीयस ले लिया मेरी बात को. शरीर पे पड़ते यूयेसेस के झटको से मेरी आअहह की चीख निकल जाती. जैसे की वो तेज़्ज़ई से मुझे छोड़ रहा था तो मैं बस डॉ आवाज़ मई चीख रही थी.

मैं : राहुल….. नही….. रुक जाओ…. धीरे से करो….. राहुल्ल्ल्ल्ल

पर राहुल मेरी एक भी बात ना सुनने वाला था. और जो वो मुझे पे अपने हाथ के सहारे उपर था अब वो मुझे काज़ के पकड़ते हुआ मेरी गले पे किस करने लगा और साथ ही तेज़्ज़ई से छोड़ने लगा.

मेरी चीख की आवाज़ थोड़ी बढ़ने लगी तो वो मेरी मूह पे अपना हाथ रख दिया और चुदाई और तेज़्ज़ई से करने लगा. अब मैं कुछ बोल भी नही पा रही थी और चीख भी नही पा रही थी. सिर्फ़ मेरी कानो मई लगातार ठप… ठप… ठप… की आवाज़ आराही थी बस.

नों स्टॉप 3-4 मिनिट्स की तेज़्ज़ धक्के देने के बाद वो मेरी मूह से हाथ हटाया और हल्का होके मेरी उपर ही लेट गया. धक्का बंद होते ही मैं उससे काज़ के पकड़ ली और उसके पीठ पे हाथ फेरने लगी.

तब हम दोनो के लिप्स फिर से एक दूसरे से मिल गयी. कुछ देर के लीप लॉक के बाद हम अलग हुआ.

राहुल : भाबी, भोव…. भोव….

मैं : क्या,

राहुल : ब्लो.. भोव.. भोव..

फिर मैं साँझ गयी की वो मुझे डॉगी बन ने केलिया बोल रहा था. मैं हेस्ट हुआ घूम गयी और यूयेसेस के सामने डॉगी पोज़िशन मई आगाई. अब वो मेरी पिच्चे घुटनो के बाल बेता हुआ था और हाथ मई लंड पकड़ के सहेला रहा था. मेरी छूट उसके लंड के सामने थी.

राहुल : भाभी भाबी भाबी. आप एक दूं मस्त भाभी हो. आप तो मेरे इशारे को भी साँझ गयी. योउ अरे थे बेस्ट भाबी. लोवे योउ सो मच.

बोलते हुआ वो झुक के मेरी खुलहो पे किस करने लगा. किस करते हुआ वो हाथ भी घुमा रहा था मेरी कुल्हों पे. उसके यॅ हर्क़ुआत से मैं थोड़ी सहें सी गयी. फिर वो एक ज़ोर दर थप्पड़ मारा कुल्हा पर.

मैं : आआआहह,

राहुल : भाभी, क्या मस्त गांद है आपकी. ( दूसरी कुल्हा पे और एक ज़ोर से थप्पड़ )

उसके मूह से गांद सुनते ही मैं थोड़ी संकोच करने लगी भले ही मैं उसके सामने नंगी होके डॉगी स्टाइल मई मेरी कुल्हों को उसके तरफ करके झुकी हुई थी.

मैं : राहुल, क्या कर रहे हो. मरो मत दर्द हो रही.

फिर एक थप्पड़ लगाके कुल्हा पे.

राहुल : मार नही रहा भाभी. यॅ तो बस प्यार देखा रहा हूँ आपको. आप भी याद रखोगी हमे के क्या ही बंदा था. रही बात दर्द की तो

बोलते हुआ वो मेरी कुल्हो पे जहा थप्पड़ जड़ दिया था वाहा फिर से किस करने लगा. किस करते करते वो फिर से शरारती करते हुआ कुल्हा को एक बार काट दिया. वो इतनी ज़ोर से कटा था की मेरी आवाज़ निकल गयी.

मैं : ( गुस्से मई ) यॅ क्या कर रहे हो तुम. पागल हो गयी हो क्या ?

राहुल : सॉरी भाभी, दर्द हुआ हो तो. मैं तो सिर्फ़ हमारे प्यार की निस्सनी बना रहा था लोवे बीते देते हुआ. अब गले पे तो दे नही सकता, क्यू ना कुल्हों पे ही दे डू. अब आप चाहो तो घर जाके देखा देना मेरे भैया अपपके सैयाँ जी को हम दोनो की प्यार की निस्सनी.

मैं : हाँ हन. ज़्यादा बात मत करो. जो काम कर रहे हो उससे ख़त्म करो पहेले.

राहुल : बताओ ना भाबी, क्या भैया ने कभी ऐसे काइया है आपके साथ.

मैं : तुम ज़्यादा इन्वेस्टिगेट मत करो. जो काम तुम्हे मिला है उससे ख़त्म करो पहेले.

राहुल : जैसे आपकी मर्ज़ी भाबी जान.

फिर राहुल लंड को छूट पे लगाके मेरी उपर चढ़ गया और पीठ और गले पे किस करते हुआ.

राहुल : अरे योउ रेडी बेबी?

मैं : एस.

राहुल : एस…

मैं : एस एस. अब तड़पाव मत. जल्दी से डालो ना.

फिर राहुल एक ही झटके मई पूरे लंड को छूट के आंदार डाल दिया और चुदाई करने लगा. मेरी कुल्हों पे पड़ती यूयेसेस के हर एक धक्के से ठप… ठप… की आवाज़ आराही थी बस. झुक के रहने से मेरी स्तन जो लटक रहे थे राहुल उससे पकड़ के रखा था मानो यूयेसेस के ना पकड़ ने से वो दोनो जैसे नीचे गिर ही जांगे.

कुछ देर ऐसे ही छोड़ने के बाद वो मुझ पर से उठ गया और सीधा हो गया. अब यूयेसेस के हाथ मेरी स्तनों से हट के मेरी दोनो कुल्हो पे थी. छोड़ते हुआ ही वो कुल्हों को सहेलने लगा और हासणे लगा. जहा यूयेसेस ने कटा था वाहा उंगली घूमने लगा.

मुझे तो काट ने की दर्द अभी तक हो रही थी तो मैं साँझ गयी की नीसेन अभी तक है. छोड़ते छोड़ते वो मेरी कुल्हो को फैला ने लगा. और थोड़ी देर छोड़ के लंड आंदार रख के वो रुक सा गया.

मैं : अरे क्या हुआ, रुक क्यू गयी ? हो गया क्या तुम्हारा? कॉंडम तो पहेने हो ना तुम?

कंटिन्यूड…

कहानी जारी रहेगी. फीडबॅक आप कॉमेंट करके बता सकते है. क्यू की पहेली ई’द मैं डेलीट करली हूँ और यॅ मेरी न्यू ई’द है जिस से मैं कहानी कंटिन्यू कर रही हूँ.

नेक्स्ट पार्ट जल्द ही आएगी. वेट कीजिए नेक्स्ट पार्ट का.